Monday, 31 December 2018

जावड़ी हिल्स: प्रकृति की गोद

    जावड़ी हिल्स को प्राकृतिक सौन्दर्य का इन्द्रधनुषी आयाम कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। भारत के दक्षिणी क्षेत्र के प्रांत तमिलनाडु स्थित जावड़ी हिल्स पर्यटकों को प्रकृति की गोद का एहसास कराता है। यूं कहें कि जावड़ी हिल्स प्रकृति प्रेमियों का पसंदीदा है तो शायद कोई बड़ी बात न होगी।

  चौतरफा पर्वत श्रंखलाओं से आच्छादित जावड़ी हिल्स बेहद सुरम्य एवं शांत क्षेत्र है। फूलों एवं वनस्पतियों की विशेष सुगंध पर्यटकों को एक विशेष स्फूर्ति प्रदान करती है।
  मखमली घास के हरे-भरे लॉन-मैदान पर्यटकों को मुग्ध करते हैं। वस्तुत: यह आदिवासी आच्छादित क्षेत्र है। लिहाजा पर्यटक जावड़ी हिल्स पर आदिवासी संस्कृति एवं लोक जीवन की अनुभूति कर सकते हैं। 


   तमिलनाडु के प्रमुख शहर चेन्नई एवं बंगलुरु के निकट स्थित जावड़ी हिल्स देश विदेश के पर्यटकों का बेहद पसंदीदा क्षेत्र है। इसे जावधु हिल्स के नाम से भी जाना पहचाना जाता है। 
  वेल्लौर एवं तिरुवन्नमलाई जिला के मध्य स्थित यह हिल्स बेहद खूबसूरत हैं। करीब 32 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला यह पर्यटन क्षेत्र पर्वतीय नक्षत्रिका है।

  झीलों-झरनों एवं नदियों की सुरम्यता वाला यह इलाका वन्य जीवन से भी आबाद है। लिहाजा पर्यटक वन्य जीवों के रोमांच का एहसास भी कर सकते हैं। 
  खास तौर से जावड़ी हिल्स पर अगारम नदियां एवं पाल की सहायक नदियों का आच्छादन पर्यटकों को जलक्रीड़ा का भरपूर आनन्द प्रदान करता है।

  समुद्र तल से करीब 1150 मीटर ऊंचाई पर स्थित जावड़ी हिल्स पर बादलों की आवाजाही पर्यटकों को रोमांचित करती है। कभी पर्यटक बादलों की आगोश में होते हैं तो कभी बादल पर्यटकों की गोद में होते हैं।
  जावड़ी हिल्स के झरने भी बेहद दर्शनीय हैं। मसलन बेमनमादुव झरना पर्यटकों को मुग्ध कर लेता है। यहां की वेधशाला अति विशिष्ट मानी जाती है। 

  पर्यटक वेधशाला पर खगोलयीय अध्ययन कर सकते हैं। भारतीय खगोल शास्त्री वीनू बापू ने वेधशाला के लिए जावड़ी हिल्स को चुना था। 
  इस वेधशाला को कवलूर वेधशाला के नाम से जाना पहचाना जाता है। खास यह कि जावड़ी हिल्स पर आैषधीय वनस्पतियों की प्रचुरता है। 

   जिससे सम्पूर्ण परिवेश सुगंध से आच्छादित रहता है। लिहाजा पर्यटक यहां खुद को ऊर्जावान महसूस करते हैं।
   खास तौर इमली, कटहल, आंवला, अमरुद, अनार, आम, नीबू, नारियल, केला आदि की सुगंध पर्यटकों को एक ताजगी का एहसास कराती है। इसके अलावा बाजरिटिया पिन्नाटा, स्मिलैक्स रेजली, कैस्टर ऑयल आदि के वृक्ष सघन वन क्षेत्र को विशेष बना देते हैं।

   खास यह कि चंदन के लिए जावड़ी हिल्स विशेष तौर से जाना पहचाना जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो जावड़ी हिल्स की खोज एक फ्रांसीसी नागरिक हेनरी ले फानू ने 1883 में की थी।
  बेमनमादुव झरना: बेमनमादुव झरना जावड़ी हिल्स से करीब 12 किलोमीटर दूर है। जमानामुथुर गांव के निकट स्थित यह झरना बेहद दर्शनीय एवं सुन्दर है। पर्यटक जलक्रीड़ा एवं स्नान का आनन्द यहां ले सकते हैं। 
   कवलूर वेधशाला: कवलूर वेधशाला का निर्माण खगोल शास्त्री बीनू बापू ने 1967 में किया था। परिसर में स्थापित दूरबीन का नाम बीनू बापू टेलीस्कोप दिया गया है। 
  वेधशाला का उपयोग शोध एवं अनुसंधान के लिए किया जाता है। करीब 100 एकड़ क्षेत्रफल वाली इस वेधशाला में वन्य जीव भी हैं।
  अमृत वन: अमृत वन क्षेत्र वस्तुत: जावड़ी हिल्स का ट्रैकिंग एरिया है।
   येलागिरी: येलागिरी वस्तुत: एक सुन्दर हिल स्टेशन है। समुद्र तल से करीब 1410 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन वस्तुत: एक गांव है। येलागिरी पर सुन्दर बाग-बगीचा एवं सुन्दर घाटियां-वादियां है।
   कोमूर्ति झील: कोमूर्ति झील वस्तुत: कोलाप्पन झील के तौर पर जाना पहचानी जाती है। यह जावड़ी हिल्स की सबसे बड़ी झील है। इसे एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट भी कहा जा सकता है। पर्यटक यहां नौका विहार एवं जलक्रीड़ा का आनन्द ले सकते हैं।
   जावड़ी हिल्स की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। चेन्नई एयरपोर्ट से जावड़ी हिल्स की दूरी करीब 206 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन विल्लुपुरम जंक्शन है। विल्लुपुरम रेलवे स्टेशन से जावड़ी हिल्स की दूरी करीब 60 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी जावड़ी हिल्स की यात्रा कर सकते हैं।
13.161700,80.122310

Thursday, 27 December 2018

नाहन हिल स्टेशन: सुन्दरता का खजाना

   नाहन हिल स्टेशन की सुन्दरता का कोई जोड़ नहीं। जी हां, नाहन हिल स्टेशन जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। 

   समुद्र तल से करीब 932 मीटर ऊंचाई पर स्थित नाहन हिल स्टेशन बेहद रोमांचक हिल एरिया है। इसे प्राकृतिक सौन्दर्य का बेहतरीन उपहार कहा जाना चाहिए।
  हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला स्थित नाहन हिल स्टेशन की प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है। शायद इसी कारण से नाहन हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटन क्षेत्र बन गया है। 

   हिमालय की पर्वत श्रंखलाओं से घिरा यह हिल स्टेशन अपनी आगोश में पर्यटन की सुरम्यता रखता है तो वहींं धार्मिकता एवं इतिहास का भी समावेश है। शिवालिक पर्वत श्रंखला का हिस्सा नाहन हिल स्टेशन एक आकर्षक बसेरा है। 

   प्राकृतिक सौन्दर्य एवं श्रेष्ठतम जलवायु से परिपूरित यह इलाका वैश्विक पर्यटकों का बेहद पसंदीदा है।
   विशेषज्ञों की मानें तो नाहन हिल स्टेशन को राजा करण प्रकाश ने 1621 में ग्रीष्मकालीन राजधानी के तौर पर स्थापित किया था। राजसी शासनकाल में नाहन हिल स्टेशन पर अनेक धार्मिक स्थलों एवं मंदिरों का निर्माण किया गया था। 
   झीलों-झरनों, नदियों एवं धार्मिक स्थानों का यह क्षेत्र नाहन हिल स्टेशन पर्यटकों को बरबस आकर्षित करता है। नाहन हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण रानी ताल है।
   हालांकि यह एक कृतिम झील है। फिर भी इसका आकर्षण रोमांच पैदा करता है। यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर का वास्तुशिल्प दर्शनीय है। वस्तुत: देखें तो नाहन हिल स्टेशन काल्पनिक एवं बेहद रोमांटिक प्रतीत होता है। 

   पिकनिक, नौका विहार एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का यह अद्भुत खजाना है। खास यह कि रेणुका झील को नाहन हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण माना जाता है। 
   हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी झील होने के साथ साथ रेणुका झील प्राकृतिक सौन्दर्य एवं आश्चर्यजनक होने का खिताब भी रखती है। चूड़ाधार चोटी नाहन हिल स्टेशन का पसंदीदा एवं प्रसिद्ध इलाका है। 

   नाहन हिल स्टेशन एवं आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से रानी ताल, रेणुका झील, त्रिलोकपुर मंदिर, धौला कुंआ, गिरि नगर, जगन्नाथ मंदिर, काला अम्ब, रेंजर पैलेस एवं रेणुका वन्य जीव पार्क आदि इत्यादि बहुत कुछ है।
   त्रिलोकपुर मंदिर: त्रिलोकपुर मंदिर का निर्माण राजा दीप प्रकाश ने 1573 में कराया था। नाहन हिल स्टेशन से करीब 23 किलोमीटर दूर कालका-अंबाला मार्ग पर स्थित यह एक धार्मिक स्थान है।

   यह मंंदिर देवी महामाया बाला सुंदरी को समर्पित है। हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश का यह प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है। यहां प्राकृतिक सौन्दर्य बोध को रेखांकित करने वाली सुन्दर गुफाएं भी हैं। गुफा भगवान शिव को समर्पित हैं। 
   धौलाकुंआ: धौलाकुंआ एक सुरम्य स्थान है। नाहन हिल स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर दूर यह इलाका आम एवं अन्य फलों के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। धौलाकुंआ से करीब 20 किलोमीटर दूर कस्तासन देवी का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राजा जगत सिंह ने कराया था।
   काला अम्ब: काला अम्ब एक सुन्दर स्थान है। वस्तुत: काला अम्ब हिमाचल प्रदेश का आैद्योगिक क्षेत्र है।
   रानी ताल: रानी ताल वस्तुत: एक शाही विरासत है। नाहन हिल स्टेशन पर स्थित इस ताल को रानी झील भी कहा जाता है। वस्तुत: यह राजवंश के उपयोग के लिए था लेकिन अब इसे जन सामान्य के लिए खोल दिया गया है।

   इस सुन्दर पिकनिक स्पॉट पर पर्यटक नौका विहार का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। मखमली घास के लॉन-मैदान से घिरा यह इलाका मन मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करता है। 

   रेणुका झील: रेणुका झील हिमाचल प्रदेश की सबसे लम्बी एवं बड़ी झील है। करीब 3214 मीटर लम्बी झील पर्यटक नौका विहार का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।
   निकट ही रेणुका मंदिर भी है। वस्तुत: यह मंदिर देवी रेणुका को समर्पित है। देवी रेणुका भगवान परशुराम की माता थीं। विशेषज्ञों की मानें तो गोरखाओं ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण किया था। 

  रेंजर पैलेस: रेंजर पैलेस नाहन हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसे नाहन रायल पैलेस के रूप में भी जाना पहचाना जाता है। इसकी अनूठी स्थापत्य शैली पर्यटकों को आकर्षित करती है।
   रेणुका वन्य जीव पार्क: रेणुका वन्य जीव पार्क नाहन हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। नाहन हिल स्टेशन से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित यह अभयारण्य करीब 402.80 हेक्टेयर में फैला है। 

   पाइन एवं देवदार सहित अनेक वनस्पतियां पार्क को सुगंध युक्त बनाती हैं। अभयारण्य में एशियाई शेर, लाल जंगली मुर्गी, भारतीय मृग, सांभर, चीतल, ंिहमालयीय काला भालू, काला तीतर, मोर एवं जलीय पक्षियों की विभिन्न प्रजाति सहित बहुत कुछ है। सुकेती जीवश्म पार्क भी नाहन हिल स्टेशन का विशेष आकर्षण है।
    नाहन हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट शिमला, चण्डीगढ़ एवं देहरादून हैं। पर्यटक शिमला, चण्डीगढ़ या देहरादून एयरपोर्ट से नाहन हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन बरारा जंक्शन, अंबाला एवं चण्डीगढ़ हैं। पर्यटक सड़क मार्ग से भी नाहन हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
30.559500,77.295100

Monday, 17 December 2018

उमरांगसो हिल स्टेशन : सुन्दरता का गुलदस्ता

   उमरांगसो हिल स्टेशन को धरती पर प्राकृतिक सौन्दर्य का गुलदस्ता कहना चाहिए। जी हांं, उमरांगसो हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य का कोई जोड़ नहीं। 

    ग्रामीण परिवेश वाला यह हिल स्टेशन हॉट वॉटर के लिए खास प्रसिद्ध है। असम के उत्तरी कैचर हिल का यह एक सुन्दर नगीना है।
   वस्तुत: उमरांगसो हिल स्टेशन असम एवं मेघालय की सीमा पर स्थित है। खास यह कि उमरांगसो हिल स्टेशन पर झीलों-झरनों की विहंगमता अति दर्शनीय है।

   झीलों-झरनों की प्रचुरता होने के कारण जलक्रीड़ा के प्रेमियों के लिए उमरांगसो हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं है। ग्रामीण एवं आंचलिक सौन्दर्य की निराली छटा यहां विशेष तौर पर दिखती है। उमरांगसो हिल स्टेशन की विशिष्ट सुन्दरता देख कर इसे पर्यटन की आत्मा कहा जा सकता है। 

   शांत एवं शीतलता से आच्छादित उमरांगसो हिल स्टेशन पर पर्यावरण की एक विशेष सुगंध पर्यटकों के दिल एवं दिमाग को एक आत्मीय ताजगी प्रदान करता है। यूं कहें कि समृद्ध एवं सघन पर्यावरण के मध्य जीवंतता का एहसास यहां पर्यटक करते हैं।

    हैफ्लाँग से करीब 105 किलोमीटर दूर स्थित उमरांगसो हिल स्टेशन में पर्वतीय सुन्दरता देखते ही बनती है। चौतरफा मखमली घास के लॉन मैदान एक ह्मदयस्पर्शी एहसास कराते हैं। 

   वस्तुत: उमरांगसो असम के दीमा हसाओ जिला का एक आैद्योगिक शहर है। खास यह कि आैद्योगिक शहर होने के बावजूद उमरांगसो एक सुन्दर एवं आकर्षक पर्यटन क्षेत्र भी है। भारत के साथ ही उमरांगसो हिल स्टेशन विदेशों में भी खास ख्याति रखता है। 

   यहां का वॉटर स्प्रिंग्स दर्शनीय एवं उपयोगी भी है। खास तौर से यह आैषधीय शक्ति एवं तत्व रखता है। इसे स्थानीयता में गारम्पानी कहते है। खास यह कि वॉटर स्प्रिंग्स की आैषधीय क्षमताओं को देखते हुए पर्यटक इसका उपयोग करना नहीं भूलते। 

   उमरांगसो हिल स्टेशन घाटियों एवं वादियों के साथ ही पर्वत श्रंखलाओं से भी आच्छादित है। लिहाजा पर्यटक पर्वतारोहण का भी आनन्द ले सकते हैं तो वहीं सैर सपाटा का भी लुफ्त उठा सकते हैं। झीलों-झरनों की श्रंखला उमरांगसो हिल स्टेशन को जलक्षेत्र बना देती हैं। 

   जलक्रीड़ा या नौकायन कुछ भी पर्यटक जल पर्यटन का शौक पूरा कर सकते हैं। उत्तरी कैचर हिल्स का यह इलाका विशिष्टताओं के लिए भी जाना पहचाना जाता है। कोपिली हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट उमरांगसो हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। 

   यह प्रोजेक्ट कोपाली नदी पर बना है। जोवाई एवं शिलांग से करीब चार घंटे की लांग ड्राइव पर्यटकों को आसानी से उमरांगसो हिल स्टेशन पहुंचा देती है। 

   खास यह कि गर्मी में भी यहां शीतलता का एहसास होता है। बारिश के मौसम परिवेश सुहाना हो जाता है। कारण चौतरफा हरियाली दिखती है। उमरांगसो हिल स्टेशन की यात्रा का सबसे बेहतरीन समय सर्दियों का होता है। 

   वनस्पतियों से आच्छादित वन क्षेत्र उमरांगसो हिल स्टेशन की खास शोभा हैं। सघन वन क्षेत्र पर्यटकों को भरपूर आक्सीजन प्रदान करते हैं। लिहाजा ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे फेफड़ों को पंख लग गये हों।

   उमरांगसो हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट बरपानी है। बरपानी एयरपोर्ट से उमरांगसो हिल स्टेशन की दूरी करीब 225 किलोमीटर है।
   निकटतम रेलवे स्टेशन होजई जंक्शन है। होजई जंक्शन से उमरांगसो हिल स्टेशन की दूरी करीब 117 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी उमरांगसो हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
25.519500,92.733400

Saturday, 15 December 2018

मशोबरा हिल स्टेशन: प्राकृतिक सौन्दर्य

   मशोबरा हिल स्टेशन को प्रकृति का सुन्दर उपहार कहा जाना चाहिए। भारत के हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के निकट स्थित मशोबरा हिल स्टेशन में चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा दिखती है।

  शायद इसी लिए इसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। समुद्र तल से करीब 2500 मीटर ऊंचाई पर स्थित मशोबरा हिल स्टेशन हिमाचल प्रदेश के पर्यटन की शान एवं शोभा है।
  खास यह कि मशोबरा हिल स्टेशन हिमालयीय विचारधारा से लबरेज है। सघन वन क्षेत्र एवं सुगंधित फूलों की एक लम्बी श्रंखला पर्यटकों को प्रफुल्लित कर देते हैं। 

   मशोबरा हिल स्टेशन एवं आसपास का क्षेत्र सेब एवं अन्य फलों के बागानों की सुगंध से परिवेश महकता रहता है। शांत एवं शीतलता वाला यह हिल स्टेशन प्राकृतिक सम्पदाओं से अति समृद्ध है। लिहाजा मशोबरा हिल स्टेशन देश विदेश के पर्यटकों की पहली पसंद रहता है।

   देवदार सहित अन्य प्रजातियों की वन सम्पदाओं से आच्छादित वन क्षेत्र बेहद दर्शनीय है। सर्दी के मौसम में मशोबरा हिल स्टेशन की सुन्दरता आैर भी अधिक बढ़ जाती है।
  नवम्बर के बाद मशोबरा हिल स्टेशन का नजारा अति दुर्लभ होता है। कारण नवम्बर के बाद मशोबरा हिल स्टेशन एवं आसपास बर्फ की चादर छाने लगती है।

    नवम्बर से फरवरी की अवधि बर्फबारी का आनन्द लेने वाले पर्ययकों के लिए बेहतरीन समय होता है। मशोबरा हिल स्टेशन एवं आसपास का इलाका बर्फ की ओढ़नी में बेहद लुभावना प्रतीत होता है। खास यह कि मशोबरा हिल स्टेशन में गर्मियों में भी अति शीतल रहता है। 

  लिहाजा देश के शीर्ष एवं विशिष्ट व्यक्तित्वों का भी यह इलाका पसंदीदा बन जाता है। प्रकृति प्रेमियों एवं शीतकालीन खेलों के लिए विशेष तौर पर जाना-पहचाना जाने वाला मशोबरा हिल स्टेशन नौकायन, घुड़सवारी, पैराग्लाइडिंग, ट्रैकिंग, कैम्पिंग के लिए बेहद प्रसिद्ध है।

   खास यह कि शीतकालीन खेलों के लिए मशोबरा हिल स्टेशन बेहद पसंदीदा स्थान है। खूबसूरत एवं प्राकृतिक दृश्यों का तो मशोबरा हिल स्टेशन खजाना है।
   मशोबरा हिल स्टेशन के खूबसूरत मखमली घास के लॉन-मैदान-ढ़लान पर्यटकों को मुग्ध कर लेते हैं। बर्फ से ढ़के हिम शिखर का अपना एक अलग ही सौन्दर्य दिखता है। 

   कहीं घाटियां-वादियां हैं तो कहीं सीना ताने खड़े हिम शिखर प्राकृतिक सौन्दर्य में आभूषण की भांति दर्शनीय होते हैं। मशोबरा हिल स्टेशन का वन क्षेत्र भी कम आकर्षित करने वाला नहीं होता है। वन क्षेत्र में वन्य जीवन का कोलाहल पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। 

  खास यह कि मशोबरा हिल स्टेशन वन क्षेत्र में वन्य जीवन की असंख्य विलुप्त प्रजातियां भी दर्शनीय हो जाती हैं। मशोबरा हिल स्टेशन त्योहार-पर्व के लिए भी जाना जाता है।
   मई में महासु मेला का दिव्य भव्य आयोजन होता है। महासु देवता मंदिर इस मेला का केन्द्र होता है। यह मंदिर महासु चोटी पर स्थित है।

    विशेषज्ञों की मानें तो महासु देवता का यह मंदिर 9 शताब्दी से भी प्राचीन है। महासु मेला यहां का मुख्य आकर्षण है। इसमें तीज-त्योहार एवं पर्व की झलक मिलने के साथ ही पारम्परिक लोक नृत्य, तीरंदाजी प्रतियोगिता एवं आंचलिक सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। मशोबरा हिल स्टेशन में कैरिग्नानो विशेष आकर्षण है।

    समुद्र तल से करीब 7700 फुट ऊंचाई पर स्थित यह संरचना वस्तुत: एक प्राचीन विला है। विशेषज्ञों की मानें तो कैरग्निानो का निर्माण चेवलियर फेडेरिको पेलाइट नामक एक इतालवी फोटोग्राफर ने किया था। लकड़ी के बने इस विला का वास्तुशिल्प अति सुन्दर एवं दर्शनीय है।

   ऑक्स एवं देवदार के वन क्षेत्र से घिरा यह इलाका बेहद सुन्दर लगता है। कैरिग्नानो वस्तुत: एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। 
  हालांकि कैरिग्नानो को 1920 में एक सुन्दर रिसार्ट में तब्दील कर दिया गया था। भारत-तिब्बत रोड पर स्थित मशोबरा हिल स्टेशन को अस्तित्व में लाने का श्रेय वस्तुत: लार्ड डलहौजी को जाता है।

   विशेषज्ञों की मानें तो लार्ड डलहौजी मशोबरा हिल स्टेशन को 1850 में अस्तित्व में लाये थे। खास यह कि मशोबरा हिल स्टेशन एवं आसपास का इलाका हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से जुड़ा हुुआ है। 
   मशोबरा हिल स्टेशन की प्राकृतिक सुन्दरता का कोई जोड़ नहीं है। साहित्य से लेकर फिल्मों तक इसकी सुन्दरता का उल्लेख एवं दर्शनीयता है। मशोबरा हिल स्टेशन पर कई फिल्मों का फिल्मांकन हो चुका है। वन्य जीव अभयारण्य भी मशोबरा हिल स्टेशन की शोभा एवं शान है।
   मशोबरा हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट शिमला एवं चण्डीगढ़ है। चण्डीगढ़ एयरपोर्ट से मशोबरा हिल स्टेशन की दूरी करीब 66 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन शिमला जंक्शन है। शिमला रेलवे स्टेशन से मशोबरा हिल स्टेशन की दूरी करीब 11 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी मशोबरा हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
31.114890,77.140470

Thursday, 13 December 2018

पालमपुर हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग

   पालमपुर हिल स्टेशन की प्राकृतिक सुन्दरता का कोई जोड़ नहीं। इसे धरती का स्वर्ग भी कहा जा सकता है। जी हां, भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा का यह हिल स्टेशन देश दुनिया में विशेष ख्याति रखता है।

   बर्फ से लदे-ढ़के पहाड़ हिल स्टेशन का विशेष सौन्दर्य हैं। पालमपुर हिल स्टेशन वनस्पतियों एवं फूलों की सुगंध से सदैव महकता रहता है। जिससे पर्यटक एक विशेष ताजगी का एहसास करते हैं। पालमपुर हिल स्टेशन वस्तुत: चाय बागानों के लिए विशेष तौर से देश दुनिया मेें जाना पहचाना जाता है। 

   लिहाजा पर्यटक चाय की ताजगी एवं सुगंध का भी भरपूर एहसास करते हैं। चौतरफा मखमली घास के मैदान एवं ढ़लान पालमपुर हिल स्टेशन की खास शोभा हैं। धौलाधर पर्वत श्रंखला पर विद्यमान पालमपुर एक भव्य दिव्य शहर है।

   पालमपुर हिल स्टेशन चाय बागानों की राजधानी भी कहा जाता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए तो यह इलाका स्वर्ग जैसा है।
   नवविवाहित युवा हनीमून के लिए पालमपुर हिल स्टेशन को सर्वाधिक पसंदीदा क्षेत्र मानते हैं। खास यह कि बर्फ से ढ़के धौलाधर पर्वत श्रंखला पर्यटकों को बेहद लुभाते हैं। 

   हिमालय की गोद में रचा-बसा यह हिल स्टेशन काफी कुछ खास है। वनस्पतियों की प्रचुरता पर्यटकों के लिए एक सुगंधित लाइफ लाइन भी है।
   सुगंधित परिवेश में ताजगी एक एहसास पर्यटकों के मन मस्तिष्क को प्रफुल्लित कर देता है। पालमपुर हिल स्टेशन का शांत एवं शीतल वातावरण से आच्छादित वन क्षेत्र बेहद दर्शनीय एवं लुभावना है।

   खास यह कि पालमपुर हिल स्टेशन एवं आसपास झीलों-झरनों की भी एक लम्बी श्रंखला है। चाय बागानों एवं वनस्पतियों से आच्छादित वन क्षेत्र में पक्षियों का संंगीतमय कोलाहल बेहद कर्णप्रिय होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे किसी ने कानों में शहद घोल दिया हो। 

   पाइन एवं देवदार के जंगलों की सुगंध दिल-दिमाग को एक विशेष ताजगी से भर देती है। पैराग्लाइडिंग का रोमांचक अनुभव पर्यटकों सदैव पुलकित करता रहता है। पालमपुर हिल स्टेशन के निकट ही बीर-बिलिंग पैराग्लाइडिंग प्वाइंट है।

   विशेषज्ञों की मानें तो बीर-बिलिंग को भारत की पैराग्लाइडिंग की राजधानी भी कहा जाता है। इन रोमांचक क्षणों को पर्यटक जीवन पर्यंत भूूल नहीं पाते हैं। पर्यटक यहां ट्रैकिंग का भी भरपूर आनन्द ले सकते हैं। 
  पालमपुर हिल स्टेशन एवं उसके आसपास विक्टोरियन शैली की भवन संरचना पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती है। यहां के महलों की सुन्दरता भी अद्वितीय है। 

   यूं कहें कि पालमपुर हिल स्टेशन एवं उसके आसपास गौरवशाली अतीत परिलक्षित होता है, तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी।
  पालमपुर हिल स्टेशन की सुरम्यता पर्यटकों को मुग्ध कर लेती है। ताशी जोंग मठ की यात्रा भी पर्यटकों को नहीं भूलनी चाहिए।


   धौलाधर राष्ट्रीय उद्यान: धौलाधर राष्ट्रीय उद्यान खास तौर से पालमपुर हिल स्टेशन की शोभा में चार चांद लगा देता है। वस्तुत: इस राष्ट्रीय उद्यान में हिमालयीय वन्य जीवन की उपस्थित का एहसास पर्यटक करते हैं।

  मसलन लाल लोमड़ी, सांभर, हिरण, एंगोरा खरगोश आदि बहुत कुछ दर्शनीय हैं। इनके अलावा वन्य जीवन की विलुप्त प्रजातियां भी यहां अवलोकित होती है।
  चामुण्डा देवी मंदिर: चामुण्डा देवी मंदिर देश का प्रमुख धार्मिक स्थान है। मान्यता है कि चामुण्डा देवी मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक है। 

   मान्यता है कि मां दुर्गा के दर्शन के बिना पालमपुर हिल स्टेशन की यात्रा आधी-अधूरी रहती है। हिन्दुओं के इस तीर्थ स्थल को आसपास का सुरम्य परिवेश चार चांद लगा देता है।
   बैजनाथ मंदिर: बैजनाथ मंदिर वस्तुत: पालमपुर हिल स्टेशन एवं आसपास के इलाके का गौरव है। बैजनाथ मंदिर की मान्यता शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में है। पहाड़ी पर स्थित बैजनाथ धाम की अपनी एक अलग यशोगाथा है।

   पालमपुर हिल स्टेशन की यात्रा का बेहतरीन समय मार्च से जून एवं सितम्बर से नवम्बर की अवधि है। बर्फबारी के शौकीन नवम्बर के बाद भी पालमपुर हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
   पालमपुर हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट गग्गल एयरपोर्ट धर्मशाला है। निकटतम रेलवे स्टेशन पालमपुर जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी पालमपुर हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
32.109500,76.535800

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...