Friday, 31 August 2018

जंपुई हिल स्टेशन: मखमली एहसास

   जंपुई हिल स्टेशन को धरती का श्रंगार कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा का यहां अपना एक अलग ही आनन्द है।

   त्रिपुरा का यह हिल स्टेशन देश दुनिया में संतरा महोत्सव के लिए खास ख्याति रखता है। समुद्र तल से करीब 1000 मीटर ऊंचाई पर स्थित जंपुई हिल स्टेशन में प्राकृतिक सुन्दरता के इन्द्रधनुषी रंग दिखते हैं। शीतल एवं शांत हवा के झोके मन मस्तिष्क को एक सुखद आनन्द से सराबोर कर देते हैं। 


   एहसास होता है कि जैसे प्रकृति की गोद में अठखेलियां कर रहे हों। बादलों की आवाजाही ह्मदयस्पर्शी होती है। स्पर्श करते हुये बादल गुजर जायें तो मन मस्तिष्क रोमांचित हो उठता है। बादलों का समूह कभी अचानक हिल स्टेशन को गोद में ले लेता है तो कभी पर्यटकों के साथ खिलंदडपन करने लगता है।

    यह सब कुछ बेहद मनलुभावन होता है। बादलों का यह स्पर्श बेहद रोमांचकारी शीतलता प्रदान करता है। संतरा, अदरक, कॉफी के बागान की यहां एक लम्बी श्रंखला है। यहां के फलों के स्वाद एवं शुद्धता का कोई जोड़ नहीं। जंपुई हिल स्टेशन संतरा की सोंधी सुगंध से महकता रहता है। 

   उत्तरी पूर्व त्रिपुरा के इस हिल स्टेशन से सूर्योदय एवं सूर्यास्त देखना निश्चय ही अविस्मरणीय होता है। जंपुई हिल स्टेशन के आसपास एक दर्जन से अधिक गांव हैं। इन गांवों में अधिसंख्यक आबादी मिजो समुदाय की है। चौतरफा पर्वत श्रंखला एवं घाटियां-वादियां एक मखमली एहसास कराती हैं। हिल स्टेशन से घाटियों-वादियों का मनोरम दृश्य दिखता है। 

   जंपुई हिल स्टेशन के वांगमुन गांव में पर्यटक आवास है। पर्यटक यहां से हिल स्टेशन का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। यूं कहें कि जंपुई पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है तो शायद कोई बड़ी बात न होगी। जंपुई के गांवों में संस्कृति एवं परम्पराओं का शानदार अवलोकन होता है। जंपुई का चेरो नृत्य खास लोकप्रिय है। इसे बांस नृत्य भी कहा जाता है। पर्यावरण संवर्धित वन क्षेत्र, लुभावनी घाटियों-वादियों, खूबसूरत झरनों से आच्छादित यह हिल स्टेशन देश विदेश के पर्यटकों का पसंदीदा है। यहां की अपनी एक समृद्ध संस्कृति है।

    प्राचीन स्मारकों एवं विरासतोें की श्रंखला पर्यटकों के दिलों-दिमाग पर अमिट छाप छोड़ती है। सुखद जलवायु के लिए प्रसिद्ध जंपुई हिल स्टेशन का विहंगम दृश्य अति मनोहारी होता है। पर्यटक यहां त्रिपुरी पारम्परिक व्यंजन का भी लुफ्त उठा सकते हैं। इस व्यंजन को माई बोरोक कहा जाता है।

    त्रिपुरा का यह भोजन स्वादिष्ट एवं हल्के मसालेदार होता है। खास यह कि इस इलाके में लकड़ी के परम्परागत आवास आकर्षक होते हैं। हालात यह हैं कि त्रिपुरा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत ने जंपुई हिल स्टेशन को आदर्श पर्यटन बना दिया है। जंपुई हिल स्टेशन की यात्रा तो वर्ष पर्यंत कभी भी की जा सकती है।

   फिर भी नवम्बर के दौरान जंपुई हिल स्टेशन की यात्रा बेहतरीन होती है। कारण इस अवधि में जंपुई का ऑरेंज फेस्टिवल आयोजित होता है। इसे पर्यटन महोत्सव भी कहते हैं। बारिश का मौसम भी यहां बेहद खुशगवार होता है। यह एक आदर्श अनुभव होता है।
    जंपुई हिल स्टेशन यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट अगरतला है। निकटतम रेलवे स्टेशन कुमारघाट है। पर्यटक जंपुई हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी कर सकते हैं।
23.935720,92.278190

Thursday, 23 August 2018

लाचुंग हिल स्टेशन: प्राकृतिक सौन्दर्य

   सिक्किम के लाचुंग हिल स्टेशन को भारतीय पर्यटन का सरताज कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी।

   लाचुंग हिल स्टेशन समुद्र तल से करीब 2900 मीटर ऊंचाई पर स्थित प्रकृति का एक सुन्दर आयाम है। लाचुंग तीस्ता नदी की सहायक नदियों लचुन एवं लचंग के संगम पर बसा एक छोटा-लघु शहर है। लाचुंक का स्थानीयता में शाब्दिक अर्थ छोटा पास होता है।

   सिक्किम की राजधानी गंगटोक से करीब 125 किलोमीटर दूर स्थित लाचुंग हिल स्टेशन प्राकृतिक सुन्दरता का विलक्षण आयाम है। लाचुंग खास सुन्दरता के कारण पर्यटन की दुनिया का चुनिंदा हिल स्टेशन है। 

  लाचुंग की आबादी खास तौर से लेप्चा एवं तिब्बती वशंज हैं। इस इलाके में बोली भाषा नेपाली, लेपचा एवं भूटिया प्रचलित है। सर्दियों में लाचुंग आम तौर पर बर्फ से ढ़का रहता है। स्कीइंग के लिए यह एक अति बेहतरीन एरिया है। यहां फुनी में स्कीइंग आयोजित की जाती है। 

    ब्रिटिश लेखकों ने लाचुंग को सिक्किम का सबसे खूबसूरत सुन्दर गांव कहा है। यहां की यमथांग घाटी एवं लाचेन घाटी की सुन्दरता लाजवाब है। उत्तर सिक्किम की गोद में रचा-बसा लाचुंग हिल स्टेशन प्राकृतिक सुन्दरता का अप्रतिम खजाना रखता है।

   लाचुंग के खूबसूरत झरने, फलों के बगीचे, हिमनद नदियां आदि इत्यादि बहुत कुछ मन को लुभाते हैं। लाचुंग नवविवाहित जोड़ों के हनीमून के लिए सर्वथा बेहतरीन एवं सुन्दर स्थान है। साहसिक खेलों, प्रकृति प्रेमियों एवं फोटोग्राफी के शौकीन पर्यटक लाचुंग हिल स्टेशन में भरपूर आनन्द ले सकते हैं। बर्फ की ओढ़नी लाचुंग की सुन्दरता को आैर भी बढ़ा देती है।

   लिहाजा यहां की शानदार सुन्दरता कैमरे में कैद की जा सकती है। बर्फ से ढ़की पर्वत चोटियां देखते ही बनती हैं। लाचुंग हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। लाचुंग हिल स्टेशन की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई की अवधि है। 

  अप्रैल-मई में लाचुंग की घाटियां फूलों की लकदक एवं सुगंध से भरपूर रहती हैं। यमथांग एवं लाचेन यहां की सुन्दर घाटियां हैं। यमथांग घाटी को खास तौर शून्य प्वाइंट भी माना जाता है। आत्म साधना के लिए यह क्षेत्र स्वर्ग माना जाता है। लाचुंग खास तौर से सेब, आडू एवं खुबानी के बागों के लिए जाना जाता है।  
   लाचुंग मठ: लाचुंग मठ एक पहाड़ी चोटी पर स्थित है। इस सुन्दर परिवेश में पर्यटक ध्यान लगाने बैठ जायें तो निश्चय ही खुद को भूल जायेंगे। लगभग 12000 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस लाचुंग मठ को न्यिंगमापा मठ कहा जाता है। वास्तुकला के सुन्दर आयाम इस मठ की स्थापना 1806 में की गयी थी। बाग बगीचों से घिरा यह एक सुन्दर एवं आध्यात्मिक स्थान है।  

    लाचुंग हथकरघा केन्द्र : लाचुंग हथकरघा केन्द्र में स्थानीय हस्तशिल्प के कलात्मकता का अवलोकन किया जा सकता है। हाथों से बने कम्बल आदि अद्वितीय होते हैं। 

   शिंगवा रोडोडैड्रन अभ्यारण : शिंगवा रोडोडैड्रन अभ्यारण करीब 8000 फुट ऊंचाई पर स्थित एक सुन्दर वन क्षेत्र है। खास तौर से हिमालयी पेड़ बुरांश की सुन्दरता यहां देखी जा सकती है। शिंगवा रोडोडैड्रन की यहां चार दर्जन से अधिक प्रजातियां उपलब्ध हैं। यह एक प्राकृतिक पार्क है। प्रजातियों में प्रीमुला, पोपपीज, पोर्टेटलस, सैक्सिफ्रेज एवं सज्जन आदि उपलब्ध हैं। खास यह कि कंचनजंघा राष्ट्रीय उद्यान भी इसी क्षेत्र में है।
   सागा दावा महोत्सव : सागा दावा महोत्सव यहां का मुख्य सांस्कृतिक पर्व है। लाचुंग में इसका आह्लादन दिखता है। बौद्ध परम्परा का यह पारम्परिक त्योहार है। भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन, जन्म, ज्ञान, मृत्यु आदि घटनाओं को दर्शाता है। इस उत्सव में लोक कलाओं एवं देशी-विदेशी व्यंजनों का संगमन यहां दिखता है। पर्यटक यहां जीवन का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।
   लाचुंग हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट बगदाग्रा पश्चिम बंगाल है। यह एयरपोर्ट लाचुंग हिल स्टेशन से करीब 185 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन नई जलपाईगुडी जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी लाचुंग हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
27.754380,88.505480

Tuesday, 21 August 2018

मसूरी हिल स्टेशन: पहाड़ों की रानी

   मसूरी को पहाड़ों की रानी कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। उत्तराखण्ड में स्थित मसूरी देश का सर्वाधिक पसंदीदा हिल स्टेशन माना जाता है।

    समुद्र तल से करीब 2005 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन अपनी आगोश में प्रकृति का अद्वितीय खजाना छिपाये है। उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से करीब 35 किलोमीटर दूर मसूरी हिल स्टेशन प्राकृतिक सौन्दर्य का नायाब नगीना है।

  हिमालय की गोद में रचा-बसा मसूरी मुख्यत: शिवालिक पर्वत श्रंखला का हिस्सा है। मसूरी स्वप्निल संसार जैसा प्रतीत होता है। मसूरी मुख्यत: गंगोत्री का प्रवेश द्वार है। पर्वतीय वनस्पतियां एवं वन्य जीवन मसूरी हिल स्टेशन के सौन्दर्य को आैर भी अधिक बढ़ा देते हैं। मसूरी सुन्दर एवं शीतल पर्यटन क्षेत्र है। यहां की आबोहवा मन मस्तिष्क को सुखद ऊर्जा प्रदान करती है।

   मसूरी हिल स्टेशन कभी बादलों की गोद में रहता है तो कभी हिमपात से आच्छादित होता है। यहां बर्फबारी का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है। खास यह कि मसूरी में झीलों एवं झरनों की एक लम्बी श्रंखला है। पहाड़ों की रानी मसूरी की सुन्दरता रात में आैर भी निखर आती है। रोशनी से जगमगाती मसूरी हिमालय का मुकुट होने का एहसास कराती है। 

   मसूरी हिल स्टेशन एवं उसके आसपास दर्शनीय स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से गन हिल्स, म्युनिसिपल गार्डेन, तिब्बती मंदिर, चाइल्डर्स लॉज, कैमल बैक रोड, झडी वॉटर फॉल्स, भट्टा वॉटर फॉल्स, कैम्पटी वॉटर फॉल्स, नाग देवता मंदिर एवं मसूरी झील आदि इत्यादि हैं।
    गन हिल्स: गन हिल्स से हिमालय पर्वत श्रंखला का भव्य-दिव्य दर्शन होता है। गन हिल्स मसूरी की दूसरी सबसे बड़ी पर्वत चोटी है। पर्यटक यहां रोप वे का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। हालांकि रोप वे की लम्बाई केवल 400 मीटर है। रोप वे की यात्रा का आनन्द एवं रोमांच का एहसास किया जा सकता है।

    गन हिल्स से बंदरपंच, श्रीकांता, पिठवाड़ा, गंगोत्री का सुन्दर दृश्य देखा जा सकता है। यहां से मसूरी एवं दून घाटी का विहंगम दृश्य दिखता हैं। विशेषज्ञों की मानें तो आजादी से पहले इस स्थान पर दिन में तोप चलायी जाती थी। जिससे इलाके के बाशिंदे घड़ियों का मिलान कर लें। तोप चलने के कारण इस हिल का नाम ही गन हिल्स हो गया।
   म्युनिसिपल गार्डेन : म्युनिसिपल गार्डेन वस्तुत: एक सुन्दर बोटैनिकल गार्डेन है। इस सुन्दर पार्क को आयाम एवं आकार देने वाले विश्वविख्यात भूवैज्ञानिक डा. एच. फाकनार लोगी थे। उन्होंने वर्ष 1842 में इसे एक सुन्दर उद्यान का आकार दिया था। बाद में इसे कम्पनी गार्डेन या म्युनिसिपल गार्डेन कहा जाने लगा। 

   तिब्बती मंदिर: तिब्बती मंदिर वस्तुत: बौद्ध सभ्यता को बयां करता है। यह मंदिर सौन्दर्य शास्त्र का एक सुन्दर आयाम है। मंदिर के पीछे कुछ ड्रम स्थापित हैं। कहावत एवं मान्यता है कि इन ड्रम को घुमाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
   चाइल्डर्स लॉज : चाइल्डर्स लॉज वस्तुत: मसूरी की सबसे बड़ी चोटी है। टूरिस्ट दफ्तर से यह 5 किलोमीटर दूर है। यहां से बर्फबारी का दृश्य देखना रोमांचक होता है। 

   कैमल बैक रोड : कैमल बैक रोड मसूरी का एक सुन्दर क्षेत्र है। हिमालय का सूर्यास्त दृश्य यहां से अति सुन्दर दिखता है। खास तौर से यहां कैमल रॉक दिखता है। ऊंट श्रंखला का आवागमन यहां आम रहता है।
   झडी वॉटर फॉल्स: झडी वॉटर फॉल्स मसूरी से करीब 8.50 किलोमीटर दूर है। यह एक सुन्दर वॉटर फॉल्स है।
   भट्टा वॉटर फॉल्स : भट्टा वॉटर फॉल्स मसूरी-देहरादून रोड पर करीब 7 किलोमीटर दूर है। यह नहाने एवं पिकनिक का एक आदर्श स्थान है।
    कैम्पटी वॉटर फॉल्स : कैम्पटी वॉटर फॉल्स यमुनोत्री रोड पर मसूरी से करीब 15 किलोमीटर दूर है। करीब 4500 फुट ऊंचाई पर स्थित यह सुन्दर घाटी का अति खूबसूरत झरना है। चारों ओर ऊंचे-ऊचे पहाड़ों की यह घाटी सुन्दर पिकनिक स्पॉट है।
   मसूरी झील: मसूरी झील हिल स्टेशन से करीब 6 किलोमीटर दूर है। इस झील में पैडल वोटिंग की सुविधा है। जिससे पर्यटक जलयात्रा का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। यहां से दून घाटी का सुन्दर दृश्य दिखता है। ्
वाम चेतना केन्द्र : वाम चेतना केन्द्र देवदार के जंगलों एवं फूलों की बागवानी वाला सुन्दर स्थान है। इस पार्क में हिमालयीय मोर आदि सहित वन्यजीव उपलब्ध रहते हैं।
    मसूूरी हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट गोविन्द बल्लभ पंत एयरपोर्ट है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।
30.446180,78.075740

Friday, 17 August 2018

कांगड़ा हिल स्टेशन : प्राकृतिक सौन्दर्य

    कांगड़ा हिल स्टेशन को सुन्दरता का विशिष्ट आयाम कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा दिखती है।

    पर्वत श्रंखलाओं की चोटियां, घाटियां-वादियां एवं मखमली घास के विहंगम मैदान एवं लॉन लुभावने हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला स्थित यह हिल स्टेशन अपने आगोश में धार्मिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों की एक लम्बी श्रंखला समेटे है।

    समुद्र तल से करीब 2350 फुट ऊंचाई पर स्थित कांगड़ा हिल स्टेशन देश दुनिया में अपनी एक अलग ख्याति रखता है। खास यह कि इस क्षेत्र को लघु हिमालय भी कहा जाता है। शिवालिक एवं धौलाधर पर्वत श्रंखला के मध्य स्थित यह पर्यटन क्षेत्र विशिष्ट प्रतीत होता है।

     कांगड़ा देश दुनिया में चाय, चावल एवं कुल्लू फलों के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है। सर्दियों में यहां कड़ाके की सर्दी का आनन्द लिया जा सकता है। कांगड़ा को देवभूमि एवं देव स्थानम भी कहा जाता है। कारण यहां धार्मिक स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है। बाणगंगा एवं मांझी नदी के मध्य स्थित कांगड़ा हिल स्टेशन अपनी दिव्यता-भव्यता के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है।

     कांगड़ा को नगरकोट के नाम से भी ख्याति हासिल है। कांगड़ा के दक्षिण में प्राचीन किला एवं उत्तर में मां बृजेश्वरी देवी का दिव्य-भव्य मंदिर है। इस मंदिर का दिव्य भव्य सुनहरा कलश कांगड़ा की पहचान है।
   खास यह कि कांगड़ा की कलम विश्वविख्यात है तो कांगड़ा की चित्रशैली अनुपम है। कांगड़ा हिल स्टेशन की घाटियां-वादियां खूबसूरती के लिए विश्व विख्यात हैं। कांगड़ा की सभ्यता एवं संस्कृति  करीब 35 सौ वर्ष पुरानी है। वैदिक काल में भी कांगड़ा का उल्लेख है।

    कांगड़ा हिल स्टेशन एवं उसके आसपास विशिष्ट एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से बृजेश्वरी देवी का मंदिर (कांगड़ा देवी का मंदिर), कांगड़ा किला, महाराणा प्रताप झील, कांगड़ा आर्ट गैलरी, मशरुर मंदिर, करायरी झील, सुजानपुर किला एवं चिन्मय तपोवन आदि हैं।
    बृजेश्वरी देवी मंदिर : बृजेश्वरी देवी मंदिर को कांगड़ा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कांगड़ा देवी मंदिर ही खास तौर से कांगड़ा की पहचान है। मान्यता है कि इस दिव्य-भव्य मंदिर का निर्माण महाभारत काल में किया गया था। मंदिर का अपना एक अलग वैभवशाली इतिहास है। यह स्थान देश की 51 पीठों में से एक है। मंदिर के गर्भगृह में रजत छत्र के नीचे मां शक्ति की पिण्डी के रूप में देवी प्रतिष्ठिापित हैं।


    कांगड़ा किला : कांगड़ा किला खास तौर से कांगड़ा के शासकों का स्मृति शेष है। इस किला का निर्माण राजा भूमा चन्द ने कराया था। बाणगंगा नदी के किनारे बना यह किला करीब 350 फुट ऊंचा है। इस किला पर कई हमले हुये। वर्ष 1886 में यह किला अंग्रेज शासकों के अधीन हो गया। किला के सामने लक्ष्मी नारायण एवं आदिनाथ के मंदिर हैं। किला के भीतर दो बड़े तालाब भी हैं। इनमें से एक तालाब को कपूर सागर के नाम से जाना जाता है।


   महाराणा प्रताप सागर झील: महाराणा प्रताप सागर झील व्यास नदी का हिस्सा है। व्यास नदी पर वर्ष 1960 में बांध भी बनाया गया था। इसे अब महाराणा प्रताप सागर झील कहा जाता है। इस झील का जल करीब 400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इस झील क्षेत्र को वर्ष 1983 में वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। विशेषज्ञों की मानें तो यहां पक्षियों की 220 प्रजातियां प्रवास करती हैं। इस बांध को पोंग बांध भी कहते हैं।
    कांगड़ा कला दीर्घा : कांगड़ा कला दीर्घा वस्तुत: कांगड़ा घाटी की कलाओं का समृद्ध भण्डारण है। यहां कांगड़ा के लोकप्रिय लघु चित्र, मूर्तियों एवं मिट्टी के बर्तन का अनुपम संग्रह है।
    मशरुर मंदिर : मशरुर मंदिर कांगड़ा के दक्षिण में करीब 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। समुद्र तल से करीब 800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस नगर में करीब 15 शिखर मंदिर है। चट्टानों को काट कर बनाये गये इन मंदिरों का संबंध दशवीं शताब्दी से है। यह मंदिर इण्डो-आर्यन शैली में बने हैं। इन मंदिरों की तुलना अजंता एलोरा के मंदिरों से की जाती है।
    करायरी झील: करायरी झील वस्तुत: घने वन क्षेत्र से घिरी है। धौलाधर पर्वत श्रंखला की सुन्दरता यहां देखते ही बनती है। करायरी झील इस इलाके का ट्रेकिंग एरिया भी है।
    सुजानपुर किला : सुजानपुर किला कांगड़ा की सीमा पर स्थित है। सुजानपुर किला का निर्माण कांगड़ा के राजा अभय चन्द ने 1758 में कराया था।
    चिन्मय तपोवन : चिन्मय तपोवन एक पहाड़ी क्षेत्र है। यह कांगड़ा से करीब 10 किलोमीटर दूर है। इस आश्रम की स्थापना स्वामी चिन्मयानन्द ने की थी। इस खूबसूरत स्थान पर हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति है। विशाल शिवलिंग की स्थापना भी यहां है।
     कांगड़ा हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। कांगड़ा एयरपोर्ट कांगड़ा हिल स्टेशन से करीब 7 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट है। पठानकोट से कांगड़ा हिल स्टेशन की दूरी करीब 90 किलोमीटर है। मुकरियन रेलवे स्टेशन की दूरी यहां से करीब 30 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
32.101500,76.273200

Thursday, 16 August 2018

मोन हिल स्टेशन : प्रकृति का उपहार

   बादलों की गोद में स्थित मोन हिल स्टेशन को प्रकृति का सुन्दर उपहार कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। 

   जी हां, नागालैण्ड का यह सुन्दर हिल स्टेशन प्राकृतिक उपहारों से अति समृद्ध है। भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र का यह हिल स्टेशन लोक संस्कृति का अद्भुत संवाद है। चौतरफा पर्वत श्रंखला का लुभावनापन, घाटियों-वादियों का विलक्षण स्वरूप तथा मखमली घास का स्पर्श एवं वनस्पतियों - फूलों की सुगंध दिल दिमाग को प्रफुल्लित कर देता है। झीलों-झरनों की खूबसूरती हिल स्टेशन की सुन्दरता में चार चांद लगा देती है।

    मोन की आदिवासी संस्कृति ह्मदयंगम हो जाती है। खास तौर से यह जनजाति कानीक नागा का प्रवास क्षेत्र है। पंख धारण एवंं टेटुओं से आच्छादित चेहरा एवं शरीर आदिवासियों को एक अलग ही पहचान देता है। यहां की कारीगरी एवं कार्य कुशलता देखते ही बनती है। पुरुषों का सौन्दर्य शास्त्र देखते ही बनता है। कोनीक्स नागालैण्ड का सबसे बड़ा जनजाति वर्ग है। यहां पीतल एवं मोती के गहनें खास तौर से प्रचलन में होते हैं। 

    मोन हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से शनग्नयु गांव, चुई गांव, लोंगावा, वेद पीक, नागानिमोरा आदि हैं। पर्यटक मोन हिल स्टेशन के आसपास वाले इलाकों मसलन मांउट तिई, माउंट सरमाती, लिफानियन शिविर, कोहिमा चिड़ियाघर एवं राष्ट्रीय उद्यान आदि का भी भ्रमण कर सकते हैं।

   मोन हिल स्टेशन एरिया प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ साहसिक खेलों एवं पर्वतारोहण के लिए भी खास तौर से जाना पहचाना जाता है। विभिन्न प्रजातियों की वनस्पतियों की प्रचुरता परिवेश को बेहतरीन आक्सीजन प्रदान करती है। पर्यटक इस विलक्षण मोन हिल स्टेशन एरिया में वन्य जीवन के रोमांच का एहसास कर सकते हैं। 

   शनग्नयु गांव : शनग्नयु गांव वस्तुत: एक स्मारक क्षेत्र है। गांव में एक सुन्दर एवं अद्भुत लकड़ी का स्मारक है। मान्यता है कि स्वर्ग दूतों ने इसका निर्माण किया था। मनुष्य एवं अन्य प्राणियों की छवि इस सुन्दर स्मारक में उत्कीर्ण है। यह क्षेत्र मित्रता के लिए जाना जाता है।
चुई गांव : चुई गांव इलाका का एक अद्भुत क्षेत्र है। इस गांव में दुश्मन की खोपड़ियों का प्रदर्शन किया जाता है। 
   लोंगवा : लोंगवा वस्तुत: भारत म्यांमार सीमा क्षेत्र वाला इलाका है। लोंगवा मुख्यत: म्यांमार के लोजी से जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर स्थित है। लोंगवा से 60 से अधिक जनजाति प्रभावित क्षेत्रों में शासन चलता है।
   वेद पीक : वेद पीक मोन हिल स्टेशन एरिया का सर्वोच्च शिखर है। यह वेद पीक मोन हिल्स से करीब 70 किलोमीटर पूर्व दिशा में स्थित है।

 इस पीक से ब्राह्मपुत्र एवं चिंडविन नदियों का विहंगम दृश्य दिखता है। इस पर्वत चोटी पर एक सुन्दर एवं बड़ा झरना है। इस इलाका को सर्वोत्तम पिकनिक स्पॉट माना जाता है। इस इलाके में सुन्दर झरनों-झीलों की श्रंखला है। 
   नागानिमोरा : नागानिमोरा एक अति सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। वस्तुत: इसका नाम नागा रानी मोरा है। जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ नागा रानी का दफन स्थल है।
    मोन हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट दीमापुर है। निकटतम रेलवे स्टेशन दीमापुर जंक्शन है। इसके अलावा पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।
26.720300,95.030500

Wednesday, 15 August 2018

तुएनसांग हिल स्टेशन : मखमली एहसास

   तुएनसांग हिल स्टेशन को प्रकृति का मखमली एहसास कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। भारत के पूर्वोत्तर राज्य नागालैण्ड के तुएनसांग हिल स्टेशन की प्राकृतिक सुन्दरता का कोई जोड़ नहीं।

   तुएनसांग का प्राकृतिक परिवेश निश्चय ही मुग्ध करने वाला है। लिहाजा पर्यटकों का आकर्षित होना लाजिमी है। चौतरफा हिम श्रंखला का आकर्षण दिखता है। वहीं, घाटियों-वादियों में एक लुभावनी सुरम्यता का एहसास होता है। घाटी के मखमली घास के मैदान-ढ़लान एवं लॉन एक सुखद स्पर्श का एहसास कराते हैं।

   समुद्र तल से करीब 1371 मीटर ऊंचाई पर स्थित तुएनसांग हिल स्टेशन शांत एवं शीतलता प्रदान करता है। चौतरफा वनस्पतियों से आच्छादित वन क्षेत्र पर्यटकों को भरपूर आक्सीजन देते हैं। घाटियां-वादियां फूूलों की सुगंध से महकती रहती है। निश्चय ही यहां की आबोहवा पर्यटकों को ऊर्जावान बना देती है।

   तुएनसांग हिल एरिया में ऐसा एहसास होता कि जैसे एक स्वप्नीली दुनिया में विचरण कर रहे हों। नागालैण्ड के जिला तुएनसांग का हिस्सा तुएनसांग हिल एरिया अति शीतलता वाला इलाका है। बादलों की अठखेलियों से पर्यटकों को कहीं न कहीं रुबरु अवश्य होना पड़ता है। बादलों का स्पर्श करते हुये गुजरना एक रोमांच पैदा करता है। 

  मौसम के करवट बदलने पर बर्फबारी का भी यहां भरपूर आनन्द मिलता है। हिम शिखरों पर बर्फ की चादर अत्यंत लुभावनी प्रतीत होती है। म्यांमार से सटा यह पर्यटन क्षेत्र अपनी एक अलग ख्याति रखता है। नागालैण्ड का यह पूर्वी इलाका प्राकृतिक सम्पदाओं से अति समृद्धता वाला है।

   प्राकृतिक झरनों, झीलों, वनस्पतियों की प्रचुरता, फूलों की घाटियां-वादियां मन मस्तिष्क को प्रफुल्लित करती हैं। वस्तुत: तुएनसांग हिल एरिया जनजातियों के प्रभाव वाला क्षेत्र है। लिहाजा इस इलाका में जनजातियों की संस्कृति एवं सभ्यता का भी एहसास कर सकते हैं। स्थानीय जनजातियों में खास तौर से चांग, संगटम्स, यमचंगर्स एवं खेमनींग्स आदि हैं। इन जनजातियों के प्रवास क्षेत्र गांव में कला संस्कृति का नायाब अंदाज लुभावना होता है।

   खास यह कि तुएनसांग की झीलों-झरनों में आैषधीय गुण पाये जाते हैं। इसके पीछे वनस्पतियों की प्रचुरता है। वनस्पतियों की घुलनशीलता झीलों-झरनों को आैषधीय गुणों से समृद्ध कर देती है। लिहाजा इनका जल कहीं अधिक उपयोगी माना जाता है।
   तुएनसांग हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट गुवाहाटी है। हालांकि दीमापुुर एयरपोर्ट से भी तुएनसांग की यात्रा की जा सकती है। निकटतम रेलवे स्टेशन दीमापुर है। हालांकि मारियानी जंक्शन तुएनसांग के निकटतम रेलवे स्टेशन में माना जाता है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी तुएनसांग हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
26.236953,94.815475

Tuesday, 14 August 2018

मोकोकचुंग हिल स्टेशन:धरती का स्वर्ग

   मोकोकचुंग हिल स्टेशन को प्रकृति का गुलदस्ता कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, मोकोकचुंग हिल स्टेशन में प्राकृतिक सुन्दरता का हर आयाम है। 

  नागालैण्ड का यह हिल स्टेशन देश विदेश में अपनी एक अलग ख्याति रखता है। मोकोकचुंग हिल स्टेशन में खूबसूरत घाटियां-वादियां, पर्वत श्रंखलाओं, दर्रो की श्रंखला, नदियों-झीलों की सुन्दर श्रंखला विद्यमान है। समुद्र तल से करीब 1325 मीटर शीर्ष पर स्थित यह हिल स्टेशन देश दुनिया में अपनी एक अलग ख्याति है। यहां की पर्वत श्रंखलाओं की रोमांचक यात्रा का आनन्द लिया जा सकता है।

   खास यह कि यहां की रोमांचक यात्रायें अविस्मरणीय हो जाती हैं। कारण चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की इन्द्रधनुषी आभा आच्छादित है। बादलों एवं पर्वत श्रंखलाओं की अठखेलियां देख कर मन पुलकित हो उठता है। पहाड़ी चोटियों से मोकोकचुंग का मनोहारी दृश्य दिखता है। शहर का विहंगम दृश्य रात में आैर भी अधिक आकर्षक दिखता है। कारण रात में शहर रोशनी से जगमगा उठता है। 

  मोकोकचुंग हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षक स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से लोंगखुम, गुफायें, तेंगकम, मारोक, उन्गमा, चूचूयिमलांग आदि सहित बहुत कुछ है। मोकोकचुंग को खास तौर से नागालैण्ड की सांस्कृतिक एवं बौद्धिक राजधानी के रूप में पहचाना जाता है। 
   लोंगखुम : लोंगखुम हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। कहावत है कि लोंगखुम की यात्रा करना एक बार काफी नहीं होती। मान्यता है कि कोई पहली बार यात्रा पर आता है तो उसकी आत्मा यहां रह जाती है। आत्मा को वापस लेने के लिए दोबारा यात्रा करनी चाहिए। लोंगखुम का हस्तशिल्प एवं हथकरघा खास तौर पर प्रसिद्ध है। स्थानीय निवासी लोंगलपा त्संुग्रेम भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। 

   गुफाएं : मोकोकचुंग हिल स्टेशन के मुख्य आकर्षण में यहां की गुफाएं भी हैं। मोकोकचुंग की यात्रा की अवधि में पर्यटकों को फ्युजन केई एवं मोंगजु गुफाओं की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। यह सुन्दर एवं शानदार गुफायें करीब 25 किलोमीटर लम्बी हैं।
   तेंगकम मारोक : तेंगकम मारोक वस्तुत: एक खूबसूरत झरना है। मान्यता है कि इस झरना में दिव्य शक्ति है। खूबसूरत चट्टान से प्रवाहित यह शीतल एवं शांत झरना दीर्घ आयु प्रदान करता है। इसी झरना के निकट लोंगरित्यु लेंडेन की यात्रा का आनन्द लिया जा सकता है।

   उन्गमा : उन्गमा आदिवासियों का एक सुन्दर गांव है। उन्गमा मोकोकचुंग से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित है। खास यह कि इस सुन्दर गांव को खुद आदिवासियों ने बसाया था। उन्गमा को आदिवासियों का जीता जागता संग्रहालय कहा जा सकता है। संस्कृति एवं सभ्यता के सुन्दर आयाम यहां महसूस किये जा सकते हैं। 
   चूचूयिमलांग : चूचूयिमलांग सांस्कृतिक उत्सव के लिए खास तौर से जाना जाता है। मोआत्सु उत्सव यहां की खासियत है। यह उत्सव खास तौर से भाई-चारा एवं आपसी सौहाद्र्र के लिए जाना जाता है। उत्सव पर एक दूसरे को उपहार देने की परम्परा है।    
   मोकोकचुंग पार्क : मोकोकचुंग पार्क को मुख्य रूप से टाउन पार्क कहा जाता है। इलाके का यह मुख्य पर्यटन स्थल है। प्राकृतिक सुन्दरता का यह एक आदर्श स्थान है। पार्क का व्यू प्वाइंट पर्यटकों का खास एवं पसंदीदा स्थल रहता है। इस व्यू प्वाइंट से मोकोकचुंग का दृश्य पक्षी की आंख जैसा दिखता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे किसी चित्रकार ने सुन्दर चित्र गढ़ा हो। पार्क में एक सुन्दर फुटबाल ग्राउण्ड एवं वाच टावर भी है। फुटबाल नागालैण्ड का मुख्य खेल है। बसंत ऋतु में यहां घूमने का आनन्द ही कुछ आैर होता है।
    मोकोकचुंग हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट दीमापुर है। दीमापुर एयरपोर्ट से मोकोकचुंग हिल स्टेशन की दूरी करीब 212 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन भी दीमापुर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।
25.906905,93.729756

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...