खिरसू हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग
खिरसू हिल स्टेशन को प्रकृति का जादू कहा जाना चाहिए। जी हां, खिरसू हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य किसी जादुई चमत्कार से कम नहीं है।
उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल का यह हिल स्टेशन भले ही छोटा प्रतीत होता हो लेकिन प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा यहां दिखती है। हिमालय के शिखर से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अवलोकन एक निराली छटा बिखेरता है। यह दृश्य मुग्ध करने वाला होता है।
समुद्र तल से करीब 1700 मीटर ऊंचाई पर स्थित खिरसू वस्तुत: एक सुन्दर गांव है। गांव का शांत एवं शीतल वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है। उच्च पहाड़ियों एवं सघन वन क्षेत्र से घिरा होने के कारण खिरसू हिल स्टेशन आसपास के अन्य हिल स्टेशन की तुलना में कहीं अधिक शीतल रहता है।
विशेषज्ञों की मानें तो लैंसडाउन हिल स्टेशन की तुलना में खिरसू में कहीं अधिक शीतलता रहती है। देवदार एवं ओक के सुन्दर एवं शानदार वृक्ष खिरसू हिल स्टेशन की सुन्दरता में चार चांद लगा देते हैं। सेव के बाग-बगीचे होने के कारण पर्यटक सुगंध का खास एहसास करते हैं।
सुन्दरता, शीतलता एवं शांत होने के कारण खिरसू हिल स्टेशन देश विदेश के पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। मखमली घास के मैदान में खिलंदड़पन करना हो या फिर बर्फबारी का लुफ्त उठाना हो। खिरसू हिल स्टेशन का कोई जोड़ नहीं। खिरसू हिल स्टेशन को प्राकृतिक स्वर्ग भी कहा जाता है।
पौड़ी गढ़वाल से करीब 19 किलोमीटर दूर स्थित खिरसू हिल स्टेशन से हिमालय की सुन्दरता का विलक्षण दृश्य दिखता है। पक्षियों का कोलाहल एक कर्णप्रिय आनन्द प्रदान करता है। बांज, देवदार, चीड़, बुरांश की वृक्ष श्रंखला खिरसू हिल स्टेशन को आैर भी अधिक सुन्दर बनाती है।
खिरसू हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। घंडियाल देवता का मंदिर, धारी देवी मंदिर, नेचर पार्क, ट्रैकिंग प्वाइंट सहित बहुत कुछ घूमने फिरने लायक है। खास यह कि पर्यटक यहां से हिमालय की तीन सौ से अधिक ज्ञात एवं अज्ञात पर्वत चोटियां देख सकते हैं।
घंडियाल देवता मंदिर: घंडियाल देवता मंदिर वस्तुत: एक प्राचीन मंदिर है।
घंडियाल देवता मंदिर: घंडियाल देवता मंदिर वस्तुत: एक प्राचीन मंदिर है।
खिरसू से कुछ ही दूर स्थित घंडियाल देवता मंदिर वस्तुत: शिव जी को समर्पित मंदिर है। निकट ही कंडोलिया मंदिर भी है। इस मंदिर में भगवान को हल्दी भेंट की जाती है।
धारी देवी मंदिर: धारी देवी मंदिर वस्तुत: काली देवी को समर्पित मंदिर है। मान्यता है कि धारी देवी उत्तराखण्ड की संरक्षक एवं पालक देवी हैं। धारी देवी का मंदिर बद्रीनाथ रोड़ पर श्रीनगर एवं रुद्र प्रयाग के मध्य अलकनंदा नदी के तट पर विद्यमान है।
विशेषज्ञों की मानें तो धारी देवी की मूर्ति का आधा हिस्सा अलकनंदा नदी में बह कर यहां आया था। तभी से यहां धारी देवी का पूजन-अर्चन किया जा रहा है। मूर्ति का निचला हिस्सा कालीमठ में स्थापित है। कालीमठ में धारी देवी की काली मां के रूप में आराधना की जाती है।
पक्षी विहार: पक्षी विहार वस्तुत: खिरसू हिल स्टेशन के वन आच्छादित क्षेत्र को कहा जाता है। वन क्षेत्र में पक्षियों की दर्जनों दुर्लभ प्रजातियों सहित बड़ी तादाद में पक्षियों का प्रवास रहता है। खिरसू का पक्षी विहार पक्षियों एवं सुन्दरता के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है। पक्षियों का कोलाहल बेहद कर्णप्रिय लगता है।
ट्रैकिंग: ट्रैकिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए खिरसू हिल स्टेशन बेहद पसंदीदा स्थान है। ट्रैकिंग करनी है तो पर्यटकों को एक ऊंची पहाड़ी पर जाना होता है। इस पहाड़ी चोटी को फुरकंडा प्वाइंट कहा जाता है। इस चोटी से खिरसू सहित आसपास के गांव का सुन्दर दृश्य दिखता है।
खिरसू हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट देहरादून है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून से खिरसू हिल स्टेशन की दूरी करीब 170 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कोटद्वार है। कोटद्वार से खिरसू हिल स्टेशन की दूरी करीब 120 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी खिरसू हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
30.148500,78.774500
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