कुल्लू हिल स्टेशन: रोमांच का आनन्द
कुल्लू हिल स्टेशन को श्रेष्ठतम एवं सुन्दरतम पर्यटन क्षेत्र कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। कुल्लू हिल स्टेशन मौज-मस्ती के साथ धर्म-आस्था एवं विश्वास का भी केन्द्र है।
समुद्र तल से करीब 2950 मीटर ऊंचाई पर स्थित कुल्लू हिल स्टेशन पर्यटकों के खास एवं चुनिंदा पर्यटन क्षेत्रों में है। कुल्लू में चौतरफा हिम शिखर, बादलों की आवाजाही, मखमली घास के हरे-भरे लॉन, रुई के फाहों सी बर्फबारी, सुगंधित हवाओं के शीतल झोंके, मंदिरों से अनुगंूजित घंटा-घड़ियालों की टंकार किसी के भी मन को आकर्षित करती है।
कुल्लू हिल स्टेशन में चौतरफा रोमांच का अनुभव होता है। कुल्लू हिल स्टेशन को वस्तुत: देवताओं की घाटी के रूप में जाना-पहचाना जाता है। इसका बड़ा कारण है कि कुल्लू में चौतरफा मंदिर एवं धर्म-आस्था के केन्द्र विद्यमान हैं।
भौतिक दृष्टि से देखें तो कुल्लू एवं मनाली दो पहाड़ी हिल स्टेशन हैं। फिर भी कुल्लू एवं मनाली दोनों का अपना एक अलग अस्तित्व है। कुल्लू हिल स्टेशन अधिकांश समय मंदिरों एवं त्योहारों से सजा धजा रहता है। लिहाजा कुल्लू हिल स्टेशन की अपनी एक अलग ही सुन्दरता दिखती है। हिमालय की भव्यता-दिव्यता का स्पष्ट अवलोकन यहां होता है।
कुल्लू वस्तुत: हिमाचल प्रदेश का एक सुन्दर शहर है। इसे कुलंथपीठ भी कहा जाता है। विज नदी के किनारे बसा कुल्लू खास तौर से दशहरा के लिए विश्व प्रसिद्ध है। खास यह है कि 17 वीं शताब्दी का रघुनाथ जी का मंदिर भी यहां स्थित है। रघुनाथ जी का मंदिर हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थ भी है।
कुल्लू हिल स्टेशन को सिल्वर वैली की ख्याति भी हासिल है। कुल्लू के सेब बागान मन को खास तौर से लुभाते हैं। यहां के हस्तशिल्प का भी कोई जोड़ नहीं है। कुल्लू हिल स्टेशन के खास आकर्षण में देखें तो रघुनाथ जी मंदिर, बिजली महादेव मंदिर, नग्गर, जगतसुख, देव टिब्बा, बंजार, मणीकरन, रुमसू एवं वन्य जीव अभ्यारण आदि बहुत कुछ है।
रघुनाथ जी मंदिर: रघुनाथ जी मंदिर का निर्माण 17 वीं शताब्दी में राजा जगत सिंह ने कराया था। यहां रघुनाथ जी रथ पर विराजमान हैं। विशेषज्ञों की मानें तो रघुनाथ जी की प्रतिमा अयोध्या से मंगवाई गयी थी। इस मंदिर की शोभा वाकई दर्शनीय है।
बिजली महादेव मंदिर: बिजली महादेव मंदिर कुल्लू से करीब 14 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है। बिजली महादेव मंदिर का मुख्य आकर्षण 100 मीटर लम्बी ध्वजा छड़ी है। इसे देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे ध्वजा छड़ी सूरज को भेदने का प्रयास कर रही हो।
रघुनाथ जी मंदिर: रघुनाथ जी मंदिर का निर्माण 17 वीं शताब्दी में राजा जगत सिंह ने कराया था। यहां रघुनाथ जी रथ पर विराजमान हैं। विशेषज्ञों की मानें तो रघुनाथ जी की प्रतिमा अयोध्या से मंगवाई गयी थी। इस मंदिर की शोभा वाकई दर्शनीय है।
बिजली महादेव मंदिर: बिजली महादेव मंदिर कुल्लू से करीब 14 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है। बिजली महादेव मंदिर का मुख्य आकर्षण 100 मीटर लम्बी ध्वजा छड़ी है। इसे देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे ध्वजा छड़ी सूरज को भेदने का प्रयास कर रही हो।
खास यह कि साल में एक बार अवश्य ऐसा होता है कि कड़कती बिजली ध्वजा पर गिरती है। कभी कभी मंदिर के अंदर शिवलिंग पर भी बिजली गिरती है। जिससे शिवलिंग खंडित हो जाता है। खंड़ित शिवलिंग को मक्खन से जोड़ा जाता है। जिससे शिवलिंग पुन: सामान्य हो जाता है। इस स्थान से कुल्लू एवं घाटी का सुन्दर दृश्य दिखता है।
वॉटर एण्ड एडवेंचर स्पोटर्स: कुल्लू हिल स्टेशन में मछली पकड़ने का आनन्द कई स्थानों पर उठाया जा सकता है। खास तौर से पिरड़ी, रायसन, कसोल नागर, जिया आदि स्थान हैं। व्यास नदी में रॉफ्टिंग का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है।
जगतसुख: जगतसुख कुल्लू की प्राचीन राजधानी है। विज नदी के बायीं ओर जगतसुख स्थित है। यहां दो प्राचीन मंदिर हैं। यह मंदिर गौरी शंकर महादेव एवं संध्या देवी के मंदिर हैं।
नग्गर: नग्गर खास तौर से एक सुन्दर शहर है।यह स्थान 1400 वर्षों तक कुल्लू की राजधानी रहा। पत्थर एवं लकड़ी के आलीशान महल दर्शनीय हैं। हालांकि इनमें से अधिसंख्य अब होटल या रिसार्ट में तब्दील हो चुके हैं। यहां रुसी चित्रकार निकोलस रोएरिक की चित्र दीर्घा भी है। नग्गर में विष्णु, त्रिपुर सुन्दरी एवं भगवान श्री कृष्ण के प्राचीन मंदिर भी हैं।
देव टिब्बा: देव टिब्बा समुद्र तल से करीब 2953 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान को इन्द्रालिका भी कहा जाता है। कहावत है कि महर्षि वशिष्ठ ने अर्जुन को पशुपति अस्त्र पाने के लिए इस स्थान पर तप करने करने का परामर्श दिया था। अर्जुन ने अस्त्र पाने के लिए इस स्थान पर तप किया था।
बंजार: बंजार ऋंग ऋषि का प्रसिद्ध मंदिर है। ऋषि की याद में इस स्थान पर प्रति वर्ष भव्य उत्सव मनाया जाता है। इस स्थान से करीब 19 किलोमीटर दूर सियोल्सर झील है। यहां गर्मियों में भी बर्फ की चादर दिखती है।
मणिकरन: मणिकरन कुल्लू हिल स्टेशन से करीब 43 किलोमीटर दूर है। मणिकरन वस्तुत: वॉटर फॉल्स है। इस वॉटर फॉल्स का पानी गर्म होता है। इस जल को रोग निवारक भी माना जाता है। मणिकरन हिन्दुओं एवं सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां गुरुद्वारा, श्रीराम एवं शिव जी का प्राचीन मंदिर है।
वॉटर एण्ड एडवेंचर स्पोटर्स: कुल्लू हिल स्टेशन में मछली पकड़ने का आनन्द कई स्थानों पर उठाया जा सकता है। खास तौर से पिरड़ी, रायसन, कसोल नागर, जिया आदि स्थान हैं। व्यास नदी में रॉफ्टिंग का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है।
जगतसुख: जगतसुख कुल्लू की प्राचीन राजधानी है। विज नदी के बायीं ओर जगतसुख स्थित है। यहां दो प्राचीन मंदिर हैं। यह मंदिर गौरी शंकर महादेव एवं संध्या देवी के मंदिर हैं।
नग्गर: नग्गर खास तौर से एक सुन्दर शहर है।यह स्थान 1400 वर्षों तक कुल्लू की राजधानी रहा। पत्थर एवं लकड़ी के आलीशान महल दर्शनीय हैं। हालांकि इनमें से अधिसंख्य अब होटल या रिसार्ट में तब्दील हो चुके हैं। यहां रुसी चित्रकार निकोलस रोएरिक की चित्र दीर्घा भी है। नग्गर में विष्णु, त्रिपुर सुन्दरी एवं भगवान श्री कृष्ण के प्राचीन मंदिर भी हैं।
देव टिब्बा: देव टिब्बा समुद्र तल से करीब 2953 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान को इन्द्रालिका भी कहा जाता है। कहावत है कि महर्षि वशिष्ठ ने अर्जुन को पशुपति अस्त्र पाने के लिए इस स्थान पर तप करने करने का परामर्श दिया था। अर्जुन ने अस्त्र पाने के लिए इस स्थान पर तप किया था।
बंजार: बंजार ऋंग ऋषि का प्रसिद्ध मंदिर है। ऋषि की याद में इस स्थान पर प्रति वर्ष भव्य उत्सव मनाया जाता है। इस स्थान से करीब 19 किलोमीटर दूर सियोल्सर झील है। यहां गर्मियों में भी बर्फ की चादर दिखती है।
मणिकरन: मणिकरन कुल्लू हिल स्टेशन से करीब 43 किलोमीटर दूर है। मणिकरन वस्तुत: वॉटर फॉल्स है। इस वॉटर फॉल्स का पानी गर्म होता है। इस जल को रोग निवारक भी माना जाता है। मणिकरन हिन्दुओं एवं सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां गुरुद्वारा, श्रीराम एवं शिव जी का प्राचीन मंदिर है।
कुल्लू हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट भुुंतर में है। भुंतर कुल्लू से करीब 10 किलोमीटर दूर है। चंडीगढ़ एयरपोर्ट का भी यात्रा के लिए उपयोग कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन चंडीगढ़ एवं पठानकोट है। सड़क मार्ग से भी कुल्लू की यात्रा की जा सकती है।
31.957851,77.109460
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