मदिकेरी हिल स्टेशन : बादलों से दोस्ती
मदिकेरी हिल स्टेशन को प्रकृति की गोद कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, खास तौर से मदिकेरी हिल स्टेशन पर बादलों की दोस्ती अत्यधिक रोमांचक होती है।
बादलों का यह रोमांच पर्यटक कभी भूल नहीं पाते। समुद्र तल से करीब 1525 मीटर ऊंचाई पर स्थित मदिकेरी हिल स्टेशन बेहद शांत एवं शीतल हिल स्टेशन है।
भारत के प्रांत कर्नाटक के जिला कोडागु स्थित यह शानदार एवं सुन्दर हिल स्टेशन अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए वैश्विक ख्याति रखता है। शायद सुरम्यता एवं प्राकृतिक सौन्दर्य की विशिष्टता के कारण ही मदिकेरी हिल स्टेशन को दक्षिण भारत का स्कॉटलैण्ड कहा जाता है।
मदिकेरी हिल स्टेशन पर बादलों की घुमक्कड़ी पर्यटकों को रोमांचित कर देती है। बादलों के आगोश में ऊंची-ऊंची पर्वत श्रंखलायें बेहद दर्शनीय प्रतीत होती हैं। आैषधीय वनस्पतियों के पेड़-पौधों की विशाल श्रंृखला मदिकेरी हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है।
चाय एवं कॉफी के बागान मदिकेरी हिल स्टेशन की शान एवं शोभा हैं। चाय एवं कॉफी की सुगंध से परिवेश हमेशा महकता रहता है। यह सुगंध पर्यटकों के दिल एवं दिमाग को एक खास ताजगी प्रदान करते हैं।
मदिकेरी हिल स्टेशन खास तौर से चाय एवं कॉफी के बागानों के लिए प्रसिद्ध है। मदिकेरी हिल स्टेशन को प्रकृति का दुर्लभ उपहार कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी।
शायद यहां का दुर्लभ प्राकृतिक सौन्दर्य ही इसे अविस्मरणीय पर्यटन बना देता है। झील-झरना एवं नदियां मदिकेरी हिल स्टेशन की शान एवं शोभा हैं। झरनों की ध्वनि किसी सुमधुर संगीत से कम नहीं। ऐसा प्रतीत होता है कि विशिष्ट प्रकार की संगीत राग रागिनी छेड़ रहा हो।
मदिकेरी हिल स्टेशन एवं आसपास पौराणिक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है। विशेषज्ञों की मानें तो लिंगायत राजाओं ने कोडागु में राज किया था। इस दौरान लिंगायत राजाओं ने मदिकेरी को राजधानी बनाया था। कारण लिंगायत राजा मदिकेरी के प्राकृतिक सौन्दर्य पर मुग्ध थे। शासन के दौरान मदिकेरी किला का निर्माण किया गया था।
मदिकेरी हिल स्टेशन एवं आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है। इनमें खास तौर से अब्बे झरना, मदिकेरी किला, राजा की सीट, भागमण्डल, नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान, ओंकारेश्वर मंदिर, झरप्पु झरना, तलकावेरी, हारंगी बांध, नाल्कनाड महल आदि इत्यादि हैं।
मदिकेरी किला: मदिकेरी किला वस्तुत मिट्टी का शानदार किला है। हालांकि बाद में शासक टीपू सुल्तान ने इसे मिट्टी से बदल कर पत्थरों का किला बनाया था। इस दिव्य-भव्य किला में लिंगायत शासकों के महल भी हैं।
अब्बे वॉटर फॉल्स : अब्बे वॉटर फॉल्स मदिकेरी हिल स्टेशन से करीब 5 किलोमीटर दूर एक शानदार एवं आदर्श पिकनिक स्पॉट है। चाय बागान के आंतरिक क्षेत्र का यह झरना इलाके की खास खूबसूरती है। मानसून में इस झरना का प्राकृतिक सौन्दर्य आैर भी अधिक निखर आता है।
राजा की सीट: राजा की सीट एक अनुपम एवं आदर्श स्थान है। इसे सनसेट प्वाइंट भी कहते हैं। इस स्थान से सूर्यास्त एवं सूर्योदय की इन्द्रधनुषी एवं निराली छटा दिखती है। यह दृश्य अति दर्शनीय होता है।
कोडागु के राजा इस स्थान पर बैठ कर सूर्योेदय एवं सूर्यास्त का इन्द्रधनुषी का रंग देखते थे। यहां से प्रकृति का सुन्दर नजारा भी दिखता है। राजा की सीट के निकट ही चोटी मरियम्मा का मंदिर है। यह एक अति प्राचीन मंदिर है।
भागमण्डल: भागमण्डल मदिकेरी हिल स्टेशन से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित है। इसे दक्षिण काशी भी कहा जाता है। भगंद महर्षि ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी।
लिहाजा इसे भागमण्डल कहा जाता है। तलकावेरी से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भागमण्डल के आसपास महाविष्णु, सुब्रामण्यम एवं गणपति मंदिर हैं।
नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान: नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान रोमांचक वन्य जीव क्षेत्र है। मदिकेरी हिल स्टेशन से करीब 93 किलोमीटर दूर स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान में हाथी, हिरन, जंगली भालू, भेड़िया आदि इत्यादि वन्य जीव हैं। करीब 284 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैले इस वन्य जीव अभयारण्य में आैषधीय वनस्पतियों की भी प्रचुरता है।
ओंकारेश्वर मंदिर: ओंकारेश्वर मंदिर वस्तुत: भगवान शिव एवं विष्णु जी को समर्पित है। कोडागू के राजा लिंगराज ने इस दिव्य भव्य मंदिर का निर्माण 1820 में कराया था।
मस्जिदाकार शैली में बना यह मंदिर खास आकर्षण रखता है। मंदिर के सामने एक विशाल जलाशय है। इस जलाशय को वास्तुशास्त्र की दृष्टि से बेहतरीन माना जाता है।
झरप्पुु झरना: झरप्पु झरना वस्तुत: एक तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है। मदिकेरी हिल स्टेशन से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित झरप्पु झरना का सम्बंध रामायण काल से माना जाता है। रामतीर्थ नदी के किनारे भगवान शिव का मंदिर भी है। महाशिव रात्रि पर यहां लाखों श्रद्धालु स्नान करतेे हैं।
तलकावेरी: तलकावेरी वस्तुत: कावेरी नदी का उद्गम स्थल है। मदिकेरी हिल स्टेशन से करीब 48 किलोमीटर दूर स्थित तलकावेरी का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। यह स्थान ब्राह्मगिरी पर्वत की ढ़लान पर स्थित है। समुद्र तल से करीब 4500 फुुुट की ऊंचाई पर स्थित तलकावेरी अति दर्शनीय एवं रोमांचक है।
हारंगी बांध: हारंगी बांध मदिकेरी हिल स्टेशन सेे करीब 36 किलोमीटर दूर स्थित है। हारंगी चाय एवं कॉफी के बागानों के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है। हारंगी बांध एक दर्शनीय एवंं सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। कावेरी नदी पर बना यह शानदार बांध 2775 फुट लम्बा एवं 174 फुट ऊंचा है।
नाल्कनाड महल: नाल्कनाड महल कोडागू की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना एक शानदार महल है। मदिकेरी हिल स्टेशन से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित इस महल का निर्माण 1792 में दोड्डा वीरराज ने कराया था। महल का वास्तुशिल्प एवं चित्रांकन अति दर्शनीय है।
तलकावेरी: तलकावेरी वस्तुत: कावेरी नदी का उद्गम स्थल है। मदिकेरी हिल स्टेशन से करीब 48 किलोमीटर दूर स्थित तलकावेरी का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। यह स्थान ब्राह्मगिरी पर्वत की ढ़लान पर स्थित है। समुद्र तल से करीब 4500 फुुुट की ऊंचाई पर स्थित तलकावेरी अति दर्शनीय एवं रोमांचक है।
हारंगी बांध: हारंगी बांध मदिकेरी हिल स्टेशन सेे करीब 36 किलोमीटर दूर स्थित है। हारंगी चाय एवं कॉफी के बागानों के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है। हारंगी बांध एक दर्शनीय एवंं सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। कावेरी नदी पर बना यह शानदार बांध 2775 फुट लम्बा एवं 174 फुट ऊंचा है।
नाल्कनाड महल: नाल्कनाड महल कोडागू की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना एक शानदार महल है। मदिकेरी हिल स्टेशन से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित इस महल का निर्माण 1792 में दोड्डा वीरराज ने कराया था। महल का वास्तुशिल्प एवं चित्रांकन अति दर्शनीय है।
मदिकेरी हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैंं। निकटतम एयरपोर्ट मंगलोर एयरपोर्ट है। मंगलोर एयरपोर्ट से मदिकेरी हिल स्टेशन की दूरी करीब 135 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कन्नूर जंक्शन है। कन्नूर रेलवे स्टेशन से मदिकेरी हिल स्टेशन की दूरी करीब 113 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी मदिकेरी हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
12.432500,75.751600
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