Tuesday, 27 March 2018

नैनीताल हिल स्टेशन: खूबसूरत पहाड़ों की सैर

   नैनीताल हिल स्टेशन को पहाड़ों की रानी कहा जाये तो शायद को अतिश्योक्ति न होगी। उत्तराखण्ड स्थित नैनीताल हिल स्टेशन क्षेत्र को कोना-कोना प्राकृतिक खूबसूरती से रचा-बसा है। चौतरफा झीलों की शांत सुन्दरता एवं पहाड़ों का आच्छादन प्राकृतिक सम्पदा का बखान करता है।

   नैनीताल हिल स्टेशन की आकर्षक झीलें, खूबसूरत पहाड़ियां एवं हरा-भरा परिवेश विश्व में खास तौर से प्रसिद्ध है। रंगबिरंगे फूलों वाले पेड़-पौधे नैनीताल की सुन्दरता में जैसे नगीना जड़ते हैं। सुबह नैनीताल की सड़कों, पहाडों व चौतरफा इन्द्रधनुषी रंगों का मखमली बिछौना सा बिछा दिखता है। 
    मानों धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। समुद्र तल से करीब 6358 फुट ऊंचाई पर स्थित नैनीताल हिल स्टेशन प्राकृतिक सौन्दर्य का एक विलक्षण आयाम है। वनस्पतियों की एक लम्बी श्रंखला हिल स्टेशन की आभा का आभूषण है। 
    नैनीताल हिल स्टेशन कुछ पल में ही जीवन को प्रफुल्लता से भर देता है। पर्यटक कुछ ही पलों में आक्सीजन से खुद को भरपूर एवं ऊर्जावान महसूस करते हैं। खास यह कि नैनीताल हिल स्टेशन हिमालय की गोद का एक रोचक स्थल है। मखमली घास एवं हरे-भरे पेड़-पौधों से लदे पर्वत श्रंखला बेहद मनोहारी लगते हैं। उत्तराखण्ड के कुमाऊं का यह इलाका बेहद सुखद प्रतीत होता है।
     पहाड़ों का अद्भुत दृश्य नैनीताल हिल स्टेशन में दिखता है। पर्वतीय चोटियों पर प्राचीन एवं पौराणिक मंदिरों की एक लम्बी श्रंखला है। नैनीताल हिल स्टेशन के मुख्य आकर्षण में नैनीताल झील, नैनी पीक, टिफिन टॉप, हिम व्यू, प्राणी उद्यान, गुर्नी हाउस, सत्तल, नैनादेवी मंदिर एवं घेराखल आदि हैं। नैनीताल हिल स्टेशन एरिया जिला मुख्यालय भी है।
    किवदंती है कि इस इलाके में कभी साठ ताल होते थे। इस अंचल को अब छखाता कहा जाता है। हालांकि अभी भी नैनीताल हिल स्टेशन एरिया में तालों की संख्या काफी है। विशेषज्ञों की मानें तो नैनी का आशय आंखों से होता है जबकि ताल का आशय झील से होता है। आंखों एवं झील के समन्वय से इस इलाके का नाम नैनीताल पड़ा। नैनीताल को झीलों का शहर भी कहा जाता है।
   नैनीझील: नैनीताल में नाशपाती के आकार-प्रकार की एक सुन्दर झील है। इसे नैनी झील कहा जाता है। यह झील चारों ओर पहाड़ियों से घिरी है। करीब दो मील दायरे में फैली यह झील सुन्दरता की अनगढ़ कहानी है। इसके चारों ओर पर्वत श्रंखला है। इनमें से एक शीर्ष पर्वत पर नैना पीक है। नैनीझील नैनीताल का मुख्य आकर्षण है।
     स्कंद पुराण में इसे ऋषि सरोवर भी कहा गया है। कहावत है कि जब अत्री, पुलस्त्य एवं पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं भी पानी नहीं मिला तो एक गड्ढ़ा बना कर मानसरोवर झील का पानी लाकर भरा था। कहावत है कि यह झील 64 शक्तिपीठों में से एक है। इस खूबसूरत झील में नौकायन का भी आनन्द लिया जा सकता है। पहाड़ों की सुन्दरता झील की सुन्दरता को आैर भी अधिक बढ़ा देती है। इस झील के एक किनारे को मल्लीताल कहते हैं जबकि दूसरे ताल को तल्लीताल कहते हैं।
    नैना देवी का मंदिर: नैना देवी का मंदिर नैनीझील के उत्तरी किनारे पर स्थित है। विशेषज्ञों की मानें तो 1880 में भूस्खलन में यह मंदिर नष्ट हो गया था। बाद में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। नैना देवी मंदिर में सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। 
   मंदिर में दो नेत्र प्रतिष्ठापित हैं। यह नेत्र नैना देवी की छवि को दर्शाते हैं। नैनीझील की मान्यता है कि शिव सती के मृत शरीर को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे तो जहां-जहां सती के अंग गिरे उन स्थानों पर शक्तिपीठ की स्थापना हुयी। नैनीझील के स्थान पर सती की आंख गिरी थी। लिहाजा इस स्थान को नैना देवी की मान्यता है।
     नैनीताल का मॉल रोड: नैनीताल का मॉल रोड अति सुन्दर है। मॉल रोड नैनीझील के किनारे है। हालांकि अब इसे गोविन्द बल्लभ पंत मार्ग कहा जाता है। यह रोड पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। मॉल रोड मुख्यत: मल्लीताल एवं तल्लीताल को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है। इसे ठंडी सड़क भी कहा जाता है।
    एरियल रोपवे: एरियल रोपवे नैनीताल का मुख्य आकर्षण है। यह स्नो व्यू प्वाइंट एवं नैनीताल को आपस में जोड़ता है। रोपवे मल्लीताल से प्रारम्भ होता है। इसमें दो ट्राली होती हैं। रोपवे से नैनीताल हिल स्टेशन का विहंगम एवं खूबसूरत नजारा दिखता है।
    नैनीताल हिल स्टेशन की शोभा खास तौर से सात पर्वत चोटियां बढ़ाती हैं। पहाड़ों की इन चोटियों से नैनीताल हिल स्टेशन की सुन्दरता में चार चांद लग जाते हैं।
   नैना पीक: नैना पीक नैनीझील के निकट एक पहाड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 8579 फुट है। इसके शिखर पर नैना पीक है। यह एक अति मनोरम स्थल है। इसी के पश्चिम में देवपाठा पहाड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 7999 फुट है।
     दक्षिण में अयारपाठा पहाड़ी है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 7474 फुट है। इन पहाड़ों की चोटियों से नैनीताल हिल स्टेशन का विहंगम दृश्य दिखता है। नैना पीक को चाइना पीक भी कहते हैं। नैनीताल से करीब पांच किलोमीटर दूर यह पर्वत चोटी पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहती हैं।
     किलवरी चोटी: किलवरी चोटी नैनीताल हिल स्टेशन की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 2528 मीटर है। यह पिकनिक का एक अति सुन्दर स्थान है। यहां वन विभाग का विश्राम गृह भी है। प्रकृति प्रेमी यहां रात्रि प्रवास भी करते हैं।
    लड़ियाकाँटा: लड़ियाकाँटा नैनीताल से करीब साढ़े पांच किलोमीटर दूर है। समुद्र तल से यह 2481 मीटर ऊंचाई पर है। यहां से नैनीताल की ताल झांकी अति सुन्दर दिखायी देती है।
    देवपाटा एवं केमल्सबॉग: देवपाटा एवं केमल्सबॉग पर्वत चोटियां साथ साथ हैं। समुद्र तल से इन दोनों की ऊंचाई 2435 मीटर एवं 2333 मीटर है।
     डेरोटी पहाड़ी: डेरोटी पहाड़ी एक अंग्रेज महिला की स्मृति में है। नैनीताल से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर है। समुद्र तल से यह करीब 2290 मीटर ऊंचाई पर है।
    स्नोव्यू एवं हनी चोटी: स्नोव्यू एवं हनी पर्वत चोटी नैनीताल से करीब ढ़ाई किलोमीटर दूर है। समुद्र तल से यह 2270 मीटर ऊंचाई पर है। इस चोटी से हिमालय का सुन्दर दृश्य दिखता है।
     राष्ट्रीय अभ्यारण: राष्ट्रीय अभ्यारण रामगंगा की पातलीदून घाटी क्षेत्र में करीब 525.80 वर्ग किलोमीटर में फैला है। नेशनल कार्बेट पार्क में वन्य जीवों का स्वच्छंद विचरण देखा जा सकता है। अभ्यारण में शेर, हाथी, चीता, भालू, बाघ, सुअर, हिरण, चीतल, सांभर, पाण्डा, नीलगाय आदि विभिन्न प्रजातियों की जीव-जंतु बड़ी तादाद में पर्यटक देख सकते हैं।
     नैनीताल हिल स्टेशन यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध है। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है। नैनीताल हिल स्टेशन से करीब 71 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। रेलवे स्टेशन से नैनीताल हिल स्टेशन की दूरी 35 किलोमीटर है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी नैनीताल हिल स्टेशन की यात्रा की जा सकती है।
29.380304,79.463566

Thursday, 22 March 2018

शिलांग हिल स्टेशन: बादलों के साथ सैर

    आइए बादलों के साथ सैर करें। जी हां, बादलों के साथ सैर-सपाटा निश्चय ही रोम-रोम को झंकृत कर देगा। 'शिलांग हिल स्टेशन" निश्चय ही आपको बादलों के साथ मौज-मस्ती करने का भरपूर मौका देगा। कहीं आप बादलों को अपनी आगोश में पायेंगे तो कभी आप बादलों की आगोश में होंगे। आशय यह कि हर पल हर क्षण रोमांच महसूस करेंगे। शिलांग भले ही एक छोटा शहर है लेकिन प्रकृति का एक सुखद एहसास है।

   समुद्र तल से करीब 1500 मीटर शीर्ष पर बसा यह शहर शीतल एवं बेहद शांत है। 'शिलांग हिल स्टेशन" समुद्र तल से करीब 1965 मीटर शीर्ष पर स्थित है। 'शिलांग हिल स्टेशन" चौतरफा पर्वत श्रंखलाओं से घिरा है। घाटियों-वादियों से आच्छादित हिल स्टेशन शांत जलवायु एवं बादलों की आवाजाही के लिए वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध है।
    शिलांग उत्तर पूर्वी राज्य मेघालय की राजधानी है। प्राकृतिक सम्पदाओं का धनी शिलांग हमेशा से पर्यटकों का पसंदीदा रहा। पहाड़ियों, वादियों-घाटियों से घिरा 'शिलांग हिल स्टेशन" घास की सुन्दर ओढ़नी ओढ़े दुल्हन सा प्रतीत होता है। झील-झरना उसकी सुन्दरता में एक नगीना सा जड़ते हैं।
    'शिलांग हिल स्टेशन" को पूरब का स्कॉटलैण्ड भी कहा जाता है। शिलांग का मौसम हमेशा सुहावना रहता है। खास तौर पर बारिश में तो शिलांग की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। 'शिलांग हिल स्टेशन" के चौतरफा झरनों की जीवंतता देखते ही बनती है। 'शिलांग हिल स्टेशन" खासी एवं जेन्तिया पहाड़ियों से घिरा है।
      शिलांग शहर छोटा होने के कारण पर्यटक पैदल आसानी से घूम सकते हैं। पर्यटक यहां एक अलग संस्कृति एवं सभ्यता का एहसास करेंगे। 'शिलांग हिल स्टेशन" एवं उसके आसपास दर्शनीय स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है। मसलन शिलांग पीक, उमियाम झील, बोटैनिकल गार्डेन, वार्ड का झील, हाथी झरना, ईगल फॉल्स, मावलीन्नॉग ग्राम, माफ्लैंग सेक्रेड फोरेस्ट आदि हैं।
   शिलांग पीक: शिलांग पीक 'शिलांग हिल स्टेशन" का सबसे ऊंचा प्वाइंट है। इसकी ऊंचाई 1965 मीटर है। पीक से 'शिलांग हिल स्टेशन" सहित शिलांग शहर व अन्य आसपास का विहंगम दृश्य नजर आता है। रात में शहर की लाइटिंग तारों सरीखी नजर आती हैं।
    लेडी हैदरी पार्क : लेडी हैदरी पार्क फूलों का निराली एवं इन्द्रधनुषी छटा बिखेरने वाला एक खूबसूरत उद्यान है। फूलों की यह बगिया यहां का मुख्य आकर्षण है। पार्क में एक छोटा सा प्राणी उद्यान भी है। जिसमें नाना प्रकार के जीव जन्तु हैं। इतना ही नहीं तितलियों का एक सुन्दर संग्रहालय भी यहां है।
     कैलांग रॉक: कैलांग रॉक मेरंग-नोखलों रोड पर ग्रेनाइट की एक सुन्दर चट्टान है। इसका आकार-प्रकार बेहद आकर्षक है। लगभग एक हजार व्यास फुट वाली यह चट्टान गुम्बदनुमा है।
  वार्डस झील: वार्डस झील एक विकसित झील है। इसके चौतरफा वन क्षेत्र है। लिहाजा पर्यावरण का भरपूर आनन्द मिलता है। इलाका का यह एक सुन्दर एवं शानदार पिकनिक स्पॉट है।
    मीठा झरना: मीठा झरना काफी ऊंचा एवं सीधा भूतल पर गिरने वाला झरना है। हैप्पी वैली में स्थित यह झरना पर्यटकों की पहली पसंद होता है। मानसून में तो खूबसूरती आैर भी निखर आती है।
   चेरापूंजी: चेरापूंजी 'शिलांग हिल स्टेशन" से करीब 60 किलोमीटर दूर एक सुन्दर एवं सुरम्य स्थान है। चेरापूंजी को खास तौर से मानसून के लिए जाना-पहचाना जाता है। इसके निकट ही नोहकालीकाई झरना भी है। यहां कई सुन्दर गुफाएं भी हैं जिसे पर्यटक देखने अवश्य जाते हैं।
     उमियाम : उमियाम 'शिलांग हिल स्टेशन" से करीब बीस किलोमीटर दूर एक जलक्रीड़ा स्थल है। उमियाम जल विद्युत परियोजना भी है। इस क्षेत्र में जलक्रीड़ा-वॉटर स्पोर्टस का आनन्द लिया जा सकता है।
    एलिफैंट वाटर फॉल्स: एलिफैंट वाटर फॉल्स एक बहुत बड़ा झरना है। इसकी आवाज काफी दूर से सुनी जा सकती है। हालांकि पहाड़ी से काफी नीचे उतर कर इसका आनन्द लिया जा सकता है। दृश्यांकन की दृष्टि से इसे सर्वश्रेष्ठ झरना कहा जाता है।
     मौसिनराम: मौसिनराम मनोरम पहाड़ियों के बीच एक प्राकृतिक गुफा है। गुफा के बीच में गौ थन आकार की शिला है। इसके नीचे बने शिवलिंग पर निरन्तर बंूद-बूंद जल गिरता रहता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे भगवान शिव का जलाभिषेक हो रहा हो। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह स्थान एक शक्तिपीठ बनने की सामथ्र्य रखता है।
   जैकरम हाट सप्रिंग: जैकरम हाट सप्रिंग प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है। गंधक युक्त गर्म पानी का प्रवाह आैषधि के तौर पर कार्य करता है। चर्मरोगों के लिए यह आैषधि रामबाण मानी जाती है। आैषधि युक्त यह जल पाइप लाइन के जरिये स्नान गृह तक पहंुचाया गया है। यहां स्नान करने से थकान खत्म हो जाती है। पर्यटक खुद को ऊर्जावान महसूस करने लगते हैं।
    डॉन बोस्को संग्रहालय: संग्रहालय शिलांग सहित मेघालय की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराता है। यह संग्रहालय अत्याधुनिक है। प्रत्येक कक्ष में टच स्क्रीन है। जिससे पर्यटक अपेक्षित जानकारी हासिल कर सकते हैं। जनजातियों की जीवनशैली से लेकर देश की विभिन्न जीवनशैली का हर अंदाज देखने को मिलेगा।
    महादेव खोला मंदिर: महादेव खोला मंदिर सुरम्य पहाड़ियों के बीच एक सुन्दर शिव मंदिर है। यह एक प्राचीन मंदिर है। यहां के विषय में असंख्य दंत कथाएं प्रचलित हैं। शिलांग के मारवाड़ी समाज के लिए यह मंदिर पवित्र स्थान होने के साथ ही श्रद्धा का मुख्य केन्द्र है। शिवरात्रि पर यहां भव्य-दिव्य मेला का आयोजन किया जाता है।
      'शिलांग हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए आवागमन के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट शिलांग है। 'शिलांग हिल स्टेशन" से एयरपोर्ट की दूरी 40 किलोमीटर है। एयरपोर्ट उमरोई में स्थित है। कोलकाता एवं गुवाहाटी के लिए यहां से सीधे उड़ानें हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी में है। रेलवे स्टेशन 'शिलांग हिल स्टेशन" से करीब 104 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से करीब तीन घंटे की यात्रा करनी होती है।
25.570050,91.879687

Wednesday, 21 March 2018

कोडाईकनाल हिल स्टेशन: प्रकृति का एहसास

   कोडाईकनाल हिल स्टेशन निश्चय ही प्रकृति का एक सुखद एहसास है। तमिलनाडु का यह हिल स्टेशन कोमलता एवं प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए देश-दुनिया में अपना एक अलग स्थान रखता है।

   दक्षिण भारत के तमिलनाडु का 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" अपने आगोश में प्राकृतिक सौन्दर्य के अनगिनत नगीनों को सहेजे है। समुद्र तल से करीब 7200 फुट के शीर्ष पर स्थित यह हिल स्टेशन सुरम्य वातावरण के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। कल-कल बहते झरनों की शानदार श्रंखला, सुन्दर झीलें, मखमली घास का स्पर्श कराने वाले लम्बे-चौड़े मैदान-ढ़लान यहां खास हैं। बादलों की अठखेलियों का एहसास ह्मदयस्पर्शी होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे बादलों की गोद में हों।
    'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" एवं उसके आसपास के मुख्य आकर्षण में कोडई झील, ग्रीन वैली व्यू, मूक घाटी व्यू, गुना गुफायें, पाइन वन क्षेत्र आदि इत्यादि हैं। पर्यटन प्रेमियों के बीच 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" को हिल स्टेशन की राजकुमारी कहा जाता है। तमिलनाडु के डिंडागुल जिला के तहत आने वाले इस हिल स्टेशन में घाटियों-वादियों का सौन्दर्य देखते ही बनता है। 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" की उत्तर दिशा में एक सुन्दर पहाड़ी है। इस पहाड़ी के नीचे विलपट्टी व पालंगी गांव हैं।
     'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" की पर्वत श्रंखला लोअर पलानी हिल्स तक जाती हैं तो वहीं दक्षिण में कम्बम घाटी है। शांत एवं सौन्दर्य की आभा से आलोकित यह हिल स्टेशन ताजगी एवं स्फूर्ति का शानदार एहसास कराता है। 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" के सैर-सपाटा का मजा ही कुछ आैर है। कारण 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" एक अलग ही दुनिया नजर आती है। इसे गर्मियों का जंगल भी कहा जाता है।
   वस्तुत: जंगल का यह एक शानदार उपहार है। घूमने-फिरने के लिए 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" में कोई कमी नहीं। 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" के निकट ही कोकर्स वॉक, बियर शोला फॉल्स, ब्राायंट पार्क, शेमबगनूर, संग्रहालय, कोडैकनाल विज्ञान वेधशाला, पिलर्स रॉक, सिल्वर कैसकेड, डाल्फिन नोज, कुरिंजी अंदावर, मुरुगन मंदिर एवं बेरीजम झील आदि इत्यादि हैं। 
    कोडाईकनाल मुख्यत: फलों, प्लम एवं नाशपाती के लिए प्रसिद्ध है। चाकलेट प्रेमियों के लिए यह स्वर्ग के तौर पर जाना जाता है। दुर्लभ कुरिंजी फूल इसी हिल एरिया में खिलते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो यह फूल बारह वर्षों में सिर्फ एक बार खिलता है। इन फूलों के खिलने पर 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" की सुन्दरता देखते ही बनती है। इस फूल की खुशबू-महक मदहोश करने वाली होती है। 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" एरिया की विशाल चट्टानें, शांत झीलें, फलों के बगीचे सुन्दरता की कहानी खुद-ब-खुद कहते हैं।
     बेरिजम झील: बेरिजम झील एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूरित यह स्थल कोडईनाल से करीब बीस किलोमीटर की दूरी पर है। इस झील से पेरियाकुलम नगर को पीने का पानी उपलब्ध होता है। विशेषज्ञों की मानें तो इस झील की खोज ब्रिटिश कर्नल हेमिल्टन ने 1864 में की थी।
   ब्रायंट पार्क: ब्रायंट पार्क 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" की पूर्व दिशा में स्थित है। करीब बीस एकड़ क्षेत्र में फैला यह सुन्दर पार्क फूलों एवं संकर प्रजाति के पेड़-पौधों के लिए ख्याति रखता है। ग्लास हाउस में फूलों की प्रदर्शनी दर्शनीय होती है। पार्क में फूलों का मेला भी लगता है।
   शेनबागानूर संग्रहालय : शेनबागानूर संग्रहालय करीब पच्चीस किलोमीटर दूर है। यह आर्कीडोरियम के लिए खास तौर से जाना जाता है।
     वोट क्लब: वोट क्लब 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" के निकट ही है। इसकी स्थापना 1932 में की गयी थी। पर्यटक वोट क्लब में वोटिंग का आनन्द ले सकते हैं।
    कोडाईकनाल झील: कोडाईकनाल झील विकसित झील है। तारा के आकार-प्रकार को रेखांकित करने वाली यह झील 60 एकड़ क्षेत्र में फैैली है। चौतरफा मखमली घास का फैलाव पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां रोमांचक रेसिंग ट्रिप का भी आयोजन होता है।
    क्रोकर्स वॉक: क्रोकर्स वॉक एक सुन्दर स्थान है। लेफ्टिनेंट कोकर के नाम से इस स्थान का नाम रखा गया। यहां से 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" सहित आसपास के खूबसूरत नजारे दिखते हैं।
    कुरिंजी अंदावर मंदिर: कुरिंजी अंदावर मंदिर एक पवित्र स्थान है। यह मंदिर भगवान मुरुगन को समर्पित है। कोडाईकनाल झील से करीब 3.20 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस मंदिर को पहाड़ों के देवता के रूप में माना जाता है। तमिल साहित्य में कुरिंजी का आशय पहाड़ी क्षेत्र एवं अंदावर का आशय ईश्वर से होता है। यह एक सुरम्य स्थान है।
     सिल्वर कासकेड फॉल्स: सिल्वर कासकेड फॉल्स 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" से करीब 8 किलोमीटर दूर है। कोडई झील का जल 180 फुट शीर्ष से झरना के तौर पर नीचे गिरता है। झर-झर-कल-कल झरना का बहना पर्यटकों को खास तौर से आकर्षित करता है।
     बीयर शोला फॉल्स: बीयर शोला फॉल्स कोडई झील से 1.60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस क्षेत्र में भालुओं का बाहुल्य है। इसी लिए इस फॉल्स का नाम बीयर रखा गया है।इस फॉल्स के आसपास भालुओं की धमाचौकड़ी देखना आसान होता है।
     सौर वेधशाला: सौर वेधशाला एक सुन्दर स्थान है। इस स्थान से कोडई के सुन्दरता को आसानी से देखा-निहारा जा सकता है।
     'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए आवागमन के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट मदुरै है। मदुरै की 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" से दूरी करीब 120 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कोडई रोड है। रेलवे स्टेशन से 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" की दूरी 80 किलोमीटर है। 'कोडाईकनाल हिल स्टेशन" की यात्रा सड़क मार्ग से भी की जा सकती है।
10.230565,77.475235

Friday, 16 March 2018

वेरिनाग हिल स्टेशन: एक ताजगी का एहसास

     जम्मू एण्ड कश्मीर का 'वेरिनाग हिल स्टेशन" एक मखमली एहसास है। कश्मीर के अनंतनाग जिला का यह पर्यटन स्थल अपने खास सौन्दर्य के लिए देश विदेश में बेहद लोकप्रिय है।

   समुद्र तल से करीब 2000 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन ब्रिाटिश शासन में ग्रीष्मकालीन राजधानी होता था। यहां चौतरफा हिम श्रंखला एवं वादियों-घाटियों का अद्वितीय सौन्दर्य दिखता है। कश्मीर घाटी का यह पहला हिल स्टेशन भी माना जाता है।
  'वेरिनाग हिल स्टेशन" का मुख्य आकर्षण वेरिनाग स्प्रिंग एवं वेरिनाग गार्डेन आदि इत्यादि हैं। वेरिनाग का जल रुाोत झेलम नदी का प्रमुख जल रुाोत है। भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया है।
     'वेरिनाग हिल स्टेशन" क्षेत्र पाइन के शानदार वृक्षों की श्रंखला एवं सदाबहार पुष्प पौधों से आच्छादित है। पर्यटक यहां की खूबसूरती एवं कलात्मकता देख पर्यटक सुध-बुध खो जाते हैं। बस सौन्दर्य को ही निहारते रहते हैं। बादशाह जहांगीर ने 'वेरिनाग हिल स्टेशन" के सौन्दर्य को सजाया-संवारा, इसे दर्शनीय बनाया। हालात यह हैं कि यह पर्यटन स्थल दुनिया के शीर्ष पर्यटन स्थलों में गिना जाता है।
    उद्यान का मूर्तिशिल्प खास एवं मुख्य आकर्षण है। खास यह भी है कि 'वेरिनाग हिल स्टेशन" के उद्यान का परिवेश हमेशा वासंतिक रहता है। यहां वास्तुकला का सौन्दर्य भी देखते ही बनता है। 'वेरिनाग हिल स्टेशन" का बसंत क्षेत्र भी यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
  'वेरिनाग हिल स्टेशन" वस्तुत: लघु नदियों एवं झरनों का एक सुन्दर हिल स्टेशन है। इसे एक वृहद उद्यान भी कह सकते हैं। कारण एक शानदार एवं वृहद आकार-प्रकार का उद्यान प्राकृतिक परिवेश को समाहित करता है। 'वेरिनाग हिल स्टेशन" का मुख्य आकर्षण वेरिनाग मुगल गार्डेन है।
   इस वेरिनाग मुगल गार्डेन का डिजाइन पारंपरिक फारसी पर आधारित है। इसमें चार हिस्से अर्थात चार धारायें दिखतीं हैं। विशेषज्ञों की मानें कि अवधारणा है कि नदियों का प्रवाह जल, शराब, शहद, दूध एवं पानी के रूप में होता है। इसका उल्लेख कुरान में वर्णित है। इस स्थान से चार नदियां विभक्त होती हैं। मुगल गार्डेन के केन्द्र में एक जल रुाोत है।
    नदियां भी शानदार प्रवाहमान हैं। इन शानदार नदियों के चौतरफा पक्के नक्काशीदार पाथवे शोभा को बढ़ाते हैं। इनमें कल-कल प्रवाहमान जल मोती सा चमकता है। इससे निर्मलता का सहज अनुमान लग सकता है। एक झील के चौतरफा नक्काशीदार आश्रय स्थल हैं। जलक्रीड़ा का आनन्द लेने के दौरान पर्यटक इन स्थलों में विश्राम भी कर सकते है।
    विभिन्न आकार-प्रकार एवं विभिन्न प्रजातियों के फूलों की श्रंखला देख कर मन प्रफुल्लित हो उठता है। 'वेरिनाग हिल स्टेशन" भले ही छोटा हो लेकिन इसका सौन्दर्य बेमिशाल है। कश्मीर की सुन्दर घाटी के बीच रचा-बसा 'वेरिनाग हिल स्टेशन" का गार्डेन निश्चित रूप से जिंदगी को एक नया आयाम देता है।
     'वेरिनाग हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। हालांकि वेरिनाग में कोई एयरपोर्ट नहीं है। निकटतम एयरपोर्ट श्रीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट की 'वेरिनाग हिल स्टेशन" से दूरी करीब 82 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन हिल्लर शाहाबाद है। यह रेलवे स्टेशन जम्मू-बारामूला लाइन पर स्थित है। 'वेरिनाग हिल स्टेशन" सड़क मार्ग से भी जुड़ा है।
33.731125,75.148701

कोकरनाग हिल स्टेशन: स्वास्थ्य की संजीवनी

     जम्मू एण्ड कश्मीर स्थित 'कोकरनाग हिल स्टेशन" को स्वास्थवर्धक आैषधि कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। समुद्र तल से करीब 2012 मीटर शीर्ष पर स्थित यह हिल स्टेशन मुगल शासकों का बेहद पसंदीदा स्थान रहा।

   'कोकरनाग हिल स्टेशन" देश दुनिया में आैषधीय गुणों वाले प्राकृतिक चश्मोें के लिए विख्यात है। कश्मीरी भाषा में नाग का आशय चश्मा से होता है। कोकर का आशय मुर्गी से होता है।
  विशेषज्ञों की मानें तो बादशाह जहांगीर ने इस आैषधीय जल ताल का एक सुन्दर उद्यान की स्थापना की थी। करीब 80 मीटर के दायरे में फैला यह खास उद्यान आठ कोण में विकसित है। उद्यान आैषधीय गुणों से भरपूूर है। उद्यान में चौतरफा चिनार के सुन्दर वृक्ष कतारवद्ध सुशोभित हैं।
    'कोकरनाग हिल स्टेशन" को कश्मीर का स्वर्ण मुकुट भी कहा जाता है। कारण इसका अति सुन्दर होना है। 'कोकरनाग हिल स्टेशन" बिरंग घाटी का एक सुन्दर क्षेत्र है। अनंतनाग जिला के अधीन आने वाले इस क्षेत्र में असंख्य सिद्धांत निहित हैं। 'कोकरनाग हिल स्टेशन" एक घना वन क्षेत्र है। इस क्षेत्र में एक विशाल झरना भी है जिसे इन्द्रधनुषी खिताब भी हासिल है।
     'कोकरनाग हिल स्टेशन" हिम शिखर की घाटियों एवं वादियों से घिरा अतिसुन्दर एवं दर्शनीय स्थल है। 'कोकरनाग हिल स्टेशन" के आसपास मुख्य रूप से जलांगम, बोलीडर, वांगम, हंगलगुंड, नागम, मुखदमोपरा संगम, डुकसम आदि दर्शनीय स्थल हैं। विशेषज्ञों की मानें तो 'कोकरनाग हिल स्टेशन" के झरनों एवं झीलों का जल खास है। इस जल का सेवन-उपयोग करने से भूख एवं प्यास से संतुष्टि मिलती है। अपच के लिए यह एक असरकारक आैषधि है। 
     पर्वत श्रंखलाओं से घिरा एवं सुन्दर वृक्षों से आच्छादित यह क्षेत्र पर्यटकों को अपने खास सौन्दर्य से आकर्षित करता है। 'कोकरनाग हिल स्टेशन" में आैषधीय वनस्पतियों की प्रचुरता होने के कारण एक सुगन्ध मन एवं तन को स्वस्थ्य एवं तरोताजा रखती है। वादियों में खिले रंगबिरंगे फूलों की इन्द्रधनुषी छटा बरबस लुभाती है। 
     ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे साक्षात इन्द्रलोक धरती पर उतर आया हो। झरना एवं झीलों में प्रवाहित जल की कल-कल करती धारा एक सुमधुर संगीत का एहसास कराती है। जलधारा की अठखेलियां देख कर खुद अठखेलियां करने का मन होता है। उद्यान का सौन्दर्य भी लाजवाब है।
    उद्यान में मखमली घास के समतल एवं ढ़लान वाले मैदान भी खिलंदडपन का जोश भरते हैं। कहीं जलधारा के बीच में टापू तो कहीं पाथवे बने हैं। जिससे सौन्दर्य में चार-चांद लगते हैं। इस उद्यान को मुगल गार्डेन के नाम से भी जाना जाता है। राजसी ठाट-बाट का असल एहसास यहां होता है। 'कोकरनाग हिल स्टेशन" में कुछ पल ही गुजारने से लगता है कि शरीर ने भरपूर आक्सीजन ग्रहण कर ली।
      'कोकरनाग हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए आवागमन के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। कोकरनाग की यात्रा के लिए निकटतम हवाई अड्डा श्रीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट है। यह हवाई अड्डा यहां से करीब 88 किलोमीटर दूर है। श्रीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट से दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, चण्डीगढ़ एवं जम्मू के लिए उड़ानें निर्धारित हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन अनंतनाग रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन 'कोकरनाग हिल स्टेशन" से करीब 119 किलोमीटर दूर है।
33.584663,75.304775

Thursday, 15 March 2018

सोनमर्ग हिल स्टेशन: ग्लेशियर का रोमांच

      सोनमर्ग हिल स्टेशन को दुनिया की एक सुन्दर सैरगाह कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" जैसे देवलोक हो।

   सोनमर्ग का आशय अर्थात शाब्दिक अर्थ सोने से बना घास का मैदान होता है। 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" में सबकुछ अद्भुत एवं अप्रतिम सौन्दर्य ही दिखता है। जोश, उमंग, उत्साह एवं ऊर्जावान बनाने वाला यह हिल स्टेशन भारत के प्रांत जम्मू एण्ड कश्मीर में स्थित है।
  सोनमर्ग स्थित सिंध घाटी कश्मीर की सबसे बड़ी एवं विहंगम घाटी है। यह घाटी करीब 60 मील लम्बी है। यह इलाका गंदरबल जिला के अधीन है। 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" श्रीनगर से उत्तर-पूर्व दिशा में करीब 87 किलोमीटर दूर स्थित है। समुद्र तल से करीब 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" में चौतरफा इन्द्रधनुषी सौन्दर्य दिखता है। फूलों की दिलकश वादियां लुभावनी हैं तो वहीं बर्फ की ओढ़नी में हिमशिखर का आकर्षण अलग ही दिखता है।
     'सोनमर्ग हिल स्टेशन" वास्तव में एक बेहद सुन्दर एवं रमणीक स्थल है। सोनमर्ग में घुड़सवारी का आनन्द भी लिया जा सकता है। इतना ही नहीं ग्लेशियर के रोमांच का अनुभव भी पर्यटक आसानी से कर सकते हैं। 
      'सोनमर्ग हिल स्टेशन" में प्रकृति की विशालता का एहसास एक खास रोमांच पैदा करता है। जोजीला दर्रा यहां से करीब तीस किलोमीटर दूर है। अवंतिपुर में 9वीं शताब्दी के दो मंदिरों के भग्नावशेष तथा मार्तण्ड का सूर्य मंदिर भी क्षेत्र का आकर्षण है। सागरतल से करीब 2130 मीटर ऊंचाई पर बसा पहलगाम भले ही कभी चरवाहों का छोटा सा गांव रहा हो लेकिन नैसर्गिक सौन्दर्य ने एक सुन्दर सैरगाह बना दिया। देवदार के जंगल, झरनों की श्रंखला एवं फूलों के मैदान मुग्ध कर देते हैं।
     'सोनमर्ग हिल स्टेशन" एवं उसके आसपास का सौन्दर्य एवं आकर्षण भी अवश्य देखना चाहिए। इनमें मुख्य आकर्षण बैसरन के मर्ग, आडु, चंदनवाड़ी, तरसर, मरसर झीलें, दुधसर झील, कोलहाई आदि इत्यादि बहुत कुछ हैं। खास यह कि 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" की जलवायु अत्यधिक ऊर्जावान है। इस इलाके में ट्रेकिंग रूट्स की भी कमी नहीं है। 
     ट्रेकिंग रूट्स में विश्वसर झील, कृष्णा झील, गंगाबल झील एवं गदसर झील आदि इत्यादि को आसानी से जा सकते हैं। भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों में 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" एरिया में आवागमन काफी कम हो जाता है लेकिन वास्तविक आनन्द बर्फबारी के बीच ही आता है। हिमस्खलन के कारण यात्रा कुछ दुर्गम हो जाती है। सर्वाधिक आनन्द का क्षेत्र थियाजिव ग्लेशियर एरिया माना जाता है। 
    'सोनमर्ग हिल स्टेशन" एरिया में कई प्रसिद्ध पहाड़ी रिसार्ट हैं। यह एरिया साहसी खेलों का लोकप्रिय मैदान भी है। 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" के मुख्य आकर्षण में सिमोरोर, अल्पाइन फूल, चांदी बर्च, देवदार एवं पाइन हैं। 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" एरिया में इनके अलावा सुन्दर झीलों की एक लम्बी श्रंखला है। अमरनाथ की पवित्र गुफा जाने के लिए भी सोनमर्ग का रास्ता अख्तियार करना पड़ता है।
     'सोनमर्ग हिल स्टेशन" की यात्रा निश्चित तौर पर पर्यटकों के लिए एक मखमली एहसास होती है। फूलों की सुन्दर घाटियों में सुगन्ध के साथ रंगों की एक निराली इन्द्रधनुषी छटा लुभाती है। मखमली घास के विशाल मैदान देख कर मन करता है कि ढ़लान में लुढ़कते चले जायें। मखमली घास का आत्मीय स्पर्श रोमांच सा पैदा करता है।
     'सोनमर्ग हिल स्टेशन" एरिया में बारिश का भी अपना एक अलग आनन्द होता है। हरा-भरा घास का ढ़लाननुमा मैदान व हल्की बारिश की फुहारों से तन एवं मन दोनों ही भीगते हैं। 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" एरिया में आैसतन तापमान 6.5 डिग्री रहता है।
    'सोनमर्ग हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" का निकटतम एयरपोर्ट श्रीनगर है। इसे शेख उल आलम हवाई अड्डा भी कहते हैं। यहां से एयरपोर्ट की दूरी करीब 70 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन श्रीनगर है। रेलवे स्टेशन भी करीब 70 किलोमीटर दूर है। 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" सड़क मार्ग से भी जुड़ा है लिहाजा सड़क मार्ग से भी 'सोनमर्ग हिल स्टेशन" की यात्रा की जा सकती है।
34.304057,75.284656

Wednesday, 14 March 2018

श्रीनगर हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग

   श्रीनगर दुनिया के श्रेष्ठतम हिल स्टेशन्स में से एक है। प्राकृतिक सौन्दर्य का धनी 'श्रीनगर हिल स्टेशन" को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। श्रीनगर की धरती एक मखमली घास का एहसास कराती है।

   बर्फबारी का भरपूर आनन्द यहां मिलता है। चौतरफा बर्फबारी दिखती है। पर्वत श्रंखला में जैसे बर्फ का श्रंगार हो। श्रीनगर भारत के जम्मू एण्ड कश्मीर की राजधानी है। कश्मीर घाटी देश के शीर्ष पर्यटन एरिया या हिल स्टेशन में गिना जाता है।
   'श्रीनगर हिल स्टेशन" खास तौर से डल झील, मखमली वादियों एवं मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। कश्मीर घाटी की शिल्प श्रंखलाओं का वास्तुशिल्प भी अद्वितीय एवं अति सुन्दर है। समुद्र तल से करीब 1730 मीटर ऊंचाई पर बसा 'श्रीनगर हिल स्टेशन" झीलों एवं उनमें चलने वाली हाउस बोट्स के सौन्दर्य की ख्याति रखता है। श्रीनगर का परम्परागत कश्मीरी हस्तशिल्प एवं सूखे मेवे के लिए विश्व में प्रसिद्ध है।
   'श्रीनगर हिल स्टेशन" जम्मू एण्ड कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी है। खास यह कि 'श्रीनगर हिल स्टेशन" ही नहीं आसपास के एरिया भी सुन्दर पर्यटन स्थल के तौर पर जाने-पहचाने जाते हैं। मसलन डल झील, शालीमार, निशंात बाग, गुलमर्ग, पहलगाम, चश्माशाही आदि हैं। 'श्रीनगर हिल स्टेशन" का अप्रतिम सौन्दर्य फिल्म उद्योग को भी आकर्षित करता है।
   'श्रीनगर हिल स्टेशन" बालीवुड का भी पसंदीदा स्थल रहता है। हालात यह हैं कि यहां की खूबसूरती असंख्य फिल्मों में कैद हो चुकी है। फिल्मों की शूटिंग का सिलसिला भी 'श्रीनगर हिल स्टेशन" में अनवरत चलता रहता है। श्रीनगर में ही शंकराचार्य पर्वत भी है। यहां झीलों में चलने वाली सुन्दर एवं व्यवस्थित नावों को शिकारा कहा जाता है। डल झील एवं झेलम नदी में शिकारा से यात्रा एवं विश्राम एक सुखद एहसास कराता है। कमल के फूलों से सुसज्जित डल झील में हाउसवोट में कुछ पल गुजारना एक यादगार बन जाता है।
    इतिहासकारों की मानें तो श्रीनगर की स्थापना एवं बसावट मौर्य सम्राट अशोक के सुखद सानिध्य में की गयी थी। 'श्रीनगर हिल स्टेशन" केवल प्राकृतिक सौन्दर्य ही नहीं अपितु वास्तु विरासत की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां कई सुन्दर मस्जिदें भी हैं। हजरत बल यहां का महत्पूर्ण धर्म स्थल है। इसे अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। संगमरमर से बनी यह सफेद इमारत पर्यटकों का विशेष आकर्षण रहती है। यह इमारत तीन सौ से अधिक स्तम्भों पर स्थापित है।
    श्रीनगर के मध्य में हरी पर्वत है। इस पर 16 वीं शताब्दी में बना किला वास्तुशिल्प का अद्वितीय उदाहरण है। विशेषज्ञों की मानें तो इसका निर्माण तत्कालीन गर्वनर अता मुहम्मद खान ने कराया था। अकबर ने बाद में इस दिव्य-भव्य का विस्तार कराया था। डल झील के निकट तख्त-ए-सुलेमान पहाड़ी है। इसके शिखर पर प्रसिद्ध शंकराचार्य मंदिर है। यह प्राचीन शिव मंदिर है। 
  विशेषज्ञों की मानें तो 10 वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य यहां आये थे लिहाजा अब शंकराचार्य मंदिर के तौर पर इस शिव मंदिर को जाना-पहचाना जाता है। 'श्रीनगर हिल स्टेशन" से श्रीनगर शहर का विहंगम दृश्य दिखता है। पृष्ठभूमि पर हिमशिखरों की अद्भुत श्रंखला दिखती है।
   डलझील: डलझील वास्तव में 'श्रीनगर हिल स्टेशन" एरिया का एक खास सौन्दर्य है। डलझील के बिना यात्रा का एक खास एहसास नहीं किया जा सकता। डलझील में सुबह से शाम व रात तक सैलानियों एवं पर्यटकों की रौनक रहती है। शिकारा में सवार होकर नौकाविहार करने का आनन्द डलझील में लिया जा सकता है। डलझील खुद में तैरती एक अलग दुनिया है। 
     हाउसवोट, झील में तैरते सुन्दर एवं सुगंधित गार्डेन खास होते हैं। हाउसबोट में प्रवास-आश्रय का आनन्द भी उठाया जा सकता है। झील के मध्य टापू, सड़क पर चलते फव्वारों की श्रंखला, नेहरू पार्क आदि बहुत कुछ आनन्द प्रदान करते हैं। शाम होते ही झील में एक जीवंतता का एक एहसास होता है। सूर्यास्त के समय आकाश नारंगी होता है तो झील को भी अपने ही रंग में रंगीन कर देता है। सूर्यास्त के बाद हाउसवोट की जगमगाती लाइटों से झील का प्रतिबिंब आैर भी सुन्दर हो जाता है।
    नागिन झील: नागिन झील भी 'श्रीनगर हिल स्टेशन" का एक सुन्दर नगीना है। नागिन झील कश्मीर की एक सुन्दर एवं छोटी झील है। पर्यटकों के लिए यहां भी सुन्दर हाउसवोट उपलब्ध रहते हैं। रात्रि विश्राम का आनन्द यहां भी विशेष होता है।
    बादशाहों का उद्यान प्रेम: 'श्रीनगर हिल स्टेशन" में बादशाहों का उद्यान प्रेम साफ तौर पर दिखता है। वादी-ए-कश्मीर का एहसास किया जा सकता है। यहां मुगल गार्डेन की एक श्रंखला है। शाही प्रणय स्थल जैसे सुन्दर स्थान निश्चय ही पर्यटकों को मुग्ध कर देते हैं।
    शाहजहां का बनवाया चश्म-ए-शाही इनमें सबसे छोटा उद्यान है। यह एक अति सुन्दर हरा भरा बगीचा है। ऊंचाई की ओर बढ़ते यहां एक दर्जन से अधिक सोपान हैं। सुंदर झरनों की श्रंखला यहंा के सौन्दर्य में चार चांद लगाते हैं। मुगल उद्यानों के पीछे जावरान की पहाड़ि़यां है।
     शंकराचार्य मंदिर: शंकराचार्य मंदिर शंकराचार्य पर्वत पर स्थित है। समुद्र तल से यह स्थान करीब 1100 मीटर की ऊंचाई पर है। इसे तख्त-ए-सुलेमान के नाम से भी जाना जाता है। इस भव्य-दिव्य मंदिर का निर्माण राजा गोपादित्य ने कराया था। डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर तक पहंुचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कराया था। मंदिर का वास्तुशिल्प बेहद खूबसूरत है।
    जामा मस्जिद: जामा मस्जिद कश्मीर की सबसे बड़ी एवं पुरानी इमारतों में से एक है। मस्जिद का वास्तुशिल्प अद्भुत है। विशेषज्ञों की मानें तो जामा मस्जिद की नींव सुल्तान सिकंदर ने रखी थी। मस्जिद की लम्बाई 384 फुट एवं चौड़ाई 38 फुट है। इस मस्जिद में तीस हजार लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं।
    खीर भवानी मंदिर: खीर भवानी मंदिर श्रीनगर के तुल्लामुला में स्थित है। यह यहां के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह माता रंगने देवी को समर्पित है।
     चट्टी पदशाही: चट्टी पदशाही श्रीनगर का एक प्रमुख सिख गुरुद्वारा है। सिखों के छठवें गुरु कश्मीर घूमने आये थे, उस समय वह इसी स्थान पर ठहरे थे। गुरुद्वारा से हरीपर्वत किला कुछ ही फासले पर है।
    निशांत बाग: निशांत बाग 'श्रीनगर हिल स्टेशन" एरिया का एक खूबसूरत बगीचा है। यह बगीचा डलझील के किनारे स्थित है। श्रीनगर जिला मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर है। इस स्थान से डलझील के कई खूबसूरत नजारे दिखते हैं।
      'श्रीनगर हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम हवाई अड्ड़ा श्रीनगर है। रेलवे स्टेशन भी श्रीनगर में है। जम्मू तवी रेलवे स्टेशन से भी पर्यटक 'श्रीनगर हिल स्टेशन" की यात्रा कर सकते हैं। सड़क मार्ग से भी हिल स्टेशन की यात्रा की जा सकती है।
34.023710,74.847149

Tuesday, 13 March 2018

गंगटोक हिल स्टेशन: बादलों का स्पर्श

     सिक्किम का 'गंगटोक हिल स्टेशन" वैश्विक हिल स्टेशन में अपना एक खास स्थान रखता है। मनोरम एवं आकर्षक घाटियों, सुन्दर वादियों एवं राजसी मठों के बीच रचा-बसा 'गंगटोक हिल स्टेशन" शांत, मैत्रीपूर्ण एवं रोमांचक हिल स्टेशन के तौर पर जाना जाता है।

   खास यह कि प्रकृति की गोद एहसास कराने वाले 'गंगटोक हिल स्टेशन" में सर्वाधिक पर्यटक दुनिया के विभिन्न अंचलों से आते हैं। पर्यटक एहसास करते हैं कि बादलों संग खेल-खिलौना सा खिलंदड हो रहा हो। मखमली घास या फूलों से सजी या लदी वादियां मन-तन एवं मस्तिष्क को प्रफुल्लित कर देती हैं। 
   गंगटोक भारत के उत्तरी पूर्वी राज्य सिक्किम की राजधानी है। गंगटोक शहर भी 'गंगटोक हिल स्टेशन" की तरह बेहद खूबसूरत है। शहर रानीपूल नदी के पश्चिम दिशा में बसा है। खास यह कि कंचनजंगा शिखर की पर्वत श्रंखला यहां से साफ अवलोकित होती हैं। शिखर की सुन्दर श्रंखला बेहद अद्भुत प्रतीत होती है। कंचनजंगा शिखर का अवलोकन ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पर्वत शिखर आकाश से सजा हो।
  गंगटोक के प्राचीन मंदिर-प्राचीन मठ, प्राचीन महल, मखमली घास एवं फूलों के बाग-बगीचे स्वप्निल दुनिया की सैर कराते हैं। ट्रैकिंग के लिए भी यह हिल स्टेशन पसंदीदा माना जाता है। पर्वतीय क्षेत्र का सैर-सपाटा एक ताजगी देता है। 'गंगटोक हिल स्टेशन" के खूबसूरत एवं पसंदीदा स्थलों में फूलों का बगीचा, बंजारी पहाड़ियां, ताशी ब्लू प्वाइंट, सोंगमों झील, रुमेक मठ, गणेश टोक, हनुमान टोक आदि इत्यादि हैं।
    गंगटोक शहर घूमने का आनन्द लेना है तो पैदल घूमना चाहिए। लाल बाजार एवं नया बाजार अवश्य घूमना चाहिए। इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलोजी में बौद्ध धर्म की जानकारी समृद्धता देगी। यहां बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखने वाले धर्मग्रंथ एवं प्राचीन अवशेष उपलब्ध हैं। इंस्टीट्यूट में बौद्ध धर्म, तिब्बती भाषा, संस्कृति दर्शन, साहित्य की शिक्षा दी जाती है। 'गंगटोक हिल स्टेशन" की यात्रा एक सुखद एहसास कराती है। जोश, उत्साह एवं उर्जावान महसूस करने के लिए 'गंगटोक हिल स्टेशन" की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
     सोमगो झील: सोमगो झील गंगटोक से करीब चालीस किलोमीटर दूर है। इस झील के चौतरफा बर्फीली पहाड़ियां हैं। झील करीब एक किलोमीटर लम्बी-चौड़ी है। खास यह कि अप्रैल के माह में भी झील का पानी बर्फ सा महसूस होता है। सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के कारणों को ध्यान में रख कर झील का भ्रमण एक घंटा से अधिक नहीं होना चाहिए। सर्दियों में इस सुन्दर झील में विदेशी पक्षियों का बहुत बड़ा समूह प्रवास के लिए आता है।
    आरिटार झील: आरिटार झील सिक्किम के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। गंगटोक से करीब 70 किलोमीटर दूर यह एक अति सुन्दर झील है। झील खूबसूरत पहाड़ियों से आच्छादित है। झील करीब एक किलोमीटर लम्बी एवं पचास फुट से भी अधिक गहरी है। झील के आसपास अनेक दर्शनीय स्थल हैं।
    रुमटेक मठ: रुमटेक मठ की यात्रा बिना गंगटोक अर्थात 'गंगटोक हिल स्टेशन" का आनन्द आधा-अधूरा ही होगा। 'गंगटोक हिल स्टेशन" से यह मठ करीब 24 किलोमीटर दूर है। करीब तीन सौ वर्ष पुराना यह मठ विशाल साधना केन्द्र भी है। मठ की थंगा पेंटिंग एवं प्राचीनता आकर्षित करते हैं। मठ में बौद्ध भिक्षुओं की प्रार्थना सभा बेहद कर्णप्रिय होती है।
     दो ट्रूल चोर्टेन: दो ट्रूल चोर्टेन 'गंगटोक हिल स्टेशन" क्षेत्र के मुख्य आकर्षण में से एक है। इसे सिक्किम का सबसे महत्वपूर्ण स्तूप माना जाता है। इसकी स्थापना तिब्बतीयन बौद्ध धर्म के नियंगमा सम्प्रदाय के प्रमुख त्रुलसी ने की थी। इस मठ का शिखर स्वर्ण से बना है। इस मठ में एक सौ आठ प्रार्थना चक्र हैं।
   इनहेंची मठ: इनहेंची मठ को नृत्य चाम भी कहा जाता है। मूलत; इसकी स्थापना दो वर्ष पहले की गयी थी।
    आर्किड अभ्यारण: आर्किड अभ्यारण प्राकृतिक सौन्दर्य का अच्छा स्थान है।
ताशीलिंग: ताशीलिंग गंगटोक से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित है। यहां से कंचनजंगा शिखर अति सुन्दर प्रतीत होता है। यहां एक पवित्र बर्तन रखा है। इसे बूमचू कहा जाता है। कहावत है कि इस बर्तन में पवित्र जल रखा है। तीन सौ वर्ष की अवधि के बाद भी बर्तन का जल अभी तक नहीं सूखा।
    पेलींग: पेलींग 'गंगटोक हिल स्टेशन" से पश्चिम में करीब 145 किलोमीटर दूर है। इस स्थान से कंचनजंगा पर्वत शिखर का अद्भुत सौन्दर्य दिखता है। शिखर अति निकट होने का एहसास कराता है। मौसम भी बेहद खुशनुमा रहता है।
    सुक ला खंग: सुक ला खंग बौद्ध समुदाय का एक शाही पूजा स्थल है। यह एक सुन्दर एवं बेहद आकर्षक भवन है। यहां भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं एवं लकड़ी की नक्काशी का बेहद लुभावना कार्य है।
     फूलों की घाटी: फूलों की घाटी जैसे सुगन्ध का खजाना हो। फूलों की खिलती-महकती श्रंखला प्रफुल्लित कर देती है। फूलों की यहां इन्द्रधनुषी छटा दिखती है।
     'गंगटोक हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। 'गंगटोक हिल स्टेशन" का निकटतम एयरपोर्ट दक्षिण में पकींग गांव में स्थित है। यहां से 'गंगटोक हिल स्टेशन" की दूरी करीब 35 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन सिलीगुड़ी एवं न्यू जलपाईगुड़ी है। 'गंगटोक हिल स्टेशन" की यात्रा सड़क मार्ग से भी की जा सकती है।
27.338936,88.606504

Monday, 12 March 2018

बिंसार हिल स्टेशन: हिमालय की गोद

    हिमालय की गोद में रचा बसा 'बिंसार हिल स्टेशन" एक मखमली एहसास कराता है। 'बिंसार हिल स्टेशन" हिमालय का 'जीरो प्वाइंट" है। बिंसार में वन्यजीव अभ्यारण भी है। यूं कहें कि 'बिंसार हिल स्टेशन" प्रकृति की गोद में जीवन की हलचल है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। 

  समुद्र तल से करीब 2412 मीटर शीर्ष पर स्थित 'बिंसार हिल स्टेशन" में चौतरफा मखमली घास का बिछौना बिछा दिखता है। मखमली घास से लबरेज हिमालय की वादियां-घाटियां निश्चय पर्यटकों को मुग्ध करती हैं। इतना ही नहीं बर्फबारी का वास्तविक लुफ्त यहीं मिलता है।
   ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे हिमालय ने बर्फ की सुन्दर चादर ओढ़ रखी हो। पाइन के वृक्ष श्रंखला से घिरा 'बिंसार हिल स्टेशन" अति सुन्दर अवलोकित है। शक्तिशाली हिमालय की चोटियां बरबस लुभाती हैं। 
    'बिंसार हिल स्टेशन" प्रकृति का एक शानदार एवं आदर्श स्थान है। 'बिंसार हिल स्टेशन" उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा से करीब 35 किलोमीटर दूर है। विशेषज्ञों की मानें तो 'बिंसार हिल स्टेशन" 11वीं से 18वीं शताब्दी तक चन्द्र राजाओं की राजधानी रहा। विकास के क्रम में 'बिंसार हिल स्टेशन" शनै: शनै: सौन्दर्य से आलोकित होता रहा।
     हिल स्टेशन क्षेत्र सुगंध एवं स्वास्थवर्धक वनस्पतियों से आच्छादित है। जीवों एवं वनस्पतियों की समृद्धता पर्यटकों को आकर्षित करती है। इस स्थान से हिमालय की चोटियां, केदारनाथ, त्रिशूल, शिवलिंग, नंददेवी एवं नक्षत्र पर्वत शानदार दिग्दर्शित होते हैं। वर्ष 1988 में हिमालयी क्षेत्र में ऑॅॅॅक के जंगलों को संरक्षित किया गया।
    बिंसार वन्यजीव अभ्यारण: बिंसार वन्यजीव अभ्यारण में देश-विदेश की सुगंधित एवं आैषधीय वनस्पतियां उपलब्ध हैं। यहां वनस्पतियों एवं जीव संरक्षण का एक अतिसमृद्ध संग्रहालय भी है। यह क्षेत्र खास तौर से वनस्पतियों की समृद्धता के लिए जाना जाता है। अभ्यारण क्षेत्र में सुगंधित फूलों की श्रंखला भी मन-मस्तिष्क को प्रफुल्लित करती है।
    खास तौर से दुर्लभ फूलों की उपलब्धता आनन्दित करती है। वन्यजीव श्रंखला भी कहीं से कमजोर नहीं दिखती। तेंदुए, गॉलेट, कस्तूरी हिरण, चीतल, सुमात्रान सैरो, जंगली सुअर, जंगली बिल्ली, काले भालू, लाल लोमड़ी, पाइन मार्टन, भूरे लंगूर, लाल गिलहरी सहित वन्यजीवों की एक लम्बी श्रंखला इस अभ्यारण में वन्यजीव प्रेमियों को आनन्दित करती है।
   बिंसार महादेव: बिंसार महादेव वन क्षेत्र में स्थित शिवालय है। यह स्थान अल्मोड़ा से करीब 70 किलोमीटर दूर है। रानीखेत से इस स्थान की दूरी करीब बीस किलोमीटर है। भगवान शिव के इस मंदिर क्षेत्र में जून में उत्सव एवं मेला के आयोजन होते हैं।
   कासार देवी मंदिर: कासार देवी मंदिर आस्था एवं विश्वास का केन्द्र है। विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 1970 से 1980 की अवधि में इस भव्य-दिव्य मंदिर का निर्माण भिक्षुओं ने कराया था। यह स्थान वास्तुशिल्प का अद्भुत आयाम है। यह स्थान कभी स्वामी विवेकानन्द का ध्यान केन्द्र भी रहा है।
   बिंसर शून्य बिंदु: 'बिंसार हिल स्टेशन" की यात्रा करें तो बिंसर शून्य बिंदु अवश्य जायें। इस स्थान से हिमालय का अति सुन्दर दृश्य अवलोकित होता है। शांतिपूर्ण एवं आकर्षक स्थान है। हिमालय की पर्वतमाला का सौन्दर्य यहां से खास दिखता है।
    मैरी बुड़न एस्टेट: मैरी बुड़न एस्टेट 'बिंसार हिल स्टेशन" का एक सर्वोच्च शिखर स्थान है। समुद्र तल से यह स्थान 8000 फुट ऊंचाई पर है। छुट्टियां बिताने या मौज मस्ती का यह श्रेष्ठ स्थान है। इसके आसपास के स्थानों में पर्यटक चिताई, रानीखेत, कौसानी, अल्मोड़ा आदि का भी भ्रमण कर सकते हैं। 
  'बिंसार हिल स्टेशन" की यात्रा तो कभी भी की जा सकती है लेकिन गर्मी का मौसम कुछ अलग ही आनन्द देता है। इस अवधि 'बिंसार हिल स्टेशन"की जलवायु बेहद सुहावनी एवं लुभावनी होती है कि एक सुखद ताजगी का एहसास होता है।
    'बिंसार हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। पंतनगर हवाई अड्डा 'बिंसार हिल स्टेशन" से करीब 150 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम 'बिंसार हिल स्टेशन" से करीब 119 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से यात्रा करने के लिए उत्तराखण्ड का कुमाऊं मण्डल सभी मुख्य सड़कों को आपस में जोड़ता है।
29.707363,79.753593

Sunday, 11 March 2018

माथेरान हिल स्टेशन: प्राचीन सौन्दर्य का एहसास

   भारत की प्राचीन एवं दुर्लभ पहाड़ियों पर स्थित 'माथेरान हिल स्टेशन" प्राचीन सौन्दर्य एक सुन्दर क्षेत्र है। महाराष्ट्र की सहयाद्री पर्वत श्रंखला का हिस्सा 'माथेरान हिल स्टेशन" अपने खास सौन्दर्य से देश दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करता है।

   समुद्र तल से करीब 2625 फुट शीर्ष पर स्थित 'माथेरान हिल स्टेशन" दुर्लभ पहाड़ियों का क्षेत्र है। खास यह कि चौतरफा मखमली घास के मैदान एवं ढ़लान दिलों को लुभाते हैं। प्राकृतिक खूबसूरती से आच्छादित यह हिल स्टेशन भले ही अत्यधिक बड़ा न हो लेकिन अपने खास सौन्दर्य से दिलों को स्पर्श करता है।
  विशेषज्ञों की मानें तो सौन्दर्य से आलोकित 'माथेरान हिल स्टेशन" की खोज वर्ष 1850 के आसपास तत्कालीन जिला कलक्टर ह्यूज पॉयंट्स मलेट ने की थी। तत्कालीन गर्वनर लॉर्ड एल्फिंसटन ने 'माथेरान हिल स्टेशन" की नींव रखी थी। 
   सहयाद्री पर्वत श्रंखला का यह 'माथेरान हिल स्टेशन" अपनी आगोश में चौतरफा घाटियों की लम्बी श्रंखला रखता है। 'माथेरान हिल स्टेशन" में प्रवेश करते ही शीतल हवा के झोके मन-तन एवं मस्तिष्क को प्रफुल्लित कर देते हैं। घाटियों में फैला घना कोंहरा, हवा में तैरते-इठलाते बादल, भीगा-भीगा मौसम आनन्द की एक अनोखी सुखानुभूति कराता है।
     'माथेरान हिल स्टेशन" में प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूरित नजारों की कहीं कोई कमी नहीं है। इस एरिया में तीन दर्जन से अधिक अति सुन्दर क्षेत्र हैं। वादियों की सुन्दरता मन को छू लेती है। 'माथेरान हिल स्टेशन" का शाब्दिक अर्थ देखें तो 'माता का जंगल" है। आशय माता की गोद का एक सुखद एहसास। खास यह कि 'माथेरान हिल स्टेशन" में वाहनों के प्रवेश की अनुमति नहीं है।
    'माथेरान हिल स्टेशन" में यात्रा के लिए टट्टू या घोड़ों का उपयोग किया जाता है। शायद 'माथेरान हिल स्टेशन" एशिया का पहला हिल स्टेशन है, जहां वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित है। 'माथेरान हिल स्टेशन" क्षेत्र में प्रवेश करते ही एहसास होता है कि जैसे प्रकृति की गोद में आ गये हों। माउंट बेरी एवं शारलॉट लेक सहित असंख्य आकर्षण हैं। घाटियों-वादियों के बीच छुकछुक चलती रेलगाड़ी पर्यटकों-दर्शकों को वाकई अभिभूूत कर देती है।
    'माथेरान हिल स्टेशन" के प्रमुख आकर्षणों में माउंट बेरी, शारलॉट लेक, लुईस स्पॉट, इको प्वाइंट, हनीमून प्वाइंट, रामबाग, लिटिल चौक प्वाइंट, वन ट्री हिल प्वाइंट, ओलंपिया रेसकोर्स, लार्डस प्वाइंट, सेसिल प्वाइंट, पनोरमा प्वाइंट आदि इत्यादि हैं। 'माथेरान हिल स्टेशन" से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का विहंगम दृश्य अवलोकित होता है।
    इस सुन्दर दृश्य को देखने के लिए पर्यटकों-दर्शकों का हुजूम उमड़ता है। 'माथेरान हिल स्टेशन" का सौन्दर्य शास्त्र देख कर केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसे संवेदनशील क्षेत्र घोषित कर दिया है। शुद्ध जलवायु के आधार पर 'माथेरान हिल स्टेशन" को एक स्वास्थ्य आरोग्यधाम कहा जा सकता है।
   माउंट बेरी: माउंट बेरी 'माथेरान हिल स्टेशन" के शीर्ष स्थानों में से एक है। माथेरान रेलवे स्टेशन से माउंट बेरी करीब चार किलोमीटर की दूरी पर है। माउंट बेरी से घाटियों एवं गांवों का सुन्दर नजारा दिलों को छू जाता है। माउंट बेरी नेरल शहर, माथेरान की पर्वत श्रंखला-शीर्ष चोटियां, घाटियां एवं चिड़ियों के लिए प्रसिद्ध है।
   शारलॉट लेक: शारलॉट लेक इलाके का प्रमुख जल रुाोत है। झील के आसपास सुन्दर वृक्षों की श्रंखला अदि लुभावनी प्रतीत होती है। इसके एक किनारा पर बांध स्थित है। इसके एक अन्य किनारा पर पिसारनाथ मंदिर स्थित है। झील की जलधारा का अठखेलियां करना सौन्दर्य में चार चांद लगा देता है।
   पैनोरमा प्वाइंट: पैनोरमा प्वाइंट चट्टानों से आच्छादित क्षेत्र है। पर्वतीय चट्टानों का सौन्दर्य देखते ही बनता है। यह स्थान बेहद रोमांटिक माना जाता है। इस स्थान से पीब का किला, चंदेरी, महेश महल, नवरा दमदार चोटियां आसानी से देखी जा सकती हैं। इसकी पृष्ठभूमि में शानदार किला आसानी से देखा जा सकता है। सूरज की लुकाछिपी भी यहां देखने को मिलती है।
    मंकी प्वाइंट: मंकी प्वाइंट 'माथेरान हिल स्टेशन" खास है। कारण इस स्थान पर हमेशा बंदरों का समूह दिखेगा। यह एक दर्शनीय स्थल है। मकर अंग चट्टान पर स्थित यह स्थान भी अति सुन्दर है। 'माथेरान हिल स्टेशन" की झरना श्रंखला भी इस स्थान से सुन्दर दिखती है।
  'माथेरान हिल स्टेशन" एरिया यातायात के सभी आवश्यक संसाधनों से जुड़ा है। इस हिल स्टेशन निकटतम हवाई अड्ड़ा मुम्बई स्थित छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन नेरल है। मुम्बई से 'माथेरान हिल स्टेशन" की दूरी करीब 108 किलोमीटर है। इसके साथ ही सड़क मार्ग से भी यात्रा की जा सकती है।
18.990073,73.270987

Friday, 9 March 2018

अगस्त्यकुडम : प्रकृति का सौन्दर्यबोध

   केरल का 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" प्रकृति की गोद में रचा-बसा सौन्दर्यबोध का एक शानदार प्रतिमान है। पर्वत श्रंखला का यह हिल स्टेशन श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के साथ ही प्रफुल्लता को भी समेटे है। 

  सैर-सपाटा करना हो... मौज-मस्ती करनी हो या फिर कामकाज की थकान से सुकून महसूस करना हो तो 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" में कुछ दिन... कुछ पल अवश्य ठहरें। इस हिल स्टेशन में सर्दियों में कोहरा की चादर चहंुओर दिखने के मजे ही कुछ आैर हैं। बाग-बगीचे, वनस्पतियों की पौध श्रंखला व वन्यजीवों की हलचल एक सुखद एहसास कराती है।
  'अगस्त्यकुडम" को एक हिल स्टेशन के साथ ही एक श्रेष्ठतम पक्षी अभ्यारण के तौर पर भी जाना पहचाना जाता है। 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" केरल की शीर्ष दूसरी पर्वत चोटी है। 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" को खास तौर से शिखर ऋषि अगस्त्य के नाम से जाना जाता है। 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" को स्वर्गाश्रम की संज्ञा भी दी जाती है।
   'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" तिरुवनंतपुरम क्षेत्र में स्थित है। सुबह होते ही पक्षियों का कलरव कानों में शहद सा घोलने लगता है। पक्षियों की देशी-विदेशी प्रजातियां दर्शकों-पर्यटकों को मुग्ध कर देती हैं। ऋषि अगस्त्य के नाम से स्थल होने के कारण 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" को एक लोकप्रिय तीर्थ के तौर पर भी देखा जाता है। पुराणों में सात ऋषियों अर्थात सप्तर्षि की मान्यता है। अगस्त्य ऋषि भी इनमें से एक थे। हिल स्टेशन के शीर्ष पर ऋषि अगस्त्य की पूर्ण आकार की प्रतिमा विद्यमान है।
   यह क्षेत्र अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिजर्व के तहत माना जाता है। इस क्षेत्र को यूनेस्को ने मार्च 2016 में बायोस्फीयर रिजर्व के विश्व नेटवर्क में शामिल किया है। विशेषज्ञों की मानें तो 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" में आैषधीय  वनस्पतियों का अपार भण्डारण है। दुलर्भ जड़ी बूटियों का क्षेत्र भी माना जाता है। 
  'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" क्षेत्र में लाईसेंस, ऑर्किड, काई व फर्न सहित दो हजार से अधिक प्रजातियां यहां उपलब्ध हैं। शायद यही कारण है कि 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" की आबोहवा में आैषधीय गुण-तत्व महसूस होते हैं।यहां यूरोपीय देशों की दुलर्भ वनस्पतियां भी आसानी से उपलब्ध हैं।  लिहाजा पर्यटन के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से भी 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" का सैर-सपाटा हितकारी है।
  'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" की निकटता नेयरार बांध से भी है। साथ ही बोनाकोड़ से भी जा सकते हैं। 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" पर जाने के लिए करीब भूतल से करीब डेढ़ घंटा का सफर तय करना होता है। 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" में एहसास होता है कि जैसे बादलों की गोद में आ गये हों। 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए ट्रैकिंग भी कर सकते हैं लेकिन इसके लिए स्थानीय स्तर पर अनुमति आवश्यक है। 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" क्षेत्र में कलक्कड मुंडथुराई टाइगर रिजर्व भी है।
   मंजोलई पहाड़ी : मंजोलई पहाड़ी भी 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" क्षेत्र का एक विशेष आकर्षण है। एक हजार से डेढ़ हजार मीटर ऊंचाई के बीच वाला मंजोलई पहाड़ी तिरुनेलवेली जिला के तहत आती है। कलक्कड़ मंुडथुराई टाइगर रिजर्व इसी के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। मनिमोथार बांध एवं मनिमोथार जलधारा के शीर्ष वाले इलाके में खूबसूरत चाय बागानों की एक लम्बी श्रंखला है। कोडाययार बांध व कुशीरवेटी विशेष आकर्षण है। 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" क्षेत्र के चाय बागान एवं मंजलोई एस्टेट्स देश दुनिया में अपनी एक अलग खास पहचान रखते हैं।
   'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए निकटतम हवाई अड्डा त्रिवेन्द्रम इण्टरनेशनल एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" की दूरी करीब सत्तर किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन थिरुवनन्तपुरम सेन्ट्रल है। यहां से 'अगस्त्यकुडम हिल स्टेशन" की दूरी करीब साठ किलोमीटर है।
8.616307.77.246048

अल्मोड़ा हिल स्टेशन: हिमालय का आभूषण

    उत्तराखण्ड के 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" को धरती का श्रंगार कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। वस्तुत: देखा जाये तो 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" हिमालय का कुमकुम है।

   समुद्र तल से करीब 1682 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन देश-विदेश के पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहता है। कारण 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" में प्रकृति के सौन्दर्य का वास्तविक बोध होता है।
    'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" की घाटियों में एक जीवंतता एवं प्रेरक प्रेरणा की अनुभूति होती है। अल्मोड़ा हिल स्टेशन एरिया में बर्फबारी का भरपूर आनन्द मिलता है। हिल स्टेशन एहसास दिलाता है कि जैसे बादलों के संग अठखेलियां कर रहे हों। साथ ही एक रसीला परिवेश का आनन्द मिलता है।
    उत्तराखण्ड का 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" 16 वीं शताब्दी की अवधि में विकसित किया गया था। प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ मंदिर श्रंखला से अनुगूंजित घंटियों की कर्णप्रिय स्वर लहरियां एवं भजनों का अनुगूंजन मनभावन प्रतीत होता है। मखमली घास से आच्छादित 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" की घाटियां-वादियां लुभावनी हैं। फूलों की सुगन्ध मन मस्तिष्क को तरोताजा कर देती है।
    'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" को पर्यटन का जादू कहें तो शायद को अतिश्योक्ति न होगी। लालित्य-माधुर्य एवं सौन्दर्य के आकर्षण में पर्यटक 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" खींचे चले आते हैं। अल्मोडा अपनी खास संस्कृति, वन्यजीवन एवं खानपान के अंदाज के लिए विश्व प्रसिद्ध है। 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" खास तौर से पाइन एवं देवदार के सुन्दर वृक्ष श्रंखला से घिरा हुआ है। अल्मोड़ा का विकास कुमाऊंनी बाशिंदों ने किया। 
   खास यह कि अल्मोड़ा को मंदिरों के शहर के तौर पर ख्याति हासिल है। 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" एवं अल्मोड़ा शहर का धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं ऐतिहासिक महत्व है। 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" के नीचे कोशी एवं सुवाल नदियां कल-कल प्रवाहमान हैं। 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" में चौतरफा मखमली घास के गलीचे या कालीन के आवरण दिखते हैं।
    'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" खास तौर से पर्यटकों, प्रकृति प्रेमियों, पर्वतारोहियों एवं पदारोहियों का सर्वाधिक पसंदीदा क्षेत्र है। 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" एवं उसके आसपास आकर्षक स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें जागेश्वर मंदिर समूह, कासार देवी का मंदिर, कैटर्मल रवि मंदिर, मंदिर बिंसर महादेव, हिरण पार्क, कलिमुत, बिंसर शून्य प्वाइंट, बिंसार वन्यजीव अभ्यारण, चिताई गोलू देवता मंदिर, गोविन्द बल्लभ पंत संग्रहालय, ब्रााइट एण्ड कॉर्नर, कौसानी, कुमाऊं रेजीमेंटल सेंटर संग्रहालय आदि इत्यादि हैं।
    जागेश्वर मंदिर समूह: जागेश्वर मंदिर समूह अल्मोड़ा शहर की एक ऐतिहासिक विरासत है। शहर में चन्द्रकालीन किले एवं मंदिर श्रंखला है। ब्रिटिशकालीन चर्च, पिकनिक स्पॉट, मंदिर आदि बहुत कुछ दर्शनीय है।
   कासार देवी मंदिर: कासार देवी मंदिर समुद्र तल से करीब 2100 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर हाईकर्स के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय है। कारण इस देव स्थल से आसपास का प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा दिग्दर्शित होती है। पाइन एवं देवदार के सुन्दर वृक्षों से घिरा यह क्षेत्र अद्भुत सुन्दर प्रतीत होता है। विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का कलरव कर्णप्रिय लगता है।
    कैटर्मल रवि मंदिर: कैटर्मल रवि मंदिर अल्मोड़ा से करीब 16 किलोमीटर दूर है। कैटर्मल रवि मंदिर सूर्यदेव को समर्पित दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है। विशेषज्ञों की मानें तो इस दिव्य-भव्य मंदिर का निर्माण कैटीरी किंग्स ने कराया था। मंदिर का अनूठा वास्तुशिल्प एवं नक्कासी पर्यटकों-दर्शको मुग्ध कर देती है। यह देव स्थल लघु तीर्थस्थलों से घिरा हुआ है।
    मंदिर बिंसर महादेव: मंदिर बिंसर महादेव गंगा तट पर स्थित है। इस स्थान को शिव का स्थान माना जाता है। यह स्थान अल्मोड़ा से करीब 19 किलोमीटर दूर है। अन्य महत्वपूर्ण मंदिरों में नंददेवी मंदिर, गर्ननाथ मंदिर, बैजनाथ मंदिर, कोसी मंदिर, चित्रा मंदिर, कटारमल सन मंदिर, झूला देवी मंदिर, कालीमुत आदि शामिल हैं।
    हिरण पार्क: हिरण पार्क अल्मोड़ा से तीन किलोमीटर दूर स्थित है। शांत एवं अति नरम स्थान हिरण पार्क वन्यजीवों की धमाचौकड़ी एवं अठखेलियों से गुलजार रहता है।
   ब्राइट एण्ड कार्नर: ब्रााइट एण्ड कार्नर सूर्योदय एवं सूर्यास्त देखने का आदर्श स्थान है। इस स्थान से सूर्यास्त एवं सूर्योदय के भव्य-दिव्य दर्शन होते हैं। शक्तिशाली हिमालय के मध्य सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अद्भुत दृश्य यहां अवलोकित होता है। इसका नाम ब्रााइटन के नाम पर है।
    कालीमुत: कालीमुत वस्तुत एक विहंगम पिकनिक स्पॉट है। 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" से करीब तीन किलोमीटर दूर यह स्थान पाइन एवं देवदार के शानदार वृक्ष श्रंखला से घिरा है। कभी यह स्थान हीरा खदान के तौर पर जाना जाता था। यह एक ग्रेनाइट पहाड़ी है। यह इलाका सुरम्य एवं शांत स्थान के तौर पर जाना जाता है।     
   चिताई गोलू देवता मंदिर: चिताई गोलू मंदिर उत्तराखण्ड का एक प्रमुख मंदिर है। इस देव स्थान को न्याय के देव स्थान के तौर पर मान्यता है। मान्यता है कि इस स्थान पर की गई मनौती निश्चित तौर पर पूर्ण होती है। मनौती के लिए घंटियां समर्पित की जाती हैं।
  गोविन्द बल्लभ पंत संग्रहालय: गोविन्द बल्लभ पंत संग्रहालय अल्मोड़ा के माल रोड पर स्थित है। संग्रहालय में प्राचीनकाल की वस्तुओं का संग्रह हैं। उत्तराखण्ड की संस्कृति, सभ्यता, इतिहास आदि की व्यापक जानकारी यहां उपलब्ध है।
   बिंसार वन्यजीव अभ्यारण: बिंसार वन्यजीव अभ्यारण अल्मोड़ा से करीब 24 किलोमीटर दूर है। यह स्थान कभी राजाओं की राजधानी के तौर पर था। वर्ष 1988 में इसे वन आरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। वन्यजीव अभ्यारण की समुद्र तल से ऊंचाई करीब दो हजार पांच सौ मीटर है। इसका उच्चतम प्वाइंट जीरो प्वाइंट है। अभ्यारण में दो सौ से अधिक पक्षियों एवं वन्य जीवों की प्रजातियां उपलब्ध हैं।
  कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय: कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय अल्मोड़ा के माल रोड पर स्थित है। संग्रहालय 1970 में स्थापित किया गया था। संग्रहालय में विश्व युद्ध द्वितीय एवं चीन के साथ युद्ध 1962 के बचे यौद्धिक खजाने एवं हथियारों का संग्रह है।
     'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध है। पंतनगर निकटतम हवाई अड्डा है। काठगोदाम 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" से नैनीताल 67 किलोमीटर, काठगोदाम 90 किलोमीटर,  पिथौरागढ़ 109 किलोमीटर एवं दिल्ली 379 किलोमीटर है। 'अल्मोड़ा हिल स्टेशन" के लिए हल्द्वानी, काठगोदाम एवं नैनीताल से नियमित बस सेवायें उपलब्ध रहती हैं।
29.612486,79.651827

Thursday, 8 March 2018

लोनावाला हिल स्टेशन : बादलों का एहसास

     लोनावाला हिल स्टेशन निश्चय ही बादलों की निकटता का एहसास कराएगा। महाराष्ट्र में मुम्बई एवं पुणे के मध्य स्थित 'लोनावाला हिल स्टेशन" प्राकृतिक सौन्दर्य का एक एहसास है। मानों जैसे स्वर्ग ही धरती पर उतर आया हो। 

  समुद्र तल से करीब दो हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित 'लोनावाला हिल स्टेशन" अपनी आगोश में प्राकृतिक सौन्दर्य का खजाना समेटे है। 'लोनावाला हिल स्टेशन" ऐतिहासिक धरोहरों से आच्छादित है तो वहीं प्राचीन गुफाओं एवं सुन्दर झीलों की श्रंखला रखता है।
    'लोनावाला हिल स्टेशन" में एहसास होता है कि जैसे बादलों संग चहलकदमी कर रहे हों। मानसून के मौसम में 'लोनावाला हिल स्टेशन" में लुफ्त का अंदाज ही कुछ आैर रहता है। 'लोनावाला हिल स्टेशन" को रोमांच एवं रोमांस के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्थान माना जाता है। गर्म हवा के गुब्बारे में सवारी का आनन्द उठाना हो या फिर पैराग्लाइडिंग के मजे लेने हों तो 'लोनावाला हिल स्टेशन" सबसे बेहतरीन स्थान है। सहयाद्री पर्वत श्रंखला का हिस्सा 'लोनावाला हिल स्टेशन" ट्रैकिंग एवं पर्वतारोहण के लिए भी बेहतरीन है। 
    विशेषज्ञों की मानें तो लोनवाला का शाब्दिक अर्थ लेन एवं अवली से मिल कर बना है। लेन का आशय पत्थरों को काट कर आश्रय स्थल बनाना एवं अवली का आशय श्रंखला से है। लोनावाला कभी यदुवंशियों के प्रभाव वाला क्षेत्र था लेकिन मुगल शासकों ने लोनावाला के सामरिक महत्व को ध्यान में रख कर विकास को रफ्तार दी। मराठा एवं पेशवा साम्राज्य का इतिहास भी समृद्धशाली रहा।
      'लोनावाला हिल स्टेशन" एवं खंडाला पर्वत की खोज तत्कालीन बाम्बे प्रेसीडेंसी गर्वनर लॉर्ड एल्फिंस्टन ने 1871 में की थी। 'लोनावाला हिल स्टेशन" क्षेत्र में प्राकृतिक सौन्दर्य से आच्छादित आकर्षणों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें लोनावाला झील, कार्ला गुफा, लोहागढ़, नागफनी, भुसीबांध, लोनावाला झील, रायवुड पार्क, शेर का प्वाइंट, कैवल्य धाम, भोरघाट, कुन फॉल्स एवं विसापुर किला आदि इत्यादि हैं।
    लोनावाला झील: लोनावाला झील वस्तुत: शहर के बाहरी इलाका में स्थित एक अति सुरम्य क्षेत्र है। इनरायनी नदी के किनारे स्थित लोनावाला झील सुन्दरता एवं शांत प्रकृति का एहसास कराती है। झील में मानसून की अवधि में आनन्द का खास अनुभूति होती है। पर्यटक वोटिंग के साथ साथ पक्षियों के कलरव का भी आनन्द लेते हैं।
    भुसीबांध: भुसीबांध 'लोनावाला हिल स्टेशन" से कुछ ही दूरी पर स्थित है। बांध क्षेत्र पर्यटकों के साथ ही स्थानीय बाशिंदों के लिए भी एक शानदार पिकनिक स्पॉट है। यहां एक प्राकृतिक विशाल वाटर पार्क है। भुसीबांध का दृश्यावलोकन बेहद मनमोहक होता है। चट्टानों से जल का कल-कल बहना बेहद रोमांचक होता है।       
    कार्ला की गुफाएं: कार्ला की गुफाएं 'लोनावाला हिल स्टेशन" की विशिष्टता का एक आयाम है। 'लोनावाला हिल स्टेशन" के निकट करली में प्राचीन बौद्ध गुफाओं का परिसर है। यह बौद्ध अनुयायियों का एक तीर्थस्थल भी है। इस परिसर में आठ बौद्ध गुफाएं हैं।
    लोहागढ़ किला: लोहागढ़ किला 'लोनावाला हिल स्टेशन" के निकट एक पुरातात्विक धरोहर है। इसे आयरन किला भी कहा जाता है। यह एक स्मारकीय पहाड़ी है। लोहागढ़ किला भी सहयाद्री पर्वत श्रंखला पर स्थित है। यह क्षेत्र पावना एवं इन्द्राणी घाटियों को विभाजित करता है। यह किला समुद्र तल से करीब एक हजार पचास मीटर ऊंचाई पर स्थित है। विशेषज्ञों की मानें तो इस किला का उपयोग छत्रपति शिवाजी ने बहुतायत में किया था। विदर्भ एवं मराठा राजवंश का इतिहास भी यहां महत्वपूर्ण है।
     विसापुर किला: विसापुर किला को सबहगढ़ भी कहा जाता है। पहाड़ के पाश्र्व हिस्सा में स्थित यह किला का ऐतिहासिक महत्व है। इसके निकट दो गुफाएं भी हैं। किला परिसर में एक विहंगम जलाशय भी है।
    'लोनावाला हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। 'लोनावाला हिल स्टेशन" मुम्बई से 90 किलोमीटर दूर हैं। निकटतम हवाई अड्डा पुणे में है। 'लोनावाला हिल स्टेशन" क्षेत्र रेलवे मार्ग से भी जुड़ा है। हवाई अड्डा पुणे से 'लोनावाला हिल स्टेशन" की दूरी 36 मील है। मुम्बई-पुणे हाईवे पर 'लोनावाला हिल स्टेशन" स्थित होने के कारण सड़क मार्ग का भी उपयोग किया जा सकता है।
18.769203,73.376764

Wednesday, 7 March 2018

माउंंट आबू हिल स्टेशन: अनुपम सौन्दर्य

   माउंट आबू हिल स्टेशन को प्राकृतिक सौन्दर्य का एक नायाब सितारा कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" में ऐसा प्रतीत होता है कि धरती पर साक्षात स्वर्ग उतर आया हो।

  राजस्थान के रेगिस्तान इलाका स्थित 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" की आगोश में मौसम का भरपूर आनन्द मिलता है। समुद्र तल से करीब एक हजार दो सौ बीस मीटर ऊंचाई पर स्थित 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" अरावली पर्वत श्रंखला का हिस्सा है।
    अरावली पर्वत श्रंखला के पर्वत आबू को अब 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" के नाम से ख्याति है। इसे अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर माना जाता है। जैन धर्म के तीर्थस्थलों से इलाका लबरेज है। आबू पर्वत बनास नदी के निकट स्थित है।
    'माउंंट आबू हिल स्टेशन" एवं उसके आसपास ऐतिहासिक स्मारकों, धार्मिक स्थलों, मंदिरों एवं कलाभवनों की एक लम्बी श्रंखला है। 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" में शिल्प-चित्र एवं स्थापत्य कलाओं का अनुपम संगम पर्यटकों को आकर्षित करता है।
    'माउंंट आबू हिल स्टेशन" में संगमरमर को दो भव्य-दिव्य जैन मंदिर हैं। 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" राजस्थान के सिरोही जिला के तहत आता है। 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" एरिया कभी चौहान साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को राजपूताना मुख्यालय बना दिया था। 
   ब्रिटिश शासन के दौरान 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" हुक्मरानों का पसंदीदा स्थान था। कारण प्राकृतिक सौन्दर्य से इलाका परिपूरित था। विकास ने सौन्दर्य के विभिन्न आयामों को आैर भी अधिक सुन्दर बनाया। 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" सुन्दर झीलों, हरी-भरी वादियां, ताजगी देने वाली घाटियां, वन्य जीवों की अठखेलियों-धमाचौकड़ी वाला वन्य जीव अभ्यारण आदि खास हैं।
   'माउंंट आबू हिल स्टेशन" खास तौर से प्राचीनकाल में साधु-संतों का तपस्थली एवं आश्रयस्थली रहा। कहावत है कि इस पर्वत का नाम हिमालय के पुत्र आरबुआदा के नाम है। 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" सूर्योदय एवं सूर्यास्त का दिग्दर्शन अद्भुत एवं अद्वितीय होता है। खास तौर से दिलवाड़ा मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। यह शानदार मंदिर जैन धर्म के तीर्थकंरों को समर्पित है।
    दिलवाड़ा के मंदिर एवं मूर्तियां भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट अंकन हैं। यहां की स्थापत्य कला पर्यटकों को मोहित कर लेती है। मंदिरों की इस श्रंखला से करीब आठ किलोमीटर दूर अचलगढ़ किला है। 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" के मुख्य आकर्षणों में नक्की झील, गोमुख मंदिर, मांउट आबू वन्य जीव अभ्यारण आदि इत्यादि हैं।
   नक्की झील: नक्की झील पर्यटकों के लिए प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। नक्की झील में पर्यटक नौकायन का लुफ्त उठा सकते हैं। झील के बीच में एक सुन्दर टापू है। पैडल वोट के जरिये पर्यटक टापू की यात्रा करते हैं। नक्की झील के आसपास हरी-भरी वादियां, खजूर के वृक्ष आदि मोहक लगते हैं।
ओम शांति भवन: ओम शांति भवन एशिया का पांचवां अद्भुत हाल है। इसमें दो से तीन हजार व्यक्ति आसानी से बैठ सकते हैं।
   दिलवाड़ा मंदिर: दिलवाड़ा मंदिर अपनी कलात्मकता, सभ्यता एवं संस्कृति के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मंदिर की बारीक नक्काशी देखने लायक है। यहां की कलात्मकता सौन्दर्यबोध कराती है।
   सनसेट प्वाइंट: सनसेट प्वाइंट से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का दिलकश नजारा पर्यटक यहां से ले सकते हैं। इस दिलकश नजारा को देखने के लिए पर्यटकों की भारी भीड़ जुटती है। ह
   हनीमून प्वाइंट: हनीमून प्वाइंट नवविवाहित जोड़ों के लिए खास है। इस स्थान पर दो चट्टानें हैं। यह चट्टानें किसी जोड़े की भांति प्रेम प्रदर्शित करते प्रतीत होती हैं।
  गुरु शिखर: गुरु शिखर अरावली पर्वत श्रंखला की शीर्ष चोटी है। यहां भगवान शिव का दर्शनीय मंदिर है।
   अचलगढ़: अचलगढ़ 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" का एक ऐतिहासिक स्थल है। अचलगढ़ किला के अंदर शिव अचलेश्वर महादेव का सुन्दर मंदिर है। यहीं मानसिंह का समाधि स्थल भी है। बताते हैं कि यहां शिव के पैर के अंगूठे के निशान हैं। जिनका पूजा अर्चना की जाती है।
  'माउंंट आबू हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। वायु मार्ग से यात्रा करने के लिए पर्यटक उदयपुर हवाई अड्डा से उड़ान भर सकते हैं। उदयपुर 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" का निकटतम हवाई अड्डा है। उदयपुर से 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" की दूरी करीब 185 किलोमीटर है।
   गुजरात का हवाई अड्डा अहमदाबाद दो सौ बीस किलोमीटर दूर है। पर्यटक रेल मार्ग से भी 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" की यात्रा कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन अबू रोड शहर है। यहां से 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" 15 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से भी पर्यटक आसानी ने 'माउंंट आबू हिल स्टेशन" की यात्रा कर सकते हैं।
24.592591,72.715627

Tuesday, 6 March 2018

दार्जिलिंग हिल स्टेशन: सुखद एहसास

    दार्जिलिंग हिल स्टेशन खास तौर से चाय बागानों की श्रंखला के लिए देश-दुनिया में खास ख्याति रखता है। इसे उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ हिल स्टेशन का खिताब हासिल है। इतना ही नहीं 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" को विश्व धरोहर का दर्जा भी हासिल है।

   'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" को भारत की चाय सम्पदा का गढ़ अर्थात केन्द्र माना जाता है। समुद्र तक से करीब पौने सात हजार फुट के शिखर विद्यमान 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" अपनी खूबसूरती के लिए वैश्विक स्तर पर जाना-पहचाना जाता है। 
  विश्व के शीर्ष-श्रेष्ठ चाय बागान भी इसी हिल एरिया में हैं। मन-तन एवं आंखों को एक सुखानुभूति प्रदान करने वाला 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" खूबियों से भरा है। हिम शिखर को सामान्यत: आत्म उत्थान का स्थान माना जाता है।
    टॉय ट्रेन की सवारी, मठ-मंदिरों में दर्शन-पूजन, ऐतिहासिक स्थानों का सैर-सपाटा एवं पार्कों में सुखद एहसास 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" के विशिष्ट आयाम हैं। हिमालय के कंचनजंगा शिखर के अद्भुत दृश्य मन-तन को प्रफुल्लित कर देते हैं।
    'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" के प्रमुख आकर्षण में देखें तो शांति पगोड़ा, जुलाजिकल पार्क, टाइगर हिल, बटासिया लूप, भूटिया बस्ती मठ, पद्मजा नायडू हिमालयी जुलाजिकल पार्क एवं दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन आदि इत्यादि हैं। भारत के पश्चिम बंगाल का हिस्सा है। 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" का मुख्यालय दार्जिलिंग है। 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" शिवालिक पर्वत श्रंखला में स्थित है। इस हिल स्टेशन को लघु हिमालय कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी।
    विशेषज्ञों की मानें तो 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" एरिया में चाय की खेती वर्ष 1800 में प्रारम्भ हुयी थी। दार्जिलिंग में ब्रिाटिश शैली के विद्यालय आज भी विद्यमान हैं। 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" एरिया की खोज एक ब्रिाटिश सैनिक टुकड़ी ने की थी। दार्जिलिंग शहर करीब 3150 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह शहर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। चौतरफा चाय बागान आैर चाय की भीनी-भीनी खूशबू दिल-ओ-दिमाग को एक ताजगी से भर देती है।
    हरी भरी वादियां देखते ही बनती हैं। 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" को खुशबू का एक शानदार एहसास कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" के चौतरफा सौन्दर्य की निराली छटा विद्यमान है। सौन्दर्य की इस निराली छटा में पर्यटक खो जाते हैं।
   सक्या मठ: सक्या मठ 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" के दायरे में है लेकिन शहर से करीब आठ किलोमीटर दूर है। गौरतलब है कि सक्या सम्प्रदाय के मठ बहुत ही कम हैं। इस सम्प्रदाय का यह ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण मठ है। इस मठ की स्थापना 1915 ईसवी के आसपास की गयी थी। इस मठ में एक भव्य दिव्य प्रार्थना कक्ष है। इसमें एक साथ साठ से अधिक भिक्षु प्रार्थना कर सकते हैं। इस मठ की बनावट तिब्बतियन शैली में है।
    माकडोंग मठ: माकडोंग मठ चौरसता से करी तीन किलोमीटर दूर आलूबरी गांव में स्थित है। यह मठ बौद्ध धर्म के योलमोवा सम्प्रदाय से ताल्लुक रखता है। इस मठ की स्थापना संगे लामा ने की थी। इस सम्प्रदाय की सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक पहचान का यह मठ केन्द्र है।
   जापानी मंदिर: जापानी मंदिर की स्थापना फूजी गुरु ने की थी। स्थापना का उद्देश्य विश्व शांति का था। मंदिर का निर्माण 1972 में प्रारम्भ होकर 1992 में पूर्ण हुआ। इस मंदिर से दार्जिलिंग एवं कंचनजंगा का अति सुन्दर नजारा दिखता है।
   टाइगर हिल: टाइगर हिल का मुख्य आनन्द चढ़ाई चढ़ने का है। इसी के निकट कंचनजंगा पर्वत की चोटी है। इसे विश्व की सबसे ऊंची चोटी का दर्जा हासिल है। खास यह है कि इस चोटी से कंचनजंगा एवं एवरेस्ट की चोटियां देख सकते हैं।
   इन दोनों चोटियों की ऊंचाई में 870 फुट का अंतर है। वर्तमान में कंचनजंगा को विश्व की तीसरी सर्वश्रेष्ठ चोटी माना जाता है। कंचनजंगा को रोमांटिक माउंटेन की खिताब से भी अलंकृत किया गया है। इसका सौन्दर्य शास्त्र ही है कि कई फिल्मों का फिल्मांकन इस पर्वत श्रंखला पर किया जा चुका है।
   घूम मठ: घूम मठ टाइगर हिल के निकट ईगा चोइलिंग तिब्बतियन मठ है। यह मठ गेलुगस सम्प्रदाय से ताल्लुक रखता है। इस मठ की स्थापना मंगोलियन भिक्षु लामा शेरपा याल्तस ने की थी। इसे धार्मिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए जाना जाता है।इस मठ में गौतम बुद्ध की 15 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा बेशकीमती पत्थर की है लेकिन स्वर्ण आवरण से विभूषित है। लिहाजा प्रतिमा बेहद आकर्षक है। इस मठ में बहुमूल्यवान ग्रंथों की श्रंखला है। इनमें कालीदास की मेघदूत भी शामिल है।
    भूटिया मठ: भूटिया मठ दार्जिलिंग का सबसे पुराना मठ माना जाता है। इसका निर्माण लामा दोरजे रिंगजे ने कराया था। यह मठ तिब्बतियन एवं नेपाली शैली में बना है।
पद्मजा नायडू हिमालयन जैविक उद्यान: पद्मजा नायडू हिमालयन जैविक उद्यान बर्फीले तेंदुआ एवं लाल पाण्डा के प्रजनन केन्द्र के तौर पर खास ख्याति रखता है। इस उद्यान में साइबेरियन बाघ एवं तिब्बतियन भेडिया भी देखे जा सकते है।
   लियोर्डस वानस्पतिक उद्यान: लियोर्डस वानस्पतिक उद्यान भी 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" एरिया की शान है। इस उद्यान में सैकड़ो बहुमूल्यवान वनस्पतियां उपलब्ध हैं।
   नेचुरल हिस्ट्री म्युजियम: नेचुरल हिस्ट्री म्युजियम की स्थापना 1903 में की गयी थी। म्युजियम में चिड़ियों, सरीसृप, जंतुओं एवं कीट-पतंगों की विभिन्न किस्म संरक्षित हैं।
   दार्जिलिंग हिमालयन रेलमार्ग: दार्जिलिंग हिमालयन रेलमार्ग 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" क्षेत्र का खास आकर्षण है। करीब 70 किलोमीटर लम्बा यह रेलमार्ग इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। यह रेल खण्ड समुद्र तल से करीब 7546 फुट ऊंचाई पर है। इस रेल खण्ड का सबसे सुन्दर हिस्सा बताशिया लूप है। रेल के सफर में प्राकृतिक नजारों का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है।
    'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए रेल, हवाई एवं सड़क मार्ग को इच्छानुसार अपनाया जा सकता है। 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" का निकटतम हवाई अड्डा बागदोगरा (सिलीगुड़ी) है। बागदोगरा से 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" की दूरी करीब 90 किलोमीटर है।
     'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जलपाइगुड़ी है। 'दार्जिलिंग हिल स्टेशन" सिलीगुड़ी से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
27.036007,88.262675

Monday, 5 March 2018

ऊटी हिल स्टेशन: सौन्दर्य का खजाना

   दक्षिण भारत का सौन्दर्य किसी एवं कहीं से कम नहीं। दक्षिण भारत का तमिलनाडु की धरती अपने आगोश में सौन्दर्य का अप्रतिम खजाना छिपाये हैं। 

  तमिलनाडु का 'ऊटी हिल स्टेशन" देश-दुनिया में अपनी एक अलग एवं खास पहचान रखता है। 'ऊटी हिल स्टेशन" को नीलगिरी पर्वत श्रंखला का गहना भी कहा जाता है। 'ऊटी हिल स्टेशन" में एक करिश्माई अहसास होता है।
   वास्तुशिल्प सौन्दर्य की बात हो या हिमस्खलन का लुफ्त हो या फिर वॉटर फॉल्स के अद्भुत नजारे हों। 'ऊटी हिल स्टेशन" में एक अलग ही दुनिया का अहसास होता है। ब्रिाटिश शासन ने तमिलनाडु की ग्रीष्मकालीन राजधानी ऊटी को ही बनाया था। 'ऊटी हिल स्टेशन" को उटकमंडलम के नाम से भी जाना जाता है।
     'ऊटी हिल स्टेशन" क्षेत्र के मुख्य आकर्षण में हिमस्खलन, घाटी का सौन्दर्य, डॉल्फिन की नाक, मेम्बर्स रॉक, रोज गार्डेन, कलहट्टी वॉटर फॉल्स, नीलगिरी माऊण्टेन, बोटैनिकल गार्डेन, एमेरल्ड लेक, घनी वनस्पतियां, चाय के बागान, नीलगिरी के वृक्ष, पर्वत श्रंखला आदि इत्यादि हैं। खूबसूरत एवं रोमांटिक स्थल 'ऊटी हिल स्टेशन" कुदरत का नायाब नमूना है। दूर-दूर फैली हसीन वादियां, हिम आच्छादित पर्वत श्रंखला एवं आकर्षण वृक्ष श्रंखला निश्चय मोहित करने के लिए पर्याप्त हैं। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि 'ऊटी हिल स्टेशन" इन्द्रधनुषी सौन्दर्य का एक विशिष्ट आयाम है।
     'ऊटी हिल स्टेशन" मुख्यत: कर्नाटक एवं तमिलनाडु का सीमावर्ती शहर है। 'ऊटी हिल स्टेशन" समुद्र तल से करीब 7500 फुट ऊंचाई पर है। 'ऊटी हिल स्टेशन" की 'खिलौना ट्रेन" बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के आकर्षण का केन्द्र है। नीलगिरी पर्वत श्रंखला क्षेत्र कभी चेर साम्राज्य का हिस्सा था। ब्रिाटिश शासन के दौरान पड़ोसी जिला के तत्कालीन गवर्नर जॉन सुलिवान को ऊटी की आबोहवा बेहद पसंद थी लिहाजा उन्होंने इलाका की अधिसंख्य भूमि खरीद डाली। इसके बाद इस पर्वतीय क्षेत्र का विकास तेजी से हुआ। बाद में इस क्षेत्र को तमिलनाडु की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया गया। 
    'ऊटी हिल स्टेशन" के उद्यान, मंदिर, सूर्योदय, सूर्यास्त बेहद मनभावन हैं। सर्दियों के साथ साथ 'ऊटी हिल स्टेशन" का मौसम हमेशा सुहाना रहता है। हालांकि सर्दियों में 'ऊटी हिल स्टेशन" का तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। 'ऊटी हिल स्टेशन" के निकट ही कुन्नूर एवं कोटागिरी शहर भी हैं। यह शहर 'ऊटी हिल स्टेशन" से कुछ ही दूरी पर है लिहाजा कुछ ही घंटों में इन शहरों की भी यात्रा की जा सकती है। कुन्नूर एवं कोटागिरी शहरों का तापमान भी 'ऊटी हिल स्टेशन" जैसा ही रहता है।
    वनस्पति उद्यान: वनस्पति उद्यान की स्थापना 1847 में की गयी थी।करीब 22 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस उद्यान की देखभाल स्थानीय उद्यान विभाग करता है। वनस्पति उद्यान में एक पेड़ का जीवाश्म सुरक्षित रखा गया है। विशेषज्ञों की मानें तो यह जीवाश्म दो करोड़ वर्ष पुराना है। इस उद्यान में पेड़-पौधों की 650 से अधिक प्रजातियां हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि एवं पर्यावरण प्रेमियों के बीच यह वनस्पति उद्यान बेहद लोकप्रिय है। उद्यान में फूलों की एक लम्बी श्रंखला है। ग्रीष्मकाल में फूलोत्सव मनाया जाता है।
    ऊटी झील: ऊटी झील का निर्माण 1825 में कराया गया था। करीब ढ़ाई किलोमीटर लम्बी इस झील में पर्यटक वोटिंग भी कर सकते हैं। ऊटी झील किसी सितारे से कम नहीं है। झील के आसपास घुड़सवारी का आनन्द भी लिया जा सकता है। इसी के निकट केटी वैली है। केटी वैली पिकनिक स्पाट के तौर पर मशहूर है।
    डोडाबेट्टा चोटी: डोडाबेटटा चोटी समुद्र तल से करीब 2623 मीटर ऊंची है। 'ऊटी हिल स्टेशन" क्षेत्र का यह सबसे ऊंचा पर्वत शिखर माना जाता है। यह पर्वत 'ऊटी हिल स्टेशन" से करीब दस किलोमीटर दूरी पर स्थित है लिहाजा पर्यटक आसानी से डोडाबेट्टा चोटी की यात्रा कर सकते हैं। यहां से 'ऊटी हिल स्टेशन" एवं घाटी का विहंगम दृश्य दिखता है।
   मदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण: मदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण 'ऊटी हिल स्टेशन" से करीब 65 किलोमीटर दूर है। अभ्यारण में दुर्लभ वनस्पतियों के साथ साथ वन्य जीवन की दुर्लभ प्रजातियां भी पायी जाती हैं। लुप्त प्राय: जीव-जन्तु भी पाये जाते हैं। हाथी, सांभर, चीतल, हिरन आदि आसानी से देखे जा सकते हैं। अभ्यारण का थेप्पाक्कडु हाथी कैम्प बेहद आकर्षक है।
    कोटागिरी : कोटागिरी पर्वत 'ऊटी हिल स्टेशन" से करीब तीस किलोमीटर दूर है। नीलगिरी के तीन हिल स्टेशनों में इसे सबसे पुराना माना जाता है। कोटागिरी ऊटी एवं कुन्नूर की भांति ही सुरम्य है। मौसम भी बेहद सुहाना रहता है। इस इलाके में चाय के बागान खूबसूरती में इन्द्रधनुषी रंग भरते हैं।
    कलहट्टी वॉटर फॉल्स : कलहट्टी वॉटर फॉल्स सौ फुट ऊंचा झरना है। यह स्थान 'ऊटी हिल स्टेशन" से मात्र 13 किलोमीटर दूर है। झरना के आसपास वाले इलाके में वन्य जीवों की अनेक प्रजातियां देखी जा सकती हैं।
  'ऊटी हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए हवाई, सड़क मार्ग एवं रेलवे संसाधन उपलब्ध है। निकटतम हवाई अड्डा कोयम्बटूर है। ऊटी में उदगमंडलम रेलवे स्टेशन है। हालांकि मुख्य जंक्शन कोयम्बटूर है।
11.406414.76.693244

Sunday, 4 March 2018

बैकवाटर्स : जल पर्यटन का आनन्द

    केरल के 'बैकवाटर्स" को भारत के पर्यटन का ह्मदय स्थल कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, जलक्रीड़ा या जलयात्रा का लुफ्त लेना हो तो 'बैकवाटर्स" से बेहतर कहीं कुछ नहीं।

   केरल सामान्यत: प्राकृतिक सौन्दर्य एवं प्राकृतिक धरोहर-सम्पदाओं से परिपूरित है। 'बैकवाटर्स" एक ऐसी ही प्राकृतिक सम्पदा है। 'बैकवाटर्स" को अनूप झीलें भी कहा जाता है।
  दक्षिण भारत के इस पर्यटन क्षेत्र में सैर-सपाटा, मौज मस्ती के साथ ही खानपान का भी आनन्द लिया जा सकता है। 'बैकवाटर्स" अरब सागर के समानान्तर करीब तीन दर्जन नदियों का संगम क्षेत्र है। केरल की उत्तर-दक्षिण लम्बाई का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन क्षेत्र के तौर पर प्राकृतिक रूप से विकसित एवं संरचित है। वाटर दूर का असली आनन्द पर्यटकों को 'बैकवाटर्स" में ही मिलता है क्योंकि नदियों की जलयात्रा का सिलसिला कभी खत्म होते नहीं दिखता।
     'बैकवाटर्स" क्षेत्र में नहरों, झीलों, नदियों एवं समुद्री दायरा असीमित दिखता है। करीब नौ सौ किलोमीटर लम्बा जलमार्ग जलयात्रा का क्षेत्र एक रोमांचक अनुभव देता है। केरल की इन अनूप झीलों की यह एक अनूठी परिस्थितिक संरचना है। इस जलक्षेत्र के किनारे शहर भी हैं आैर विकसित गांव भी हैं। नदियों एवं झीलों के किनारे कतारवद्ध नारियल के वृक्ष बेहद मनोहारी लगते हैं। जलमार्ग में अठखेलियां करती नाव एवं स्टीमर्स एक अलग ही एहसास कराते हैं।
    खास यह कि माल वहन एवं पर्यटन समान तौर पर चलता रहता है। भारत का राष्ट्रीय जलमार्ग कोल्लम से कोट्टापुरम भी इसी 'बैकवाटर्स" क्षेत्र में है। अष्टमुडी झील पर्यटकों की खास पसंदीदा है। करीब दो सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाली अष्टमुडी कोल्लम के निकट से प्रवाहित होती है। पर्यटक चाहें नौकायन करें या फिर स्टीमर से फर्राटा भरें।
    इसके आसपास नहरों का एक सघन एवं विस्तृत संजाल दिखता है। 'बैकवाटर्स" क्षेत्र में प्रवाहित नदियां भी अद्भुत एवं विलक्षण हैं। इस क्षेत्र में प्रवाहित कोई भी नदी लघु या छोटी नहीं। मसलन वालपट्टनम नदी की लम्बाई एक सौ दस किलोमीटर है। इसी प्रकार चलियार नदी सत्तर किलोमीटर, कदलुंदिपुड़ा नदी दो सौ दस किलोमीटर, चालाकुड़ी नदी एक सौ तीस किलोमीटर, पेरियर नदी दो सौ पैंतालिस किलोमीटर, पम्बा नदी पौने दो सौ किलोमीटर, अचनकोइल नदी सवा सौ किलोमीटर, कल्लदायार नदी एक सौ बीस किलोमीटर लम्बी हैं।
   इनके अलावा भी छोटी नदियों-नहरों की भी एक लम्बी श्रंखला है। खास यह है कि नदियों का मीठा जल सागर में गिर कर खारा हो जाता है लेकिन सागर का खारा जल नदियों में न मिलने पाये। इसके लिए पर्याप्त इंतजाम भी है। इसके लिए कोल्लम में नीन्दाकारा पर एक बांध है। इस विशाल जलक्षेत्र में जलीय जीव जन्तुओं की विभिन्न प्रजातियां पल्लवित होती हैं।
   इनमें केकड़े, मेढ़क, मछलियां, पंकलंघी आदि प्रचुर तादाद में पाये जाते हैं। जलीय पक्षी मसलन टर्न, किंगफिशर, डार्टर व जलकॉक भी हैं। उदबिलाव व कछुआ भी जलक्रीड़ा करते दिख जायेंगे। जलमार्ग के किनारे ताड़, केतकी सहित असंख्य सौन्दर्ययुक्त वृक्ष हैं।
     पर्यावरणीय सौन्दर्य पर्यटकों का खास पसंदीदा क्षेत्र है। कोलाहल मचाता समुद्र, शांत भूमि, हाथ में नारियल, नारियल के स्वादिष्ट जल का स्वाद एक सुखद आनन्द की अनुभूति कराता है। यह सबकुछ केरल के 'बैकवाटर्स" क्षेत्र में ही पर्यटकों को सुलभ है।
     'बैकवाटर्स" क्षेत्र के चाय बागान, मसाला बागान, हिल स्टेशन-पहाड़ी स्टेशन, वन्य जीव-अभ्यारण पर्यटकों के आनन्द को दोगुना कर देते हैं। आशय यह कि प्रकृति के हर अंदाज का लुफ्त पर्यटक 'बैकवाटर्स" में उठा सकते हैं। मसलन पहाड़ों व बादलों की लुकाछिपी का खेल भी मनोरम होता है। इस 'बैकवाटर्स" में हाउस बोट भी तैरते मिल जायेंेगे। 'बैकवाटर्स" के इन हाउस वोट्स में पर्यटक रात्रि विश्राम भी कर सकते हैं।
9.525964,76.357904

शिमला हिल स्टेशन: पहाड़ों की रानी

     शिमला को पहाडों की रानी कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। शिमला को हिल्स की रानी भी कहा जा सकता है क्योंकि शिमला का सौन्दर्य वाकई लाजवाब है।

  हिमाचल प्रदेश स्थित शिमला देश के शीर्ष हिल स्टेशन में एक है। 'शिमला हिल स्टेशन" भारत के लोकप्रिय पहाड़ी रिसाटर्स में चुनिंदा है। ब्रिाटिश शासन से अब तक 'शिमला हिल स्टेशन" ने हिल स्टेशन की विशिष्टता बरकरार रखी।
  'शिमला हिल स्टेशन" समुद्र तल से करीब सवा सात हजार फुट शीर्ष पर स्थित है। 'शिमला हिल स्टेशन" का मुख्य आकर्षण शिमला की घुमावदार लम्बी सड़कें हैं। ब्रिटिश शासन भले ही देश से खत्म हो गया हो लेकिन 'शिमला हिल स्टेशन" एकबारगी ब्रिाटिशकाल का स्मरण करा देता है क्योंकि शिमला हिल स्टेशन" का विशिष्ट विक्टोरियन वास्तुकला खास तौर से आकर्षित करता है।
    'शिमला हिल स्टेशन" खास तौर नायाब काटेज के लिए प्रसिद्ध है। शिमला हिल स्टेशन" का माल रोड शॉपिंग सेंटर्स एवं मनोरंजन क्रियाकलाप के लिए विशेष तौर से जाना जाता है। अरकी फोर्ट, गयटी हेरिटेज सांस्कृतिक परिसर, स्कैंडल्स प्वाइंट, वाइसराजल लॉज, जाखु मंदिर, क्राइस्ट चर्च आदि इत्यादि विशेष हैं। शिमला हिल स्टेशन" हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा शहर एवं राज्य की राजधानी है। 
   ब्रिटिश शासन ने वर्ष 1864 में 'शिमला हिल स्टेशन" को हिमाचल प्रदेश की समर राजधानी घोषित किया था। खास यह भी है कि 'शिमला हिल स्टेशन" शहर देश के अन्य प्रांतों की राजधानियों में सबसे कम आबादी वाली राजधानी है। 'शिमला हिल स्टेशन" में श्यामला देवी का दिव्य-भव्य मंदिर है। पूर्व में शिमला को श्यामला देवी के नाम से ही जाना जाता था। श्यामला देवी भगवती काली का स्वरुप हैं।
   'शिमला हिल स्टेशन" क्षेत्र में बघल, बघाट, बलसान, बशहर, भज्जी, बीजा, दरकोटी, धामी, जुब्बल, केओनथल, कुनिहार, कुठार, महलोंग, मंगल, नालागढ़, सांगरी एवं थरोच आदि इत्यादि इलाके आते हैं। 'शिमला हिल स्टेशन" में टुडोरबेथेन एवं नव गोथिक वास्तुशिल्प के कई मंदिर एवं चर्च हैं। वास्तुकला का यह सौन्दर्य पर्यटकों-दर्शकों को खास तौर से आकर्षित करता है।
    'शिमला हिल स्टेशन" के मुख्य आकर्षणों में वायसराय आवास, जाखू मंदिर, क्राइस्ट चर्च तथा रिज आदि हैं। विशेषताओं के कारण ही यूनेस्को 'शिमला हिल स्टेशन" को विश्व विरासत की सूची में शामिल कर चुका है। यूं कहें कि 'शिमला हिल स्टेशन" को यूनेस्को विश्व विरासत घोषित कर चुका है। 'शिमला हिल स्टेशन" को पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनाने एवं लोकप्रिय बनाने के लिए ब्रिाटिश शासन ने कालका-शिमला रेलवे लाइन का भी निर्माण कराया था।
     करीब दस वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला 'शिमला हिल स्टेशन" विभिन्न सात पहाड़ों से घिरा है। इन पहाड़ों का नाम इनवेर्रम हिल, ऑबजरवेट्री हिल, प्रॉस्पेक्ट हिल, समर हिल, बनटोनी हिल, एलिसियम हिल तथा जाखू हिल है। इनमें जाखूू पहाड़ी सबसे ऊंची पहाड़ी है। जाखू पहाड़ी समुद्र तल से करीब आठ हजार फुट शीर्ष पर है। अर्धचन्द्राकार 'शिमला हिल स्टेशन" खूबसूरत वादियों के लिए भी जाना जाता है।
    घाटी के अतिसुन्दर दृश्य यहां से दिखायी देते हैं। हिमालय की पर्वत श्रंखलाओं एवं चोटियों से घिरा 'शिमला हिल स्टेशन" में चौतरफा एक विशिष्ट शीतलता का एहसास होता है। 'शिमला हिल स्टेशन" में बर्फबारी का भी भरपूर आनन्द मिलता है। यह विशिष्टताएें 'शिमला हिल स्टेशन" को उत्तर भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाते है। न्यू गोथिक वास्तुकला का अंदाज देखते ही बनता है।
   काली बाड़ी मंदिर : काली बाड़ी मंदिर की मान्यता है कि श्रद्धालुओं की इच्छाएं अधूरी नहीं रहतीं। इसी मंदिर को श्यामला देवी का मंदिर कहा जाता है।
   जाखू पहाड़ी: जाखू पहाड़ी सामान्यत: शिमला से करीब दो किलोमीटर दूर है। 'शिमला हिल स्टेशन" की शीर्ष पर्वत श्रंखला में गिना जाना वाला जाखू पर्वत से शहर का सुन्दर नजारा दिखता है। बर्फ से ढ़का शहर का अनुपम नजारा निश्चय ही मुग्ध करता है। इस पर्वत पर हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर भी है।
हिमाचल संग्रहालय: हिमाचल संग्रहालय में प्रदेश की प्राचीन एवं ऐतिहासिकता के साथ साथ वास्तुकला व पेंटिंग्स भी देखी जा सकती हैं।
     कामना देवी का मंदिर: कामना देवी मंदिर एक अन्य पर्वत पर विद्यमान है। शिमला-बिलासपुर मार्ग पर स्थित बालुगंज में यह क्षेत्र आता है। इस पर्वत से भी 'शिमला हिल स्टेशन" का विहंगम दृश्य अवलोकित होता है।
चैडविक वाटरफॉल: चैडविक वाटरफॉल घने जंगलों से घिरा स्थान है। 'शिमला हिल स्टेशन" के समर हिल चौक से इस वाटरफॉल तक जाने का रास्ता है। तारादेवी का मंदिर, संकट मोचन मंदिर, जुटोध, क्राइस्ट चर्च, महोबरा, छराबड़ा, चायल, संजौली आदि विशिष्ट हैं।
    चायल का निर्माण ब्रिाटिशकाल के दौरान पटियाला के महाराजा ने समर रिट्रीट के तौर पर कराया गया था। यह स्थान क्रिकेट मैदान के तौर पर प्रसिद्ध है। यह विश्व का सबसे ऊंचा क्रिकेट मैदान है।
      'शिमला हिल स्टेशन" की यात्रा के लिए आवागमन के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। 'शिमला हिल स्टेशन" को राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 22 चंड़ीगढ़ से जोड़ता है। हवाई जहाज से 'शिमला हिल स्टेशन" पहंुचने के लिए शिमला एयरपोर्ट है। शिमला एयरपोर्ट जुब्बरहट्टी में स्थित है। यह हवाई पट्टी शहर से करीब 23 किलोमीटर दूर है। निकटतम एयरपोर्ट चण्डीगढ़ भी है। चण्डीगढ़ एवं 'शिमला हिल स्टेशन" की दूरी करीब एक सौ पन्द्रह किलोमीटर है।
31.104814,77.173403

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...