Wednesday, 24 October 2018

कानाताल हिल स्टेशन: प्रकृति का खजाना

    कानाताल हिल स्टेशन को प्रकृति का खजाना कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, उत्तराखण्ड के टेहरी गढ़वाल का कानाताल हिल स्टेशन अपने सौन्दर्य शास्त्र के कारण पर्यटन के क्षेत्र में खास पहचान रखता है। 

   चम्बा-मसूरी हाईवे पर स्थित कानाताल हिल स्टेशन वस्तुत: प्रकृति का एक सुन्दर उपहार है। कानाताल गांव की लोक संस्कृति भी बेहद लुभावनी है।
   समुद्र तल से करीब 2590 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कानाताल हिल स्टेशन मखमली घास के मैदान, बर्फ से आच्छादित पर्वत श्रंखला, नदियों-झीलों एवं झरनों की खूबसूरती से देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता है। 

   वन क्षेत्र की समृद्धता परिवेश को आैर भी अधिक सुन्दर बना देती है। कानाताल हिल स्टेशन की शीतल जलवायु बेहद रोमांचक होती है। गर्मियों में भी यहां का तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस रहता है।

    सर्दियों में यह तापमान घट कर 5 से 10 डिग्री सेल्सियस हो जाता है। कई बार तो तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। 
   पर्यटक कानाताल हिल स्टेशन पर सर्दियों में भारी बर्फबारी का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। अत्यधिक ऊंचाई के कारण कानाताल हिल स्टेशन पर हमेशा एक शीतलता का एहसास होता है।

   कानाताल गांव एवं कानाताल हिल स्टेशन वस्तुत: एक सुरम्य सैरगाह की भांति है। कानाताल के हिम शिखर पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां हिमालय की दिव्यता-भव्यता बेहद दर्शनीय है। कानाताल का शाब्दिक अर्थ एक आंख वाली झील है। 

   कानाताल हिल स्टेशन की मुख्य पहचान कानाताल गांव एवं कानाताल झील है। झील का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो चला। कानाताल हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण सुरखंडा देवी का मंदिर है। सुरखंडा देवी के मंदिर की मान्यता शक्तिपीठ के तौर पर है।

   श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के साथ ही यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से बेहद लोकप्रिय है। लोककथा है कि भगवान शिव सती का शव लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, उस वक्त सती का सिर इसी स्थान पर गिरा था।
   लिहाजा इस स्थान की मान्यता शक्तिपीठ के रूप में है। गौरतलब है कि सती के शव के हिस्से गिरने वाले स्थान की मान्यता शक्तिपीठ के रूप में है। सुरखंडा देवी का मंदिर इसी श्रंखला का शक्तिपीठ है।

   गंगा दशहरा पर्व यहां अति उल्लास एवं उत्साह से मनाया जाता है। टेहरी बांध कानाताल हिल स्टेशन का विशेष आकर्षण है। खास यह कि विश्व के उच्चतम बांधों में गिना जाने वाला टेहरी बांध भी सुन्दरता के लिए जाना जाता है।

   कोडिया वन क्षेत्र कानाताल की सुरम्यता एवं सुन्दरता का एक शानदार नगीना है। पर्यटक कोडिया वन क्षेत्र का भ्रमण पर्यावरणीय सौन्दर्य एवं शीतलता का आनन्द लेते हैं। पर्यटक कानाताल हिल स्टेशन पर ट्रैकिंग का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। ट्रैकिंग के दौरान झरनों का लुफ्त भी उठाया जा सकता है। 

   कानाताल हिल स्टेशन में एहसास होता है कि जैसे प्रकृति की गोद में खिलंदडपन हो। पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमियों के लिए कानाताल हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं। ट्रैकिंग के दौरान कहीं बार्किंग हिरण दिखेंगे तो कहीं जंगली सुअर की धमाचौकड़ी दिखेगी। 

   विविध प्रजातियों के वन्य जीव स्वच्छंद विचरण करते कानाताल में दिखेंगे। शिवपुरी में पर्यटक रॉफ्टिंग का आनन्द ले सकते हैं। हालांकि शिवपुरी की दूरी कानाताल से करीब 75 किलोमीटर है। शिवपुरी एक छोटा गांव है।

    शिवपुरी खास तौर से शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यथा नाम तथा गुण अर्थात शिवपुरी में शिव मंदिरों की एक लम्बी श्रंखला है। यह शिव मंदिर बेहद दर्शनीय है।
   पर्यटक यहां कैम्प लगा कर रात्रि विश्राम भी कर सकते हैं। कानाताल हिल स्टेशन वस्तुत: साहसिक खेलों एवं रिवर रॉफ्टिंग के प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग की भांति है।


   कानाताल हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट देहरादून है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादूून से कानाताल हिल स्टेशन की दूरी करीब 92 किलोमीटर है।
   निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून एवं ऋषिकेश है। चम्बा से कानाताल की दूरी करीब 12 किलोमीटर है। मसूरी से कानाताल की दूरी करीब 38 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी कानाताल हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
30.129350,78.322900

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