चम्बा हिल स्टेशन: बर्फबारी का रोमांच
चम्बा हिल स्टेशन का मखमली एहसास कभी भूल न पायेंगे। जी हां, चम्बा हिल स्टेशन की ग्रीन कारपेट दिलों में छा जाने वाली है। चम्बा की बर्फबारी का आनन्द ही कुछ आैर है।
हिमाचल प्रदेश का चम्बा हिल स्टेशन भले ही छोटा हो लेकिन इसकी सुन्दरता का कहीं कोई जोड़ नहीं। चम्बा हिल स्टेशन की सुन्दर घाटियां देखते ही बनती हैं।
समुद्र तल से करीब 996 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चम्बा हिल स्टेशन पर्यटकों को ऊर्जावान बनाने के साथ ही उत्साह से भी लबरेज कर देता है। शीतल एवं शांत परिवेश पर्यटकों को खास तौर से लुभाता है।
चम्बा हिल स्टेशन रमणीय मंदिरों एवं हस्तशिल्प के लिए देश-दुनिया में विख्यात है। रवि नदी के किनारे स्थित चम्बा हिल स्टेशन पहाड़ी राजाओं की प्राचीन राजधानी थी। चम्बा को राजा साहिल देव वर्मन अस्तित्व में लाये थे। राजा साहिल देव वर्मन की पुत्री चंपावती के नाम पर चम्बा को विकसित एवं आबाद किया गया था। चम्बा शहर एवं चम्बा हिल स्टेशन के चारों ओर आज भी प्राचीन संस्कृति एवं विरासत संरक्षित दिखती है।
चम्बा हिल स्टेशन एवं उसके आसपास खूबसूरती एवं प्रकृति के नये आयाम दिखते हैं। चम्बा हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षणों की एक लम्बी श्रंखला है। चम्पावती मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, भूरी सिंह संग्रहालय, भांदल घाटी, भरमौर, चौगान, बजरेश्वरी मंदिर, सुई माता मंदिर, चामुण्डा देवी मंदिर, हरीराय मंदिर, लखन मंदिर, रंगमहल, अखण्ड चंडी महल, खजियार, कूंरा आदि हैं।
चम्पावती मंदिर: चम्पावती मंदिर एक देवी स्थान है। यह मंदिर मुख्यत: राजा साहिल देव वर्मन की पुत्री को समर्पित है। चम्पावती ने अपने पिता राजा साहिल देव वर्मन को चम्बा नगर स्थापित करने के लिए प्रेरित किया था। शिखर शैली में बना मंदिर बेहद सुन्दर एवं आकर्षक है। मंदिर में खूबसूरत नक्कासी है। मंदिर की छत पहिये के आकार की है।
लक्ष्मी नारायण मंदिर : लक्ष्मी नारायण मंदिर पारम्परिक वास्तुशिल्प एवं मूर्तिकला का सुन्दर आयाम है। यह मंदिर चम्बा के प्रमुख मंदिरों में सबसे विशाल एवं प्राचीन है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर राजा साहिल देव वर्मन ने 10 वीं शताब्दी में बनवाया था। शिखर शैली में निर्मित यह मंदिर बेहद आकर्षक है। मंदिर में एक विमान एवं भव्य-दिव्य गर्भगृह है। मंदिर की छतरियां एवं पत्थर की छत इसे भारी बर्फबारी से सुरक्षित रखती हैं।
भूरी सिंह संग्रहालय: भूरी सिंह संग्रहालय मुख्यत: चम्बा की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित है। चम्बा के राजा भूरी सिंह को कला से प्रेम था। लिहाजा इस संग्रहालय का नाम राजा भूरी सिंह पर रखा गया। राजा भूरी सिंह एवं उनके परिवार की पेंटिंग्स इस संग्रहालय को दान दे दी गयीं थीं। संग्रहालय में सांस्कृतिक विरासत दिखती है। बसहोली एवं कांगड़ा की कला भी संरक्षित है।
भांदल घाटी: भांदल घाटी खास तौर से वन्य जीव प्रेमियों को आकर्षित करती है। यह सुन्दर घाटी समुद्र तल से करीब 6006 फुट शीर्ष पर स्थित है। चम्बा हिल स्टेशन से करीब 22 किलोमीटर दूर यह घाटी ट्रैकिंग के लिए एक अच्छा स्थान है।
भरमौर: भरमौर चम्बा की प्राचीन राजधानी है। पहले इसे ब्राह्मपुरा के नाम से जाना जाता था। समुद्र तल से करीब 2195 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। घने वन क्षेत्र से घिरा भरमौर राजघराने से ताल्लुक रखता है। इसे चौरासी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। लक्ष्मी देवी, गणेश जी, नरसिंह भगवान आदि के मंदिर इस क्षेत्र में हैं।
चौगान : चौगान घास का एक सुन्दर मैदान है। इस मैदान में मिंजर मेला का आयोजन होता है। इसमें हिमाचल की संस्कृति देखने को मिलती है।
वजरेश्वरी मंदिर: वजरेश्वरी मंदिर एक हजार वर्ष से भी अधिक प्राचीन मंदिर की मान्यता रखता है। शिखर शैली में बने इस मंदिर की छत लकड़ी से निर्मित है। मंदिर की नक्कासी बेहद सुन्दर है।
चामुण्डा देवी मंदिर: चामुण्डा देवी मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। दुर्गा देवी का यह मंदिर खूबसूरत नक्कासी पर आधारित है। भारतीय पुरातत्व विभाग इस मंदिर की देखभाल करता है।
रंगमहल: रंगमहल को अब हिमाचल सरकार ने हिमाचल इम्पोरियम बना दिया है। इस महल की नींव राजा उमेद सिंह ने 1748 में रखी थी। यह रंगमहल मुगल एवं ब्रिाटिश शैली का सुन्दर उदाहरण है। कभी यह शासको आवास था।
खजियार: खजियार चम्बा हिल स्टेेशन का एक अति खूबसूरत हिस्सा है। चम्बा से करीब 22 किलोमीटर दूर खजियार पर्यटकों को पसंदीदा क्षेत्र है। यहां एक सुन्दर झील है। यह झील पर्यटकों की पसंदगी में शीर्ष पर रहती है।
कूंरा : कूंरा वस्तुत: पाण्डव स्थली के तौर पर जाना पहचाना जाता है। जिला मुख्यालय चम्बा से करीब 53 किलोमीटर दूर कूंरा महाभारत काल में पाण्डव का आश्रय स्थली भी रहा है। कुंती के नाम पर इस स्थान का नाम कुंतापुरी पड़ा था। शनै-शनै इसका नाम बदल कर अब कूंरा हो गया।
छतराड़ी : छतराड़ी चम्बा हिल स्टेशन से करीब 45 किलोमीटर दूर है। करीब 6000 फुट ऊंचाई पर बसा यह गांव शक्ति पीठ स्थल के तौर पर जाना जाता है। पहाड़ी पर शैली मंदिर स्थित है।
चम्पावती मंदिर: चम्पावती मंदिर एक देवी स्थान है। यह मंदिर मुख्यत: राजा साहिल देव वर्मन की पुत्री को समर्पित है। चम्पावती ने अपने पिता राजा साहिल देव वर्मन को चम्बा नगर स्थापित करने के लिए प्रेरित किया था। शिखर शैली में बना मंदिर बेहद सुन्दर एवं आकर्षक है। मंदिर में खूबसूरत नक्कासी है। मंदिर की छत पहिये के आकार की है।
लक्ष्मी नारायण मंदिर : लक्ष्मी नारायण मंदिर पारम्परिक वास्तुशिल्प एवं मूर्तिकला का सुन्दर आयाम है। यह मंदिर चम्बा के प्रमुख मंदिरों में सबसे विशाल एवं प्राचीन है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर राजा साहिल देव वर्मन ने 10 वीं शताब्दी में बनवाया था। शिखर शैली में निर्मित यह मंदिर बेहद आकर्षक है। मंदिर में एक विमान एवं भव्य-दिव्य गर्भगृह है। मंदिर की छतरियां एवं पत्थर की छत इसे भारी बर्फबारी से सुरक्षित रखती हैं।
भूरी सिंह संग्रहालय: भूरी सिंह संग्रहालय मुख्यत: चम्बा की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित है। चम्बा के राजा भूरी सिंह को कला से प्रेम था। लिहाजा इस संग्रहालय का नाम राजा भूरी सिंह पर रखा गया। राजा भूरी सिंह एवं उनके परिवार की पेंटिंग्स इस संग्रहालय को दान दे दी गयीं थीं। संग्रहालय में सांस्कृतिक विरासत दिखती है। बसहोली एवं कांगड़ा की कला भी संरक्षित है।
भांदल घाटी: भांदल घाटी खास तौर से वन्य जीव प्रेमियों को आकर्षित करती है। यह सुन्दर घाटी समुद्र तल से करीब 6006 फुट शीर्ष पर स्थित है। चम्बा हिल स्टेशन से करीब 22 किलोमीटर दूर यह घाटी ट्रैकिंग के लिए एक अच्छा स्थान है।
भरमौर: भरमौर चम्बा की प्राचीन राजधानी है। पहले इसे ब्राह्मपुरा के नाम से जाना जाता था। समुद्र तल से करीब 2195 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। घने वन क्षेत्र से घिरा भरमौर राजघराने से ताल्लुक रखता है। इसे चौरासी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। लक्ष्मी देवी, गणेश जी, नरसिंह भगवान आदि के मंदिर इस क्षेत्र में हैं।
चौगान : चौगान घास का एक सुन्दर मैदान है। इस मैदान में मिंजर मेला का आयोजन होता है। इसमें हिमाचल की संस्कृति देखने को मिलती है।
वजरेश्वरी मंदिर: वजरेश्वरी मंदिर एक हजार वर्ष से भी अधिक प्राचीन मंदिर की मान्यता रखता है। शिखर शैली में बने इस मंदिर की छत लकड़ी से निर्मित है। मंदिर की नक्कासी बेहद सुन्दर है।
चामुण्डा देवी मंदिर: चामुण्डा देवी मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। दुर्गा देवी का यह मंदिर खूबसूरत नक्कासी पर आधारित है। भारतीय पुरातत्व विभाग इस मंदिर की देखभाल करता है।
रंगमहल: रंगमहल को अब हिमाचल सरकार ने हिमाचल इम्पोरियम बना दिया है। इस महल की नींव राजा उमेद सिंह ने 1748 में रखी थी। यह रंगमहल मुगल एवं ब्रिाटिश शैली का सुन्दर उदाहरण है। कभी यह शासको आवास था।
खजियार: खजियार चम्बा हिल स्टेेशन का एक अति खूबसूरत हिस्सा है। चम्बा से करीब 22 किलोमीटर दूर खजियार पर्यटकों को पसंदीदा क्षेत्र है। यहां एक सुन्दर झील है। यह झील पर्यटकों की पसंदगी में शीर्ष पर रहती है।
कूंरा : कूंरा वस्तुत: पाण्डव स्थली के तौर पर जाना पहचाना जाता है। जिला मुख्यालय चम्बा से करीब 53 किलोमीटर दूर कूंरा महाभारत काल में पाण्डव का आश्रय स्थली भी रहा है। कुंती के नाम पर इस स्थान का नाम कुंतापुरी पड़ा था। शनै-शनै इसका नाम बदल कर अब कूंरा हो गया।
छतराड़ी : छतराड़ी चम्बा हिल स्टेशन से करीब 45 किलोमीटर दूर है। करीब 6000 फुट ऊंचाई पर बसा यह गांव शक्ति पीठ स्थल के तौर पर जाना जाता है। पहाड़ी पर शैली मंदिर स्थित है।
चम्बा हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट अमृतसर है। अमृतसर एयरपोर्ट से चम्बा हिल स्टेशन की दूरी करीब 240 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट है। पठानकोट रेलवे स्टेशन से चम्बा हिल स्टेशन की दूरी करीब 140 किलोेमीटर है। सड़क मार्ग से भी चम्बा हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
32.552867,76.129617
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