Thursday, 27 September 2018

लैंसडाउन हिल स्टेशन: मखमली एहसास

    लैंसडाउन हिल स्टेशन का मखमली एहसास कभी न भूल पाएंगे। जी हां, लैंसडाउन के प्राकृतिक सौन्दर्य का मखमली एहसास पर्यटकों के दिलों पर छा जाता है। 

   समुद्र तल से करीब 1706 मीटर ऊंचाई पर स्थित उत्तराखण्ड का यह हिल स्टेशन शांत एवं सुरम्यता के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। उत्तराखण्ड के जिला पौढ़ी गढ़वाल का यह हिल स्टेशन बेहद सुन्दर है।
  लैंसडाउन की प्राकृतिक सुन्दरता पर्यटकों को सम्मोहित करती है। सुरम्य एवं सुन्दर पर्वत श्रंखला एवं मखमली घास के विशाल मैदान एवं ढ़लान ह्मदय स्पर्शी हो जाते हैं। 

   बादलों का उमड़ना-घुमड़ना बेहद रोमांचक होता है। बादलों संग खिलंदड़पन बेहद भाता है। चौतरफा मखमली हरियाली एक अलग दुनिया का एहसास कराती है। लैंसडाउन वस्तुत: पौढ़ी गढ़वाल का छावनी शहर है। इसे ब्रिाटिश हुक्मरानों ने पहाड़ों को काट कर बसाया था।

   हिमालय की बर्फीली चोटियां लैंसडाउन की प्राकृतिक सौन्दर्य को आैर भी बढ़ा देती हैं। पर्वत श्रंखला के मध्य फैले गांव का नजारा कुछ अलग ही प्रतीत होता है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त का लालित्यपूर्ण सौन्दर्य भी बेहद मनोरम लगता है। बलूत एवं देवदार के वन क्षेत्र से घिरा यह इलाका बेहद लुभावना है। 

   पर्वतारोहण एवं साहसी खेलों के लिए लैंसडाउन हिल स्टेशन बेहद अच्छा स्थान है। ताल-तलैया एवं झीलों-झरनों की एक लम्बी श्रंखला लैंसडाउन हिल स्टेशन एवं उसके आसपास है। लैंसडाउन हिल स्टेशन का 100 वर्ष से भी अधिक पुराना सेंट मैरीज चर्च एवं बुल्ला ताल खास तौर से प्रसिद्ध है।
   तारकेश्वर शिव मंदिर की महिमा भी निराली है। तारकेश्वर शिव मंदिर को सिद्ध पीठ की मान्यता है। गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी लैंसडाउन को ही माना जाता है। लैंसडाउन हिल स्टेशन को 'कालुदण्ड" एवं 'काली पहाड़ी" भी कहते हैं। 

   वनस्पतियों की प्रचुरता हिल लैंसडाउन हिल स्टेशन को कुछ खास बना देती है। लैंसडाउन हिल स्टेशन पर गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल युद्ध स्मारक भी है।
  गढ़वाल राइफल्स: लैंसडाउन हिल स्टेशन को गढ़वाल राइफल्स का गढ़ माना जाता है। ब्रिाटिश हुक्मरानों ने वर्ष 1887 की अवधि में लैंसडाउन हिल स्टेशन को विकसित किया था। 

   वायसराय ऑफ इण्डिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर इस हिल स्टेशन का नाम लैंसडाउन रखा गया था। वास्तविकता यह है कि इस स्थान का वास्तविक नाम कालूडांडा है। यह पूरा इलाका सेना के अधीन है। लैंसडाउन हिल स्टेशन पर गढ़वाल राइफल्स वार मेमोरियल एवं रेजिमेंट म्यूजियम यहां खास है।
   तारकेश्वर शिव मंदिर: तारकेश्वर शिव मंदिर लैंसडाउन हिल स्टेशन से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यह भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर है। इसे सिद्ध पीठ की मान्यता है। समुद्र तल से करीब 2092 मीटर ऊंचाई पर यह शिव मंदिर स्थित है। यह पूरा इलाका शांत एवं सुरम्य है।  
   कंवाश्रम: कंवाश्रम को इस शहर का प्रवेश द्वार माना जाता है। लैंसडाउन हिल स्टेशन का यह प्रसिद्ध आश्रम है। खास यह कि हरे भरे वन क्षेत्र से घिरे इस आश्रम के निकट मालिनी नदी प्रवाहित है। कहावत है कि इस स्थान पर महाऋषि विश्वामित्र ने तपस्या की थी। 
    बुल्ला तालाब: बुल्ला तालाब गढ़वाल राइफल्स के योद्धाओं को समर्पित है। लैंसडाउन का यह एक आकर्षण है। इस झील का नाम गढ़वाली भाषा के शब्द बुल्ला पर रखा गया है। बुल्ला का आशय छोटा भाई होता है।
   पर्यटक बुल्ला झील में नौका विहार एवं पैडलिंग का आनन्द ले सकते हैं। इस झील के चौतरफा पार्क, सुन्दर फव्वारा एवं बांस के मचान आदि बनाये गये हैं। जिससे इसे सुन्दर एवं विहंगम पिकनिक स्पॉट कहा जा सकता है। 

  सेंट मैरी चर्च: सेंट मैरी चर्च लैंसडाउन हिल स्टेशन का एक सुन्दर नगीना है। चर्च एक अति दर्शनीय स्थान है।
  लवर्स लेन: लवर्स लेन लैंसडाउन हिल स्टेशन के खूबसूरत स्थानों में से एक है। शांत एवं सुरम्य स्थान पर प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है।
   लैंसडाउन हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से लैंसडाउन हिल स्टेशन की दूरी करीब 152 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कोटद्वार है। कोटद्वार से लैंसडाउन की दूरी करीब 40 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से भी लैंसडाउन की यात्रा की जा सकती है।
29.836470,78.685650

Thursday, 20 September 2018

दीफू हिल स्टेशन: मखमली एहसास

   दीफू हिल स्टेशन को प्राकृतिक सौन्दर्य शास्त्र का बेहतरीन आयाम कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। दीफू में चौतरफा प्राकृतिक सुन्दरता की निराली छटा बिखरी दिखती है। 

   समुद्र तल से करीब 186 मीटर ऊंचाई पर स्थित दीफू हिल स्टेशन में पर्वत मालाओं, घाटियों-वादियों एवं झीलों-झरनों की खूबसूरत श्रंखला दिखती है। दीफू का मखमली एहसास पर्यटक लम्बे समय तक भूल नहीं पाते। असम के जिला कार्बी आंगलोंग का यह पर्वतीय शहर देश का चुनिंदा एवं आकर्षक पर्यटन स्थल है।

   दीफू दीमासा भाषा का शब्द है। दीमासा में दी का अर्थ पानी होता है, जबकि फू का अर्थ सफेद से होता है। मानसून के बाद दीफू सफेद चादर में लिपटा दिखता है। दीफू हिल स्टेशन को प्रकृति का बहुमूल्य उपहार कहा जाना चाहिए। दीफू की प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही वातावरण भी बड़ा सुहावना होता है। 

  निश्चय ही दीफू की प्राकृतिक आबोहवा ऊर्जावान बना देती है। खास यह कि दीफू में सुन्दर एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। लुभावने एवं आकर्षक पर्यटन स्थलों में खास तौर से खण्डुलि, उमवांग, कोहरा एवं अमरेंग आदि हैं। 

   दीफू हिल स्टेशन एवं उसके आसपास तरलंगसो सांस्कृतिक केन्द्र, बोटैनिकल गार्डेन, कैतुकालय अजायब घर एवं उमवांग आदि हैं। खास यह कि दीफू हिल स्टेशन पर पर्यटक घुड़सवारी का शौक भी पूरा कर सकते हैं। 

   बोटैनिकल गार्डेन: बोटैनिकल गार्डेन दीफू हिल स्टेशन से करीब 5 किलोमीटर दूर हैं। यह वनस्पतियों का हरा-भरा एक वृहद उद्यान है। इसमें वनस्पतिक एवं आैषधीय पेड़ों की एक विशाल श्रंखला है। इतना ही नहीं यह उद्यान फूलों की विभिन्न प्रजातियों से आच्छादित है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक आदर्श स्थान है। 
   कैतुकालय अजायब घर: कैतुकालय अजायब घर वस्तुत: दीफू का संस्कृति दर्शन है। इस अजायब घर में दीफू की प्राचीन संस्कृति को भी देखा जा सकता है। अजायब घर में प्राचीन गहनें, संगीत वाद्य यंत्र, शिकार उपकरण, मछली पकड़ने के उपकरण आदि शामिल हैं।

   दीफू की हथकरघा संस्कृति भी यहां देखने को मिलती है। इसमें वनस्पति घाटी भी है। करीब 13 हेक्टेयर में फैली वनस्पति घाटी में हरे-भरे एवं दुलर्भ वनस्पतियों की एक लम्बी श्रंखला है। इसकी सुन्दरता पर्यटकों को मुग्ध कर लेती है।
   तरलंगसो सांस्कृतिक केन्द्र : तरलंगसो सांस्कृतिक केन्द्र कार्बी संस्कृति की खुला एवं सामाजिक मंच है। यह रंगभूमि बेहद सुन्दर है। इस रंगभूमि पर स्थानीय आदिवासी, जनजाति एवं सामुदायिक नृत्यों का पर्यटक आनन्द ले सकते हैं।
   इसमें कलात्मक एवं प्राकृतिक परिदृश्य देखने को मिलते हैं। यहां सांस्कृतिक उत्सव भी होता है। पर्यटक इस सांस्कृतिक उत्सव का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। 
   उमवांग : उमवांग दीफू का सर्वाधिक पसंदीदा पर्यटन स्थल है। दीफू से कुछ दूर स्थित यह एक सुन्दर एवं वृहद चारागाह है। उमवांग की सुन्दरता पर्यटकों को बरबस आकर्षित करती है। यहां का वातावरण अत्यंत सुहावना रहता है। उमवांग में बारापानी नदी का किनारा है। 
   नदी का यह किनारा बेहद सुन्दर एवं आकर्षक प्रतीत होता है। पर्यटक उमवांग में घुड़सवारी, पैराग्लाइंडिग, रॉफ्टिंग एवं गोल्फ का आनन्द ले सकते हैं। उमवांग का यह करीब 35 किलोमीटर का एरिया सुन्दरता से भरा हुआ है। उमवांग सुन्दर वातावरण, प्राकृतिक गतिविधियों एवं हरियाली की ऊंचाईयों के लिए खास प्रसिद्ध है।

   दीफू हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट दीमापुर है। दीमापुर एयरपोर्ट से दीफू हिल स्टेशन की दूरी करीब 55 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन दीफू है। गुवाहाटी जंक्शन से भी दीफू की यात्रा की जा सकती है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी दीफू हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
26.007470,93.328600

Wednesday, 19 September 2018

वागामोन हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग

   वागामोन हिल स्टेशन को धरती का स्वर्ग कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, वागामोन हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य स्वर्ग से कम नहीं है।

   केरल के इडुक्की जिला स्थित वागामोन हिल स्टेशन अपने अप्रतिम सौन्दर्य के लिए देश दुनिया में शिखर की ख्याति रखता है। समुद्र तल से करीब 1100 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन बेहद रोमांचकारी है। कहीं हिम शिखर तो कहींं घाटियों-वादियों का सौन्दर्य दिखता है। 

   शीतल हवा के झोंके मन-मस्तिष्क एवं तन को प्रफुल्लित कर देते हैं। बादलों की अठखेलियां बेहद रोमांचक होती हैं। बादल कभी आपकी गोद में होते हैं तो कभी आप बादलों की गोद में होते हैं। चाय एवं कॉफी के बागानों की एक लम्बी श्रंखला इस इलाके में है। जिससे पूरा इलाका चाय एवं कॉफी की सुगंध से महकता रहता है।

   मखमली घास के हरे-भरे लॉन-ढ़लान प्रफुल्लित कर देते हैं। वागामोन हिल स्टेशन की जलवायु अति ऊर्जावान है। गर्मियों में भी तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस रहता है। जिससे मन मस्तिष्क को एक ऊर्जावान ताजगी मिलती है। वागामोन हिल स्टेशन ट्रैकर्स एवं हाईकर्स के लिए बेहतरीन स्थान है।

   वनस्पतियों एवं वन्य जीवों की समृद्धता वागामोन हिल स्टेशन को कुछ खास बना देती है। ग्रीष्मकालीन अवकाश का यह अति आदर्श स्थान है। वागामोन हिल स्टेशन के झरनों की अपनी एक अलग शान एवं सुन्दरता है। 
   खास यह कि वागामोन हिल स्टेशन का परिवेश फूलों की सुगंध से महकता रहता है। फूलों की विभिन्न प्रजातियां यहां खिलती दिखती हैं। फूलदार घाटियां पर्यटकों का मनमोह लेती हैं। 

   बादलों की आवाजाही से आच्छादित धुंधली ढ़लान एक अजीब से रोमांच से भर देती है। खास यह कि वागामोन हिल स्टेशन पर पैराग्लाइडिंग का वार्षिक समारोह भी होता है। यह यहां किसी पर्व-त्योहार से कम नहीं होता।

    वागामोन हिल स्टेशन एरिया खास तौर से थांगल, मुरुगन एवं कुरीसुमाला पर्वत श्रंखला से घिरा है। पर्यटक वागामोन हिल स्टेशन पर पर्वतारोहण का शौक भी पूरा कर सकते हैं। प्राकृतिक सुन्दरता के कारण वागामोन हिल स्टेशन को एशिया का स्कॉटलैण्ड भी कहा जाता है।

   ब्रिटिश शासन में वागामोन हिल स्टेशन की खोज की गयी थी। ब्रिाटिश शासकों की नजर में वागामोन चाय बागानों के लिए यह सर्वथा बेहतरीन स्थान था। नेशनल ज्योग्राफिकल ट्रैवलर ने वागामोन हिल स्टेशन को दुनिया के सबसे आकर्षक स्थानों की सूची में शामिल किया है।

   वागामोन हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। खास यह कि वागामोन हिल स्टेशन एरिया में हाथियों की दुलर्भ प्रजातियां भी देखने को मिलती हैं।
   भिक्षु पहाड़ी : भिक्षु पहाड़ी एक सुन्दर स्शान है। भिक्षु पहाड़ी वस्तुत: एक शानदार आश्रम है। यह आश्रम एक आदर्श दुग्ध डेयरी के तौर पर संचालित है। आश्रम संत समागम के साथ ही आध्यात्मिक क्रियाकलाप भी संचालित होते हैं। 
   वागामोन मीडोज: वागामोन मीडोज वस्तुत: एक सुन्दर एवं शानदार झील है। मखमली घास का  हरा-भरा मैदान इस इलाके को आैर भी आकर्षक बना देता है। फिल्मों की शूटिंग के लिए यह लम्बे समय से सर्वाधिक पसंदीदा स्थान रहा है। 

    मुरुगन मंदिर: मुरुगन मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी को मुरुगन पहाड़ी कहा जाता है। मंदिर में भगवान मुरुगन की सुन्दर प्रतिमा स्थापित है। मंदिर की नक्काशी देखते ही बनती है।
    वागामोन हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कोचीन है। कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। कोचीन से वागामोन की दूरी करीब 95 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कोट्टायम जंक्शन है। कोट्टायम से वागामोन की दूरी करीब 64 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी वागामोन हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
9.686620,76.904950

Sunday, 16 September 2018

कलपा हिल स्टेशन: प्रकृति का एहसास

   कलपा हिल स्टेशन को स्वर्ग की सैर कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, कलपा हिल स्टेशन की प्राकृतिक सुन्दरता का कोई जोड़ नहीं।

   समुद्र तल से करीब 2960 मीटर ऊंचाई पर स्थित कलपा हिल स्टेशन खूशबूदार एवं स्वादिष्ट सेब के बागानों के लिए खास तौर से जाना-पहचाना जाता है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला स्थित कलपा हिल स्टेशन सौन्दर्य शास्त्र की एक अनुपम गाथा है।

   चौतरफा हिम शिखर की शान दिखती है। वहीं, मखमली घास से आच्छादित हरी-भरी घाटियां-वादियां दिलों को लुभाती हैं। हवा में तैरते बादलों का समूह निश्चय ही रोमांचित कर देता है।
   ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर न होकर आकाश में स्वछंद विचरण कर रहे हों। शीतल हवा के झोंकों संग बादलों का आना जाना सुखद स्पर्श कराता है। कैलाश पर्वत श्रंखला से आच्छादित कलपा हिल स्टेशन एवं उसके आसपास के इलाकों में किन्नौरी एवं बौद्ध धर्म अनुयायियों का प्रवास क्षेत्र है।

   कलपा के धार्मिक स्थान खास तौर से हिन्दू मंदिर, बौद्ध देवी-देवताओं को समर्पित हैं। कलपा में 100 वर्ष प्राचीन बौद्ध मंदिर भी है। कलपा हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सेब के बागानों, पाइन, अखरोट एवं देवदार के सुन्दर जंगलों की एक लम्बी श्रंखला है। कलपा के सेब उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं।

   जाहिर सी बात है कि इन सेब का स्वाद भी निराला ही होगा। लाल-लाल सेबों से लदे पेड़ वाले बागान देखने में अति लुभावने एवं सुन्दर प्रतीत होते हैं। मानसून के मौसम में कलपा की सुन्दरता आैर भी अधिक खिल उठती है।
   कलपा मुख्यता प्राचीन मंदिरों वाला एक पौराणिक एवं ऐतिहासिक शहर है। घुमावदार सड़कें एवं चिलगोजा से आच्छादित वन क्षेत्र कलपा का एक अलग ही अंदाज पेश करते हैं। 

  यूं कहें कि कलपा हिल स्टेशन देश का विलक्षण एरिया है। खास तौर से गर्मियों में भी कई बार बारिश हो जाती है। सर्दियों का आलम ही अलग होता है। सर्दियों में आम तौर पर 5 से 7 फुट तक बर्फ जम जाती है। तापमान भी शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है।

   कैलाश पर्वत की चोटी पर पवित्र शिवलिंग चट्टान है। विशेषज्ञों की मानें तो इस स्थान का दिन में निरन्तर रंग बदलता रहता है। यह काफी कुछ रोमांचक होता है। 
   कलपा हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से कलपा गांव, कोठी एवं झील-झरने हैं। अंगूर, नासपाती एवं अन्य स्वादिष्ट फल एवं मेवा आदि यहां की खास उपज होती है। कलपा हिल स्टेशन ट्रैकिंग के लिए भी एक बेहतरीन स्थान है।
  कोठी: कोठी रिकांग से करीब 3 किलोमीटर दूर है। कोठी के निकट ही भगवती चंद्रिका देवी को समर्पित मंदिर है। देवदार के वृक्षों से घिरा यह क्षेत्र अति सुन्दर एवं शोभायमान है। मंदिर का वास्तुशिल्प देखते ही बनता है। देवी चन्द्रिका की भव्य-दिव्य प्रतिमा श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास का केन्द्र है।
   कलपा गांव: कलपा गांव हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। कलपा में सभी आवश्यक सेवायें-सुविधायें उपलब्ध हैं। गांव में कई लघु गेस्ट हाउस एवं होटल भी हैं। कलपा की अपनी लोक संस्कृति की शानदार झलक भी यहां मिलती है।
   कलपा गांव का मुख्य आकर्षण नारायण-नागिनी मंदिर एवं हू-बु-लैन-कर मठ है। मंदिर का वास्तुशिल्प बेहद लुभावना है। मठ की स्थापना का काल भी अति प्राचीन है। किन्नौर की कला एवं संस्कृति का अद्भुत अवलोकन यहां होता है। गांव में चौतरफा सेब के बागान दिखते हैं। घाटी में बसा यह गांव चौतरफा बर्फ से ढ़की चोटियों की छांव में रहता है। कलपा से प्राकृतिक सुन्दरता की हर शानदार छवि दिखती है। 

   जार्कडन पीक: जार्कडन पीक कलपा की सुन्दरता की शान है। जार्कडन से सूर्योदय एवं सूर्यास्त की सुन्दरता देखते ही बनती है। लालित्यमय सूर्य का बादलों एवं पहाड़ों की ओट में छिपना अति सुन्दर प्रतीत होता है। सूरज पर्वत की चोटी से निकलता है। यह दृश्य अति मनोरम होता है। फोटोग्राफी का यह एक अति सुन्दर एवं बेहतरीन स्थान है।


  कलपा हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कुल्लू है। कुल्लू से कलपा की दूरी करीब 225 किलोमीटर है। शिमला एयरपोर्ट के जरिये भी पर्यटक कलपा हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन शिमला जंक्शन है। शिमला से कलपा हिल स्टेशन की दूरी करीब 265 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी कलपा हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
31.523820,78.248340

Tuesday, 11 September 2018

अंबोली हिल स्टेशन : धरती का श्रंगार

    अंबोली हिल स्टेशन को धरती का श्रंगार कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग स्थित अंबोली हिल स्टेशन की आगोश में खूबसूरती का हर नगीना दिखेगा।

   सहयाद्री पर्वत श्रखला का यह हिल स्टेशन भले ही छोटा है लेकिन खूबसूरती का नायाब नगीना है। समुद्र तल से करीब 690 मीटर ऊंचाई पर स्थित अंबोली हिल स्टेशन में चौतरफा प्राकृतिक सुन्दरता का एहसास होता है। कहीं बादलों की आवाजाही तो कहीं शीतल हवा के सुगंधित झोंके पुलकित एवं रोमांचित करेंगे।

   घास के लम्बे चौड़े मैदान या ढ़लान एक मखमली एहसास कराते हैं। हरी-भरी वादियां पर्यटकों को एक सुखद एहसास कराती हैं। सुगंधित एवं आैषधीय वनस्पतियों की प्रचुरता होने से अंबोली हिल स्टेशन की जलवायु अत्यंत ऊर्जावान रहती है।
   लिहाजा पर्यटकों को हिल स्टेशन के परिवेश में ऊर्जा का विशेष एहसास होता है। अंबोली हिल स्टेशन का ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व भी है। 

  कारण ब्रिटिश शासनकाल में अंबोली हुक्मरानों का पसंदीदा हिल स्टेशन होता था। लिहाजा 1880 में अंबोली को हिल स्टेशन घोषित किया था। हालांकि इस बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन की खोज सावंतवाड़ी के बाशिंदों ने की थी।
  खास तौर से अंबोली हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें वॉटर फॉल्स, हिरण्याकाशी मंदिर, महादेवगढ़, नारायणगढ़ एवं इको प्वाइंट आदि इत्यादि हैं। 
    खास तौर से बारिश में अंबोली हिल स्टेशन की यात्रा का मजा ही कुछ आैर होता है। झरनों की खूबसूरती यहां देखते ही बनती है। शायद इसी लिए अंबोली हिल्स को झरनों का स्वर्ग कहा जाता है।
   विशेषज्ञों की मानें तो अंबोली हिल स्टेशन महाराष्ट्र का सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है। प्रकृति का यह सुन्दर उपहार पर्यटकों के मन मस्तिष्क में रच बस जाता है। अंबोली हिल स्टेशन में बारिश की फुहारों से दिल रोमांचित हो उठता है। 
   हिरण्याकाशी मंदिर: हिरण्याकाशी मंदिर वस्तुत: अंबोली गांव का सुन्दर एवं प्राचीन शिव मंदिर है। इस शिव मंदिर को ही यहां हिरण्याकाशी कहा जाता है। खास यह कि हिरण्याकाशी की एक जलधारा कृष्णा नदी में मिलती है। 
  यह शिव मंदिर एक गुफा में स्थित है। यहीं से यह जलधारा निकलती है। मान्यता है कि अंबोली एवं उसके आसपास 108 शिव मंदिर हैं। जिनमें कुछ ज्ञात एवं कुछ अज्ञात हैं। 
   सनसेट प्वाइंट : सनसेट प्वाइंट अंबोली हिल स्टेशन का एक सुन्दर स्थान है। सनसेट प्वाइंट से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का लालित्यपूर्ण इन्द्रधनुषी नजारा अद्भुत होता है। बारिश के मौसम में यहां आनन्द की विशेष अनुभूति होती है। धुंध की प्राकृतिक छटा अंबोली की सुन्दरता को आैर भी बढ़ा देती है।
   इको हॉट स्पॉट : इको हॉट स्पॉट असामान्य वनस्पतियों की प्रचुरता वाला वन क्षेत्र है। विशेषज्ञों की मानें तो दुनिया का विलक्षण एवं अद्भुत क्षेत्र है। इस वन क्षेत्र में वन्य जीवन का भी रोमांच भी महसूस किया जा सकता है। 
   ट्रैकिंग : ट्रैकिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए अंबोली हिल स्टेशन एक सुन्दर एवं बेहतरीन स्थान है।
नंगर्ता वॉटर फॉल्स: नंगर्ता वॉटर फॉल्स अंबोली से करीब 10 किलोमीटर दूर है। करीब 40 फुट ऊंचाई से गिरने वाली जलधारा बेहद आकर्षक प्रतीत होती है। चौतरफा वनस्पतियों से घिरा यह इलाका बेहद सुहावना एहसास होता है।
   कैवलेशट प्वाइंट : कैवलेशट प्वाइंट अंबोली हिल स्टेशन से करीब 11 किलोमीटर दूर स्थित है। मानसून के दौरान यहां छोटे-छोटे झरनों की एक श्रंखला दिखती है। स्वर प्रतिध्वनि का आनन्द यहां लिया जा सकता है। कुछ भी आवाज लगायेंगे तो घाटी में स्वर अनुगूंजित होने लगेगा।
   अंबोली हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट बेलगाम है। बेलगाम एयरपोर्ट से अंबोली हिल स्टेशन की दूरी करीब 64 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन सावंतवाड़ी है। अंबोली हिल स्टेशन से सावंतवाड़ी की दूरी करीब 28 किलोमीटर है। मुम्बई से इस हिल स्टेशन की दूरी करीब 550 किलोमीटर है। जबकि पुणे से अंबोली हिल स्टेशन की दूरी करीब 390 किलोमीटर है। इसके अलावा पर्यटक सड़क मार्ग से भी अंबोली हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
15.967370,74.007840

Friday, 7 September 2018

धर्मशाला हिल स्टेशन : धरती का स्वर्ग

   धर्मशाला हिल स्टेशन को धरती का स्वर्ग कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला हिल स्टेशन वस्तुत: एक सुन्दर एवं सुरम्य शहर है।

   प्रकृति की गोद में रचा-बसा धर्मशाला कांगड़ा घाटी का एक प्राकृतिक जादू है। जिसे देख कर कोई भी हसीन वादियों में खो जाता है। समुद्र तल से करीब 1487 मीटर ऊंचाई पर स्थित धर्मशाला हिल स्टेशन को देश के लुभावने एवं आकर्षक पर्यटन स्थल के तौर पर जाना पहचाना जाता है। बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का प्रवास शहर होने के कारण धर्मशाला को धार्मिक एवं पवित्र शहर के रूप में भी देखा जाता है। 

   खास तौर से देखें तो प्राकृतिक सुन्दरता यहां कण-कण में रची बसी दिखती है। धर्मशाला का शांत वातावरण एवं सुन्दरता पर्यटकों को बरबस आकर्षित करती हैं। गर्मियों में पर्यटकों के लिए धर्मशाला किसी स्वर्ग से कम नहीं है। कुछ पर्यटक यहां बर्फबारी का आनन्द लेने सर्दियों में आते हैं।
   धर्मशाला के मुख्य आकर्षण में देखें तो धर्मशाला के क्रिकेट स्टेडियम की सुन्दरता निराली है। यह क्रिकेट स्टेडियम दुनिया के सबसे बेहतरीन स्टेडियम में से एक है। सबसे ऊंचा एवं चौतरफा खूबसूरती से घिरा स्टेडियम है। 

   इसके अलावा नाम कला गैलरी, मोनोलिथिक रॉक मंदिर, भगासु झरना, भगतुनग मंदिर, कंागड़ा संग्रहालय, कुणाल पाथरी मंदिर, चामुंडा मंदिर एवं डलझील आदि हैं। चौतरफा प्रकृति की इन्द्रधनुषी निराली छटा दिखती है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे किसी अन्य लोक में हों। बर्फबारी से घिरी हिम श्रंखला की चोटियां, चारों ओर हरे-भरे खूबसूरत बागान एवं कुदरती सुन्दरता पर्यटकों को मुग्ध कर लेती है।

    धर्मशाला हिल स्टेशन में चौतरफा ऊंचे-ऊंचे पाइन के पेड़, सुगंधित चाय एवं कॉफी के बागान, इमारती लकड़ी के शानदार वृक्ष खूबसूरती को चार चांद लगा देते हैं। हिम शिखर कभी बर्फ की चादर ओढ़े दिखते हैं तो सीना ताने सुन्दरता को बयां करते हैं। 
   बर्फीली पहाड़ियां, हरे-भरे घास के लॉन, देवदार के शानदार वृक्ष अति लुभावने प्रतीत होते हैं। इसे शानदार धर्मशाला, मनोरम हिमाचल प्रदेश कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। करीब 850 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला यह सुन्दर हिल स्टेशन देश विदेश में खास ख्याति रखता है। 

   धर्मशाला का उत्तरी इलाका घने वन क्षेत्र से आच्छादित है। पश्चिमी इलाका खेत-खलिहान से शोभायमान रहता है। यह इलाका खास तौर से धौलाधार पर्वत एवं शिवालिक पर्वतमाला से घिरा है। खूबसूरत पर्वतमालाओं के साथ ही धर्मशाला में धूप एवं हिमपात के दृश्य यहां खास दर्शनीय होते हैं।
   सेंट जॉन चर्च : सेंट जॉन चर्च लॉर्ड एल्गिन की याद में बनवाया गया था। चर्च धर्मशाला के दर्शनीय स्थलों में से एक है। पत्थरों से बना यह चर्च दर्शकों-पर्यटकों को दूर से ही आकर्षित करता है। धर्मशाला-मैक्लोडगंज मार्ग पर स्थित यह चर्च अपनी खास खूबसूरती के लिए जाना जाता है। रंगीन कांच की खिड़कियां लुभावनी हैं।  
   मैक्लोडगंज: मैक्लोडगंज धर्मशाला का एक बेहतरीन इलाका है। यह खास तौर से तिब्बती कला संस्कृति को रेखांकित करने वाला इलाका है। यहां तिब्बती समुदाय की कई बस्तियां हैं। यहां कला-संस्कृति, कलाकृतियां, हस्तशिल्प एवं तिब्बती शैली की वस्तुओं का बाजार भी लगता है। मैक्लोडगंज में महात्मा गौतम बुद्ध की शानदार प्रतिमा भी दर्शनीय है। मैक्लोडगंज में एक वृहद प्रार्थना चक्र भी है। 

   डलझील: डलझील धर्मशाला का दर्शनीय इलाका है। डलझील की खूबसूरती देखते ही बनती है। लिहाजा पर्यटक आकर्षित हुये बिना नहीं रह पाते। पर्यटक ट्रैकिंग का शौक रखते हैं तो यह सबसे बेहतरीन इलाका है। धर्मशाला से करीब 11 किलोमीटर दूर स्थित डलझील फर के पेड़ों से चौतरफा घिरा एक सुन्दर स्थान है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक अविस्मरणीय स्थान है।
    करेरी झील: करेरी झील समुद्र तल से करीब 3250 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। धर्मशाला हिल स्टेशन से करेरी झील की दूरी करीब 22 किलोमीटर दूर है। घास के मखमली चारगाह एक अनूठा आनन्द प्रदान करते हैं। 
   धर्मकोट: धर्मकोट की सुन्दरता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। धर्मकोट की सुन्दरता मन मस्तिष्क में रच बस जाती है। धर्मकोट में एक सुखद शीतलता का एहसास होता है।
   चामुण्डा देवी का मंदिर: चामुण्डा देवी का मंदिर धर्मशाला हिल स्टेशन के मुख्य मंदिरों में से एक है। धार्मिक स्थान होने के साथ साथ प्राकृतिक खूबसूरती से आच्छादित यह इलाका अति मनोरम प्रतीत होता है। चामुण्डा जी के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं।
   भगासुनाथ वॉटर फॉल्स: भगासुनाथ वॉटर फॉल्स अपनी विशेषताओं एवं सुन्दरता के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। यहां भगासुनाथ का एक सुन्दर एवं प्राचीन मंदिर भी है। धर्मशाला से यह स्थान करीब 11 किलोमीटर दूर है।
   त्रियूंड : त्रियूंड धर्मशाला का एक अति सुन्दर एवं मनोहारी पिकनिक स्पॉट है। पर्यटकों का यह एक पसंदीदा स्थान है। जहां पर्यटक घंटों बैठ कर प्राकृतिक सुन्दरता का आनन्द लेते हैं। धर्मशाला से कुछ ही दूर पर स्थित इस पिकनिक स्पॉट से धौलाधार पर्वत का सौन्दर्य निहार सकते हैं। पर्वतारोहण का आधार स्थल भी यहीं है।
    धर्मशाला हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट गग्गल एयरपोर्ट है। गग्गल एयरपोर्ट से धर्मशाला हिल स्टेशन की दूरी करीब 15 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कांगड़ा जंक्शन है। कांगड़ा रेलवे स्टेशन से धर्मशाला हिल स्टेशन की दूरी करीब 22 किलोमीटर है। पठानकोट जंक्शन के माध्यम से भी धर्मशाला हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं। पर्यटक सड़क मार्ग से भी धर्मशाला हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
32.203500,76.333170

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