Sunday, 30 June 2019

करसोग हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग

   करसोग हिल स्टेशन को धरती का स्वर्ग कहा जाना चाहिए। जी हां, करसोग हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को बरबस आकर्षित करता है। 

   यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को रोमांचित करता है। भारत के हिमाचल प्रदेश के मण्डी का यह सुन्दर एवं शांत हिल स्टेशन वस्तुत: एक शानदार घाटी है। शिवालिक पर्वत श्रंखला का यह इलाका बेहद रोमांटिक है। लिहाजा नवविवाहित जोड़ों के हनीमून के लिए यह बेहद बेहतरीन इलाका है।

   मण्डी से करीब 125 किलोमीटर दूर स्थित करसोग हिल स्टेशन प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत अलंकरण है। समुद्र तल से करीब 1404 मीटर ऊंचाई पर स्थित करसोग हिल स्टेशन हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रेणी की एक शानदार घाटी है। 

   खास यह कि करसोग घाटी का प्राकृतिक सौन्दर्य एवं मान्यतायें सहित बहुत कुछ अद्भुत एवं अकल्पनीय है। करसोग के पारम्परिक रीति रिवाज एवं अनूठी लोक संस्कृति अति दर्शनीय हैं। पौराणिक मंदिरों की श्रंखला करसोग की शान एवं शोभा हैं। सेब के बाग-बगीचों की सुन्दरता देखते ही बनती है।

   अखरोट के शानदार बागान अति दर्शनीय प्रतीत होते हैं। देवदार, चील एवं आैषधीय वनस्पतियों का सघन वन क्षेत्र करसोग हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौन्दर्य में चार चांद लगा देता है। आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध पर्यटकों के दिल एवं दिमाग को एक ताजगी प्रदान करती है। 

   आैषधीय जड़ी बूटियों से आच्छादित यह घाटी अति दर्शनीय है। सुगंध एवं श्रंगार को रेखांकित करने वाली यह घाटी पर्यटकों का बेहद पसंदीदा इलाका है। शिमला से करीब 106 किलोमीटर दूर स्थित यह एक अनछुई घाटी है।

   खास यह कि करसोग घाटी एवं उसके आसपास मंदिरों की एक शानदार श्रंखला है। इनमें खास तौर से ममलेश्वर महादेव, कामाक्षा माता मंदिर, माहंुनाग मंदिर, धमूनी नाग मंदिर, देव दवाडी मंदिर, दवाहट, थनाडी, च्वासी सिद्ध, मगरु महादेव, चिंडी माता मंदिर, महामाया मंंदिर, पागणा, देव बडोयगी, शिकारी माता मंदिर, त्रिलोकीनाथ शिव मंदिर, भूतनाथ मंदिर, श्यामाकाली मंदिर, अद्र्धनारीश्वर मंदिर आदि सहित बहुत कुछ है। 

   करसोग हिल स्टेशन का बरोेट एक आदर्श पिकनिक स्पॉट है। करसोग हिल स्टेशन वस्तुत: पौराणिक मंदिरों, अखरोट एवं सेब बागानों के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है। 
   करसोग घाटी की स्थलाकृति भी शानदार एवं अद्भुत है। घाटी की उत्तर दिशा में शिकारी देवी चोटी स्थित है। कुन्हूू धार, पीर पंजल, हनुमान टिब्बा, शैली टिब्बा, नारकंडा हट्टू चोटी आदि करसोग के मुख्य आकर्षण हैं। 

   पर्यटक करसोग हिल स्टेशन पर पर्यटक ट्रैकिंग एवं हाइकिंग का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। ट्रैकिंग के लिए शिकारी देवी, कमरु नाग, महूनाग, दमून आदि बेस प्वाइंट हैं। घाटी का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य ऐसा जिसे पर्यटक बार बार निहारना चाहेंगे। 

  करसोग हिल स्टेशन की यात्रा में पर्यटकों को पारम्परिक हिमाचली मंदिर अवश्य देखना चाहिए। करसोग हिल स्टेशन एवं आसपास कई सुन्दर गांव हैं। 

  इन गांवों में पर्यटक लोक संस्कृति एवं गांव के खान-पान का आनन्द लेे सकते हैं। पर्यटक करसोग हिल स्टेशन पर विलेज टूरिज्म का भी आनन्द ले सकते हैं।

   इन गांवों की यात्रा का अपना एक अलग ही सुख एवं आनन्द है। इन गांवों में पर्यटकों को एक सुखद सुकून की अनुभूति होगी। पर्यटकों को करसोग हिल स्टेशन के इन गांवों की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।

   करसोग हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट भुंटर एयरपोर्ट कुल्लू है। निकटतम रेलवे स्टेशन किरतपुर साहिब पंजाब है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी करसोग हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
31.381560,77.214690

Thursday, 27 June 2019

पियरमेड हिल स्टेशन: सुगंध का खजाना

    पियरमेड हिल स्टेशन को प्रकृति की गोद कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। पियरमेड में चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली आभा परिवेश कोे आलोकित करती है। 

   इसे सुगंध का खजाना भी कहा जा सकता है। भारत के केरल प्रांत के इडुक्की जिला का यह शानदार एवं सुन्दर हिल स्टेशन खास तौर से मसालों के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र तल से करीब 950 मीटर ऊंचाई पर स्थित पियरमेड हिल स्टेशन की अपनी एक अलग पहचान है। इसे वैश्विक मानचित्र पर विशेष ख्याति हासिल है। 

   शांत एवं शीतल वातावरण वाला यह हिल स्टेशन पर्यावरण संवर्धन के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। इसे आैषधीय वनस्पतियों का खजाना भी कहा जा सकता है।
   विशेषज्ञों की मानें तो पियरमेड हिल स्टेशन अद्भुत एवं विलक्षण है। विलुप्त प्रजाति की आैषधीय वनस्पतियां भी इस क्षेत्र में संरक्षित हैं। जिससे पर्यटकोें को पियरमेड हिल स्टेशन पर विशेष ऊर्जावान होने का एहसास होता है। 

   चौतरफा शांत शीतलता एवं हरितिमा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर लेती है। इसे जादुई परिवेश कहा जाये तो शायद कुछ गलत न होगा। पियरमेड हिल स्टेशन के परिवेश में एक विशेष सम्मोहन होने का एहसास होता है। केरल का यह इलाका मसालों की उपज के लिए विशेष तौर पर जाना पहचाना जाता है। 

   लिहाजा इसे स्वाद की कलिका भी कह सकते हैं। कॉफी, चाय, काली मिर्च, इलायची आदि के बागान परिवेश को एक खास सुगंध से परिपूरित कर देते हैं। सामान्यत: इसे सुगंध का खजाना कहा जाता है। इतना ही नहीं, पियरमेड हिल स्टेशन में रबर की उपज भी खास है। स्वाद एवं सुगंध में पियरमेड हिल स्टेशन बेजोड़ है।

   लिहाजा पर्यटकों को पियरमेड हिल स्टेशन की यात्रा में एक रोमांचक अनुभव होता है। धुंध अर्थात कोहरा पियरमेड हिल स्टेशन की खासियत है। इस रोमांंटिक परिवेश में पर्यटक खो जाते हैं। 
  ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पर्यटक एक अलग ही दुनिया में विचरण कर रहे हों। ऊंचे-नीचे अर्थात पहाड़ियों-घाटियों वाले इस इलाके में पर्यटक हर पल एक खास रोमांच का अनुभव करते हैं।

    नदियों, झीलों-झरनों से आच्छादित पियरमेड हिल स्टेशन पर्यटकों को हर पल एक खास प्रफुल्लता प्रदान करता है। पश्चिमी घाट का यह इलाका अति दर्शनीय एवं सुन्दर है। चाय-कॉफी बागानों एवं मसालों की सुगंध पर्यटकों के दिल आैर दिमाग को एक विशेष ताजगी प्रदान करते हैं।

   विशेषज्ञों की मानें तो पियरमेड हिल स्टेशन की यात्रा पर्यटकों के इन्द्रिय तंत्र को खास तौर से संचारित कर देता है। कोट्टायम से करीब 85 किलोमीटर दूर स्थित पियरमेड हिल स्टेशन अपने विशेष आकर्षण से पर्यटकों को विशेष तौर से आमंत्रित करता है। 

   पियरमेड हिल स्टेशन एवं आसपास आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है। इनमें खास तौर से त्रिशंकु हिल्स, पंचालीमेडु, ग्राम्पी, पीरू हिल्स, मादाम्माकुलम, कुट्टीकनम, अमृत मेडु आदि इत्यादि हैं।
   त्रिशंकु हिल्स: त्रिशंकु हिल्स का प्राकृतिक सौन्दर्य अति दर्शनीय है। वस्तुत: इस स्थान से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अद्भुत एवं अति सुन्दर दृश्य दिखता है। पहाड़ियों के बीच सूर्य का अस्त होना एवं सूर्य का उदय होना बेहद सुन्दर प्रतीत होता है। खास तौर से यहां से पर्यावरण एवं पश्चिमी घाट का खास दर्शनीयता है।

  पंचालीमेडु : पंचालीमेडु महाकाव्य महाभारत के प्रसंगों पर आधारित है। महाभारत के प्रमुख चरित्र द्रोपदी पर आधारित इस स्थान की काफी विशेषतायें हैं। पाण्डव पत्नी पांचाली को यहां एक देवी के रूप में मान्यता है। इस स्थान पर एक तालाब भी इसे पंचलीकुलम के नाम से जाना पहचाना जाता है। 
   ग्राम्पी: ग्राम्पी वस्तुत: पक्षियों की दृष्टि के लिए जाना पहचाना जाता है। इस इलाकेे में चाय-कॉफी के बागान अच्छी संंख्या में हैं। इसे परंतूपारा एवं ईगल रॉक के नाम से भी जाना जाता है।
    पीरू हिल्स : पीरू हिल्स वस्तुत: एक आदर्श पिकनिक स्पॉट है। पियरमेड हिल स्टेशन से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित यह एक बेहतरीन स्थान है।

  मादाम्माकुलम : मादाम्माकुलम वस्तुत: तालाबों एवं झरनों के लिए प्रसिद्ध है। झरना यहां का मुख्य आकर्षण है। यह इलाका एक ब्रिटिश महिला के नाम से जाना जाता है।
   ग्रीष्मकालीन महल: ग्रीष्मकालीन महल एक शानदार शाही परिवार का आरामगाह है। त्रावणकोर के शाही एवं राज परिवार का यह आरामगाह अब एक शानदार पर्यटन के रूप में है। यहां सूफी संत की कब्रागाह भी है।
 
   पियरमेड हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कोचीन इण्टरनेशनल एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से पियरमेड हिल स्टेशन की दूरी करीब 89 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कोट्टायम रेलवे जंक्शन है। कोट्टायम जंक्शन से पियरमेड हिल स्टेशन की दूरी करीब 85 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी पियरमेड हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
9.580510,76.981468

Wednesday, 26 June 2019

नालदेहरा हिल स्टेशन: धरती का ताज

   नालदेहरा हिल स्टेशन को धरती का ताज कहना चाहिए। जी हां, इस हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य बेहद दर्शनीय है। 

   ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर साक्षात स्वर्ग उतर आया हो। भारत के हिमाचल प्रदेश के शिमला का यह शानदार हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहता है। इस पर्यटन क्षेत्र के वैश्विक आकर्षण का केन्द्र होने का मुख्य कारण नालदेहरा का शानदार गोल्फ कोर्स है।

   समुद्र तल से करीब 2044 मीटर ऊंचाई पर स्थित नालदेहरा हिल स्टेशन चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की आभा से लबरेज है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे नालदेहरा हिल स्टेशन प्रकृति की गोद हो।
  नालदेहरा वस्तुत: दो शब्दों का संयोजन है। नालदेहरा वस्तुत: नाग एवं डेहरा से मिल कर बना है। इसका अर्थ होता है कि सांपों के राजा का निवास। 

   नालदेहरा हिल स्टेशन पर एक शानदार धार्मिक स्थान भी है। इस दिव्य-भव्य मंदिर को नाग देवता का निवास माना जाता है। इस मंदिर को महूनाग मंदिर के नाम से ख्याति हासिल है। यह मंदिर नागदेवता को समर्पित है। इलाके में इसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान के तौर पर मान्यता है। 

   नालदेहरा गोल्फ कोर्स पर स्थित इस दिव्य-भव्य मंदिर के प्रति इलाकाई बाशिंदों में अगाथ आस्था है। मान्यता यह भी है कि मंदिर महाभारत के वीर योद्धा कर्ण को समर्पित है।
  इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1664 में राजा श्याम सेन ने कराया था। राजा कर्ण के प्रबल भक्त थे। नालदेहरा हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण नालदेहरा गोल्फ कोर्स है। 

  मान्यता है कि यह दुनिया के सबसे पुराने गोल्फ कोर्स में से एक है। इसकी स्थापना वर्ष 1920 में भारत के वायसराय लार्ड कर्जन ने की थी। विशेषज्ञों की मानें तो लार्ड कर्जन नालदेहरा हिल स्टेशन की प्राकृतिक सुन्दरता पर अति मंत्रमुग्ध थे।

   लिहाजा कर्जन ने नालदेहरा में बेहतरीन गोल्फ कोर्स बनाने का निर्णय लिया था। इस गोल्फ कोर्स का प्रबंधन हिमाचल पर्यटन विभाग के सानिध्य में किया जाता है। इस गोल्फ कोर्स को 18 होल के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है।

  इसके अलावा नालदेहरा हिल स्टेशन मेला एवं उत्सव के लिए भी खास तौर से जाना पहचाना जाता है। सिपी मेला नालदेहरा का मुख्य आकर्षण है। इस मेला का दिव्य-भव्य मेला का आयोेजन खास तौर से प्रत्येक वर्ष जून में आयोजित किया जाता है। 
  इसके अलावा नालदेहरा हिल स्टेशन जोतों को मेला के लिए भी बेहद लोकप्रिय है। यह मेला खास तौर पर बैलों की लड़ाई के लिए प्रसिद्ध है। इस मेला का आयोजन अक्टूबर की अवधि में होता है। 

  शीतलता एवं शांत जलवायु वाला नालदेहरा हिल स्टेशन आैषधीय वनस्पतियों का खास खजाना भी है। विशेषज्ञों की मानें तो नालदेहरा हिल स्टेशन में विलुप्त आैषधीय वनस्पतियां भी संरक्षित हैं। शीतल एवं शांत हवा के झोंके पर्यटकों के दिल एवं दिमाग को भरपूर ताजगी प्रदान करते हैं। 

   ऐसा प्रतीत होता है कि फेफड़े आक्सीजन से लबरेज हों। मानों फेफड़ों को पंख लग जाते हों। बादलों का रोमांच पर्यटकों को पुलकित कर देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि बादल संगी-साथी हों। बादल कभी पर्यटकों के साथ अठखेलियां करते हों तो कभी पर्यटक बादलों के साथ मौज मस्ती करते दिखते हैं। 

  सर्दियों में नालदेहरा हिल स्टेशन की घुमक्कड़ी का आनन्द दोगुना हो जाता है। सर्दियों में चौतरफा मैदान से लेकर घरों तक अर्थात पूरा शहर बादलों की आगोश में सिमटा नजर आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर साक्षात स्वर्ग उतर आया हो। 

   नालदेहरा हिल स्टेशन एवं आसपास प्राकृतिक सौन्दर्य की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है। इनमें खास तौर से चब्बा, टाट्टापानी, शैली पीक, महाकाली मंदिर, कोगी माता मंदिर आदि इत्यादि बहुत कुछ शामिल है। चब्बा वस्तुत: प्राकृतिक सौन्दर्य का एक सुन्दर आयाम है। नालदेहरा से कुछ ही दूर कोगी गांव है। इस कोगी गांव में ही कोगी माता का मंदिर स्थित है। 

   कोगी गांव वस्तुत: लोक संस्कृति अर्थात हिमाचली संस्कृति को बयां करने वाला सुन्दर स्थान है। पर्यटक कोगी में विलेज टूरिज्म का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। नालदेहरा हिल स्टेशन खास तौर से हिमालय की शानदार छवि को भी दर्शित कराता है।
   हिमालय की घाटी की दर्शनीयता बेहद अकल्पनीय सी प्रतीत होती है। प्राकृतिक सौन्दर्य की इस निराली इन्द्रधनुषी छटा को निहारने के लिए नालदेहरा हिल स्टेशन पर पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है।
   नालदेहरा हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जुबरहट्टी शिमला है। निकटतम रेलवे स्टेशन कालका जंक्शन है। कालका जंक्शन से नालदेहरा हिल स्टेशन की दूरी करीब 112 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी नालदेहरा हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
31.114890,77.140470

Tuesday, 25 June 2019

धारचूला हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग

   धारचूला हिल स्टेशन को धरती पर स्वर्ग कहा जाना चाहिए। जी हां, धारचूला हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत एवं विलक्षण है।

   पर्वत मालाओं से घिरा धारचूला हिल स्टेशन वस्तुत: प्रकृति का नायाब तोहफा है। भारत के उत्तराखण्ड की भारत-नेपाल सीमा पर स्थित धारचूला हिल स्टेशन सौन्दर्य शास्त्र की अनुपम गाथा है। जिला पिथौरागढ़ का यह शानदार हिल स्टेशन बेहद बर्फीला क्षेत्र है। 

   हिमालय की गोद में रचा-बसा धारचूला हिल स्टेशन अति दर्शनीय एवं मनोरम है। धारचूला का इन्द्रधनुषी सौन्दर्य इसे काफी कुछ खास बना देता है। स्टोव के आकार-प्रकार का दिखने वाला धारचूला हिल स्टेशन पर्यटकों का बेहद पसंदीदा है। 
  पिथौरागढ़ से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित धारचूला हिल स्टेशन प्रकृति के शानदार एवं मनोरम दृश्यों का खजाना है। चौतरफा प्रकृति का शानदार नजारा दिखता है। 

   आैषधीय वनस्पतियों से आच्छादित सघन वन क्षेत्र पर्यटकों को शुद्ध जलवायु प्रदान करता है। यूं कहें कि धारचूला आक्सीजन का भण्डारण क्षेत्र है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। धारचूला हिल स्टेशन पर पर्यटक बादलों के खिलंदडपन एवं बर्फबारी का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। 

   सर्दियोें में धारचूला का सौन्दर्य आैर भी अधिक निखर आता है। कारण चौतरफा बर्र्फ की सुनहरी चादर एक शानदार ओढ़नी की भांति नजर आती है। बादलों की आवाजाही पर्यटकों को खास तौर से रोमांचित करती है। बादलों का खिलंदड़पन पर्यटकों को यादगार अनुभव प्रदान करता है।

   धारचूला हिल स्टेशन एवं आसपास आकर्षक एवं लुभावने स्थलों की एक शानदार श्रंखला है। धारचूला में ओम पर्वत मुख्य आकर्षण है। मनसा सरोवर एवं मीठे पानी की झीलें धारचूला की विशेषता है।

   मनसा सरोवर का हिन्दू धर्म एवं बौद्ध धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि इस धार्मिक झील मेें स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है। बौद्ध धर्म में इसे अति प्राचीन झील माना जाता है।
   मान्यता है कि इस झील के निकट भगवान बुद्ध ने ध्यान लगाया था। लिहाजा बौद्ध धर्म में इस झील के जल को अति पवित्र माना जाता है। इस झील के निकट चिऊ गोम्पा मठ है। यह शानदार एवं सुन्दर मठ एक खड़ी पहाड़ी पर स्थित है।

   विशेषज्ञों की मानें तो यह पौराणिक एवं आध्यात्मिक झील ब्राह्मपुत्र, करनाली, सिंधु एवं सतलज नदियों का रुाोत है। मानसरोवर के पश्चिम दिशा में स्थित इस झील को धारचूला के लिए बेहद भाग्यशाली माना जाता है।
  काली नदी भी धारचूला हिल स्टेशन की शान एवं शोभा है। पर्यटक यहां रॉफ्टिंग का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। इस नदी पर बना चिरकिला बांध भी यहां का मुख्य आकर्षण है। 

   धारचूला हिल स्टेशन से ओम पर्वत, कैलाश पर्वत, भारत-नेपाल सीमा एवं भारत-चीन सीमा को निहार सकते हैं। खास यह कि नारायण आश्रम भी यहां की शान एवं शोभा हैं। सर्दियों में पर्यटकों के लिए धारचूला हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं दिखता। 

   कारण चौतरफा प्राकृतिक परिवेश में एक सुन्दर बदलाव दिखता है। शीतकालीन खेलों के लिए भी धारचूला बेहतरीन है। आैषधीय वनस्पतियों से आच्छादित सघन वन क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य की आभा में चार चांद लगाते हैं। इसे आैषधीय वनस्पतियों का छिपा खजाना कहा जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो विलुप्त आैषधीय वनस्पतियां भी यहां संरक्षित हैं। लिहाजा स्वास्थ्य की दृष्टि से भी धारचूला बेहतरीन पर्यटन क्षेत्र है। 
   एस्काट कस्तूरी मृग अभयारण्य: एस्काट कस्तूरी मृग अभयारण्य को धारचूला हिल स्टेशन की शान एवं शोभा कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। इस अभयारण्य में पर्यटक वन्य जीवन केे रोमांच का भी एहसास कर सकते हैं। 
   खास यह कि यह अभयारण्य कस्तूरी मृग के लिए जाना पहचाना जाता है। कस्तूरी हिरन के अलावा इस अभयारण्य में तेंदुआ, जंगली बिल्ली, ऊदबिलाव, कांकड, छोटे सींगों वाला बाराहसिंगा, गोराल बाराहसिंगा, सफेद भालू, हिमालयीय चीता, काला भालू आदि इत्यादि संरक्षित हैं।

   चिरकिला बांध: चिरकिला बांध धारचूला हिल स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है। निकट ही एक शानदार झील भी है। लिहाजा पर्यटक यहां भरपूर आनन्द ले सकते हैं। इसे एक आदर्श पिकनिक स्पॉट माना जाता है। 
  पर्यटक यहां से काली नदी एवं हिमालय की विशालता का दर्शन कर सकते हैं। यहां एक दिव्य-भव्य मंदिर भी है। इसे काली मंदिर के नाम से जाना पहचाना जाता है। 
   ओम पर्वत: ओम पर्वत वस्तुत: धारचूला हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। समुद्र तल से करीब 6191 मीटर ऊंचाई वाला ओम पर्वत हिमालय श्रंखला का शानदार पर्वत है। इसे लिटिल कैलाश, आदि कैलाश, बाबा कैलाश एवं जोगलिंगकोंग आदि इत्यादि के नाम से जाना पहचाना जाता है।
   खास यह कि ओम शब्द बर्फ के बीच लिखा दर्शित होता है। इसी कारण इस स्थान का नाम ओम पर्वत पड़ा है। इसके साथ ही इस पर्वत चोटी का हिन्दू धर्म, जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है। इसका धार्मिक महत्व इसे वैश्विक ख्याति भी दिलाता है।
   धारचूला हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी धारचूला हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
29.847070,80.519510

Sunday, 23 June 2019

पुह हिल स्टेशन: अद्भुत सौन्दर्य

   पुह हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौन्दर्य को अद्भुत एवं विलक्षण कहा जाना चाहिए। खास यह कि इसे धरती का स्वर्ग भी कहा जा सकता है। 

   कारण पुह हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य दिलों की गहराईयोें तक उतर जाता है। पर्यटकों को ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे किसी अन्य लोक में विचरण कर रहे हों। भारत के हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला का यह शानदार एवं सुन्दर हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों का खास आकर्षण है। 

   वस्तुत: पुह हिमाचल प्रदेश का एक छोटा सा गांव है। इस छोटे से गांव ने हिल स्टेशन का स्वरूप ग्रहण कर लिया। पर्यटक पुह में विलेज टूरिज्म का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। तिब्बत की अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित पुह हिल स्टेशन धर्म एवं आध्यात्म के लिए भी खास तौर से जाना पहचाना जाता है। 

   भारतीय पुराण, कथा, साहित्य एवं संस्कृति की जड़ें पुह में काफी गहरी हैं। समुद्र तल से करीब 9000 फुट की ऊंचाई पर स्थित पुह हिल स्टेशन की खास पहचान एक अनोखी तिब्बत संस्कृति है। इसे भोेती संस्कृति के तौर पर जाना पहचाना जाता है। पुह वस्तुत: ऊंचे पर्वत मालाओं एवं घाटियों-वादियों का मिला-जुला इलाका है। 

   खास यह कि नदियों, झीलों एवं झरनों का अद्भुत सौन्दर्य अति दर्शनीय है। समुद्र से करीब 2950 मीटर की शीर्ष ऊंचाई पर बहती सतलज नदी पुह में दाखिल होती है। पर्वत मालाओं से घिरा यह इलाका काफी कुछ अलग दिखता है। 
  आैषधीय वनस्पतियों के कुछ खास इलाके प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा दिखाते हैं। सेब के बागान पुह के प्राकृतिक सौन्दर्य में चार चांद लगा देते हैं।

   खास यह कि पुह के सेब का स्वाद भी निराला होता है। लिहाजा देश दुनिया में पुह का सेब खास तौर से पसंद किया जाता है। सेब की बागवानी ही पुह की मुख्य खेती किसानी है। सर्दियों के मौसम में पुह हिल स्टेशन का सौन्दर्य आैर भी अधिक निखर आता है। 

   चौतरफा बर्फ की चादर एक अनोखा सौन्दर्य दर्शित करती है। बादलों की आवाजाही पर्यटकों को रोमांचित करती है। बादल कभी पर्यटकों की गोद में होते हैं तो कभी पर्यटक बादलों की गोद में होते हैं। पर्यटकों के लिए यह पल बेहद रोमांचक होते हैं। पर्यटक पुह के परिवेश में एक विशिष्ट ताजगी का एहसास करते हैं। मानों फेफड़ों को पंख लग जाते हों। 

   पुह का आशय एक बाल कतरा से होता है। इसे ऋषि डोंगरी या ऋषि डोंगरी घाटी अथवा ऋषि डोंगरी गांव भी कहा जाता है। पुह हिल स्टेशन वस्तुत: अति बर्फीला क्षेत्र है। लिहाजा सर्दियों में चौतरफा बर्फ का आच्छादन दिखता है।

  पुह हिल स्टेशन के आसपास का इलाका भी अति दर्शनीय एवं सुन्दर है। इन इलाको में आैषधीय वनस्पतियों की प्रचुरता पर्यटकों को खास तौर से प्राण वायु प्रदान करती है। 
  लिहाजा स्वास्थ्य की दृष्टि पुह सहित आसपास का इलाका बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। स्पील्लो एवं रामपुर गांव पुह के आसपास केे खास गांव हैं। 

   रामपुर वस्तुत: पुह से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित है। रामपुर में एक अलग ही आवासीय संस्कृति दर्शित है। रामपुर गांव में सामान्यत: घर दो मंजिला होते हैं। इन घरों का निर्माण या संरचना मौसम को ध्यान में रख कर की जाती है। घरों की पहली मंजिल को पशुओं के लिए उपयोग में लाया जाता है। 


   इसे कार्यशाला के तौर पर भी इस्तेेमाल किया जाता है। घरों की उपरी मंजिल में रिहायश को अत्यंत कम क्षेत्र दिया जाता है। बालकनी का दायरा काफी अधिक होता है। इन घरों की संरचना हवादार एवं सूरज की रोशनी के निकट होने के आधार पर होती है। घरों की संरचना ऐतिहासिक कलाकृतियों जैसी होती है।
   खास तौर से घर की संरचना में पत्थर एवं लकड़ी का उपयोग किया जाता है। पुह हिल स्टेशन पर बौद्ध मठ भी हैं। जिससे पुह का परिवेश धार्मिक रहता है।
  पुह हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जुबरहट्टी शिमला है। निकटतम रेलवे स्टेशन शिमला जंक्शन एवं देहरादून जंक्शन हैं। पर्यटक सड़क मार्ग से भी पुह हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
31.596030,78.355640

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...