कलिम्पोंग हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास
कलिम्पोंग हिल स्टेशन को प्राकृतिक सौन्दर्य का श्रेष्ठतम आयाम कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। भारत के प्रांत पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिला का यह सुन्दर हिल स्टेशन भारत सहित दुनिया में ख्याति रखता है।
वस्तुत: कलिम्पोंग वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। खास यह कि कलिम्पोंग हिल स्टेशन मठों एवं चर्चों की सुन्दरता से आच्छादित है।
वास्तुकला का जीवंत आयाम कलिम्पोंग हिल स्टेशन फूलों एवं पौधों के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है। यहां की विशेषता सुन्दर आर्किड एवं नर्सरी हैं।
हालांकि कलिम्पोंग एक अति व्यस्त शहर है। दार्जिलिंग एवं गंगटोक की यात्रा का मुख्य मार्ग कलिम्पोंग से होकर गुजरता है।
खास यह कि कलिम्पोंग हिल स्टेशन शांत एवं शीतल माहौल प्रदान करता है। पर्यटक यहां आनन्द की सुखानुभूति कर सकते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो कलिम्पोंग हिल स्टेशन पूर्वोत्तर हिमालय के पीछे स्थित है। चौतरफा पर्वत श्रंखलाएं एवं मखमली घास के मैदान एवं ढ़लान का आच्छादन दिलों को लुभाता है।
कलिम्पोंग हिल स्टेशन के चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा दिखती है।
कंचनजंगा पर्वत श्रंखला एवं तिस्ता नदी एवं घाटी का सुन्दर दृश्य पर्यटकों को मुग्ध कर लेता है। कलिम्पोंग हिल स्टेशन एवं आसपास शानदार एवं सुन्दर स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है।
खास तौर से गोंपा रोम्प, रेशम उत्पादन अनुसंधान केन्द्र, रोपवे, लावा आदि इत्यादि बहुत कुछ है।
रोमांचक खेलों के लिए पर्यटकों को कलिम्पोंग हिल स्टेशन एवं आसपास के स्थलों का भ्रमण करना चाहिए। यहां पर्यटक तिस्ता नदी में रॉफ्टिंग का शौक पूरा कर सकते हैं।
यहां खेलों का भरपूर आनन्द लेने के लिए नवम्बर से फरवरी के मध्य यात्रा करनी चाहिए। इसके अलावा हाइकिंग खेलों का आनन्द भी पर्यटक यहां ले सकते हैं।
गोंपा रोम्प: गोंपा रोम्प एक विशिष्ठ मठ है। यह कलिम्पोंग हिल स्टेशन इलाके का सबसे पुराना मठ है। गोंपा रोम्प को भूटानी मठ भी कहते हैं।
गोंपा रोम्प: गोंपा रोम्प एक विशिष्ठ मठ है। यह कलिम्पोंग हिल स्टेशन इलाके का सबसे पुराना मठ है। गोंपा रोम्प को भूटानी मठ भी कहते हैं।
वास्तुशिल्प की इस विलक्षण कृति का निर्माण 1692 में हुई थी। यह विलक्षण मठ दूरपीन दारा चोटी पर स्थित है।
बौद्ध धर्म के अनुयायियों में इसे अति पवित्र माना जाता है। इस मठ में बौद्धो का प्रसिद्ध ग्रंथ कंग्यूर रखा है।
विशेषज्ञों की मानें तो 108 भाग वाले इस ग्रंथ को दलाई लामा तिब्बत से लाये थे। मठ के प्रार्थना कक्ष में सुन्दर चित्रांकन है।
यह अति दर्शनीय है। यह मठ तिब्बतियन बौद्ध धर्म के जेलुपा सम्प्रदाय से ताल्लुक रखता है।
विरासत: कलिम्पोंग हिल स्टेशन प्राचीन विरासत से अति समृद्ध है। कलिम्पोंग की मुख्य विरासत में मोरगन हाउस, क्राकरी, गलिंका, साइदिंग एवं रिंगकिंग फार्म आदि इत्यादि हैं।
संत टेरेसा चर्च भी शानदार संरचना है। इस चर्च को प्रसिद्ध गोंपा मठ की अनुकृति कहा जाता है।
रेशम उत्पादन अनुसंधान केन्द्र: रेशम उत्पादन अनुसंधान केन्द्र वस्तुत कलिम्पोंग हिल स्टेशन का फूल उत्पादन केन्द्र है। खास यह कि देश का 80 प्रतिशत ग्लैडीओली उत्पादन यहां होता है।
इसके अलावा आर्किड, कैकटी, अमारिलिस, एंथूरियम तथा गुलाब के फूल के लिए भी प्रसिद्ध है। रेशम उत्पादन का यह अनुसंधान केन्द्र देश विदेश में खास ख्याति रखता है।
रोपवे: रोपवे वस्तुत: बेहद रोमांचक है। इस पर सफर करना बेहद रोमांचक होता है। यहां प्रसिद्ध आर्मी गोल्फ क्लब है।
रोपवे को कलिम्पोंग हिल स्टेशन की शान माना जाता है। इसकी विशिष्टिता दर्शनीय है। तिस्ता नदी पर प्रसिद्ध शांको रोपवे यहां का मुख्य आकर्षण है।
खास यह कि इस शानदार रोपवे का निर्माण स्वीडन सरकार की सहायता से किया गया था। यह रोपवे 120 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
रोपवे तिस्ता नदी से रीली नदी के बीच बना हुआ है। रोपवे की कुल लम्बाई 11.50 किलोमीटर है। इस रोपवे से समथर पठार का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि समथर पठार कलिम्पोंग हिल स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
लावा: लावा वस्तुत: एक शानदार सुरम्य स्थान है। कलिम्पोंग हिल स्टेशन से करीब 34 किलोमीटर दूर लावा भूटान के पुराने व्यापारिक मार्ग पर स्थित है।
यह मुख्य शंकुधारी वन से चौतरफा घिरा क्षेत्र है। यह भूटानी शैली का एक शानदार मठ है। निकट ही न्यौरा नेशनल पार्क भी है। यहां से बर्फबारी का सुन्दर दृश्य देखा जा सकता है।
कलिम्पोंग हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट बागडोगरा एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन नई जलपाईगुड़ी जंक्शन है। पर्यटक कलिम्पोंग हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी कर सकते हैं।
27.088100,88.526300
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