नालदेहरा हिल स्टेशन: धरती का ताज
नालदेहरा हिल स्टेशन को धरती का ताज कहना चाहिए। जी हां, इस हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य बेहद दर्शनीय है।
ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर साक्षात स्वर्ग उतर आया हो। भारत के हिमाचल प्रदेश के शिमला का यह शानदार हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहता है। इस पर्यटन क्षेत्र के वैश्विक आकर्षण का केन्द्र होने का मुख्य कारण नालदेहरा का शानदार गोल्फ कोर्स है।
समुद्र तल से करीब 2044 मीटर ऊंचाई पर स्थित नालदेहरा हिल स्टेशन चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की आभा से लबरेज है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे नालदेहरा हिल स्टेशन प्रकृति की गोद हो।
नालदेहरा वस्तुत: दो शब्दों का संयोजन है। नालदेहरा वस्तुत: नाग एवं डेहरा से मिल कर बना है। इसका अर्थ होता है कि सांपों के राजा का निवास।
नालदेहरा हिल स्टेशन पर एक शानदार धार्मिक स्थान भी है। इस दिव्य-भव्य मंदिर को नाग देवता का निवास माना जाता है। इस मंदिर को महूनाग मंदिर के नाम से ख्याति हासिल है। यह मंदिर नागदेवता को समर्पित है। इलाके में इसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान के तौर पर मान्यता है।
नालदेहरा गोल्फ कोर्स पर स्थित इस दिव्य-भव्य मंदिर के प्रति इलाकाई बाशिंदों में अगाथ आस्था है। मान्यता यह भी है कि मंदिर महाभारत के वीर योद्धा कर्ण को समर्पित है।
इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1664 में राजा श्याम सेन ने कराया था। राजा कर्ण के प्रबल भक्त थे। नालदेहरा हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण नालदेहरा गोल्फ कोर्स है।
मान्यता है कि यह दुनिया के सबसे पुराने गोल्फ कोर्स में से एक है। इसकी स्थापना वर्ष 1920 में भारत के वायसराय लार्ड कर्जन ने की थी। विशेषज्ञों की मानें तो लार्ड कर्जन नालदेहरा हिल स्टेशन की प्राकृतिक सुन्दरता पर अति मंत्रमुग्ध थे।
लिहाजा कर्जन ने नालदेहरा में बेहतरीन गोल्फ कोर्स बनाने का निर्णय लिया था। इस गोल्फ कोर्स का प्रबंधन हिमाचल पर्यटन विभाग के सानिध्य में किया जाता है। इस गोल्फ कोर्स को 18 होल के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है।
इसके अलावा नालदेहरा हिल स्टेशन मेला एवं उत्सव के लिए भी खास तौर से जाना पहचाना जाता है। सिपी मेला नालदेहरा का मुख्य आकर्षण है। इस मेला का दिव्य-भव्य मेला का आयोेजन खास तौर से प्रत्येक वर्ष जून में आयोजित किया जाता है।
इसके अलावा नालदेहरा हिल स्टेशन जोतों को मेला के लिए भी बेहद लोकप्रिय है। यह मेला खास तौर पर बैलों की लड़ाई के लिए प्रसिद्ध है। इस मेला का आयोजन अक्टूबर की अवधि में होता है।
शीतलता एवं शांत जलवायु वाला नालदेहरा हिल स्टेशन आैषधीय वनस्पतियों का खास खजाना भी है। विशेषज्ञों की मानें तो नालदेहरा हिल स्टेशन में विलुप्त आैषधीय वनस्पतियां भी संरक्षित हैं। शीतल एवं शांत हवा के झोंके पर्यटकों के दिल एवं दिमाग को भरपूर ताजगी प्रदान करते हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि फेफड़े आक्सीजन से लबरेज हों। मानों फेफड़ों को पंख लग जाते हों। बादलों का रोमांच पर्यटकों को पुलकित कर देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि बादल संगी-साथी हों। बादल कभी पर्यटकों के साथ अठखेलियां करते हों तो कभी पर्यटक बादलों के साथ मौज मस्ती करते दिखते हैं।
सर्दियों में नालदेहरा हिल स्टेशन की घुमक्कड़ी का आनन्द दोगुना हो जाता है। सर्दियों में चौतरफा मैदान से लेकर घरों तक अर्थात पूरा शहर बादलों की आगोश में सिमटा नजर आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर साक्षात स्वर्ग उतर आया हो।
नालदेहरा हिल स्टेशन एवं आसपास प्राकृतिक सौन्दर्य की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है। इनमें खास तौर से चब्बा, टाट्टापानी, शैली पीक, महाकाली मंदिर, कोगी माता मंदिर आदि इत्यादि बहुत कुछ शामिल है। चब्बा वस्तुत: प्राकृतिक सौन्दर्य का एक सुन्दर आयाम है। नालदेहरा से कुछ ही दूर कोगी गांव है। इस कोगी गांव में ही कोगी माता का मंदिर स्थित है।
कोगी गांव वस्तुत: लोक संस्कृति अर्थात हिमाचली संस्कृति को बयां करने वाला सुन्दर स्थान है। पर्यटक कोगी में विलेज टूरिज्म का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। नालदेहरा हिल स्टेशन खास तौर से हिमालय की शानदार छवि को भी दर्शित कराता है।
हिमालय की घाटी की दर्शनीयता बेहद अकल्पनीय सी प्रतीत होती है। प्राकृतिक सौन्दर्य की इस निराली इन्द्रधनुषी छटा को निहारने के लिए नालदेहरा हिल स्टेशन पर पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है।
नालदेहरा हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जुबरहट्टी शिमला है। निकटतम रेलवे स्टेशन कालका जंक्शन है। कालका जंक्शन से नालदेहरा हिल स्टेशन की दूरी करीब 112 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी नालदेहरा हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
31.114890,77.140470
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