दीदीहाट हिल स्टेशन: अतुलनीय सौन्दर्य
दीदीहाट हिल स्टेशन को प्रकृति का ह्मदय कहा जाना चाहिए। जी हां, दीदीहाट हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अतुलनीय है।
मनोरम घाटियों-वादियों, आैषधीय वनस्पतियों एवं वन्य जीवन से आलोकित दीदीहाट हिल स्टेशन अद्भुत है।
भारत के प्रांत उत्तराखण्ड के जिला पिथौरागढ़ का यह हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है।
समुद्र तल से करीब 1725 मीटर की ऊंचाई पर स्थित दीदीहाट हिल स्टेशन आैषधीय वनस्पतियों का खजाना है। चौतरफा मखमली घास के शानदार एवं सुन्दर मैदान एवं ढ़लान पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
खास यह कि दीदीहाट हिल स्टेशन कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक सुन्दर पड़ाव है। दीदीहाट हिल स्टेशन के चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की इन्द्रधनुषी छटा दिखती है।
पंचाचूली चोटियों से घिरा दीदीहाट हिल स्टेशन बेहद मनोरम है। बर्फ से आच्छादित पर्वत चोटियां आकर्षण का केन्द्र रहती हैं।
खास यह कि हिमालय का मनोहारी दृश्य यहां से दिखता है। दीदीहाट का शाब्दिक अर्थ छोटी पहाड़ी से है।
दीदीहाट के नीचे स्थित घाटी को हाट घाटी कहा जाता है। दीदीहाट हिल स्टेशन एवं उसके आसपास का इलाका बेहद उपजाऊ है।
लिहाजा चौतरफा एक सुन्दर परिदृश्य दिखता है। उत्तराखण्ड के कुमाऊं मण्डल का यह शानदार हिल स्टेशन प्राकृतिक विशिष्टता के लिए जाना पहचाना जाता है। दीदीहाट हिल स्टेशन के पश्चिम में डिगताड़ के निकट एक पर्वत चोटी पर सिराकोट किला है।
विशेषज्ञों की मानें तो सिराकोट सीरा के मल्ल राजाओं की राजधानी हुआ करता था। राजा हरि मल्ल के शासनकाल में यह क्षेत्र नेपाल के डोटी साम्राज्य के अधीन होता था। दीदीहाट हिल स्टेशन से सिराकोट की दूरी करीब दो किलोमीटर है।
सिराकोट किला के साथ ही मंदिरों की शानदार श्रंखला पर्यटक देख सकते हैं। इस किला के बाहरी हिस्से में राजसी आवास था। खास यह कि किला के आंतरिक क्षेत्र में शिव एवं भैरव मंदिर हैं।
इन मंदिरों की प्राचीनता अभी भी दर्शनीय है। खास यह कि पंचचूली हिमालय श्रंखला का मनोहारी दृश्य यहां से दिखता है। विशेषज्ञों की मानें तो दीदीहाट हिल स्टेशन एवं आसपास का इलाका देव आशीर्वाद से आलोकित रहता है।
प्राचीनकाल से अब तक असंख्य साधु-संतों की तप स्थली रहा दीदीहाट हिल स्टेशन को तपोभूमि भी कहा जा सकता है।
विशेषज्ञों की मानें तो दीदीहाट में पाण्डव बंधुओं ने अपने अज्ञातवास का एक लम्बा समय यहां व्यतीत किया था।
स्वर्गारोहण यात्रा से पहले पाण्डव बंधुओं ने पंचचूली हिमालय की पर्वत भूमि पर चुल्हा जलाया था। इसी स्थान को पंचचूली कहा जाता है।
खास यह कि दीदीहाट की लोक संस्कृति, कुमाऊंनी संस्कृति एवं तिब्बती संस्कृति का समिश्रित स्वरूप दीदीहाट हिल स्टेशन पर दिखता है।
खास यह कि दीदीहाट हिल स्टेशन एक मिश्रित संस्कृति का क्षेत्र है। यहां की विशिष्ट सांस्कृतिक परम्परा की शानदार झलक नृत्य एवं गीतों में देखने को मिलती है।
दीदीहाट हिल स्टेशन पर लोक उत्सव अति दर्शनीय होते हैं। दीदीहाट के सामूहिक नृत्य को चांचरी कहते हैं। इसमें नृत्य एवं गान का समिश्रण होता है।
विवाह एवं मेलों में यहां की सांस्कृतिक परम्परा विशेष तौर से दिखती है। इसे छोलिया नृत्य कहते हैं। वस्तुत: यह युद्ध कला का प्रदर्शन होता है।
खास तौर से इसमें पुरुष नृत्य करते समय एक हाथ में ढ़ाल एवं एक हाथ में तलवार लेकर भाव भंगिमाओं का प्रदर्शन करता है। आक्रमण एवं बचाव की मुद्राएं दर्शनीय होती हैं।
दीदीहाट हिल स्टेशन की रमणीकता बेहद आकर्षक है। चौतरफा वनस्पतियों की खास सुगंध दिल एवं दिमाग को विशेष ताजगी प्रदान करती हैं।
सर्दियों में बर्फ से ढ़के पहाड़ एवं आशियाने बेहद सुन्दर प्रतीत होते है। बादलों की अठखेलियां दिलों की लुभाती हैं।
दीदीहाट हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट गोविन्द बल्लभ पंत एयरपोर्ट पंतनगर है।
पंतनगर एयरपोर्ट से दीदीहाट हिल स्टेशन की दूरी करीब 229 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम एवं टनकपुर है।
काठगोदाम जंक्शन से दीदीहाट हिल स्टेशन की दूरी करीब 195 किलोमीटर है। पर्यटक दीदीहाट हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी कर सकते हैं।
29.773100,80.286200
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