Sunday, 29 April 2018

भीमताल हिल स्टेशन : झीलों का सौन्दर्य

     हिमालय की गोद में अठखेलियां करने का मन करे तो उत्तराखण्ड के भीमताल हिल स्टेशन की सैर अवश्य करें। पर्यटक कभी बादलों को खुद की गोद में पायेंगे तो कभी खुद को बादलों की गोद में महसूस करेंगे।

   जी हां, भीमताल हिल स्टेशन को वस्तुत: हिमालय की गोद कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। हिम शिखर के साथ बादलों की धमाचौकड़ी या अठखेलियां पर्यटकों के मन मस्तिष्क को रोमांचित कर देती हैं।
     समुद्र तल से करीब 1370 मीटर ऊंचाई पर स्थित भीमताल हिल स्टेशन वस्तुत: सुन्दर झीलों का संगमन है। उत्तराखण्ड का भीमताल वस्तुत: नैनीताल जिला का हिस्सा है। भीमताल एक विहंगम झील है। इस झील के केन्द्र में एक सुन्दर द्वीप है। यह सुन्दर द्वीप हमेशा पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है।
     भीमताल को मुख्यत: महाभारत के महानायक भीम का स्थल माना जाता है। कहावत है कि भीमताल भीम के परिश्रम का परिणाम है। भीमताल के निकट ही शिव का भव्य-दिव्य मंदिर है। महादेव के इस भव्य-दिव्य मंदिर को भीमेश्वर महादेव कहा जाता है। भीमेश्वर महादेव मंदिर के निकट ही गार्गी नदी का रुाोत माना जाता है।
    हालांकि इस क्षेत्र को स्थानीय स्तर पर गोला नदी के नाम से जाता-पहचाना जाता है। खास यह कि भीमताल हिल स्टेशन का मौसम एवं जलवायु पर्यटकों को शीतलता एवं ताजगी प्रदान करती है। प्रचंड गर्मी में भीमताल हिल स्टेशन का मौसम नम एवं सुखद होता है।
      हालांकि सर्दियों में मौसम बेहद ठंड़ा होता है। चौतरफा हिम शिखरों से घिरा भीमताल हिल स्टेशन खूबसूरती का एक जबर्दस्त आइना है। कहीं सीना ताने हिम शिखर नजर आता है तो कहीं जल का प्रवाहमान लिए घाटी की सुन्दरता दिखती है। 
    भीमताल से करीब दो किलोमीटर दूर छोटी किन्तु एक अन्य झील है। इस झील को नल दमयंती ताल कहा जाता है। कहावत है कि राजा नल का महल इस झील में लुप्त हो गया था। भीमताल हिल स्टेशन से करीब 5 किलोमीटर दूर झीलों का एक समूह है। झीलों के इस समूह को सट्टाल कहा जाता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक अति सुन्दर स्थान है।
     झील के निकट ही हिडिम्बा पर्वत है। वानखण्डी आश्रम के निकट पशु-पक्षियों से आबाद अभ्यारण भी है। भीमताल हिल स्टेशन चौतरफा सुन्दरता का अप्रतिम खजाना छिपाये है। इन मुख्य आकर्षण में भीमताल के अलावा भीमेश्वर महादेव मंदिर, हनुमान गढ़ी, विक्टोरिया बांध, भीमताल द्वीप पर एक्वेरियम, कार्कोटाका मंदिर, नल दमयंती ताल, हिडिम्बा पर्वत एवं लोक संस्कृति संग्रहालय आदि हैं।
     भीमताल : भीमताल वस्तुत: एक लम्बी-चौड़ी झील है। इस झील के मध्य में एक सुन्दर द्वीप है। द्वीप पर फूलों की सुन्दरता निश्चय ही पर्यटकों को मुग्ध करती है। एक शानदार पिकनिक स्पॉट है। द्वीप पर अच्छे रेस्टोरेंट आदि बहुत कुछ है। यहां पर एक सुन्दर मछली घर भी है।
      भीमेश्वर महादेव मंदिर: भीमेश्वर महादेव मंदिर भीमताल हिल का मुख्य आकर्षण है। भीमेश्वर महादेव मंदिर भीम के द्वारा भगवान शिव को समर्पित एक भव्य-दिव्य मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर की मान्यता है कि इच्छायें अधूरी नहीं रहतीं।
    हनुमान गढ़ी: हनुमान गढ़ी भीमताल हिल स्टेशन क्षेत्र का एक श्रद्धा एवं आस्था का केन्द्र है। हनुमान गढ़ी नैनीताल से करीब 3 किलोमीटर दूर तल्लीताल के दक्षिण में स्थित है। पर्यटक या श्रद्धालु इस मंदिर की दिव्यता एवं भव्यता का अवलोकन करने अवश्य आते है। पहाड़ी स्टेशन का यह एक बड़ा धार्मिक केन्द्र है।
      विक्टोरिया बांध : विक्टोरिया बांध भीमताल हिल स्टेशन के अंत में स्थित है। करीब 40 फुट ऊंचा यह बांध सुन्दरता का एक आयाम है। बांध की सीढ़ियों की बागवानी देखते ही बनती है। सुन्दर फूलों की असंख्य प्रजातियां यहां देखने को मिलती हैं।
     लोक संस्कृति संग्रहालय: लोक संस्कृति संग्रहालय भीमताल के निकट ही है। संग्रहालय लोक संस्कृति को अति सुन्दर तौर तरीके से प्रदर्शित करता है। लकड़ी की प्राचीन कलाकृतियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। पारंपरिक पत्थर के आैजार, लोक संस्कार, लोक अनुष्ठान, पुरातात्विक महत्व के तथ्य-कथ्य सहित बहुत कुछ प्रदर्शित है।
     भीमताल हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से सड़क मार्ग से हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से भीमताल हिल स्टेशन की दूरी करीब 23 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से भी हिल स्टेशन की यात्रा की जा सकती है।
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Tuesday, 24 April 2018

मनाली हिल स्टेशन : रोमांच का खजाना

     मनाली हिल स्टेशन स्वर्ग के हर आयाम की सुखद अनुभूति है। हिमाचल प्रदेश का मनाली हिल स्टेशन कहीं बर्फ का कोमल एहसास कराता है तो कहीं मोती सा निर्मल जल छेड़छाड़ करता दिखता है। 

   समुद्र तल से करीब 1950 मीटर ऊंचाई पर स्थित मनाली हिल स्टेशन चौतरफा सुन्दरता से घिरा है। हरे भरे मखमली घास के लॉन-ढ़लान एक सुखद स्पर्श का एहसास कराते हैं। सीना ताने खड़े लम्बे-चौड़े पर्वत कभी बर्फ की ओढ़नी में दिखेंगे तो कभी शीतल हवा के झोको संग छेड़छाड़ करते दिखेंगे।
     प्रशासनिक तौर पर देखें तो मनाली हिल स्टेशन जिला कुल्लू का हिस्सा है। मनाली हिल स्टेशन एरिया की आबादी भले ही कम हो लेकिन यह हिल स्टेशन देश के शीर्ष पर्यटन क्षेत्र में गिना जाता है। मनाली हिल स्टेशन देश का चुनिंदा पर्यटन स्थल होने के साथ साथ धार्मिक एवं पौराणिक महत्व भी रखता है। भारतीय संस्कृति एवं विरासत के लिए मनाली खास महत्व रखता है।
     इसे सप्त ऋषियों का आश्रय स्थल भी कहा जाता है। वस्तुत: मनाली का आशय 'मनु का निवास" होता है। मनाली को देवताओं की घाटी भी कहा जाता है। मनाली गांव में ऋषि मनु को समर्पित एक अति प्राचीन मंदिर भी है। मनाली का शीतल एवं शांत वातावरण मन-मस्तिष्क को एक सुखद एहसास कराता है। परिवेश पर्यटकों को ऊर्जावान बनाने के साथ साथ जोश भी प्रदान करता है। नवविवाहित युगल के हनीमून का श्रेष्ठतम स्थान के तौर पर मनाली को देखा जाता है।
     खास यह कि मनाली हिल स्टेशन में स्कीइंग, हाइकिंग, पर्वतारोहण, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायाकिंग एवं माउंटेन बाइकिंग का आनन्द भी पर्यटक लेते हैं। यॉक स्कीइंग मनाली हिल स्टेशन का अनोखा खेल है। मनाली हिल स्टेशन एरिया में आकर्षण की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से हिडिम्बा देवी मंदिर, मनु महाराज मंदिर, हिमालयी बौद्ध मंदिर, भगवान राम मंदिर, वान विहार पार्क, राहला वॉटर फॉल्स, ओल्ड मनाली, नग्गर, गर्म पानी का स्प्रिंग्स, सोलांग घाटी आदि हैं।
     हिडिम्बा देवी मंदिर: हिडिम्बा देवी मंदिर 1553 में स्थापित किया गया था। हिडिम्बा पाण्डव पुत्र भीम की पत्नी थी। हिडिम्बा को देवी का दर्जा हासिल है। यह भव्य-दिव्य मंदिर विलक्षण काठ की कढ़ाई के लिए खास तौर से जाना जाता है। इस चार मंजिला शिवालय को धौंगरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मनाली हिल स्टेशन के सुन्दर स्थानों में इसे गिना जाता है।
     मनाली की एक सुन्दर पहाड़ी के ऊपर देवदार के वन क्षेत्र से घिरा यह मंदिर कई खूबियां रखता है। इसे एक तीर्थस्थल के रूप में माना जाता है। मंदिर का निर्माण विशिष्ट वास्तुशिल्प शैली में किया गया है। मंदिर परिसर में ही भीम-हिडिम्बा पुत्र घटोत्कच की लकड़ी की मूर्ति भी स्थापित है।
      मनु महाराज मंदिर : मनु महाराज मंदिर ऋषि मनु को समर्पित है। मनाली हिल स्टेशन से मंदिर करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित है। इस स्थान का पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व है।
    हिमालयी बौद्ध मंदिर: हिमालयी बौद्ध मंदिर आस्था, विश्वास एवं श्रद्धा का केन्द्र है। यहां भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। इसे शाक्यमुनि मंदिर भी कहा जाता है।
     भगवान राम मंदिर: भगवान राम मंदिर वशिष्ठ हॉट वाटर स्प्रिंग के पास स्थित है। भगवान राम यहां धर्म समर्थक देवता के स्वरूप में विद्यमान है। पर्यटक एवं श्रद्धालु स्नान के बाद भगवान राम के इस स्वरुप के दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश करते हैं।
      वान विहार पार्क: वान विहार पार्क मौज-मस्ती एवं घूमने का एक अच्छा स्थान है। नौकायन के लिए एक सुन्दर लघु जलाशय भी है।
    राहला वॉटर फॉल्स : राहला वॉटर फॉल्स मनाली हिल स्टेशन के मुख्य आकर्षण में से एक है। जोगिनी, रोजी, जाना एवं राहला वॉटर फॉल्स की सुन्दरता देखते ही बनती है। मनाली हिल स्टेशन से करीब 16 किलोमीटर दूर स्थित राहला वॉटर फॉल्स पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र है। समुद्र तल से करीब 8500 फुट ऊंचाई पर स्थित यह वॉटर फॉल्स बेहद सुन्दर है।
     यह वाटर फॉल्स रोहतांग के निकट है। राहला वॉटर फॉल्स वस्तुत: ग्लेशियर के पिघलने का परिणाम है। ग्लेशियर की बर्फ पिघल कर नीचे वाटर फॉल्स की शक्ल में आती है। इसका पानी बेहद ठंडा होता है। देवदार के वृक्षों एवं सुगंधित पेड़-पौधों से घिरा वाटर फॉल्स  परिसर मन-मस्तिष्क को प्रफुल्लित करने वाली   ताजगी युक्त हवा देता है। सुखद मौसम एवं सुन्दर परिवेश मनाली घूमने का आनन्द दोगुना कर देता है।
     नग्गर : नग्गर मनाली का एक छोटा सा गांव है। यहां पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व का एक शानदार एवं सुन्दर महल है। हालांकि इस महल को अब होटल में परिवर्तित कर दिया गया है।
     गर्म पानी स्प्रिंग्स: गर्म पानी स्प्रिंग्स में सल्फर वाला पानी प्रवाहित होता है। स्प्रिंग्स के बीस कुण्ड, वशिष्ठ, कलाथ एवं नेहरू कुण्ड प्राकृतिक स्प्रिंग्स हैं। जल में सल्फर के तत्व होने के कारण इस जल का आैषधीय महत्व है। बशिष्ठ बीस नदी के पार मनाली से करीब तीन किलोमीटर दूर गांव है। इन झरनों के निकट ही स्नान के लिए एक स्थान है। स्नान करने से त्वचा सम्बंधी रोग का उपचार हो जाता है। तुर्की शैली में बना स्नानघर भी सुन्दर लगता है।
     सोलांग घाटी: सोलांग घाटी को खास तौर से स्नो प्वाइंट के तौर पर जाना-पहचाना जाता है। यह क्षेत्र साहसी खेलों के लिए खास है। स्कीइंग, पैराशूटिंग, पैराग्लाइडिंग, ट्रैकिंग, पर्वतारोहण जैसे सर्दियों के खेल आयोजित होते है।
      समुद्र तल से करीब 2560 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह क्षेत्र पर्यटकों का खास पसंदीदा है। सोलांग घाटी, सोलांग गांव एवं व्यास कुण्ड के बीच स्थित सोलांग घाटी हिमनदों एवं हिमाच्छादित पर्वत श्रंखला का शानदार दृश्यावलोकन कराता है।
      मनाली हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कुल्लू-मनाली एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट मनाली से करीब 50 किलोमीटर दूर भुंतर में स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिन्दर नगर है।
         मनाली हिल स्टेशन से जोगिन्दर नगर रेलवे स्टेशन की दूरी करीब 135 किलोमीटर है। इसके अलावा मनाली हिल स्टेशन के लिए चण्डीगढ़ तक भी रेल यात्रा की जा सकती है। चण्डीगढ़ से मनाली हिल स्टेशन की दूरी करीब 315 किलोमीटर है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी मनाली हिल स्टेशन की यात्रा की जा सकती है।
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Monday, 23 April 2018

भंडारदरा हिल स्टेशन : प्रकृति का स्पर्श

      महाराष्ट्र के भंडारदरा हिल स्टेशन को प्रकृति का सुखद स्पर्श कहें तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। सौन्दर्य शास्त्र की सुन्दर संरचना इस हिल स्टेशन में पर्यटकों को सुखद एहसास कराती हैं।

   सहयाद्री पर्वत श्रंखला की आगोश में रचा-बसा भंडारदरा हिल स्टेशन देश के चुनिंदा हिल स्टेशन में से एक है। यह हिल स्टेशन चौतरफा नदियों, झीलों, झरनों एवं जलाशय की जलक्रीड़ा का सुन्दर रोमांच कराता है।
    मखमली कालीन सा बिछौना पर्वत श्रंखला को आैर भी अधिक सुन्दर बना देता है। सुन्दर परिवेश, सुरम्य पर्वत श्रंखला एवं वाटर फॉल्स की सुन्दरता पर्यटकों को बरबस आकर्षित करती है। 
     महाराष्ट्र की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट कलसुबाई इसी भंडारदरा हिल स्टेशन का हिस्सा है। समुद्र तल से करीब 1646 मीटर शीर्ष पर स्थित यह पर्वत चोटी पर्यटकों को रोमांचित करती है। भंडारदरा हिल स्टेशन को भंवरारा भी कहते हैं। यह इलाका ट्रेकिंग के लिए भी खास तौर से जाना-पहचाना जाता है। 
   भंडारदरा हिल स्टेशन एवं उसके आसपास के मुख्य आकर्षण को देखें तो एक लम्बी श्रंखला पायेंगे। इस इलाके के खास आकर्षण में विल्सन बांध, आर्थर झील, माउंट कलसुबाई, रतनगढ़ किला, रंध वॉटर फॉल्स, घाघघर एवं एंगलिंग आदि हैं।
    विल्सन बांध : विल्सन बांध प्रवरा नदी पर स्थित है। यह देश के पुराने बांधों में से एक है। वर्ष 1910 में बना यह बांध प्राचीनकालीन होने के साथ साथ सुन्दरता को भी दर्शाता है। विल्सन बांध समुद्र तल से करीब 150 मीटर की ऊंचाई पर है। बांध में 60 से 80 फुट ऊंचाई पर गिरने वाले पानी का स्वर कई बार सुरीला एवं बेहद कर्णप्रिय लगता है।
     चट्टानों पर बिखरता पानी रोमांचकारी प्रतीत होता है। बांध के नीचे एक भव्य-दिव्य उद्यान है। पर्यटकों को एक सुखद आनन्द की अनुभूति इस उद्यान में होती है। विल्सन बांध बैकवॉटर का भी एहसास कराता है।
     आर्थर झील: आर्थर झील सहयाद्री पर्वत श्रंखला से चौतरफा घिरी होने के कारण सुरम्यता का एहसास कराती है। झील चौतरफा वन क्षेत्र से आच्छादित होने के कारण एक ताजगी का स्पर्श कराती है। शीर्ष पर पर्वत श्रंखला एक विशेष आकर्षण पैदा करती है।
      रंध वॉटर फॉल्स : रंध वॉटर फॉल्स पर्यटकों को ताजगी से भर देता है। प्रवरा नदी 170 फुट ऊंचाई से नीचे की ओर प्रवाहित होती है। इसी की जलधारा रंध वॉटर फॉल्स को अस्तित्व प्रदान करती है। मानसून का मौसम इस फॉल्स की सुन्दरता को आैर भी बढ़ा देता है। मोती सा चमकता फॉल्स का जल इठलाता-इतराता हुआ आगे बढ़ता है।
      घाघघर: घाघघर भंडारदरा हिल स्टेशन से करीब 22 किलोमीटर दूर है। यहां से सहयाद्री पर्वत श्रंखला का सुन्दर दृश्य देखा जा सकता है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त का सुन्दर एवं लालित्यमय दृश्य यहां से देखा जा सकता है।
      माउंट कलसुबाई : माउंट कलसुबाई सहयाद्री पर्वत श्रंखला का सर्वोच्च शिखर है। पर्वत के इस शिखर पर खड़े होकर नीचे देखने पर झीलों एवं सुन्दर झरनों की शानदार श्रंखला दिखायी देती है। कलसुबाई की ऊंचाई ट्रैकिंग के लिए खास तौर से लोकप्रिय है। इसी के निकट भवंरारा पहाड़ी भी है।
     रत्नागढ़ किला : रत्नागढ़ किला अब एक सुन्दर एवं शानदार रिसार्ट की शक्ल में है। इसका रखरखाव एवं संचालन महाराष्ट्र सरकार का पर्यटन विभाग करता है। किला के आसपास बेहद सुन्दर परिवेश है। यहां से चौतरफा सुन्दरता दिखती है। मानसून में यहां के दृश्य बेहद सुहावने हो जाते हैं।
    एंगलिंग : एंगलिंग भी भंडारदरा हिल स्टेशन एरिया का एक शानदार क्षेत्र है। झीलों एवं झरनों का मिला-जुला इलाका तैराकी से लेकर मछलियों के शिकार के लिए खास तौर से जाना जाता है। पर्यटक यहां नौकायन का लुफ्त उठा सकते हैं।
     भंडारदरा हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट क्षत्रपति शिवाजी टर्मिनल मुम्बई है। निकटतम रेलवे स्टेशन इगतपुरी है। इगतपुरी से भंडारदरा हिल स्टेशन की दूरी करीब 35 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से मुम्बई एवं पुणे की दूरी समान है। मुम्बई से भंडारदरा हिल स्टेशन की दूूरी करीब 185 किलोमीटर है। नासिक से करीब 70 किलोमीटर की दूरी है।
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Sunday, 8 April 2018

अमरकंटक हिल स्टेशन: एक अनुपम सौन्दर्य शास्त्र

      अमरकंटक हिल स्टेशन सौन्दर्य शास्त्र की एक अनुपम गाथा है। मध्य प्रदेश का यह हिल स्टेशन प्रकृति का एक सुरम्य स्थान है तो वहीं अमरकंटक तीर्थ धाम भी है। 

    समुद्र तल से करीब 1065 मीटर शीर्ष पर रचा-बसा अमरकंटक हिल स्टेशन पर्यटकों के लिए किसी स्वप्नलोक से कम नहीं। मैकाल की पहाड़ियों पर स्थित अमरकंटक हिल स्टेशन विंध्य एवं सतपुरा की पर्वत श्रंखलाओं से घिरा है। सोन नदी, जोहिला नदी एवं नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक हिल स्टेशन की सुन्दरता में चार चांद लगा देते हैं।
      मध्य प्रदेश के अनूप शहर क्षेत्र में स्थित अमरकंटक हिल स्टेशन की झील-झरनें, पवित्र तालाब-कुण्ड, ऊंची पर्वत श्रंखलाएं एवं शांत वातावरण सैलानियों-पर्यटकों को एक सुखद ताजगी एवं ऊर्जा से भर देते हैं। टीक एवं महुआ के शानदार वृक्षों से आच्छादित हिल स्टेशन अपनी खास विशेषताओं की ख्याति रखता है।
      अमरकंटक हिल स्टेशन आयुर्वेदिक एवं आैषधीय वनस्पतियों के लिए खास तौर से जाना जाता है। इस हिल स्टेशन को जीवनदायक धाम भी कहा जाता है। इस इलाके की लाइफ लाइन कही जाने वाली नर्मदा नदी को यहां साक्षात देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। 
    धर्म-अध्यात्म एवं प्रकृति प्रेमियों का यह एक सुन्दर धाम है। पर्वत श्रंखलाओं पर घास के सुन्दर मैदान मुग्ध करते हैं तो वहीं रमणीयता भी देखने लायक है। जीवनदायी गुणों से भरपूर अमरकंटक हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षण की एक लम्बी श्रंखला है।
    इनमें खास तौर से धुनी पानी, नर्मदा उद्गम स्थल, सोनमुद्रा, दूधधारा, नर्मदा कुण्ड एवं नर्मदा मंदिर, मां की बगिया, कपिल धारा, कबीर चौरा, सर्वोदय जैन मंदिर, ज्वालेश्वर महादेव मंदिर आदि इत्यादि बहुत कुछ है। अमरकंटक को प्रकृति का एक बेहतरीन उपहार कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। मध्य भारत स्थित अमरकंटक हिल स्टेशन स्वास्थ्य की दृष्टि से जीवन देने वाली आैषधि से कम नहीं।
     धुनी पानी: धुनी पानी अमरकंटक हिल स्टेशन के गर्म पानी का एक विशेष झरना है। विशेषज्ञों की मानें तो इस झरना का जल आैषधीय गुणों से भरपूर है। इस झरना में स्नान करने से असाध्य रोग भी नष्ट हो जाते हैं। स्नान करने से दुखों का निवारण भी होता है। ऐसी मान्यता है। धुनी पानी में स्नान करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु एवं पर्यटक आते हैं।
     नर्मदा कुण्ड एवं मंदिर: नर्मदा कुण्ड मुख्यता नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है। इसके आसपास चारों भव्य-दिव्य मंदिरों की श्रंखला है। आस्था एवं विश्वास का यह केन्द्र बेहद ऊर्जावान माना जाता है। इस स्थान पर नर्मदा देवी, शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा देवी मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, गुरु गोरखनाथ मंदिर, दुर्गा मंदिर, वंगेश्वर महादेव मंदिर, शिव परिवार, सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, श्री राधा कृष्ण मंदिर एवं रुद्र महादेव के ग्यारह मंदिर मुख्य हैं। किवदंती है कि भगवान शिव एवं उनकी पुत्री नर्मदा साक्षात यहां निवास करते हैं।
    दूध धारा: दूध धारा अमरकंटक हिल स्टेशन का बेहद लोकप्रिय झरना है। पर्वत श्रंखला की ऊंचाई से गिरते इस झरना का पानी दूध की तरह दिखता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे झरना से पानी की बजाय दूध गिर रहा हो। शायद इसी लिए इसे दूध धारा कहा जाता है।
     कलचुरी मंदिर: कलचुरी मंदिर हिल स्टेशन के खास आकर्षण में हैं। नर्मदा कुण्ड के दक्षिण इलाका में कलचुरी काल के मंदिर हैं। यह प्राचीन मंदिर श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के केन्द्र हैं। कुण्ड के निकट रचे-बसे इन मंदिरों का निर्माण महाराजा कर्णदेव ने कराया था। मछेन्द्रथान एवं पातालेश्वर महादेव मंदिर कलचुरी काल के बेहतरीन उदाहरण हैं।
    सोनमुद्रा: सोनमुद्रा मुख्यत: सोन नदी का उद्गम स्थल है। यहां से घाटी, पर्वत श्रंखला, पर्यावरणीय सुन्दरता पर्यटक देख सकते हैं। सोनमुद्रा नर्मदा कुण्ड से करीब 1.50 किलोमीटर दूर मैकाल पहाड़ियों की ढ़लान पर है। खास यह कि सोननदी करीब 100 फुट ऊंचाई से नीचे एक झरना की शक्ल में गिरती है। सोन नदी की सुनहरी रेत इसकी सुन्दरता को बेहतर आकर्षक बनाती है। सुनहरी रेत के कारण ही इसे सोन नदी कहा जाता है।
    कपिलधारा: कपिलधारा एक अति सुन्दर झरना है। करीब 100 फुट ऊंचाई से नीचे गिरने वाला यह झरना सुन्दर होने के साथ साथ लोकप्रिय भी है। धर्मग्रंथों की मानें तो कभी इस स्थान पर कपिलमुनि निवास करते थे। घने वन क्षेत्र, पर्वत श्रंखलाओं से आच्छादित एवं प्रकृति के सुन्दर नजारे यहां दिखते हैं। कपिलधारा के निकट ही कपिलेश्वर मंदिर है। कपिलधारा के आसपास असंख्य गुफायें। इन गुफाओं में ऋषि-मुनि, साधु-सन्यासी ध्यान लगाते हैं।
     मां की बगिया: मां की बगिया माता नर्मदा को समर्पित है। मान्यता है कि शिव पुत्री नर्मदा इस बगिया में फूलों को चुनती हैं। गुलाब सहित अन्य फूलों की यह बगिया नर्मदा कुण्ड से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित है।
     कबीर चौरा: कबीर चौरा संत कबीर का स्थान माना जाता है। कहावत है कि इस स्थान पर कई वर्षों तक संत कबीर ने ध्यान लगाया था।
     सर्वोदय जैन मंदिर: सर्वोदय जैन मंदिर भारत के अद्वितीय मंदिरों में से एक है। कहावत है कि इस मंदिर के निर्माण में सीमेन्ट एवं लोहे का उपयोग नहीं किया गया। मंदिर में स्थापित मूर्ति का वजन भी कम नहीं है। मूर्ति का वजन करीब 24 टन है।
    श्री ज्वालेश्वर महादेव मंदिर: ज्वालेश्वर महादेव अमरकंटक हिल स्टेशन से करीब 8 किलोमीटर दूर शहडोल रोड पर स्थित है। महादेव का यह मंदिर बेहद खूबसूरत है। अमरकंटक हिल स्टेशन की तीसरी नदी जोहिला का उद्गम स्थल है।
      मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वयं अपने हाथों से यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। भगवान शिव का ही प्रताप है कि मैकाले की पर्वत श्रंखलाओं में असंख्य स्थानों पर शिवलिंग बिखर गये। यह अब शिव मंदिरों के रूप में हैं। पुराणों में इस स्थान को महा रुद्र मेरु कहा गया है। इस मंदिर के निकट ही सर्योदय एवं सूर्यास्त की अनुपम छटा दिखती है।
    अमरकंटक हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर है। जबलपुर एयरपोर्ट की दूरी अमरकंटक हिल स्टेशन से करीब 245 किलोमीटर है। अमरकंटक का निकटतम रेलवे स्टेशन पेंड्रा रोड है। पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन से अमरकंटक हिल स्टेशन की दूरी करीब 35 किलोमीटर है। अनूप शहर रेलवे स्टेशन की दूरी करीब 72 किलोमीटर है। अमरकंटक हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी की जा सकती है।
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Friday, 6 April 2018

आैैली हिल स्टेशन : धरती का स्वर्ग

      हिमालय की गोद में रचा-बसा आैली हिल स्टेशन दुनिया के शीर्ष एवं बेहतरीन स्कीइंग स्थलों में से एक है। पर्यटकों को बर्फबारी का भरपूर आनन्द आैली में मिलता है।

    समुद्र तल से करीब 8200 फुट ऊंचाई पर स्थित आैली हिल स्टेशन एरिया मौज मस्ती का श्रेष्ठतम स्थान है। वहीं यह हिल स्टेशन एरिया धर्म आध्यात्म का भी श्रेष्ठ केन्द्र है। बद्रीनाथ एवं केदारनाथ धाम इसी एरिया में विद्यमान हैं।
    हिमालय के पर्वतों से आच्छादित आैली हिल स्टेशन घास के खुशनुमा मैदानों के लिए प्रसिद्ध है। आैली को अल्ली एवं बग्यल के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखण्ड के चमोली जिला के तहत आने वाले आैली हिल स्टेशन प्राकृतिक सम्पदाओं से अति समृद्ध है। स्थानीय भाषा गढ़वाली में आैली का आशय 'घास का मैदान" होता है। 
     आैली हिल स्टेशन एरिया में प्रवेश करते ही एहसास होता है कि जैसे स्वर्ग धरती पर साक्षात उतर आया हो। नरम मखमली घास, बर्फ की चादर से ढ़के पर्वत, झीलों में शांत बहता जल, शीतल हवा के झोके मन तन को पुलकित एवं प्रफुल्लित कर देते हैं। ऑक एवं शंकुधारी पेड़-पौध से आच्छादित वन क्षेत्र पर्यावरण को अत्यधिक समृद्धशाली बनाते हैं।
     आैली हिल स्टेशन में चौतरफा कहीं भी निगाह डाले तो मुस्कराता हिमालय पर्यटकों का स्वागत करते ही दिखता है। हिमालय की चोटियां पर्यटकों को जोशीला बनाती दिखती हैं। स्कीइंग के लिए आैली हिल स्टेशन बेहतरीन एरिया है। खास यह कि पेशेवर स्कीयर्स एवं नौसिखिया स्कीयर्स समान तौर पर दिखेंगे। पर्यटक स्कीइंग का शौक आसानी से पूरा कर सकते हैं।
     उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग आैली में निरन्तर शीतकालीन खेलों का आयोजन करता है। आैली हिल स्टेशन में केबिल कार के भरपूर मजे लिए जा सकते हैं। केबिल कार की सवारी करना पर्यटकों के लिए किसी रोमांच से कम नहीं होता। 
    विशेषज्ञों की मानें तो आैली हिल स्टेशन एशिया में सबसे बड़ा रोपवे सवारी का केन्द्र है। रोपवे की सवारी का आनन्द लेते हुये पर्यटक नंदा देवी, त्रिशूल पीक, द्रोण पर्वत आदि की सुन्दरता का दृश्वालोकन कर सकते हैं। आैली हिल स्टेशन यानी गर्मी में भी सर्दी का एहसास। 
   सुखद, रोमांचक एवं ताजगी देने वाला आैली हिल स्टेशन सर्दियों में यात्रा के लिए सर्वाधिक अनुकूल माना जाता है। कारण सर्दियों में हिमालय की शीर्ष चोटियों से लेकर घास के विशाल मैदान तक बर्फबारी से ढ़के दिखते हैं। यह पल बेहद रोमांचक होते हैं। बर्फ की ओढ़नी ओढ़े हिमालय की पर्वत श्रंखला एक अनोखा रोमांच पैदा करती हैं।
    सुन्दर पहाड़ों की यह श्रंखला साहसी पर्वतारोहियों, प्रकृति प्रेमियों, शांति चाहने वालों, पर्यटकों, नवविवाहित जोड़ों को हनीमून के लिए खास आकर्षित करती है। विभिन्न प्रजातियों के फूलों से भरे रास्ते दिलों को लुभाते हैं। एक मनोरम दृश्य दिखता है।
     आैली हिल स्टेशन एरिया के खास आकर्षण की एक लम्बी श्रंखला है। खास आकर्षण में विष्णु प्रयाग, गोरसन बुगैल, हनुमान मंदिर, त्रिशूल पीक, नंदा देवी पीक, गुर्सा बंग्याल, सैलधर तपोवन, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान, कुरी पास, जोशीमठ, बद्रीनाथ, तपोवन, कृतिम झील, गुरु बंग्याल, छत्रकुण्ड, क्वानी बंग्याल, हॉट स्प्रिंग प्वाइंट एवं चेनाब झील आदि हैं। आैली हिल स्टेशन की सुन्दरता ही है कि वर्ष 2011 में आैली हिल स्टेशन एवं देहरादून प्रथम दक्षिण एशियाई शीतकालीन खेलों की मेजबानी कर चुका है।
    हनुमान मंदिर: हनुमान मंदिर अति प्राचीनकालीन है। किवदंती है कि द्रोणागिरि पर्वत की यात्रा के दौरान हनुमान जी इस स्थान पर कुछ पलों के लिए रुके थे।
      त्रिशूल पीक: त्रिशूल पीक समुद्र तल से इलाके के शीर्षतम स्थान पर है। त्रिशूल पीक को एक विशेष चमत्कारिक स्थान माना जाता है। यहां से आैली का मोहक दृश्य नजर आता है। इसी के निकट रूपकुण्ड झील भी स्थित है।
     कृतिम झील: कृतिम झील आैली के सुन्दर स्थानों में से एक है। इसे कृतिम बर्फ बनाने के मकसद से विकसित किया गया है। पर्यटक यहां स्कीइंग का आनन्द ले सकते हैं।
    नंदा देवी पीक: नंदा देवी पीक देश का सबसे ऊंचा पहाड़ कहा जाता है। नंदा देवी पीक समुद्र तल से 7817 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। नंदा देवी पीक गढ़वाल हिमालय पर्वत का एक हिस्सा है। यहां से आैली सहित आसपास का विहंगम दृश्य दिखता है। यह इलाका नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से घिरा है। यह स्थान यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है।
    गुर्सा बंग्याल: गुर्सा बंग्याल आैली हिल स्टेशन से करीब तीन किलोमीटर दूर है। वस्तुत: गुर्सा घास का एक विशाल मैदान है। वसंत ऋतु में गुर्सा बंग्याल की सुन्दरता देखते ही बनती है। सर्दियों के दौरान बर्फबारी के कारण यह सफेद नजर आता है।
    चिनाब झील: चिनाब झील यह डांग गांव के पास स्थित है। चिनाब झील अपने खास सौन्दर्य के लिए जानी जाती है।
     सैलधर तपोवन: सैलधर तपोवन एक छोटे से गांव में स्थित है। यह आैली से करीब 15 किलोमीटर दूर है। यह जोशीमठ के रास्ते में है। तपोवन गर्म पानी के स्प्रिंग्स के लिए जाना जाता है।
       ट्रैकिंग: ट्रैकिंग का भरपूर आनन्द पर्यटक यहां ले सकते हैं। आैली हिल स्टेशन एरिया बेहतरीन ट्रैकिंग सेवायें-सुविधायें उपलब्ध कराता है। आैली के लोकप्रिय ट्रैकिंग ट्रैल्स में आउली-गोरसन करीब 7 किलोमीटर, गोरसन-तली करीब 6 किलोमीटर, ताली-कुडी पास करीब 11 किलोमीटर, कुरी पास-खुलरिया करीब 12 किलोमीटर एवं खुलार-तपोवन करीब 9 किलोमीटर की यात्रा है।
      आैली हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। यह करीब 270 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार एवं ऋषिकेश हैं। आैली हिल स्टेशन की ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से दूरी करीब 250 किलोमीटर है। आैली हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी कर सकते हैं।
30.555891,79.556980

Thursday, 5 April 2018

अरु हिल स्टेशन : रोमांच का खजाना

     जम्मू-कश्मीर का अरु हिल स्टेशन को हिमालय की शान कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। समुद्र तल से करीब 2425 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन सुन्दर झीलों, विशाल हिमालय एवं नरम घास के मैदानों के लिए खास प्रसिद्ध है। 

   श्रीनगर से करीब 107 किलोमीटर दूर कश्मीर की यह अरु घाटी शांत स्वभाव एवं सदाबहार परिवेश की खासियत रखती है।अरु हिल स्टेशन के चौतरफा हिमालय के शिखर नजर आते हैं। यह इलाका ट्रांस हिमालय का मिला-जुला क्षेत्र है।
     हालांकि अरु हिल स्टेशन जम्मू-कश्मीर का सबसे छोटा हिल स्टेशन है फिर भी सुन्दरता के लिए खास प्रसिद्ध है। मखमली बिछौना सा दिखने वाले घास के भव्य-दिव्य मैदान सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय आैर भी निखर आते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे लालिमा धरती पर उतर आयी हो। नीला आकाश, शांत वातावरण एवं धुंधलका की चादर से ढ़का हिमालय प्रकृति का सुन्दर नजारा दिखाता है।
     अनन्तनाग जिला का यह हिल स्टेशन सुरम्य वादियां पर्यटकों को मुग्ध कर लेती हैं तो वहीं सुहावनापन रोम-रोम को पुलकित एवं प्रफुल्लित कर देता है। सामान्यत: देखें तो अरु घाटी जम्मू एण्ड कश्मीर की आत्मा है। युवाओं के लिए हनीमून का सबसे पसंदीदा हिल स्टेशन अरु को माना जाता है। अरु हिल स्टेशन एरिया के खास आकर्षण में लिडर नदी, ट्रेकिंग, घुमक्कड़ी, घुड़सवारी आदि इत्यादि है। 
    अरु हिल स्टेशन के निकट ही कोलहाई ग्लेशियर है। इसे कश्मीर घाटी का सबसे बड़ा ग्लेशियर माना जाता है। कोलहाई 5425 मीटर की ऊंचाई पर है। कश्मीर घाटी का यह सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। इस शिखर श्रंखला पर पर्यटकों के लिए बोर्डिंग-लॉजिंग की सभी आवश्यक सुविधायें-सहूलियतें हासिल हैं। अरु हिल स्टेशन के आसपास अल्पाइन झीलों की एक लम्बी श्रंखला है।
    पर्वत शिखर घास के सुन्दर मैदान की तरह दिखते हैं। सर्दियों में अरु हिल स्टेशन पर बर्फबारी का अद्भुत नजारा देखते ही बनता है। ओवरा अरु वन्यजीव अभ्यारण हिल एरिया की सुन्दरता का एक शानदार नगीना है। हिल स्टेशन के अन्य आकर्षण में कैटरीन घाटी, तारसार-मार्सार झील, विश्वदर्श-किशनर झील, कंगन, कोलहाई ग्लेशियर आदि हैं। अरु हिल स्टेशन एक भव्य-दिव्य दर्शन एरिया है। कुछ यूं कहें कि पर्यटक अरु हिल स्टेशन के सुन्दरता में खुद को भूल सा जाते हैं। परिवेश एहसास कराता है कि प्रकृति की गोद में सो जाओ।
     ओवरा अरु वन्यजीव अभ्यारण: ओवरा अरु वन्यजीव अभ्यारण जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से करीब 76 किलोमीटर दूर है। करीब 511 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैला यह अभ्यारण समुद्र तल से 3000 से 5425 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। वस्तुत: यह एक पर्वत श्रंखला है। इस वन्यजीव अभ्यारण में पशु-पक्षियों की कुछ खास प्रजातियां दिखती हैं। मसलन कस्तूरी हिरण, तेंदुआ, हंगल, बर्फ मुर्गा, मोनल, भूरा भालू, कोक्लास, खरगोश, सेरो, रीसस मकाक, भूरा लंगूर, हिमालय का चूहा आदि इत्यादि हैं।
     कोलहाई: कोलहाई हिमालय की ऊंची चोटियों में से एक है। हालांकि इस क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटियों में कोलहाई को श्रेष्ठ माना जाता है। यहां की सुन्दरता, शांत वातावरण एवं सुखद परिवेश पर्यटकों को आकर्षित करता है। कोलहाई मन एवं तन को ऊर्जावान बनाता है। कोलहाई घाटी का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। ग्लेशियर की चढ़ाई पर्यटकों एवं ट्रैक्र्स का सपना होता है।
     हैली स्कीइंग: हैली स्कीइंग अरु हिल स्टेशन का दूसरा बड़ा आकर्षण है। भारी हिमपात में हैली स्कीइंग एवं स्कीइंग का आनन्द ही कुछ आैर होता है। यूं कहें कि बर्फबारी के बीच इन खेलों का उपहार प्रकृति की देन है।
    लिडरडैट ट्रैक: लिडरडैट ट्रैक अरु हिल स्टेशन के पंसदीदा क्षेत्रों में है। पर्यटक अरु आने के बाद यहां आना प्राथमिकता में रखते हैं। इसका बड़ा कारण है कि यहां एक खास बिन्दु है। इस शीर्ष बिन्दु से सूर्यास्त का सुन्दर दृश्य दिखता है।
     अरु हिल स्टेशन की यात्रा या आवागमन के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट श्रीनगर है। रेल मार्ग एवं सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं। अरु हिल स्टेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। श्रीनगर से करीब 107 किलोमीटर दूर है।
34.092162,75.263219

Tuesday, 3 April 2018

अराकू हिल स्टेशन: प्राकृतिक सुन्दरता

     अराकू हिल स्टेशन को ईश्वरी वरदान कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। दक्षिण भारत का अराकू हिल स्टेशन कॉफी की सुगंध के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

  आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम क्षेत्र का यह हिल स्टेशन अपनी आगोश में इन्द्रधनुषी रंगों का निराली छटा समेटे है। करीब तीन हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित अराकू हिल स्टेशन मखमली पर्वत श्रंखला, सुरंगों, गुफाओं, पुलों एवं भव्य-दिव्य झरनों के लिए प्रसिद्ध है।
     पर्यटकों को अराकू हिल स्टेशन में अहसास होता है कि जैसे प्रकृति की गोद में हों। करीब 36 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैला अराकू हिल स्टेशन रंगों की निराली दुनिया सा दिखता है। अराकू हिल स्टेशन बेहतरीन ड्राइव का आदर्श क्षेत्र माना जाता है। पारिवारिक अवकाश का आनन्द लेना हो तो पर्यटकों को अराकू हिल स्टेशन का रुख अवश्य करना चाहिए। 
    पर्वतीय क्षेत्र होने के बावजूद अराकू हिल स्टेशन एरिया में मौसम का बदलाव होता रहता है। चूंकि यह एरिया कॉफी बागानों के लिए खास है लिहाजा कॉफी की खूशबू से हिल स्टेशन महकता रहता है। हवा की ताजगी पर्यटकों को आक्सीजन एवं ऊर्जा से पल में ही भरपूर कर देती है। अराकू घाटी में ड्राइविंग का भी अपना एक अलग आनन्द है।
     अराकू हिल स्टेशन एरिया मुख्यत: जनजातीय बाहुल्य है। सघन वन क्षेत्र एवं पर्वतीय इलाका होने के जलवायु का एक सुखद अहसास होता है। अराकू हिल स्टेशन के आसपास वाले इलाकों में अनन्तगिरि एवं सुंकारीमेट्टा वन क्षेत्र भी शामिल हैं। हिल स्टेशन गालिकोंड, रक्तकोंडा, सुंकारीमेट्टा तथा चितमोगोंडी जैसे पहाड़ों से चौतरफा घिरा है। गालिकोंडा पर्वत की ऊंचाई करीब पांच हजार फुट है। इसे आंध्र प्रदेश का सबसे ऊंचा पर्वत माना जाता है।
     अराकू हिल स्टेशन के चौतरफा मखमली घास, खूशबूदार फूलों से लदे बाग-बगिया एवं रंग-बिरंगे फूलों एवं पत्तों वाले पेड़-पौध परिवेश को आैर भी खूबसूरत बनाते हैं। अराकू हिल स्टेशन एवं उसके आसपास भी असंख्य आकर्षण हैं। इनमें खास तौर से टायडा पार्क, बोरा गुफायें, अनन्तगिरी, गोस्तानी नदी, आदिवासी संग्रहालय, कॉफी बागान, कटिकी झरने, डमब्रिागुड़ा झरना, भीमली समुद्र तट, चापराई झरने आदि बहुत कुछ है।
     खास यह है कि अराकू हिल स्टेशन एरिया में भारतीय रेलवे का नेटवर्क भी है। जिससे पर्यटक रेल यात्रा के जरिये अराकू हिल स्टेशन एरिया का सौन्दर्य देख सकते हैं। खास यह है कि एक रेलवे स्टेशन अराकू में स्थित है। दूसरा रेलवे स्टेशन अराकू घाटी क्षेत्र में स्थित है। जिससे रेल यात्रा के दौरान पर्यटक हिल स्टेशन का भरपूर आनन्द ले सकें।रेलवे स्टेशन समुद्र तल से करीब 996 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। हिल स्टेशन के सुन्दरता से प्रभावित होकर असंख्य फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है।
       खास तौर से यहां दक्षिण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा भी देखने को मिलती है। आंध्र प्रदेश के शहर विजाग से करीब 114 किलोमीटर दूर यह हिल स्टेशन ओड़ीशा के काफी करीब है। पदमपुरा का बोटैनिकल गार्डेन भी देखने लायक है। अराकू हिल स्टेशन एरिया के झरनों का अंदाज ही निराला है। झरनों का कल-कल बहता पानी देख कर पर्यटकों का मन होता है कि पानी में पैर डाल कर बैठ जायें। पर्यटक झरनों के पानी में खूब मौज-मस्ती करते हैं।
     टायडा पार्क: टायडा पार्क वस्तुत: एक छोटा सा गांव है। यह विजाग से 75 किलोमीटर दूर है। वनस्पतियों की प्रचुरता सुगंध के साथ साथ दीर्घ जीवन के लिए एक आैषधि भी है। पशु-पक्षियों का कोलाहल सुन देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक आदर्श स्थल माना जाता है।
     बोरा गुफायें: बोरा गुफायें अराकू हिल स्टेशन एरिया का खास सौन्दर्य है। बोरा गुफायें उपर से देखने में सामान्य दिखती हैं लेकिन आंतरिक दशा एवं दिशायें बेहद भव्य-दिव्य हैं। भू-वैज्ञानिकों की मानें तो यह गुफायें अति प्राचीनकाल की हैं। 
    लाइमस्टोन की यह गुफायें गोस्तानी नदी के प्रवाह का परिणाम हैं। इन गुफाओं के अंदर एक अलग ही दुुनिया दिखायी देती है। खास यह कि गुफाओं के अंदर प्रवेश करने के लिए रेंगना पड़ता है लेकिन गुफा में प्रवेश करते ही विशाल हाल एवं सीढ़ियों की श्रंखलायें दिखती हैं। इन गुफाओं में प्राचीनकालीन शिवलिंग भी है।
       गोस्तानी नदी: गोस्तानी नदी आंध्र प्रदेश की लाइफलाइन भी मानी जाती है। अनन्तगिरी पर्वत से निकल कर गोस्तानी नदी पश्चिम बंगाल तक प्रवाहित होती है। नदी में नौकायन का आनन्द भी लिया जा सकता है।
     अराकू हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम हवाई अड्डा विशाखापट्टनम है। विशाखापट्टनम से अराकू हिल स्टेशन करीब 112 किलोमीटर दूर है। विशाखापट्टनम से अराकू के लिए रेल से भी यात्रा की जा सकती है। विशाखापट्टनम से अराकू की रेल यात्रा करीब 6 घंटे अवधि की है। अराकू हिल स्टेशन सड़क मार्ग से भी जुड़ा है।
18.327349,82.877522

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...