लद्दाख हिल्स: प्रकृति का सुन्दर उपहार
लद्दाख हिल्स को खूबसूरती का नायाब तोहफा कहा जाना चाहिए। जी हां, लद्दाख हिल्स का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत एवं अकल्पनीय है।
शायद इसीलिए भारत का यह चुनिंदा पर्यटन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर विशेष ख्याति रखता है। भारत के जम्मू-कश्मीर प्रांत का लद्दाख हिल्स वैश्विक पर्यटकों का चुनिंदा एवं पसंदीदा क्षेत्र है।
समुद्र तल से करीब 3000 मीटर से लेकर 4800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख हिल्स की सांस्कृतिक परम्परा एवं विरासत 1000 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है।
करीब 97776 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैला लद्दाख हिल्स प्रकृति का नायाब तोहफा है। हिमालय एवं काराकोरम पर्वत श्रंखला के मध्य स्थित लद्दाख हिल्स बर्फ आच्छादित इलाका है।
लिहाजा बर्फबारी का आनन्द लेने के शौकीन पर्यटकों के लिए लद्दाख हिल्स किसी स्वर्ग से कम नहीं। लद्दाख हिल्स वस्तुत: चीन एवं पाकिस्तान की सीमा से लगा इलाका है। लद्दाख जम्मू-कश्मीर प्रांत का सबसे बड़ा जिला है। इसका मुख्यालय लेह में स्थित है।
समुद्र तल से अत्यधिक ऊंचाई होने के कारण लद्दाख हिल्स पर अधिकतर समय बर्फ का आच्छादन रहता है। लद्दाख हिल्स पर खास तौर से बौद्ध संस्कृति का प्रभाव दिखता है।
भारत के उत्तरी क्षेत्र का यह पर्यटन स्थल वैश्विक पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। खास यह कि लद्दाख हिल्स से तिब्बत साफ तौर पर दिखता है। मेहमानवाजी लद्दाख हिल्स की खासियत है। लिहाजा पर्यटक यहां भरपूर आनन्द लेते हैं।
लद्दाख हिल्स एवं आसपास अद्भुत एवं विहंगम दृश्यों की एक लम्बी श्रंखला है। बौद्ध संस्कृति-परम्परा एवं ग्रामीण सौन्दर्य अति दर्शनीय है। बर्फ पर ट्रैकिंग का अपना एक अलग ही आनन्द है।
लद्दाख हिल्स की मार्खा घाटी बेहद अद्भुत एवं सुन्दर है। लद्दाख हिल्स पर घोड़े एवं खच्चर की सवारी का अपना एक अलग एवं विशेष आनन्द है। खास तौर से चौतरफा एक से बढ़कर एक पर्वत श्रंखलाएं है।
गोंडविन आस्टिन पर्वत चोटी की समुद्र तल से ऊंचाई करीब 8611 मीटर है। गाशरब्राूम चोटी की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 8068 मीटर है।
यह लद्दाख हिल्स की सबसे ऊंची पर्वत चोटियां हैं। सिंधु नदी की सुन्दरता भी अति दर्शनीय है। सिंधु नदी वस्तुत: लद्दाख हिल्स की लाइफ लाइन है।
खास यह कि करीब 70 किलोमीटर लम्बा ग्लेशियर काराकोरम पर्वत श्रंखला की शान है। काराकोरम पर्वत की सबसे ऊंची चोटी सासर कांगड़ी है। समुद्र तल से सासर कांगड़ी की ऊंचाई करीब 7672 मीटर है।
बौद्ध स्तूप: लद्दाख हिल्स पर बौद्ध स्तूप की संरचना यत्र-तत्र एवं सर्वत्र दर्शनीय है। पत्थरों से बने गोल संरचना वाले स्तूूप सभी स्थानों पर दिखेंगे। इनका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है।
बौद्ध स्तूप: लद्दाख हिल्स पर बौद्ध स्तूप की संरचना यत्र-तत्र एवं सर्वत्र दर्शनीय है। पत्थरों से बने गोल संरचना वाले स्तूूप सभी स्थानों पर दिखेंगे। इनका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है।
बौद्ध इन स्थलों को प्रार्थना स्थल के तौर पर उपयोग करते हैं। सामान्यत: स्तूप पहाड़ की चोटी या गावं-गिरांव के प्रवेश द्वार पर होते हैं।
मान्यता है कि स्तूप के आसपास से गुजरने पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। बौद्ध श्रद्धालु इन स्तूपों की परिक्रमा करते हैं।
बर्फ पर ट्रैकिंग: चूंकि लद्दाख हिल्स बर्फ आच्छादित इलाका है। लिहाजा बर्फ पर ट्रैकिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए यह किसी स्वर्ग से कम नहीं।
अद्भुत दृश्यों से घिरा लद्दाख हिल्स इलाका ट्रैकिंग का भरपूर आनन्द प्रदान करता है। मार्खा घाटी पर ट्रैकिंग का अपना एक अलग रोमांचक अनुभव होता है।
खास यह कि 11वीं शताब्दी का बौद्ध विहार भी अति दर्शनीय है। मार्खा घाटी पर ट्रैकिंग करने वाले पर्यटक गांव में प्रवास कर सकते हैं। गांव में रहने-खाने एवं विश्राम की सहूलियत उपलब्ध रहती हैं।
ग्रामीण शुल्क लेकर पर्यटकों को आश्रय की सुविधा प्रदान करते हैं। यहां खास तौर से घर के बने स्वादिष्ट व्ंयजन बेहद पसंदीदा होते है।
नदी एवं लाल चट्टानें: नदी एवं लाल चट्टानें लद्दाख हिल्स की शान हैं। लद्दाख हिल्स की मार्खा घाटी के प्राकृतिक दृश्य हमेशा बदलते रहते हैं।
कभी पर्वत बर्फ से आच्छादित दिखते हैं तो कभी लाल पत्थर की विशाल चट्टानें दर्शनीयता को बढ़ाती हैं। नदी का शानदार प्रवाह एवं सुर्ख लाल पत्थर की चट्टानों की श्रंखला बेहद अद्भुत प्रतीत होते हैं।
मानी पत्थर: मानी पत्थर लद्दाख हिल्स पर कुछ खास होते हैं। मानी पत्थर चपटे पत्थरों को कहा जाता है। इसमें तिब्बती लिपि में कुछ मंत्र अंकित होते हैं।
आकाश दर्शन: आकाश की दर्शनीयता लद्दाख हिल्स पर कुछ खास ही होती है। लद्दाख हिल्स के शीर्ष पर कुछ ऐसा दृश्य होता है कि जैसे पर्यटक आकाश का स्पर्श कर लेंगे।
आकाश दर्शन: आकाश की दर्शनीयता लद्दाख हिल्स पर कुछ खास ही होती है। लद्दाख हिल्स के शीर्ष पर कुछ ऐसा दृश्य होता है कि जैसे पर्यटक आकाश का स्पर्श कर लेंगे।
समुद्र तल से करीब 4800 मीटर की ऊंचाई पर अति सुन्दर प्राकृतिक दृश्य दिखता है। यह दृश्य आंखों को बेहद शीतलता एवं सुकून प्रदान करता है। चौतरफा नीला आकाश अति दर्शनीय प्रतीत होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे आकाश का स्पर्श होने वाला है। नीला आकाश-सुन्दर आकाश।
पक्षियों का आशियाना: लद्दाख हिल्स पक्षियों का आशियाना भी है। पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां यहां पायी जाती हैं। इनमें खास तौर से रॉबिन, रेड स्टार्ट, तिब्बती स्नोकोक, रेवेन आदि पाये जाते हैं।
लद्दाख हिल्स की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कुशोक बकुला रिंपोचे एयरपोर्ट लेह है।
निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है। जम्मू तवी रेलवे स्टेशन से लद्दाख हिल्स की दूरी करीब 680 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।
34.146490,77.481610
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