गंगोलीहाट हिल स्टेशन: प्राकृतिक सौन्दर्य
गंगोलीहाट हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौन्दर्य को अद्भुत कहा जाना चाहिए। जी हां, हिमालय की गोद में रचा-बसा यह सुन्दर स्थान बेहद विलक्षण है।
भारत का देवलोक कहे जाने वाले प्रांत उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिला का यह सुन्दर हिल स्टेशन पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। गंगोलीहाट हिल स्टेशन वस्तुत: हाट कालिका मंदिर के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है।
हाट कालिका मंदिर को सिद्धपीठ की मान्यता है। इस सिद्धपीठ की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी। हाट कालिका देवी को रणभूमि के जवानों की रक्षक माना जाता है।
आस्था एवं विश्वास का यह केन्द्र चौतरफा देवदार के शानदार एवं सुन्दर वृक्षों से घिरा है। यूं कहें कि हाट कालिका मंदिर देवदार के सघन वन क्षेत्र में स्थित है, तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी।
विशेषज्ञों की मानें तो प्राचीन ग्रंथोंं में हाट कालिका मंदिर का उल्लेख है। मान्यता है कि पश्चिम बंगाल से काली जी यहां स्थानान्तरित हो गयी थीं।
काली जी का यह स्थान उनका घर माना जाता है। काली देवी का यह स्थान एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है।
शक्तिपीठ की मान्यता के अनुसार हाट कालिका मंदिर में पवित्र अग्नि प्रज्जवलित है। मान्यता है कि इस मंदिर को दिव्य-भव्य स्वरूप स्वयं देवी ने दर्शन देकर कराया है। किवदंती है कि संत जंगम बाबा के स्वप्न में मां काली ने दर्शन दिये।
मां काली ने इस स्थान पर भव्य-दिव्य मंदिर बनाने की इच्छा व्यक्त की लिहाजा इस स्थान पर काली जी का भव्य-दिव्य मंदिर बना।
श्रद्धालु जंगम बाबा के प्रति भी अगाध श्रद्धा रखते हैं। समुद्र तल से करीब 1347 मीटर ऊंचाई पर स्थित गंगोलीहाट हिल स्टेशन बेहद शांत एवं सुरम्य स्थान है।
सुगंधित फूलों की असंख्य प्रजातियां गंगोलीहाट हिल स्टेशन को बेहद खुशनुमा बना देती हैं। खास यह कि पर्यटक गंगोलीहाट हिल स्टेशन पर भरपूर आक्सीजन एवं ताजगी का सुखद एहसास करते हैं। गंगोलीहाट हिल स्टेशन एवं आसपास का इलाका आैषधीय वनस्पतियों से आच्छादित है।
लिहाजा पर्यटक यहां प्राण वायु का बोध करते हैं। मानों यहां फेफड़ों को पंख लग जाते हैं। चौतरफा वनस्पतियों की खास सुगंध पर्यटकों को एक विशेष ऊर्जा प्रदान करती है।
पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से करीब 77 किलोमीटर दूर स्थित गंगोलीहाट हिल स्टेशन एक अलग ही दुनिया होने का एहसास कराता है।
सरयू नदी एवं रामगंगा नदी के मध्य स्थित गंगोलीहाट हिल स्टेशन को एक आदर्श पर्यटन क्षेत्र माना जाता है। प्राचीनकाल में इसे गंगावली कहा जाता था।
शनै-शनै इसको गंगोली कहा जाने लगा। विशेेषज्ञों की मानें तो तेरहवीं शताब्दी में इस क्षेत्र में कत्यूरी राजवंश का शासन था।
गंगोली का व्यावसायिक केन्द्र गंगोलीहाट रहा। तेरहवीं शताब्दी के बाद इस इलाके में मनकोटी राजाओं का शासनकाल था। इस शासनकाल की राजधानी मनकोट में रही।
खास यह प्राकृतिक सौन्दर्य की आभा से आलोकित गंगोलीहाट हिल स्टेशन एवं आसपास का इलाका बेहद दर्शनीय एवं आकर्षक है। चौतरफा मखमली घास से लदे मैदान एवं ढ़लान पर्यटकों को मुग्ध कर लेते हैं।
गंगोलीहाट हिल स्टेशन की शांत एवं शीतल हवा के झोके मन एवं तन को तरोताजा कर देते हैं। बादलों की अठखेलियां दिलों को छू जाती हैं।
खास यह कि पर्यटक बादलोें की इन अठखेलियों के मध्य बेहद रोमांच का एहसास करते हैं। बादल कभी पर्यटकों की गोद में होते हैं तो कभी पर्यटक बादलों की गोद में होते हैं।
पर्वतीय सौन्दर्य की गंगोलीहाट हिल स्टेशन पर एक निराली छटा दिखती है। पर्यटक यहां खुद को पर्वतों की गोद में होने का एहसास करते हैं।
गंगोलीहाट हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून है। निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर एवं काठगोदाम जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी गंगोलीहाट हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
29.657290,80.039980
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