Wednesday, 28 February 2018

नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण : कोकिल कलरव का माधुर्य

  दक्षिण भारत का 'नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण" एक अति शानदार सुरम्य एवं मनोरम स्थल है। सैर-सपाटा-पिकनिक के लिए सर्वथा उपयुक्त क्षेत्र है। सर्दियों में यहां घूमने-फिरने के मजे ही कुछ आैर हैं।

   आंध्र प्रदेश के नेल्लौर जिले में स्थित नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण दुलर्भ पक्षियों की आश्रय स्थली है। देश दुनिया के पक्षियों की करीब दो सौ दुलर्भ प्रजातियां नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण में कूकती एवं कलरव करती मिलेंगी। 
  दक्षिण भारत का यह एक शानदार, सुरम्य, प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण एवं मनोरम क्षेत्र है। पर्यटन की दृष्टि से नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण सुखद एवं ताजगी प्रदान करने वाला है। खास तौर से वन्य जीव प्रेमियों के लिए विशेष स्थान है। 
    करीब साढ़े चार सौ हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह अभ्यारण चहंुओर सौन्दर्य से आलोकित है। नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण में वन आैषधियों की भी प्रचुरता है। यह वन आैषधियां कहीं न कहीं स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण में दो सौ से अधिक दुलर्भ प्रजातियों के पक्षियों की चहचहाट, कूकना एवं कलरव करना निश्चय ही मंत्रमुग्ध कर देता है।
     इनमें पचास से अधिक पक्षी प्रजातियां स्वदेशी अर्थात स्थानीय हैं। नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण में स्पॉट बिल पेलेकन, सफेद इबिस, ओपनबिल स्टॉर्क, नाइट बोरन आदि प्रजातियां विशेष हैं। इनके अलावा प्रवासी पक्षियों में पिंटेल, आल टील, डैबिक, शॉवेलर, कट, स्पॉट बिल, ग्रे हिरन, डेटर, ब्लैक विंगेड स्टिल्ल्ट एवं गारगानी गंदॉल आदि की हलचल हमेशा बनी रहती है।
    इनके साथ ही बेल्ड पेलिकन, चम्मच बिल, व्हाइट इब्ज, नाइट हेरोन, ओपेन बिल स्टॉर्क, पेंटेड स्टॉर्क, लिटिल कोमोरेंट, पतला लॉरी पक्षी आदि आसानी से दिख जायेंगे। हिरन सफारी भी बेहद लुभावना है। विभिन्न प्रजातियों के हिरन कुलांचे भरते दिखेंगे। नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण में झील एवं जलाशयों की एक लम्बी श्रंखला है।
      प्राकृतिक सौन्दर्य की छटा भी निराली है। नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण में पर्यटन का आनन्द लेने के लिए अक्टूबर से लेकर मार्च की अवधि ही अनुकूूल रहती है। पर्यटकों के लिए अभ्यारण रोमांचक भी है क्योंकि वन्य जीवों की सहजता एवं स्वच्छंद विचरण खास है। सर्दियों के मौसम में अभ्यारण प्रवासी पक्षियों से खास तौर से गुलजार रहता है। इस अवधि में एक सौ साठ से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण में प्रवास करते हैं।
     नेल्लोर जिला मुख्यालय से करीब पचास किलोमीटर दूर स्थित नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण देश के सर्वाधिक लोकप्रिय पक्षी अभ्यारणों में से एक है। नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण में पर्यटकों को ज्ञानवर्धक सहूलियतें एवं सुविधायें भी उपलब्ध कराता है। अभ्यारण क्षेत्र में पर्यावरण शिक्षा केन्द्र, अभ्यारण संग्रहालय, पुस्तकालय आदि बहुत कुछ है।
     वन आैषधि जानकारी, पक्षियों की प्रजातियों से लेकर खानपान एवं विशेषताओं की जानकारी उपलब्ध रहती है। नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण में सभागार भी है। आडियो-वीडियो संचालित प्रचुर जानकारी पर्यटकों को मिलती है। 
     नेलपट्टूू पक्षी अभ्यारण की यात्रा के लिए आवागमन के लिए पर्याप्त सेवायें-संसाधन उपलब्ध हैं। नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण प्रांतीय परिवहन सेवाओं से भी जुड़ा है। हवाई सफर के जरिये नेलपट्टू पक्षी अभ्यारण की यात्रा करना चाहते हैं तो निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई है। निकटतम रेलवे स्टेशन सुल्लपेट है।
13.826351,79.950048

Monday, 26 February 2018

गुलमर्ग हिल स्टेशन: बर्फबारी का रोमांच

     जम्मूू-कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जम्मू-कश्मीर का 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" विश्व के शीर्ष हिल स्टेशनों में से एक है।

   समुद्र तल से करीब 2730 मीटर ऊंचाई पर बसा 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" वैश्विक पर्यटको का सर्वश्रेष्ठ पसंदीदा हिल स्टेशन है। 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" की खूबसूरती अद्वितीय है।
    शायद यही कारण है कि भारत ने राष्ट्रमण्डल शीतकालीन खेलों के लिए वर्ष 2010 में 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" को ही चुना था। 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" फूलों के प्रदेश के तौर पर भी जाना जाता है। 
     जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिला स्थित 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" सर्दियों के लिए खास जाना जाता है क्योंकि सर्दियों में देश विदेश के पर्यटकों की भारी आवाजाही 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" में रहती है। कारण सर्दियों में 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" में बर्फबारी का कुछ खास अंदाज अलग ही दिखता है। इस बर्फबारी का आनन्द लेने के लिए पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है।
      पर्यटक 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" में स्कीइंग का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" के हरे-भरे ढ़लान किसी को भी आकर्षित करते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" की स्थापना ब्रिाटिश शासकों ने वर्ष 1927 की अवधि में की थी। गुलमर्ग का वास्तविक नाम गौरीमर्ग था। सोलहवीं शताब्दी में सुल्तान युसूफ शाह ने गौरीमर्ग का नाम बदलकर गुलमर्ग रख दिया था।
   गोल्फ कोर्स : 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" सिर्फ पहाड़ों का शहर ही नहीं है बल्कि विश्व का श्रेष्ठतम एवं बड़ा गोल्फ कोर्स भी यहां है। देश के प्रमुख स्कीइंग रिजार्ट भी 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" में हैं।  'गुलमर्ग हिल स्टेशन" का गोल्फ कोर्स विश्व के सबसे बड़े गोल्फ कोर्स का खिताब रखता है। 
    ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेज छुट्टियां बिताने 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" आते थे। गोल्फ के शौकीन अंग्रेजों के लिए अंग्रेजों ने गोल्फ कोर्स का निर्माण किया था। विशेषज्ञों की मानें तो गोल्फ कोर्स की स्थापना 1904 के आसपास की गयी। मौजूदा समय में 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" के गोल्फ कोर्स की देखरेख-रखरखाव जम्मूू-कश्मीर पर्यटन विकास प्राधिकरण करता है।
   स्कीइंग: 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" की पहचान स्कीइंग के लिए भी है। 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" के स्कीइंग रिजार्ट को वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम माना जाता है। 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" क्षेत्र में दिसम्बर से बर्फबारी प्रारम्भ हो जाती है। इसके बाद स्कीइंग के शौकीन पर्यटकों का आना शुरु हो जाता है। 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" में स्कीइंग सिखाने के लिए प्रशिक्षक भी उपलब्ध रहते हैं।इतना ही नहीं स्कीइंग के लिए सभी आवश्यक सुविधायें भी हैं।
     खिलनबर्ग : खिलनबर्ग गुलमर्ग की गोद में बसी एक अति खूबसूरत घाटी है। खास तौर से मखमली घास वाले हरे-भरे ढ़लान व फूलों की महक एवं सौन्दर्य दिलों को आकर्षित करता है। खिलनबर्ग में बर्फ की चादर ओढ़े खड़ा हिमालय बेहद सौन्दर्ययुक्त अवलोकित होता है। कश्मीर घाटी का यह अद्भुत अंदाज वैश्विक पर्यटकों को लुभाता है।
   अलपाथर झील : 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" क्षेत्र में अलपाथर झील भी है। देवदार एवं चीड़ के पेड़ों से घिरी अलपाथर झील अफरवात पहाड़ी के नीचे स्थित है। खास यह कि अलपाथर झील का पानी मई-जून की प्रचण्ड गर्मी में भी बर्फ की भांति बना रहता है।
   निंगली नल्लाह : 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" क्षेत्र में निंगली नल्लाह एक अति सुन्दर जलधारा है। यह जलधारा अफरवात से पिघली बर्फ का हिस्सा है। पानी की यह सफेद धारा घाटी में गिरती है। विभिन्न मार्गों से होते हुये यह जलधारा अन्तोगत्वा झेलम नदी में गिरती है। घाटी के साथ बहती-प्रवाहित यह जलधारा 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" का प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट है। निंगली नल्लाह गुलमर्ग से करीब आठ किलोमीटर दूर है।
    'गुलमर्ग हिल स्टेशन" पहंुचने के लिए हवाई, रेल एवं सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" के निकट करीब 56 किलोमीटर की दूरी पर श्रीनगर हवाई अड्ड़ा है। श्रीनगर हवाई अड्ड़ा से दिल्ली के नियमित उड़ाने रहती हैं। 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" का निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन से 'गुलमर्ग हिल स्टेशन" की दूरी करीब ड़ेढ़ सौ किलोमीटर है। गुलमर्ग सड़क मार्ग से भी जुड़ा है।
34.048370,74.380479

Sunday, 25 February 2018

महाबलेश्वर हिल स्टेशन : आनन्द की सुखद अनुभूति

     सैर-सपाटा या मौज मस्ती करनी हो तो महाराष्ट्र के महाबलेश्वर हिल स्टेशन अवश्य जायें। 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" दुनिया के शीर्ष हिल स्टेशनों की श्रंखला में शामिल है।

  भारत की धरती प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूरित है। प्राकृतिक सौन्दर्य की आभा 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" पर न केवल देखी जा सकती है बल्कि महसूस की जा सकती है।
   देश दुनिया के अति खूबसूरत हिल स्टेशनों में शुमार 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" पांच नदियों का संगम क्षेत्र है। इस क्षेत्र में वीना, गायत्री, सावित्री, कोयना एवं कृष्णा नदियों का प्रवाह है।
     'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" समुुद्र तल से करीब चार हजार चार सौ पचास फुट के शीर्ष पर है। करीब एक सौ पचास वर्ग किलोमीटर दायरे में फैला 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" एक ताजगी देता है। 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" क्षेत्र में महाबलेश्वर मंदिर भी है। हिल स्टेशन को इसी मंदिर के नाम से ख्याति हासिल है। महाबलेश्वर की खोज राजा सिंघन ने की थी। बाद में राजा सिंघन ने महाबलेश्वर मंदिर की स्थापना करायी थी। देश की आजादी के बाद महाबलेश्वर एक सुन्दर हिल स्टेशन के तौर पर उभरा।
    'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" की घाटियां, पर्वत श्रंखला, वन-जंगल क्षेत्र, झरना-झीलें आदि-अनादि बहुत कुछ मुग्ध करने वाला है। सांझ ढ़ले विल्सन प्वाइंट का सौन्दर्य कुछ अलग ही दिखता है। ईको प्वाइंट अर्थात प्रतिध्वनि क्षेत्र बच्चों का सर्वाधिक पसंदीदा क्षेत्र है। 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" दायरे में ही विश्व का प्रसिद्ध प्रतापगढ़ किला भी है। किला का वास्तु शिल्प सौन्दर्य देखते ही बनता है। इस किला का निर्माण महाराज शिवाजी ने कराया था।
   'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" क्षेत्र में कई प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर भी हैं। पिकनिक स्पॉट के साथ ही यह क्षेत्र श्रद्धा एवं आस्था से भी ताल्लुक रखता है। महाबलेश्वर में ग्रीन साइड भी है। इस ग्रीन साइड में कीमती एवं दुर्लभ वनस्पतियां एवं आैषधियां भी प्रचुर तादाद में हैं। शुद्ध जलवायु एक ओजपूर्ण-जोशपूर्ण ताजगी देती है। कहावत है कि यहां खुल कर भरपूर सांस लेने की मजा ही कुछ आैर है।
   'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" में हमेशा मौसम एक सा रहता है। चाहे गर्मी हो या सर्दी, मौसम एक सा महसूस होगा। लिहाजा वर्ष पर्यन्त कभी भी 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" पर सैर-सपाटा का आनन्द लिया जा सकता है। 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" के वन क्षेत्र में स्ट्राबेरी एवं शहतूत सहित कई स्वादिष्ट फलों का स्वाद लिया जा सकता है।
     'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" में सैर सपाटा-पिकनिक में ऐसा लगता है कि जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। पर्वत श्रंखला से लेकर घाटियां तक चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की आभा फैली दिखती है। 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" में हर पल सुहावना महसूस होता है। यूं कहें कि 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" क्षेत्र में मौज मस्ती जिन्दगी को एक 'फील गुड फैक्टर" देगा। जिन्दगी में एक नई उर्जा का संचार करेगा।
     'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" की शीतल हवाओं के झोंके में गाड़ी ड्राइव करना बेहद मजेदार होता है। 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" के वन क्षेत्र में वन्य जीवों की धमाचौकड़ी भी पर्यटकों को लुभाती है। 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" सहयाद्री पर्वत श्रंखला का हिस्सा है। 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" महाराष्ट्र के सतारा जिला का क्षेत्र है।
    सतारा पुणे-बंगलोर राजमार्ग पर स्थित है। यह हिल स्टेशन पुणे से करीब सवा सौ किलोमीटर दूरी पर है। जबकि मुम्बई से करीब ढ़ाई सौ किलोमीटर दूर है। मुम्बई से सतारा का सफर करीब पांच घंटे का है। हवाई यात्रा के जरिये मुम्बई होकर सतारा जा सकते हैं। 'महाबलेश्वर हिल स्टेशन" सतारा शहर से करीब पचपन किलोमीटर दूर है।
17.930729,73.647734

देविकुलम हिल स्टेशन : एक मखमली एहसास

     दक्षिण भारत का केरल प्राकृतिक सौन्दर्य एवं मनोरम स्थलों से लबरेज है। कहीं मखमली घास की चादर बिछी दिखती है तो कहीं इन्द्रधनुषी पर्यावरण की शानदार छवि।

   केरल तो वैसे भी प्राकृतिक सौन्दर्य का एक विशिष्ट पर्याय है। सैर-सपाटा के लिए केरल का 'देविकुलम हिल स्टेशन" खास तौर से देश-दुनिया के घुमक्कड़ों एवं पर्यटकों को लुुभाता है।
   'देविकुलम हिल स्टेशन" जिला इडुक्की के मुन्नार से करीब आठ किलोमीटर दूर एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। जीव जन्तुओं की एक श्रंखला सी यहां कुलांचे भरते दिखेगी। मखमली घास के बड़े मैदान-बड़े लॉन एक अनोखे आनन्द की अनुभूति कराते हैं।
   देश-विदेश की वनस्पतियां सुगंध से मन-मस्तिष्क को तरोताजा कर देती हैं तो वनस्पतियों की सुगंध स्वास्थ्य संवर्धक भी महसूस होती है। इसी के निकट ही सीता देवी झील भी है। श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के साथ ही यह झील प्राकृतिक सौन्दर्य का एक विशिष्ट आयाम भी है। झील का जल निर्मल अर्थात मोती सा चमकता है। निर्मल जल देख कर एक बारगी जलक्रीड़ा करने या जल से अठखेलियां करने का मन अवश्य होगा।
    झील में विभिन्न प्रजातियों की मछलियों का कुलंाचें भरना मनभावन प्रतीत होता है। सघन वन क्षेत्र में पक्षियों का कलरव बेहद कर्णप्रिय लगता है। 'देविकुलम हिल स्टेशन" भले अत्यधिक बड़ा क्षेत्र न हो लेकिन मनभावन अवश्य है। समुद्र तल से यह हिल स्टेशन करीब पांच हजार नौ सौ फुट के शीर्ष अर्थात ऊंचाई पर है। 
    'देविकुलम" का शाब्दिक आशय यह है कि देव एवं कुलम का प्रवास एवं संयोजन है। इसे यूं भी कह सकते है कि यह मनोरम क्षेत्र देव स्थान है। साथ ही सौन्दर्यबोध से परिपूूरित भी है। विशेषज्ञों की मानें तो 'देविकुलम" पौराणिक कथाओं से ताल्लुक रखता है। रामायणकाल में देवी सीता ने देविकुलम झील में स्नान किया था। इस झील को सीता झील कहा जाता है। 
   यह किवदंती राम वनवास काल की है। इसी के साथ ही देविकुलम श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास का स्थल बन गया। झील की निर्मलता पर्यटकों को आकर्षित करती है। विशेषज्ञों की मानें तो झील का जल भी विशिष्ट है। खनिज एवं  आैषधीय तत्वों से युक्त झील का जल उपचार में भी काम आता है। खनिज एवं आैषधीय वनस्पतियों के रसायनिक तत्व इस झील के जल में घुलते-मिलते रहते है। लिहाजा झील में स्नान करना रोगों से निजात दिलाता है। 
   'देविकुलम हिल स्टेशन" हरे-भरे वन क्षेत्र के साथ ही मखमली पहाड़ियों से घिरा है। 'देविकुलम हिल स्टेशन" के निकट ही गांव भी है। इस गांव की आबादी करीब साढ़े तीन सौ है। 'देविकुलम हिल स्टेशन" क्षेत्र में मुख्यत: मलयालम एवं तमिल भाषा बोलचाल में है।
     'देविकुलम हिल स्टेशन" के निकट ही पल्लीवसल वॉटर फॉल भी है। घने वन क्षेत्र के साथ ही हरे-भरे चाय बागान हैं तो वहीं लाल, नीले, पीले रंगों वाली वनस्पतियों के पेड़ों की लम्बी श्रंखला दिखती है। देवो अतिथि भव: यथार्थ में यहां महसूस होता है। 'देविकुलम हिल स्टेशन" की ही एक पहाड़ी पर मंगलम देवी का मंदिर है। 
    'देविकुलम हिल स्टेशन" इलाके में ही कुंडला झील भी है। यहां नौकायन व स्पीड़ वोटिंग का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है। अनयिरंकल झील भी विलक्षण है। 'देविकुलम हिल स्टेशन" का टी एस्टेट देविकुलम टी एस्टेट के नाम से प्रख्यात है। इस टी एस्टेट की स्थापना करीब 1900 के आसपास हुयी थी। करीब दो सौ चालीस हेक्टेटर क्षेत्रफल में यह टी एस्टेट फैला हुआ है। चाय बागान में भी मौज कर सकते हैं। 
  चाय की भीनी-भीनी खुशबू अच्छी लगती है। पर्यटकों के लिए रेलवे स्टेशन है तो हवाई यात्रा से भी 'देविकुलम हिल स्टेशन" पहंुचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन अलुवा है। अलुवा से करीब एक सौ दस किलोमीटर की दूरी 'देविकुलम हिल स्टेशन" की है। निकटतम हवाई अड्डा कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
10.056431,77.119752     

मुन्नार हिल स्टेशन : सौन्दर्य की निराली छटा

    भारत ही नहीं दुनिया के पर्यटकों का लुभावना स्थल दक्षिण भारत के केरल का मुन्नार हिल स्टेशन है। केरल का 'मुन्नार हिल स्टेशन" अपनी आगोश में सौन्दर्य का अनुपम खजाना छिपाये है।

  सौन्दर्य के इस अनुपम खजाना को देखने एवं एहसास करने देश-दुनिया के पर्यटक 'मुन्नार हिल स्टेशन" खींचे चले आते हैं। शायद यही कारण है कि प्राकृतिक सौन्दर्य पर नजर दौड़ायें तो केरल का पर्यटन क्षेत्र भी शीर्ष पर दिखता है। 
  केरल का 'मुन्नार हिल स्टेशन" समुद्र तल से करीब सोलह सौ मीटर शीर्ष पर है। वस्तुत: 'मुन्नार हिल स्टेशन" तीन पर्वत श्रंखला का अनुपम संगम है। मुथिरपुझा, नल्लथन्नी एवं कुण्डल पर्वत श्रंखलाओं के संगम का स्थल 'मुन्नार हिल स्टेशन" प्राकृतिक सौन्दर्य का एक सुन्दर आयाम है। दक्षिण भारत के पूर्व ब्रिाटिश शासन का 'मुन्नार हिल स्टेशन" ग्रीष्मकालीन रिजार्ट हुआ करता था। 
   'मुन्नार हिल स्टेशन" के चौतरफा खुशबू-सुगंध का सुखद एहसास होता है। 'मुन्नार हिल स्टेशन" की यह सुगंध मन-मस्तिष्क, दिल-ओ-दिमाग को एक ताजगी एवं चैतन्यता देती है। इस हिल स्टेशन के चौतरफा चाय बागान की हरितिमा दिखती है। छोटी-छोटी नदियां, झरने सुखद आनन्द की अनुभूति करातेे हैं। ट्रैकिंग एवं माउंटेन बाइकिंग के लिए यह हिल स्टेशन आदर्श स्थान माना जाता है। वादियों का वास्तविक आनन्द इस हिल स्टेशन पर मिलता है। हिल स्टेशन का दायरा करीब अस्सी हजार वर्ग किलोमीटर तक फैला है। यह क्षेत्र इड्डुकी जिला के तहत आता है। 
     'मुन्नार हिल स्टेशन" क्षेत्र में चाय संग्रहालय भी हैं। हिल स्टेशन में दुलर्भ वन्य जीवन को भी आसानी से देखा जा सकता है।
मट्टूपेट्टी: मट्टूपेट्टी पिकनिक मनाने के लिए सर्वथा उपयुक्त स्थान है। मट्टूपेट्टी झील एवं बांध सैर सपाटा के लिए बेहद आकर्षक हैं। झील में पर्यटकों के लिए नौकायन की व्यवस्था है। जिससे पर्यटक जलक्रीड़ा का आनन्द ले सकें। मट्टूूपेट्टी का विशिष्टकृत डेयरी फार्म खास प्रसिद्ध है। इस इलाके का वन क्षेत्र पक्षियों के लिए घर जैसा है। पक्षियों का कोलाहल-कलरव एक विशिष्ट आनन्द प्रदान करता है। कर्णप्रिय भी लगता है।
इरावीकुलम राष्ट्रीय उद्यान: इरावीकुलम राष्ट्रीय उद्यान हालांकि मुन्नार से करीब पन्द्रह किलोमीटर दूर स्थित है लेकिन उद्यान का भ्रमण अवश्य करना चाहिए। उद्यान के दक्षिणी क्षेत्र में अनामुडी चोटी है। उद्यान में खास तौर से नीलगिरी एवं जंगली बकरों का समूह दिखता है। वर्ष 1975 में इस अभ्यारण घोषित किया गया था। विलक्षण एवं विशिष्ट वनस्पतियों एवं जंतु विचरण क्षेत्र के महत्व को देखते हुये वर्ष 1978 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया। करीब सौ वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले इरावीकुलम राष्ट्रीय उद्यान सुन्दरता के लिए मशहूर है। लहरदार पर्वत श्रंखला के चहुंओर बादलों का उमड़ना-घुमड़ना बेहद रोमांचकारी लगता है।
अनामुडी शिखर: अनामुडी शिखर भी पर्वतीय सौन्दर्य का प्रतीक है। विशेषज्ञों की मानें तो दक्षिण भारत का यह शीर्ष-शिखर पर्वत है। वह पर्वत 2700 मीटर से भी ऊंचा है। शिखर पर यात्रा करने के लिए प्रबंधन से अनुमति लेनी होती है। दिशा निर्देशों के अनुसार ही पर्यटक यात्रा कर सकते हैं।
पल्लिवासल: पल्लीवासल केरल का एक हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना स्थल है। प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूरित यह स्थल पिकनिक का सर्वथा आनन्ददायक स्थान है। मौसम कोई भी हो, यहां पर्यटकों की आवाजाही लगी ही रहती है।
चिन्नकनाल : चिन्नकनाल वॉटर फॉल्स है। वॉटर फॉल्स एक खड़ी पत्थर की चट्टान है। समुद्र तल से करीब दो हजार मीटर से पानी का झर-झर गिरना देख कर एक विशिष्ट रोमांच सा होता है। यह क्षेत्र पर्वत श्रेणियों से अतिसमृद्ध है।
मुन्नार हिल स्टेशन की यात्रा के लिए रेल मार्ग के साथ ही सड़क मार्ग एवं हवाई सेवा भी उपलब्ध है। मुन्नार का निकटतम रेलवे स्टेशन तेनी है। यह मुन्नार से करीब 60 किलोमीटर दूर है जबकि एक अन्य रेलवे स्टेशन एर्नाकुलम करीब एक सौ बीस किलोमीटर दूर है। चेंगनचेरी रेलवे स्टेशन करीब 93 किलोमीटर दूर है। हवाई यंात्रा के लिए निकटतम एयरपोर्ट कोचीन है। कोचीन हवाई अड्डा करीब 190 किलोमीटर दूर है जबकि मदुरई हवाई अड्डा 140 किलोमीटर दूरी पर है।
10.088933,77.059525

Monday, 12 February 2018

उंचाली वॉटर फॉल्स : सौन्दर्य का एक अनगढ़ सितारा

   उंचाली वॉटर फॉल्स भी कर्नाटक की खूबसूरती एक सुन्दर आयाम है। कर्नाटक के सौन्दर्ययुक्त वॉटर फॉल्स को लशिंगटन वॉटर फॉल्स भी कहा जाता है। 

    यह अघाशिनी नदी का हिस्सा है। करीब एक सौ सोलह मीटर के शीर्ष से वॉटर फॉल्स का पानी नीचे झर-झर कर गिरता है। 
    इस वॉटर म्युजिक अति कर्णप्रिय लगता है। यह उत्तरा कन्नड़ के सिरसी में स्थित है। इस फॉल्स का नामकरण ब्रिाटिश शासन के जिला कलक्टर जे डी लुशिंगटन के नाम पर किया गया था। वर्ष 1845 में उंचाली वॉटर फॉल्स सामने आया था। 
     सिरसी से करीब बीस किलोमीटर दूर स्थित उंचाली वॉटर फॉल्स देश विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। इसे कोपेपा जोगा भी कहा जाता है। इस मनोरम वॉटर फॉल्स की जल ध्वनि सुनने में अति लुभावनी प्रतीत होती है।

मैगोड वॉटर फॉल्स: सौन्दर्य का एक विशिष्ट आयाम

  मैगोड वॉटर फॉल्स कर्नाटक के सौन्दर्य का एक विशिष्ट आयाम है। कर्नाटक में बेंगलुरु से करीब पांच सौ किलोमीटर दूर यह वॉटर फॉल्स है।

   सामान्यत: कर्नाटक में वॉटर फॉल्स की एक लम्बी श्रृंखला है। कर्नाटक के लोकप्रिय वॉटर फॉल्स में मैगोड वॉटर फॉल्स को शीर्ष पर आंका जाता है। मैगोड वॉटर फॉल्स बेदी नदी का हिस्सा है। 
   वॉटर फॉल्स शीर्ष से दो हिस्सों में नीचे गिरता है। यह वॉटर फॉल्स नीचे स्प्रे की भांति नीचे गिरता महसूस होता है। इसे कोगाड केरे के तौर पर भी जाना जाता है।
  वॉटर फॉल्स का शानदार दृश्य देखने के लिए दूरदराज के पर्यटकों के साथ ही विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते हैं। करीब साठ एकड़ क्षेत्रफल में आच्छादित यह फॉल्स अति मनोहारी है। खूबसूरत दृश्यों के कारण इसे एक आदर्श पिकनिक स्पॉट के तौर पर भी देखा जाता है।

जोग वॉटर फॉल्स : प्रचण्ड वेग का रोमांच

  जोग वॉटर फॉल्स कर्नाटक के शिवमोगा इलाके में स्थित है। जोग वॉटर फॉल्स दुनिया शीर्ष वॉटर फॉल्स में 131 वें स्थान पर है। जोग वॉटर फॉल्स शरावती नदी का हिस्सा है। 

  सामान्यत: यह कर्नाटक एवं महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाका में है। शिवमोगा से जोग वॉटर फॉल्स जाने के लिए मोटर मार्ग भी है। मनोरम वन क्षेत्र से होते हुये जोग वॉटर फॉल्स तक जाने में चार विश्राम गृह भी मिलते हैं।
   इन विश्राम गृह में आवश्यक सहूलियतें भी हैं। जोग वॉटर फॉल्स सामान्यत: दो सौ पचास मीटर के शीर्ष से नीचे गिरता है। जलक्रीड़ा का यह विहंगम दृश्य अति मनोहारी होता है। 
    जोग वॉटर फॉल्स चार हिस्सों में नीचे गिरता है। इनको राजा, राकेट, रोरर एवं दाम ब्लांचे के नाम से जाना-पहचाना जाता है। राजा वॉटर फॉल्स करीब आठ सौ तीस फुट की ऊंचाई से नीचे गिरता है। इसका जल करीब एक सौ बत्तीस फुट गहरे कुण्ड में गिरता है। जल का प्रचण्ड वेग एक रोमांच को उत्पन्न करता है। राकेट वॉटर फॉल्स का जल तीव्र घुमावदार रास्तों से होकर नीचे गिरता है। रोरर वॉटर फॉल्स झागदार अर्थात फेनादार जल लेकर नीचे आता है।
    इसका जल आतिशाजी एवं अग्निबाण की भांति नीचे गिरता है। रंग-बिरंगे जल बिन्दुओं में गिरा जल देख कर विस्मय होता है। इसी तरह चौथे दाम ब्लांचे वॉटर फॉल्स का जल शीर्ष से नीचे की ओर चादर एवं फीता की तरह गिरता है। वॉटर फॉल्स की शोभायमान छवि दृष्टिगोचर होती है। एक अनूठे आनन्द की अनुभूति होती है। सर्दियों के मौसम में कोहरा अर्थात कुहासा इस मनोहारी दृश्य में चार चांद लगा देता है। 
    यह क्षेत्र महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की जल विद्युुत शक्ति का केन्द्र भी है। इस मंत्रमुग्ध करने वाले वॉटर फॉल्स गेर्सोपा फॉल्स एवं जोगादा गुंडी वॉटर फॉल्स भी कहा जाता है। उत्तरी कन्नड़ एवं सागर सीमा का यह मनोरम स्थल है।

शिवा समुद्रम वॉटर फॉल्स सौन्दर्य का एक आयाम

       शिवा समुद्रम वॉटर फॉल्स दक्षिण भारत के कर्नाटक का एक शानदार, सुन्दर एवं अद्भुत पिकनिक स्पाट है। शिवा समुद्रम वॉटर फॉल्स कावेरी नदी का हिस्सा है।

   वॉटर फॉल्स की जलतरंग श्रंखला अर्थात जलधारा करीब सौ मीटर (98 मीटर) शीर्ष से नीचे गिरती है। सामान्यत: शिवा समुद्रम वॉटर फॉल्स का आनन्द तो मौसम के हर काल में लिया जा सकता है लेकिन सर्दियों में सैर सपाटा का आनन्द ही कुछ अधिक ही होता है।
   हर-हर... कल-कल... झर-झर... कोलाहल के साथ बहता फॉल्स का पानी बेहद मनोहारी दृश्य उत्पन्न करता है। गौरतलब है कि शिवा समुद्रम वॉटर फॉल्स के पानी का उपयोग खास तौर से जल विद्युत उत्पादन परियोजना के लिए होता है। विशेषज्ञों की मानें तो यह जल विद्युत परियोजना एशिया की प्रथम जल विद्युत परियोजना है।
    इसकी स्थापना वर्ष 1902 में की गयी थी। कावेरी नदी का यह भव्य-दिव्य वॉटर फॉल्स कर्नाटक के मंड्या में स्थित है। प्राकृतिक सौन्दर्य का मनोहारी दृश्य देखने के लिए पर्यटकों का आना-जाना निरन्तर जारी रहता है लेकिन शिवा समुद्रम वॉटर फॉल्स सर्दियों में पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहता है। घाटियों एवं पठारों से होकर गुजरने वाला यह वॉटर फॉल्स एक विशेष रोमांच पैदा करता है।
     शिवा समुद्रम वॉटर फॉल्स कई स्थानों में दो हिस्सों में विभक्त-बट जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो 934 घनमीटर जल धारा प्रवाहित होती है। इस वॉटर फॉल्स के निकट प्राचीन मंदिरों की श्रंखला है। वॉटर फॉल्स के दो हिस्सों में से एक को गगनचुक्की एवं दूसरे को भरचुक्की कहा जाता है।
     बारिश के मौसम में तो वॉटर फॉल्स का विहंगम दृश्य कई किलोमीटर तक अनवरत दिखता है। यह क्षेत्र बेंगलुरु से करीब चौदह किलोमीटर दूर है। आवागमन के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं।

कुंचिकल देश का सबसे ऊंचा एवं विशाल वॉटर फॉल

    देश में इन्द्रधनुषी सौन्दर्य से लबरेज प्राकृतिक स्थलों, झरनों-फॉल्स, पर्वत श्रंखलाओं एवं पर्यटन स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है।

   दक्षिण भारत के कर्नाटक का कुंचिकल देश का सबसे ऊंचा एवं विशाल वॉटर फॉल है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 1500 फुट है। यह विशाल झरना वाराशी नदी में मिलता है।
  गौरतलब है कि देश का यह सबसे बड़ा झरना कर्नाटक की जल विद्युत परियोजना का प्रमुख रुाोत है। कुंचिकल फॉल्स का सौन्दर्य मानसून के मौसम में आैर भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि मानसून के मौसम में कुंचिकल के आसपास फॉल्स की एक श्रंखला सी दिखने लगती है।
     कुंचिकल का सौन्दर्य आकर्षण पर्यटकों को खुद ब खुद खींच लाता है। कुंचिकल फॉल्स में पर्यटकों की भारी भीड़ मौसम के हर अंदाज में दिखती है। देश के शीर्ष फॉल्स की श्रंखला को देखेंगे तो रोमांच की अनुभूति होगी कि प्रकृति ने सौन्दर्य का बेहतरीन उपहार दिया है। कर्नाटक का कुंचिकल फॉल्स 1493 फुट ऊंचा है। कर्नाटक की वाराही नदी का हिस्सा माना जाता है।
    कुंचीकल वॉटर फॉल्स दुनिया के शीर्ष वॉटर फॉल्स में से एक है। यूं कहें कि कंचीकल वॉटर फॉल्स कर्नाटक के सौन्दर्य का एक अनगढ़ सितारा है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। कुंचीकल वराशी नदी का एक हिस्सा है। समुद्र तल से करीब डेढ़ हजार फुट (1493 फुट) के शीर्ष ऊंचाई से कुंचीकल वॉटर फॉल्स नीचे गिरता है।
     देश के शीर्ष वॉटर फॉल्स में कुंचीकल वॉटर फॉल्स को गिना जाता है। यह वॉटर फॉल्स कर्नाटक के उडपी एवं सिमोरा जिलों के सीमा क्षेत्र में प्रवाहमान है। कुंचीकल वॉटर फॉल्स को स्थानीयता में कुंचीकल अब्बे भी कहा जाता है।
   मानसून के मौसम में कुंचीकल वॉटर फॉल्स सौन्दर्य का शीर्ष बन जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्राकृतिक सौन्दर्य का अनगढ़ आयाम है। कुंचीकल वॉटर फॉल्स के निकट कई सहोदर फॉल्स भी दिखते हैं। मनमोहक दृश्य ऐसा कि बस निहारते ही रहें। सर्दियों में यहां ट्रैकिंग के अपने अलग ही मजे हैं।

Sunday, 11 February 2018

वॉटर फॉल : सर्दियों में रोमांच का एहसास

     सैर-सपाटा जिंदगी को कहीं अधिक खूबसूूरत बना देता है। जिंदगी जिंदादिली से लबरेज दिखती है। सैर-सपाटा या घूमने फिरने से आशय यह है कि रोजमर्रा की जिंदगी से कुछ अलग हट कर जीवन के कुछ पल आनन्द से जियें। 

  वैसे तो सर्दियों में घर छोड़ कर या शहर छोड़ कर बाहर जाना कुछ लोग पसंद नहीं करते लेकिन सर्दियों में घूमने फिरने-सैर सपाटा का आनन्द-मजा ही कुछ आैर है।
    खास यह कि सर्दियों में प्रकृति के खूबसूरत नजारें कुछ अलग ही रोमांच पैदा करते हैं। इन खूबसूूरत नजारों को देख कर मन मस्तिष्क, तन-मन या यूं कहें कि रोम-रोम झंकृत हो जाता है। सामान्यत: सैर सपाटा पर जाने का ख्याल दिलों-दिमाग में आते ही खूबसूरत कश्मीर का प्राकृतिक सौन्दर्य सामने आ जाता है।
      कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। कश्मीर यानी एक ताजगी भरा एहसास। सड़कें न के बराबर होने के बावजूद सैर-सपाटा का असली आनन्द यहां मिलता है। सिकारा या नाव से प्राकृतिक सौन्दर्य को कुछ अधिक नजदीक से देख कर रोमांच महसूस किया जा सकता है। इस इलाके में राउंड आइलैण्ड टूर का भी आनन्द ले सकते हैं। 
    प्राकृतिक सौन्दर्य के रोमांच के साथ ही क्लासिक खेलों की भी मौज मस्ती की जा सकती है। वॉटर फॉल को देख कर निश्चय ही जलक्रीड़ा अर्थात पानी से अठखेलियां करने का मन होगा। वॉटर फाल में सर्दी का नहीं रोमांच का एहसास होगा। हालांकि कश्मीर अक्सर लोग डल झील देखने जाते हैं लेकिन डल झील के साथ ही कश्मीर में ऊंचे-ऊंचे पहाड़ अति खूबसूरत लगते हैं। खास तौर से बर्फ की चादर ओढ़े पहाड़ कही अधिक सौन्दर्य बोध कराते हैं।
     पहाड़ों के सौन्दर्य का आनन्द लेना हो तो शिमला अवश्य जायें। प्राकृतिक सौन्दर्य का अनूठा आनन्द शिमला में ही मिलेगा। शिमला अत्यधिक खूबसूरत पहाडी इलाका है। शिमला में फिशिंग, स्कीइंग, ट्रैकिंग एवं एडवंचर्स स्पोटर्स का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।
     प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज प्रांतों में उत्तराखण्ड भी किसी से कम नहीं। उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र के आेली एक रोमांचकारी एवं खूबसूरत स्थल है। सर्दी के मौसम में चौतरफा बर्फ का जमाव एक खास रोमांच का एहसास होता है। जैसे कहीं एक अलग या दूूसरी दुनिया में आ गये हों। उत्तराखण्ड का केदारकांता ट्रैक तो सैर सपाटा के लिए देश दुनिया में मशहूर है।
     केदारकांता ट्रैक भव्य दिव्य ट्रैकों में माना जाता है। अब यदि उत्तर पूर्वी राज्यों के सौन्दर्य को देखें तो मेघालय अपने प्राकृतिक सौन्दर्य से पर्यटकों को खुद ब खुद आकर्षित करता है।
चेरापूंजी वैसे तो स्वयं सौन्दर्य शास्त्र को गढ़ता है। चाहे प्राकृतिक सौन्दर्य की बात हो या फिर नृत्य या लोक गीत संगीत की हो।
   चेरापूंजी एक बेहद आकर्षक स्थल है। चेरापूंजी में सैर सपाटा के लिए सेवन सिस्टर्स, मोसमाई केव, इको पार्क आदि सहित दर्जनों इलाके हैं। इसी इलाके में नोहकलिकई वॉटर फॉल है। नोहकलिकई वॉटर फॉल देश का पांचवा सबसे ऊंचा वॉटर फॉल है। सर्दियों में इस वॉटर फॉल पर पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है। शिलांग से करीब दस किलोमीटर दूर एलिफेंटा वॉटर फॉल है। 
  इस वॉटर फॉल की खूबसूरती भी देखते ही बनती है। खास यह कि इन इलाकों में सर्दियों में भी सर्दियों का एहसास नहीं होता बल्कि एक रोमांच का एहसास होता है। एक ताजगी का एहसास होता है। इस वॉटर फॉल का असली नाम तो शैद लई पटेंग खोशी है लेकिन ब्रिाटिश शासन ने इसका नाम बदल कर एलिफेंटा वॉटर फॉल रख दिया था। 
   शिलांग में ही स्वीट वॉटर फॉल भी है। यह भी एक अत्यंत खूबसूरत वाटर फॉल है। शिलांग जाते हैं तो शिलांग पीक जाना न भूलें। शिलांग पीक समुद्र तल से करीब 1900 मीटर से भी अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ी चोटी है। शिलांग पीक शिलांग की सबसे अधिक ऊंचाई वाला पहाड़ है। इस पहाड से शहर का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है।
   यह एक ऐसा इलाका है जहां शिलांग आने वाले सर्वाधिक पर्यटक आते हैं। मान्यता है कि देवता लीशिलांग इस पर्वत श्रंखला पर निवास करते थे। लिहाजा देवता लीशिलांग के नाम पर ही शिलांग का नाम पड़ा।
   सर्दियों में एक बार गुजरात के सापुतारा हिल स्टेशन अवश्य जायें। सापुतारा गुजरात का शायद एकलौता हिल स्टेशन है। सापुतारा हिल स्टेशन में सर्दियों में सर्वाधिक चहल पहल देखने को मिलेगी। खूबसूरती से परिपूरित सापुतारा बेहद रोमांचक है।
    विशेषज्ञों की मानें तो सापुतारा का आशय होता कि सापों का घर। देश का यह एक अति विशिष्ट पर्यटन स्थल है। गुजरात एवं महाराष्ट्र के सीमा पर स्थित यह पहाड़ी इलाका पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। सहयाद्री पर्वत श्रंखला का यह पर्वत अपने आगोश में कई फाल-झरनों को समेटे है। झरने एक ताजगी एवं जीवंतता प्रदान करते है। सर्दियों में यहां पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल भी होता है।

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...