Tuesday, 30 October 2018

खिरसू हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग

    खिरसू हिल स्टेशन को प्रकृति का जादू कहा जाना चाहिए। जी हां, खिरसू हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य किसी जादुई चमत्कार से कम नहीं है।

    उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल का यह हिल स्टेशन भले ही छोटा प्रतीत होता हो लेकिन प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा यहां दिखती है। हिमालय के शिखर से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अवलोकन एक निराली छटा बिखेरता है। यह दृश्य मुग्ध करने वाला होता है। 

   समुद्र तल से करीब 1700 मीटर ऊंचाई पर स्थित खिरसू वस्तुत: एक सुन्दर गांव है। गांव का शांत एवं शीतल वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है। उच्च पहाड़ियों एवं सघन वन क्षेत्र से घिरा होने के कारण खिरसू हिल स्टेशन आसपास के अन्य हिल स्टेशन की तुलना में कहीं अधिक शीतल रहता है।

    विशेषज्ञों की मानें तो लैंसडाउन हिल स्टेशन की तुलना में खिरसू में कहीं अधिक शीतलता रहती है। देवदार एवं ओक के सुन्दर एवं शानदार वृक्ष खिरसू हिल स्टेशन की सुन्दरता में चार चांद लगा देते हैं। सेव के बाग-बगीचे होने के कारण पर्यटक सुगंध का खास एहसास करते हैं।

   सुन्दरता, शीतलता एवं शांत होने के कारण खिरसू हिल स्टेशन देश विदेश के पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। मखमली घास के मैदान में खिलंदड़पन करना हो या फिर बर्फबारी का लुफ्त उठाना हो। खिरसू हिल स्टेशन का कोई जोड़ नहीं। खिरसू हिल स्टेशन को प्राकृतिक स्वर्ग भी कहा जाता है।

   पौड़ी गढ़वाल से करीब 19 किलोमीटर दूर स्थित खिरसू हिल स्टेशन से हिमालय की सुन्दरता का विलक्षण दृश्य दिखता है। पक्षियों का कोलाहल एक कर्णप्रिय आनन्द प्रदान करता है। बांज, देवदार, चीड़, बुरांश की वृक्ष श्रंखला खिरसू हिल स्टेशन को आैर भी अधिक सुन्दर बनाती है। 

    खिरसू हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। घंडियाल देवता का मंदिर, धारी देवी मंदिर, नेचर पार्क, ट्रैकिंग प्वाइंट सहित बहुत कुछ घूमने फिरने लायक है। खास यह कि पर्यटक यहां से हिमालय की तीन सौ से अधिक ज्ञात एवं अज्ञात पर्वत चोटियां देख सकते हैं। 
   घंडियाल देवता मंदिर: घंडियाल देवता मंदिर वस्तुत: एक प्राचीन मंदिर है। 

   खिरसू से कुछ ही दूर स्थित घंडियाल देवता मंदिर वस्तुत: शिव जी को समर्पित मंदिर है। निकट ही कंडोलिया मंदिर भी है। इस मंदिर में भगवान को हल्दी भेंट की जाती है। 
   धारी देवी मंदिर: धारी देवी मंदिर वस्तुत: काली देवी को समर्पित मंदिर है। मान्यता है कि धारी देवी उत्तराखण्ड की संरक्षक एवं पालक देवी हैं। धारी देवी का मंदिर बद्रीनाथ रोड़ पर श्रीनगर एवं रुद्र प्रयाग के मध्य अलकनंदा नदी के तट पर विद्यमान है।

   विशेषज्ञों की मानें तो धारी देवी की मूर्ति का आधा हिस्सा अलकनंदा नदी में बह कर यहां आया था। तभी से यहां धारी देवी का पूजन-अर्चन किया जा रहा है। मूर्ति का निचला हिस्सा कालीमठ में स्थापित है। कालीमठ में धारी देवी की काली मां के रूप में आराधना की जाती है। 
   पक्षी विहार: पक्षी विहार वस्तुत: खिरसू हिल स्टेशन के वन आच्छादित क्षेत्र को कहा जाता है। वन क्षेत्र में पक्षियों की दर्जनों दुर्लभ प्रजातियों सहित बड़ी तादाद में पक्षियों का प्रवास रहता है। खिरसू का पक्षी विहार पक्षियों एवं सुन्दरता के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है। पक्षियों का कोलाहल बेहद कर्णप्रिय लगता है।
   ट्रैकिंग: ट्रैकिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए खिरसू हिल स्टेशन बेहद पसंदीदा स्थान है। ट्रैकिंग करनी है तो पर्यटकों को एक ऊंची पहाड़ी पर जाना होता है। इस पहाड़ी चोटी को फुरकंडा प्वाइंट कहा जाता है। इस चोटी से खिरसू सहित आसपास के गांव का सुन्दर दृश्य दिखता है।

    खिरसू हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट देहरादून है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून से खिरसू हिल स्टेशन की दूरी करीब 170 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कोटद्वार है। कोटद्वार से खिरसू हिल स्टेशन की दूरी करीब 120 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी खिरसू हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
30.148500,78.774500

Sunday, 28 October 2018

धनौल्टी हिल स्टेशन : प्रकृति का एहसास

   धनौल्टी हिल स्टेशन को प्रकृति का एक सुखद एहसास कहा जाना चाहिए। जी हां, धनौल्टी हिल स्टेशन एहसास कराता है कि जैसे प्रकृति की गोद में हों। 

   देवदार के सघन वन क्षेत्र से घिरा धनौल्टी देश दुनिया में खूबसूरती के लिए खास पहचान रखता है। उत्तराखण्ड के जिला टेहरी गढ़वाल का यह चुनिंदा हिल स्टेशन शांत एवं सुरम्यता का इन्द्रधनुषी रंग है।

   समुद्र तल से करीब 2286 मीटर ऊंचाई पर स्थित धनौल्टी हिल स्टेशन को एक आदर्श हिल स्टेशन की मान्यता हासिल हो रही है। मखमली घास के मैदान आैर बर्फ की ओढ़नी से ढ़की पर्वत चोटियां बेहद दर्शनीय प्रतीत होती हैं। 

   बादलों का खिलंदड़पन तो धनौल्टी हिल स्टेशन में आम है। कभी पर्यटक खुद को बादलों की गोद में महसूस करते हैं तो कभी बादल पर्यटकों की गोद में होते हैं। 
   शीर्ष ऊंचाई पर होनेे के कारण बर्फबारी का भरपूर आनन्द पर्यटक ले सकते हैं। मसूरी से करीब 14 किलोमीटर दूर स्थित धनौल्टी हिल स्टेशन सुरम्यता का खास आयाम है। खास यह कि पर्यटक यहां से दून घाटी का भी लुफ्त ले सकते हैं। 
   धनौल्टी का इको पार्क बेहद दर्शनीय है। देवदार के वृक्ष श्रंखला से आच्छादित इको पार्क पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। 
   वस्तुत: यह एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। देवगढ़ किला खास तौर से अपनी प्राचीनता एवं सुन्दरता के लिए जाना जाता है। पर्यटक यहां प्राचीनता का आनन्द ले सकते हैं। 

   देवगढ़ किला पहाड़ी सुन्दरता का एक शानदार नगीना है। धनौल्टी हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर एवं आकर्षक स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है।

    इनमें खास तौर से देवगढ़ किला, इको पार्क, जोरांडा वॉटर फॉल्स, आलू फार्म, माताटीला बांध आदि इत्यादि हैं। धनौल्टी हिल स्टेशन में पर्यटक रॉक क्लाइम्बिंग, रिवर रॉफ्टिंग-क्रासिंग, हाईकिंग एवं ट्रैकिंग का आनन्द ले सकते हैं।
   देवगढ़ किला: देवगढ़ किला की यात्रा से पर्यटक धनौल्टी हिल स्टेशन का भ्रमण प्रारम्भ कर सकते हैं। पहाड़ी सौन्दर्य का यह एक शानदार आयाम है। अनेक झंझावात के बीच भी यह प्राचीन किला अपनी सुन्दरता को बरकरार रखता है। 

   किला की दिव्यता-भव्यता एवं स्थापत्य कला बेहद दर्शनीय है। मूर्तियों की सुन्दरता इसे कुछ खास बना देती है। खास यह कि इस किला के आसपास कई धार्मिक स्थल भी हैं।
   इको पार्क: इको पार्क इस इलाके के श्रेष्ठतम सुन्दर स्थानों में से एक है। प्राकृतिक वनस्पतियों से आच्छादित यह इलाका पर्यटकों को कुछ खास ऊर्जा प्रदान करता है।

   सघन वन क्षेत्र होने के कारण पर्यटक को ताजगी युक्त भरपूर आक्सीजन का एहसास होता है। देवदार एवं पहाड़ी वृक्ष श्रंखला इको पार्क को अति खूबसूरत बनाते हैं। पर्यटक इको पार्क का भ्रमण करना नहीं भूलते।
    जोरांडा एवं बरेहीपानी वॉटर फॉल्स: जोरांडा एवं बरेहीपानी वॉटर फॉल्स प्राकृतिक सौन्दर्य एवं खूबसूरती से लबरेज स्थल है। शीतलता एवंं सुरम्यता का यह आदर्श स्थान पर्यटकों के बीच खास लोकप्रिय है। पर्यटक यहां विशेष रोमांच का एहसास करते हैं। 
   आलू फार्म: आलू फार्म यहां का एक खूबसूरत इलाका है। आलू की क्यारियां देखने में कुछ खास ही नजर आती हैं। यहां पर्यटक आलू उत्पादन संबंधी जानकारी भी हासिल कर सकते हैं।
    सुरकंडा देवी मंदिर: सुरकंडा देवी मंदिर श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास का केन्द्र है। सुरकंडा देवी मंदिर देश के 51 शक्तिपीठ में एक है। धनौल्टी हिल स्टेशन से सुरकंडा देवी मंदिर की दूरी करीब 7 किलोमीटर है। हालांकि यह इलाका त्रिकोण धार्मिक स्थल के तौर पर जाना जाता है। कारण इस क्षेत्र में सुरकंडा देवी, कुंजापुरी एवं चन्द्राबादानी स्थित हैं।

    धनौल्टी हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट देहरादून है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून से धनौल्टी हिल स्टेशन की दूरी करीब 82 किलोमीटर है।
    निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून है। देहरादून रेलवे स्टेशन से धनौल्टी हिल स्टेशन की दूरी करीब 60 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी धनौल्टी की यात्रा कर सकते हैं।
30.422100,78.250700

Wednesday, 24 October 2018

कानाताल हिल स्टेशन: प्रकृति का खजाना

    कानाताल हिल स्टेशन को प्रकृति का खजाना कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, उत्तराखण्ड के टेहरी गढ़वाल का कानाताल हिल स्टेशन अपने सौन्दर्य शास्त्र के कारण पर्यटन के क्षेत्र में खास पहचान रखता है। 

   चम्बा-मसूरी हाईवे पर स्थित कानाताल हिल स्टेशन वस्तुत: प्रकृति का एक सुन्दर उपहार है। कानाताल गांव की लोक संस्कृति भी बेहद लुभावनी है।
   समुद्र तल से करीब 2590 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कानाताल हिल स्टेशन मखमली घास के मैदान, बर्फ से आच्छादित पर्वत श्रंखला, नदियों-झीलों एवं झरनों की खूबसूरती से देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता है। 

   वन क्षेत्र की समृद्धता परिवेश को आैर भी अधिक सुन्दर बना देती है। कानाताल हिल स्टेशन की शीतल जलवायु बेहद रोमांचक होती है। गर्मियों में भी यहां का तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस रहता है।

    सर्दियों में यह तापमान घट कर 5 से 10 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। कई बार तो तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। 
   पर्यटक कानाताल हिल स्टेशन पर सर्दियों में भारी बर्फबारी का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। अत्यधिक ऊंचाई के कारण कानाताल हिल स्टेशन पर हमेशा एक शीतलता का एहसास होता है।

   कानाताल गांव एवं कानाताल हिल स्टेशन वस्तुत: एक सुरम्य सैरगाह की भांति है। कानाताल के हिम शिखर पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां हिमालय की दिव्यता-भव्यता बेहद दर्शनीय है। कानाताल का शाब्दिक अर्थ एक आंख वाली झील है। 

   कानाताल हिल स्टेशन की मुख्य पहचान कानाताल गांव एवं कानाताल झील है। झील का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो चला। कानाताल हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण सुरखंडा देवी का मंदिर है। सुरखंडा देवी के मंदिर की मान्यता शक्तिपीठ के तौर पर है।

   श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के साथ ही यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से बेहद लोकप्रिय है। लोककथा है कि भगवान शिव सती का शव लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, उस वक्त सती का सिर इसी स्थान पर गिरा था।
   लिहाजा इस स्थान की मान्यता शक्तिपीठ के रूप में है। गौरतलब है कि सती के शव के हिस्से गिरने वाले स्थान की मान्यता शक्तिपीठ के रूप में है। सुरखंडा देवी का मंदिर इसी श्रंखला का शक्तिपीठ है।

   गंगा दशहरा पर्व यहां अति उल्लास एवं उत्साह से मनाया जाता है। टेहरी बांध कानाताल हिल स्टेशन का विशेष आकर्षण है। खास यह कि विश्व के उच्चतम बांधों में गिना जाने वाला टेहरी बांध भी सुन्दरता के लिए जाना जाता है।

   कोडिया वन क्षेत्र कानाताल की सुरम्यता एवं सुन्दरता का एक शानदार नगीना है। पर्यटक कोडिया वन क्षेत्र का भ्रमण पर्यावरणीय सौन्दर्य एवं शीतलता का आनन्द लेते हैं। पर्यटक कानाताल हिल स्टेशन पर ट्रैकिंग का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। ट्रैकिंग के दौरान झरनों का लुफ्त भी उठाया जा सकता है। 

   कानाताल हिल स्टेशन में एहसास होता है कि जैसे प्रकृति की गोद में खिलंदडपन हो। पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमियों के लिए कानाताल हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं। ट्रैकिंग के दौरान कहीं बार्किंग हिरण दिखेंगे तो कहीं जंगली सुअर की धमाचौकड़ी दिखेगी। 

   विविध प्रजातियों के वन्य जीव स्वच्छंद विचरण करते कानाताल में दिखेंगे। शिवपुरी में पर्यटक रॉफ्टिंग का आनन्द ले सकते हैं। हालांकि शिवपुरी की दूरी कानाताल से करीब 75 किलोमीटर है। शिवपुरी एक छोटा गांव है।

    शिवपुरी खास तौर से शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यथा नाम तथा गुण अर्थात शिवपुरी में शिव मंदिरों की एक लम्बी श्रंखला है। यह शिव मंदिर बेहद दर्शनीय है।
   पर्यटक यहां कैम्प लगा कर रात्रि विश्राम भी कर सकते हैं। कानाताल हिल स्टेशन वस्तुत: साहसिक खेलों एवं रिवर रॉफ्टिंग के प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग की भांति है।


   कानाताल हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट देहरादून है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादूून से कानाताल हिल स्टेशन की दूरी करीब 92 किलोमीटर है।
   निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून एवं ऋषिकेश है। चम्बा से कानाताल की दूरी करीब 12 किलोमीटर है। मसूरी से कानाताल की दूरी करीब 38 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी कानाताल हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
30.129350,78.322900

Wednesday, 17 October 2018

चोपता हिल स्टेशन: प्रकृति का स्पर्श

   चोपता हिल स्टेशन को प्रकृति का सुन्दर स्पर्श कहा जाये तो शायद कुछ गलत न होगा। जी हां, उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग का चोपता हिल स्टेशन अपनी सुन्दरता एवं विशिष्टता के कारण देश दुनिया में खास पहचान रखता है। 

   वस्तुत: इस हिल स्टेशन को चोपता तुंगनाथ के नाम से भी जाना पहचाना जाता है। समुद्र तल से करीब 2680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन देश दुनिया में अपनी एक खास ख्याति रखता है। इसे भारत का मिनी स्वीटजरलैण्ड भी कहा जाता है। उत्तराखण्ड के गढ़वाल का यह सबसे खूबसूरत इलाका है। 

   आमतौर पर यह चोपता बर्फबारी वाला इलाका है। लिहाजा पर्यटक यहां बर्फबारी का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। अधिकांश समय इस इलाके के हिम शिखर बर्फ की चादर ओढ़े नजर आते हैं।
  सुन्दरता का आलम यह है कि मीलों तक फैले मखमली घास मैदान या ढ़लान एक स्वप्नीली दुनिया का एहसास कराते हैं।

 घास के इन मखमली मैदानों में फूलों की श्रंखला मुग्ध कर लेती है। फूलों की सुगंध मन मस्तिष्क को एक सुखद ताजगी का एहसास कराती है।

  चोपता हिल स्टेशन में एहसास होता है कि जैसे किसी अन्य दुनिया में प्रवेश कर गये हों। चोपता हिल स्टेशन का इलाका पंचकेदार क्षेत्र कहलाता है। 
   खास यह कि चोपता से ही हिमालय की नंदाखाट चोटी भी दर्शनीय है। बांस एवं बुरांश के वन क्षेत्र एक सुखद शीतलता प्रदान करते हैं। यहां के मनोहारी दृश्य पर्यटकों को लुभाते हैं। 

    चोपता हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर एवं विशेष स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। विशेषज्ञों की मानें तो चोपता हिल स्टेशन हिमालय की गोद में रचा-बसा एक सुरम्य स्थान है। हिम श्रंखला के अन्य आकर्षण मसलन त्रिशूल, नन्दा देवी, चौखम्बा आदि इत्यादि यहां से साफ तौर पर दिखते हैं।

   चोपता गांव सहित पूरा इलाका पाइन, देवदार एवं अन्य विशिष्ट प्रजातियों की वन सम्पदा से आच्छादित है। वनस्पतियों की प्रचुरता एवं वन्य जीवन का एहसास चोपता को कुछ खास बना देता है। दुर्लभ पक्षियों का कोलाहल-कलरव बेहद कर्णप्रिय होता है। कस्तूरी मृग का विचरण देख कर पर्यटक मुग्ध हो उठते हैं। 

   खास यह कि आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध मन मस्तिष्क को स्वास्थ्यवर्धक ऊर्जा प्रदान करते हैं। मखमली घास के मैदानों को स्थानीयता में बुग्यल्स कहा जाता है। मखमली घास के यह मैदान मखमली स्पर्श का एहसास कराते है। चोपता हिल स्टेशन में ट्रैकिंग का भी आनन्द लिया जा सकता है।

   चोपता हिल स्टेशन में जलवायु बेहद शीतल रहती है। खास तौर से बर्फबारी के दौरान यहां 4 से 7 फुट तक मोटी बर्फ जम जाती है। कई बार तो ऐसा प्रतीत होता है कि चोपता ने बर्फ की चादर ओढ़ रखी है।


  चोपता-तुंगनाथ ट्रैकिंग: चोपता-तुगंनाथ ट्रैकिंग ट्रैकर्स का सर्वाधिक पसंदीदा स्थान है। हालांकि चोपता हिल स्टेशन से कई ट्रैकिंग प्वाइंट हैं। यह ट्रैकिंग प्वाइंट घास के मैदान एवं वन क्षेत्र को काट कर बनाया गया है। 

   चन्द्रशिला, तुंगनाथ, देवरिया ताल एवं चोपता सबसे अच्छे ट्रैक मार्ग माने जाते हैं। पक्षियों की बहुलता के कारण यह इलाके पक्षी प्रेमियों के भी पसंदीदा हैं। चोपता ट्रैक से चन्द्रशिला शिखर तक जाया जा सकता है।
   केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण: केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण चोपता हिल स्टेशन का विशेष क्षेत्र है। वन्य जीवन की उपलब्धता एवं वनस्पतियों की प्रचुरता वाला परिवेश पर्यटकों को खास ऊर्जा प्रदान करता है। 

  अभ्यारण में अल्पाइन, ओक, पाइन, ब्यूरेन एवं अन्य हिमालय प्रजातीय वृक्ष यहां की शान हैं।
   दर्शनीय हिम शिखर: खास तौर से चोपता हिल स्टेशन से 41 से अधिक हिम शिखरों का अवलोकन किया जा सकता है। इनमेें खास तौर से मेरु, सुमेरु, गणेश पर्वत, चौखम्बा, बंदरपूंछ, नीलकंठन, तिरसुली, नंदा देवी आदि इत्यादि बहुत कुछ अवलोकित होता है।

   चोपता हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट देहरादून है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून से चोपता हिल स्टेशन की दूरी करीब 225 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी चोपता हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
30.481180,79.193900

Tuesday, 16 October 2018

चौकोरी हिल स्टेशन: प्रकृति का एहसास

    चौकोरी हिल स्टेशन को प्रकृति का एक शानदार एहसास कहें तो बेहतर होगा। जी हां, चौकोरी हिल स्टेशन प्रकृति की गोद में रचा-बसा एक खूबसूरत स्थान है।

    चौकोरी की खूबसूरती ऐसी कि मन में बस जाये। उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ में स्थित चौकोरी हिल स्टेशन इलाके की शीर्ष पर्वत श्रंखला है। समुद्र तल से करीब 2010 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन शांत वातावरण एवं शीतलता के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। 

   चौकोरी हिल स्टेशन से नन्दा देवी, नन्दा कोट, पंचचूली पर्वत श्रंखलाओं की खूबसूरती पर्यटकों को मुग्ध कर लेती है। पर्यटकों को मखमली घास के विहंगम मैदान-ढ़लान लुभाते हैं। बादलों का खिलंदड़पन पर्यटकों को रोमांच से भर देता है। घना वन क्षेत्र वनस्पतियों की सुगंध का एहसास कराता है।

   विशेषज्ञों की मानें तो चौकोरी हिल स्टेशन उत्तराखण्ड के कुमाऊं मण्डल का सबसे ऊंचा पर्वत श्रंखला है। लिहाजा शीतलता का एक सुखद एहसास हमेशा रहता है। खास यह कि चौकोरी से हिमालय का विहंगम एवं सुन्दर दृश्य अवलोकित होता है।

   सूर्योदय की पीली एवं लाल किरणें हिम श्रंखला पर बेहद दर्शनीय प्रतीत होती हैं। घाटियों-वादियों का यह इलाका विशेष सुरम्यता के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। देवदार एवं पाइन सहित नाना प्रकार के वृक्ष श्रंखला एक सुखद शांति प्रदान करते हैं। चौकोरी हिल स्टेशन वस्तुत: पिथौरागढ़ की तहसील बेरीनाग इलाके में स्थित है।

   पर्वतारोहण एवं ट्रैकिंग के लिए यह सर्वथा उपयुक्त स्थान है। निकट ही महाकाली नदी का प्रवाह है। लिहाजा पर्यटक राफ्टिंग का आनन्द ले सकते हैं। हिमालय के ह्मदय स्थल में रचा-बसा चौकोरी हिल स्टेशन रोमांचकता में भी कहीं से कम नहीं है।

   पर्यटक यहां बादलों के साथ अठखेलियां कर सकते हैं तो वहीं बारिश में कुछ अलग ही आनन्द ले सकते हैं। खास यह कि चौतरफा चाय एवं कॉफी की भीनी-भीनी सुगंध एक अद्भुत ताजगी का एहसास कराती है। कारण चौकोरी चाय एवं कॉफी की सुगंध से महकता रहता है। बर्फ की ओढ़नी से ढ़की पर्वत श्रंखला बेहद दर्शनीय प्रतीत होती है।

   पर्यटक चौकोरी हिल स्टेशन पर फोटोग्राफी का शौक भी पूरा कर सकते हैं। इसके लिए नन्दा देवी, नन्दा कोट, चौखंबा, पंचकुला, पंचचूली आदि इत्यादि बेस्ट लोकेशन हैं। चौकोरी के गांव का भ्रमण करेंगे तो कुमाऊंनी संस्कृति अवलोकित होगी। कला-संस्कृति के साथ ही रीति-रिवाज एवं परम्पराओं का भी दिग्दर्शन होगा। 

  चौकोरी हिल स्टेशन एवं उसके आसपास धार्मिक एवं खूबसूरत स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। कपिलेश्वर महादेव, काली मंदिर एवं गंगोलीहाट आदि इत्यादि बहुत कुछ दर्शनीय है।
   कपिलेश्वर महादेव: कपिलेश्वर महादेव भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर पिथौरागढ़ की सौर घाटी में स्थित है। यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद सुन्दर एवं दर्शनीय है। खास यह कि मंदिर करीब 10 मीटर लम्बी गुफा के आंतरिक क्षेत्र में स्थित है।

   गंगोलीहाट: गंगोलीहाट का पौराणिक, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व है। यह इलाका खास तौर से हिन्दू मंदिरों के लिए जाना-पहचाना जाता है। गंगोलीहाट वस्तुत: चौकोरी से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है। 

   गंगोलीहाट में मंदिरों की श्रंखला विद्यमान है। इनमें महाकाली, पाताल भुवनेश्वर मंदिर, मोमानमान मंदिर, बेरीनाग मंदिर, घनसेरा देवी मंदिर, केदार मंदिर, नकुलेश्वर मंदिर, कामक्ष मंदिर, उल्का देवी मंदिर, जयंती मंदिर धवाज, अर्जुनेश्वर शिव मंदिर, कोट गारी देवी मंदिर, त्रिपुरा देवी मंदिर आदि हैं।

    काली मंदिर गंगोलीहाट में स्थित है। मां काली का यह दिव्य-भव्य मंदिर देवदार के घने वन क्षेत्र में स्थित है। धार्मिक स्थलों की श्रंखला में पर्यटक नाग मंदिर में भी दर्शन कर सकते हैं।

   चौकोरी हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट देहरादून है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम जंक्शन है। काठगोदाम से चौकोरी हिल स्टेशन की दूरी करीब 198 किलोमीटर है। पर्यटक चौकोरी हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी कर सकते हैं।
29.830540,78.881230

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...