Tuesday, 27 August 2019

प्फुत्सेरो हिल स्टेशन : शीतलता का रोमांच

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन को ग्रीन लैण्ड कहा जाना चाहिए। जी हां, प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर चौतरफा शांत, शीतल एवं शुद्ध पर्यावरण दिखता है। 

   सर्दियों में प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर्यटकों को बेहद रोमांचक एहसास कराता है। खास तौर से जब सर्दियों में तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। भारत के नागालैण्ड के फेक जिला का यह शानदार हिल स्टेशन सदैव शांत एवं शीतलता का एहसास कराता है। इसे आैषधीय वनस्पतियों का खजाना भी कहा जाता है। 

    प्फुत्सेरो हिल स्टेशन को आैषधीय वनस्पतियों की प्रचुरता प्राकृतिक समृद्धता सम्पन्न बनाती है। आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध प्फुत्सेरो हिल स्टेशन के परिवेश को मोहक बना देती है। नागालैण्ड का यह हिल स्टेशन वस्तुत: एक छोटा शहर है। 

   अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण प्फुत्सेरो हिल स्टेशन एक शांत शीतलता प्रदान करता है। हरा भरा यह शहर नागालैण्ड का सबसे शीतल शहर माना जाता है। यहां की शांत एवं शीतल जलवायु पर्यटकों को बेहद रोमांचक एहसास कराती है। 

    समुद्र तल से करीब 2133 मीटर ऊंचाई पर स्थित प्फुत्सेरो हिल स्टेशन अति दर्शनीय है। पर्यटकों को होम स्टे की सहूलियत भी मिल जाती है। लिहाजा पर्यटक विलेज टूरिज्म का भी आनन्द ले सकते हैं। नागालैण्ड की राजधानी कोहिमा से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित यह हिल स्टेशन पर्यटकों को एक खास ऊर्जा से भर देता है।

  शांत एवं शीतल जलवायु से आच्छादित प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर्यटकों को भरपूर आक्सीजन प्रदान करता है। प्फुत्सेरो पर पर्यटकों के फेफड़ों को मानों पंख लग जाते होते हों। मन-मस्तिष्क, दिल एवं दिमाग खास तौर से प्रफुल्लित हो जाता है। 

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन एवं आसपास सेब की खेती खास व्यवसाय है। लिहाजा चौतरफा सेब के बागान दिखते हैं। सेब की खास खुशबू परिवेश को काफी कुछ खास बना देते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पर्यटक किसी दूसरी दुनिया में विचरण कर रहे हों। चौतरफा सघन वन क्षेत्र या घाटियों-वादियों का सुरम्य वातावरण तन मन को एक खास ऊर्जा से लबरेज कर देता है। 

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन एवं आसपास दर्शनीय एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंृखला विद्यमान है। इसे अद्भुत एवं विलक्षण पर्यटन क्षेत्र कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। शायद यही कारण है कि प्फुत्सेरो हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटन में भी एक जाना पहचाना स्थल है। 

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन के आसपास अन्य दर्शनीय स्थलों में जुन्हबोतो भी विशिष्टताओं के लिए जाना पहचाना जाता है। सरमती पर्वत खास तौर से प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की शान एवं शोभा है। सतोई की पर्वत श्रंृखलाएं भी अति दर्शनीय है। घोसु पक्षी अभयारण्य भी प्फुत्सेरो हिल स्टेशन का विशेष आकर्षण है।

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की यात्रा खास तौर से अक्टूबर से अप्रैल की अवधि में करना चाहिए। कारण यह समय त्योहार एवं पर्व का माना जाता है। त्सखेनये फसल पर्व के तौर से धूमधाम एवं उत्साह से मनाया जाता है। 

   पर्यटक प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर ट्रैकिंग का भी आनन्द ले सकते हैं। सघन वन क्षेत्र में पक्षियों का कोलाहल एवं कलरव बेहद कर्णप्रिय होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे संगीत की सुमधुर राग रागिनी प्रवाहित हो रही हो। 

   विशेषज्ञों की मानें तो प्फुत्सेरो हिल स्टेशन भारत का मिनी स्विट्जरलैण्ड है। प्फुत्सेरो हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण ग्लोरी चोटी है। इस इलाके की यह सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। 
  इस पर्वत चोटी से आसपास की घाटियां-वादियां अति आकर्षक प्रतीत होती हैं। यहां से चौतरफा अति मनोरम दृश्य दिखता है। पर्यटक प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर मेहमाननवाजी का भरपूर आनन्द उठा सकते हैं। अतिथि देवो भव: की परिकल्पा प्फुत्सेरो हिल स्टेशन पर साकार दिखती है।

   प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट दीमापुर एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन रंगापापार जंक्शन है। रंगापापार रेलवे स्टेशन से प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की दूरी करीब 70 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी प्फुत्सेरो हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
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Monday, 26 August 2019

मावल्यान्नॉग : गांव में हिल स्टेशन का आनन्द

       गांव में भी हिल स्टेशन का भरपूर आनन्द लें। जी हां, मेघालय के खासी हिल्स का गांव मावल्यान्नॉग किसी शानदार हिल स्टेशन से कम नहीं है। 

   मावल्यान्नॉग को एक आदर्श गांव के तौर पर देश दुनिया में जाना पहचाना जाता है। एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का खिताब मावल्यान्नॉग के खाते में जाता है। भारत के मेघालय के खासी हिल्स के इस गांव का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को मुग्ध कर लेता है। 

  खास यह है कि मेघालय के इस आदर्श गांव मावल्यान्नॉग में मातृवंश समाज की संरचना है। शिलांग से भारत-बांग्लादेश सीमा की ओर करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित मावल्यान्नॉग प्रकृति की आगोेश में रचा बसा एक सुन्दर एवं शानदार पिकनिक स्पॉट भी है।

   खास यह है कि चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली इन्द्रधनुषी आभा पर्यटकों को आकर्षित करती है। वस्तुत: मावल्यान्नॉग खासी समुदाय का इलाका है। खासी समुदाय की परम्परा की मानें तो परिवार की बड़ी बेटी ही पारिवारिक सम्पत्ति एवं धन दौलत की वास्तविक उत्तराधिकारी होती है। 

   मातृवंश परम्परा के अनुसार बेटी मां के उपनाम को धारण करती है। पर्वतीय क्षेत्र का यह शानदार गांव वस्तुत: मेघालय का एक सुन्दर आभूषण माना जाता है। वृक्ष एवं उनके तनों-जड़ों से संरचित आकर्षक पुल मावल्यान्नॉग की शान एवं शोेभा हैं। 

   मावल्यान्नॉग को मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन के हरे भरे मखमली घास के विशाल मैदान, पहाड़ों, झीलों एवं झरनों का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को सम्मोहित करते हैं। पर्यटक खास तौर से मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन पर बारिश के मौसम का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। 

   पर्यटक यहां मौसम का हर पल एक नया अंदाज देख सकते हैं। कभी आसमान साफ दिखेगा तो कभी झमाझम बारिश का अंदाज दिखेगा। मेघालय वस्तुत: पहाड़ियों में विभक्त है। इन पहाड़ियों को गारो हिल्स एवं खासी हिल्स के नाम से जाना पहचाना जाता है। मावल्यान्नॉग का पूर्वी इलाका खासी पहाड़ियों का इलाका है। लिहाजा मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन पर खासी समुदाय की आबादी है।

   मावल्यान्नॉग में पर्यटक खासी संस्कृति से रूबरू होने के साथ ही लजीज, स्वादिष्ट एवं चटखारेदार व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं। वस्तुत: देखें तो मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन किसी सुन्दर बाग-बगीचे की तरह दिखता है।
  हरियाली एवं विभिन्न प्रजातियों के फूलों से आच्छादित बाग-बगीचे एवं मैदान मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की शान एवं शोभा हैं। इस छोटे से गांव में 90 के आसपास घर हैं। 

  खास यह कि पूरा गांव पत्थर की मूर्तियों, लताओं एवं झाड़ियों से सुसज्जित दिखता है। यह आकर्षण अन्य कहीं भी दुर्लभ होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे किसी विदेशी पिकनिक स्पॉट पर हों। पर्यटकों को मावल्यान्नॉग में होम स्टे की सहूलियत भी हासिल है। 

   लिहाजा पर्यटक मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन पर रात्रि विश्राम कर प्रकृति एवं गांव का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षक संरचनाओं की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है।
  इनमें खास तौर से उमंगोट नदी, बोफिल फॉल्स, दाऊकी फॉल्स आदि इत्यादि बहुत कुछ है। मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन पर लकड़ी की संरचनाएं ही मुख्य रूप से दिखती हैं।

   खास यह कि इस शानदार गांव में ध्रूमपान की इजाजत नहीं है। उल्लंघन पर भारी जुर्माना की व्यवस्था है। इस गांव में सदियों पुराना एक चर्च भी है। चर्च परिसर आश्चर्यजनक रूप से सुन्दर है। चारों तरफ नारंगी एवं लाल सुर्ख फूलों के साथ ही बेलगाम की झाड़ियां अति सुन्दर प्रतीत होती है। 
   उमंगोट नदी: उमंगोट नदी देश की सबसे स्वच्छ नदी मानी जाती है। यह सुन्दर नदी खासी हिल्स एवं जयंती हिल्स से प्रवाहित होती है। नदी का पानी मोती सा चमकता दिखता है। इस नदी में पर्यटक नौकायन एवं जलक्रीड़ा का भी आनन्द ले सकते हैं। रात में नदी किसी सितारे की तरह चमकती है। पर्यटक नदी किनारे शिविर लगा कर रात्रि विश्राम का आनन्द ले सकते हैं। 
  बोफिल फॉल्स: बोफिल फॉल्स उमंगोट नदी से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित है। इसकी सुन्दरता बेहद दर्शनीय है। बोफिल झरना की चौड़ाई देखते ही बनती है।
  दाऊकी फॉल्स: दाऊकी फॉल्स बार्डर रोड़ पर स्थित एक अति सुन्दर झरना है। स्थानीयता में इसे दाऊजी फॉल्स भी कहते हैं। इसकी सुन्दरता के कारण इसे मेघालय का रत्न माना जाता है।
   मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट शिलांग एयरपोर्ट है। शिलांग एयरपोर्ट से मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की दूरी करीब 90 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी रेलवे जंक्शन है। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की दूरी करीब 104 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी मावल्यान्नॉग हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
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Sunday, 25 August 2019

महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन : धार्मिक पर्यटन

   महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन को प्राकृतिक सौन्दर्य का आदर्श आयाम कहा जाना चाहिए। जी हां, महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य शानदार एवं अनुपम है। 

   वस्तुत: यह हिल स्टेशन एक आदर्श धार्मिक पर्यटन स्थल है। भारत के ओड़िशा के गजपति जिला का यह शानदार हिल स्टेशन भगवान परशुराम, रामायण एवं महाभारत के कथानकों के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। 

   समुद्र तल से करीब 1500 मीटर ऊंचाई पर स्थित महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन पर चौतरफा आैषधीय वनस्पतियों का अति समृद्ध खजाना है। जिससे पर्यटक एक सुखद आनन्द की अनुभूति करते हैं। महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन खनिज सम्पदाओं की समृद्धता के लिए भी जाना पहचाना जाता है। 

   विशेषज्ञों की मानें तो महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन पूर्वी घाटों की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। ओड़िशा के दक्षिण क्षेत्र में स्थित यह हिल स्टेशन अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए वैश्विक स्तर पर जाना पहचाना जाता है। 

   विशेषज्ञों की मानें तो महेन्द्रगिरी पर्वत चोटी का उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। लिहाजा इसका अपना एक अलग धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन पर आज भी भगवान परशुराम मौजूद हैं। 

   ओड़िशा के गजपति जिला के परालाखेमंुड़ी स्थित महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन को भगवान परशुराम की तप स्थली माना जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो हनुमान, अश्वत्थामा की भांति भगवान परशुराम को भी चिरंजीवी माना जाता है। महेन्द्रगिरी पर्वत वस्तुत: ओड़िशा के गजपति से लेकर मदुरै तक फैला हुआ है। खास यह कि पूर्वी घाट की यह पर्वत श्रंृखला ओड़िशा से लेकर गोंडवाना तक फैली हुयी हैं।

  आैषधीय वनस्पतियों की समृद्धता के साथ ही नदियां, झीलें एवं झरना आदि इत्यादि महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन की शान एवं शोभा हैं। खास तौर से पितृसोमा नदी, त्रिमासा नदी, ऋषिकुल्या नदी, इक्षुका नदी, त्रिविदा नदी, लांगुलिनी नदी एवं वंशधरा नदी महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन एवं आसपास के इलाके की शान एवं शोभा हैं। 

   महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन एवं आसपास के इलाके में पौराणिक महत्व एवं मान्यता पर आधारित मंदिरों की एक लम्बी श्रंृखला विद्यमान है। इनमें खास तौर से भीम मंदिर, कुंती मंदिर, युधिष्ठिर मंदिर एवं ब्राह्मा का मंदिर आदि इत्यादि हैं।

   खास यह कि महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन पर एक शांत सुरम्यता पर्यटकों को सम्मोहित करती है। पर्यटक महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन पर आनन्द का एक मखमली एहसास करते हैं। चौतरफा पर्वतों की शानदार ऊंची-ऊंची चोटियां, घाटियां-वादियां पर्यटकों को लुभाती हैं। 

   फूलों एवं आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध पर्यटकों के दिल एवं दिमाग को प्रफुल्लित कर देती है। पर्यटकों को महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन पर भरपूर आक्सीजन का एहसास होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे फेफड़ों को पंख लग गये हों। 

   महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त की दर्शनीयता अति लुभावनी होती है। लालित्य एवं सौन्दर्य का अनुपम दर्शन पर्यटकों के दिल एवं दिमाग पर अमिट छाप छोड़ता है। 

  बादलों का खिलंदड़पन बेहद रोमांचक होता है। पर्यटकों को एहसास होता है कि जैसे बादल उनकी गोद में हों या फिर वह बादलों की गोद में हों। एक शीतल स्पर्श पर्यटकों के दिलों को झकझोर जाता है।


   महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट भुवनेश्वर एयरपोर्ट है। भुवनेश्वर एयरपोर्ट से महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन की दूरी करीब 245 किलोमीटर है।
   निकटतम रेलवे स्टेशन मंडसा रोड रेलवे स्टेशन है। मंडसा रोड रेेलवे स्टेशन से महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन की दूरी करीब 51 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी महेन्द्रगिरी हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
19.197940,84.121670

Friday, 23 August 2019

पाडेरु हिल स्टेशन : प्राकृतिक सौन्दर्य का मैजिक

   पाडेरु हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य किसी मैजिक से कम नहीं। जी हां, पाडेरु की धरती पर जैसे साक्षात इन्द्रधनुष उतर आया हो। 

   समुद्र तल सेे करीब 904 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पाडेरु हिल स्टेशन सुगंध का भी खजाना है। भारत के आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम का यह सुन्दर हिल स्टेशन वस्तुत: एक छोटा शहर है। 
  पाडेरु हिल स्टेशन का सुरम्य वातावरण, शांत एवं शीतल हवाओं के झोके एवं सुगंध पर्यटकों के तन मन को भिगो देती है। यहां के बेहतरीन पर्यावरण की छांव में पर्यटक एक रोमांचक आनन्द की अनुभूति करते हैं।
    वस्तुत: विशाखापत्तनम का यह आदिवासी क्षेत्र है। लिहाजा पर्यटक पाडेरु हिल स्टेशन पर आदिवासी लोक संस्कृति का भी भरपूर आनन्द ले सकते हैं। पाडेरु वस्तुत: एक शानदार पहाड़ी है। यह इलाका खास तौर से चाय एवं कॉफी के बागानों से अति समृद्ध है। 

   लिहाजा पाडेरु हिल स्टेशन एवं आसपास का इलाका चाय एवं कॉफी की भीनी-भीनी सुगंध से महकता रहता है। इतना ही नहीं, आैषधीय वनस्पतियों एवं विभिन्न प्रजातियों के फूलों की सम्पदा भी इस हिल स्टेशन की शान एवं शोभा हैं। 

   आैषधीय वनस्पतियों एवं फूलों की सुगंध पर्यटकों के दिल एवं दिमाग को एक विशेष ताजगी प्रदान करते हैं। शुद्ध वातावरण पर्यटकों को भरपूर आक्सीजन प्रदान करता है। ऐसे में पर्यटकों को एक खास ताजगी का एहसास होता है। चाय एवं कॉफी के बागानों के मध्य सैर सपाटा करना बेहद रोमांचक प्रतीत होता है।

   अराकू हिल स्टेशन से करीब 43 किलोमीटर दूर स्थित पाडेरु हिल स्टेशन का अपना एक अलग एवं विशिष्ट आकर्षण है। हरी-भरी घाटियां-वादियां पर्यटकों को खुद ब खुद आकर्षित करती हैं। पाडेरु हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों की यात्रा को एक यादगार बना देता है। 

   चपरई का झरना पाडेरु हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। पथरीली चट्टानों से गुजरने वाला यह शानदार झरना अति दर्शनीय है। पर्यटक इस शानदार झरना में स्नान करने के साथ ही जलक्रीड़ा का भी शौैक पूूरा कर सकते है। 
   इतना ही नहीं, पाडेरु हिल स्टेशन प्राचीन गुफाओं का सौन्दर्य भी रखता है। इस नैसर्गिक पर्यटन क्षेत्र में पर्यटक एक खास सम्मोहन का एहसास करते हैं। 

  पाडेरु पर बादलों का खिलंदड़पन पर्यटकों को खूब भाता है। बादल कभी पर्यटकों के संग-संग होते हैं तो कभी बादल पर्यटकों का स्पर्श करते हुए निकल जाते हैं। बादलों का इस तरह आना जाना बेहद रोमांचक एहसास कराता है।

  सांझ ढ़लने के साथ ही पाडेरु हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य एक बारगी आैर निखर उठता है। नीला आकाश एक शानदार छवि को दर्शित करता है। ऐसे में प्रतीत होता है कि जैसे किसी दूसरी दुनिया में हों।
   पाडेरु हिल स्टेशन पर चौतरफा मखमली घास से आच्छादित विशाल मैदान सुन्दरता का विशिष्ट आयाम हैं। प्राकृतिक सम्पदाओं से अति समृद्ध पाडेरु हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। 

  पाडेरु हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण मोधकोंडम्मा थल्ली जथारा समारोह है। इस समारोह को एक शक्तिशाली देवी के रूप में मनाया जाता है। पाडेरु हिल स्टेशन पर वर्ष में एक बार इस दिव्य-भव्य समारोह का आयोजन होता है। यह धार्मिक उत्सव पाडेरु की एक विरासत भी माना जाता है।
   पाडेरु हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट विशाखापत्तनम एयरपोर्ट है। विशाखापत्तनम एयरपोर्ट से पाडेरु हिल स्टेशन की दूरी करीब 120 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन विशाखापत्तनम रेलवे स्टेशन है। पर्यटक अराकू रेलवे जंक्शन से भी यात्रा कर सकते हैं। पर्यटक सड़क मार्ग से भी पाडेरु हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
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Thursday, 22 August 2019

लेह हिल स्टेशन : रोमांचक एहसास

   लेह हिल स्टेशन को रोमांच, धर्म एवं आध्यात्म की धरती कहा जाना चाहिए। लेह वस्तुत: लामाओं एवं साधुओं की भूमि है। वहीं, लेह हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत एवं विलक्षण है। 

    भारत के जम्मू एवं कश्मीर प्रांत के लेह लद्दाख का यह अनुपम हिल स्टेशन प्राकृतिक सम्पदाओं से अति समृद्ध है। खास यह कि इसे हिमालय का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। लेह हिल स्टेशन वस्तुत: लद्दाख का एक अति दर्शनीय क्षेत्र है। ट्रैकिंग एवं रोमांचक अनुभूति के लिए पर्यटकों को लेह हिल स्टेशन की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।

   खास यह कि लेह हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को मुग्ध कर लेता है। समुद्र तल से करीब 3256 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लेह हिल स्टेशन पर पर्यटकों की मनोभावना पर को जैसे पंख लग जाते हैं। लेह हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य किसी सम्मोहन से कम नहीं है। 

   चौतरफा पर्वत शिखरों से घिरा लेह हिल स्टेशन पर्यटकों को एक मखमली एहसास कराता है। खास यह कि मनाली से लेह के मध्य पांच दर्रो की शानदार व्यूह रचना है। रोहतांग दर्रा को दुनिया का सबसे ऊंचा दर्रा होने का गौरव हासिल है। 

    लेह हिल स्टेशन के ऊंचे पर्वत शिखर अति दर्शनीय प्रतीत होते हैं। आैषधीय वनस्पतियों की अप्रतिम सम्पदा लेह हिल स्टेशन की खास धरोहर है। झीलों, झरनों एवं नदियों का शांत एवं शीतल प्रवाह लेह हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौन्दर्य में चार चांद लगा देता है। 

    विजय महल एवं स्तूप लेह हिल स्टेशन की शोभा एवं शान हैं। लेह का शांंत एवं सुरम्य परिवेश पर्यटकों को मुग्ध कर लेता है। लेह एवं आसपास बौद्ध मठों की एक शानदार श्रंृखला विद्यमान है। खास यह कि लेह हिल स्टेशन एवं आसपास स्थित प्रत्येक बौद्ध मठ की अपनी एक अलग विशेषता है। 

   लेह से करीब 20 किलोमीटर दूर हेमिस मार्ग पर स्थित थिकसे मठ की अपनी एक शान एवं शोभा है। पहाड़ की चोटी पर बने इस 12 मंजिला मठ से लेह घाटी का अनुपम सौन्दर्य दर्शित होता है। इंडस नदी एवं कराकोरम के मध्य रचा बसा लेह हिल स्टेशन एक खास सुरम्यता रखता है। 

    खास यह कि हिमालय इस शानदार हिल स्टेशन की शान एवं शोभा है। खास यह कि लेह हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य वैश्विक पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। बौद्ध स्मारक लेह के सौन्दर्य को आैर भी अधिक बढ़ा देते हैं।

    लेह हिल स्टेशन पर कई अध्ययन केन्द्र, शांति स्तूप एवं शंकर गोम्पा पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहते हैं। पर्यटक सैर सपाटा के साथ ही लेह में खरीदारी भी कर सकते हैं। खास तौर से पर्यटक तिब्बती कपड़े, तिब्बती आभूषण आदि इत्यादि बहुत कुछ खरीद सकते हैं। 

    विशेषज्ञों की मानें तो लेह मध्य एशिया का एक बेहतरीन व्यापारिक केन्द्र भी है। पर्यटक लेह हिल स्टेशन पर तिब्बती खान पान एवं व्यंजनों के चटखारे भी ले सकते हैं। हिमालय की चोटियों से आच्छादित लेह हिल स्टेशन पर्यटकों को एक अनुपम आनन्द प्रदान करता है। इस रोमांचक अनुभव को पर्यटक भूल नहीं पाते हैं। 

   खास यह कि लेह हिल स्टेशन पर कहीं पर्वत शिखर की शान एवं शोभा है तो वहीं घाटियों-वादियों की अप्रतिम सुन्दरता भी है। पर्यटक हिमालय की इस सुन्दर धरती पर ट्रैकिंग का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।

   विशेषज्ञों की मानें तो लेह हिल स्टेशन को लद्दाखी राजाओं का गर्मी का इलाका भी कहा जाता है। सर्दी का मौसम लेह हिल स्टेशन पर अधिक सुहावना हो जाता है। सर्दियों में पर्यटक लेह हिल स्टेशन पर बर्फबारी का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। अक्टूबर से फरवरी की अवधि में लेह हिल स्टेशन पर भारी बर्फबारी होती है। चौतरफा पर्वत शिखर बर्फ की ओढ़नी में नजर आते हैं। यह दृश्य अति रोमांचक होते हैं।

   लेह हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कुशोक बकुला रिंपोचे एयरपोर्ट लेह है। निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी जंक्शन है। जम्मू तवी रेलवे स्टेशन से लेह हिल स्टेशन की दूरी करीब 736 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी लेह हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
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फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...