Monday, 28 January 2019

तवांग हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास

   तवांग हिल स्टेशन की प्राकृतिक खूूबसूरती का कोई जोड़ नहीं। जी हां, तवांग का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों के दिलों में रच-बस जाता है। 

  शायद इसी लिए तवांग हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों का सर्वाधिक पसंदीदा पर्यटन क्षेत्र है। भारत के प्रांत अरुणाचल प्रदेश का तवांग हिल स्टेशन शांत एवं सुरम्य क्षेत्र है। वस्तुत: तवांग भारत का सीमा क्षेत्र है। 
   समुद्र तल से करीब 3500 मीटर ऊंचाई पर स्थित तवांग हिल स्टेशन पर चौतरफा पर्वत श्रंखला, घाटियों-वादियों एवं झीलों-झरनों का आच्छादन है।

   तवांग हिल स्टेशन को धरती का स्वर्ग कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। यहां की प्राकृतिक खूबसूरती पर्यटकों को मुग्ध कर लेती है। 
  तवांग हिल स्टेशन एवं आसपास खूबसूरत पर्वत चोटियां, छोटे-छोटे गांव, शानदार गोनपा, शांत एवं सुरम्य झीलें, निर्मल नदियों की एक लम्बी श्रंखला है। 
   खास यह कि तवांग हिल स्टेशन पर शानदार इतिहास, धर्म एवं पौराणिकता के दर्शन होते हैं। 

   विशेषज्ञों की मानें तो तवांग का नामकरण 17वीं शताब्दी में मिराक लामा ने किया था।
   वस्तुत: तवांग हिल स्टेशन मोनपा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। गांव-गिरांव में बांस एवं पत्थरों से बने घर दिखते हैं। प्रकृति की यह खूबसूरती केवल यहीं दिख सकती है। 

  तवांग हिल स्टेशन पर बौद्ध मठों की एक सुन्दर श्रंखला पर्यटकों को आकर्षित करती है। विशेषज्ञों की मानें तो एशिया का सबसे बड़ा बौद्ध मठ तवांग में ही स्थित है।
   तवांग बौद्ध मठों के लिए विश्व में खास ख्याति रखता है। तवांग मठ एक पर्वत के शिखर पर विद्यमान है।

  समुद्र तल से करीब 10000 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह मठ बौद्ध अनुयायियों की आस्था का केन्द्र है। इस विशाल मठ में एक साथ 700 से अधिक साधु आश्रय ले सकते हैं। 
  मठ के प्रवेश द्वार को काकालिंग के नाम से जाना पहचाना जाता है। झोपड़ी के आकार-प्रकार का यह मठ पर्यटकों को दूर से ही आकर्षित करता है। तवांग मठ की सरंचना एवं चित्रकला अति दर्शनीय है।

  खास यह कि तवांग मठ दूर से किसी किला की भांति दर्शनीय है। इसकी दिव्यता-भव्यता का कोई जोड़ नहीं। तवांग मठ के विशाल दरवाजे इसकी भव्यता को खुद-ब-खुद बयां करते हैं।
   इस परिसर के आंतरिक क्षेत्र में कई शानदार इमारतें हैं। इनमें दुखांग एवं असेम्बली खास तौर से प्रसिद्ध हैं। दुखांग में संतों एवं बोधिसत्वों के शानदार रेखाचित्र दर्शनीय हैं।

   इस परिसर के आंतरिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण संरचना कोर्ट है। यह खास तौर से धार्मिक नृत्य एवं खास समारोह आदि के लिए उपयोग किया जाता है। भगवान बुद्ध की शानदार प्रतिमा यहां प्रतिष्ठापित है। 
  तवांग हिल स्टेशन वस्तुत: एक अकल्पनीय क्षेत्र है। कारण चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की आभा से परिवेश आलोकित रहता है। 

  कभी बादलों का समूह हलचल पैदा करता है तो कभी बर्फ का सुन्दर अंदाज तवांग हिल स्टेशन के सौन्दर्य में चार चांद लगा देता है। घोड़े की सवारी तवांग हिल स्टेशन पर कुछ खास होती है।
   खास यह कि तवांग हिल स्टेशन से तिब्बत की खूबसूरती को भी पर्यटक देख सकते हैं। तवांग हिल स्टेशन का विशेष आकर्षण बुमला दर्रा है। बुमला दर्रा वस्तुत: भारत-चीन सीमा को रेखांकित करता है। 

  समुद्र तल से करीब 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बुमला दर्रा बेहद रोमांचक स्थान है। क्षेत्र बेहद दर्शनीय एवं महत्वपूर्ण है। 
  शासकीय अनुमति से ही बुमला दर्रा क्षेत्र में प्रवेश संभव होता है। तवांग में भारतीय सेना की छावनी भी है। 

  पर्यटक बुमला दर्रा पर बेहद रोमांच का एहसास करते हैं। कारण देश की सीमा सुरक्षा कैसे होती है, यह देखना किसी रोमांच से कम नहीं होता है। 
  विशेषज्ञों की मानें तो इसी बुमला दर्रा से ही दलाई लामा ने भारत में प्रवेश किया था। बुमला दर्रा के निकट ही एक सुन्दर झील भी है। इसकी दर्शनीयता बेजोड़ है। 

   इस सुन्दर झील को सांगस्टार त्सो कहा जाता है। खास यह कि तवांग हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है।
   तवांग हिल स्टेशन की यात्रा का सबसे बेहतरीन समय अप्रैल से जुलाई तक रहता है। हालांकि पर्यटक सितम्बर तक भी यात्रा कर सकते हैं।

   तवांग हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट सलूनिबारी एयरपोर्ट तेजपुर है। तेजपुर एयरपोर्ट से तवांग हिल स्टेशन की यात्रा करीब 6 घंटे की होती है।
   एक अन्य निकटतम एयरपोर्ट लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई एयरपोर्ट है। तवांग से गुवाहाटी की दूरी करीब 480 किलोमीटर है।
   निकटतम रेलवे स्टेशन तेजपुर है। तेजपुर से तवांग हिल स्टेशन की दूरी करीब 319 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी तवांग हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
27.579200,91.880500

Sunday, 27 January 2019

पंगोट हिल स्टेशन: बादलों की सैर

   पंगोट हिल स्टेशन को धरती का स्वर्ग कहा जाना चाहिए। जी हां, पंगोट हिल स्टेशन का परिवेश प्रकृति का रोमांचक एहसास कराता है। इसे बादलों की सैरगाह भी कह सकते हैं।

  भारत के प्रांत उत्तराखण्ड के नैनीताल जिला का यह सुन्दर हिल स्टेशन वस्तुत: प्रकृति की गोद में रचा-बसा है।
  समुद्र तल से करीब 6300 फुट ऊंचाई पर स्थित पंगोट हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों का बेहद पसंदीदा क्षेत्र है।

  नैनीताल से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित पंगोट हिल स्टेशन देश-विदेश के पक्षियों के आश्रय के लिए विशेष प्रसिद्ध है। वनस्पतियों से आच्छादित यहां का सुरम्य वन क्षेत्र बेहद खूबसूरत है।
   पंगोट वस्तुत: एक हिमालयन गांव है। जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इसे वन्य जीव एवं पशु-पक्षियों से आबाद एक शानदार चिड़ियाघर भी कहा जा सकता है। 

   खास यह कि पर्यटक पंगोट हिल स्टेशन स्वर्ग जैसी अनुभूति करते हैं। चौतरफा मखमली घास के हरे-भरे मैदान, घाटियों-वादियों की सुरम्यता, वनस्पतियों एवं फूलों की सुगंध दिल एवं दिमाग को विशेष ताजगी प्रदान करते हैं। 

   खास यह कि पंगोट हिल स्टेशन एवं आसपास पक्षियों की 500 से अधिक प्रजातियों का कलरव एवं कोलाहल पर्यटकों को मुग्ध कर लेता है।
  सर्दियों के प्रभाव वाले पक्षियों के लिए पंगोट हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं है। पर्यटक यहां पक्षियों को अति निकट से देख सकते हैं। 

   पक्षियों की खास उपस्थिति वाला पंगोट हिल स्टेशन फोटोग्राफर्स के लिए किसी स्वर्ग की भांति है। 
  पंगोट हिल स्टेशन में स्लेटी बैकड फोर्कटेल, रुफस बेलीड वुडपेकर, रुफस बेलीड निल्टावा, खलीज, फिजेंट आदि इत्यादि पक्षियों की उपस्थिति रहती है। 
  वन्य जीवन में हिमालयीय मार्टन, संम्भर, हिमालयीय गोरल, बार्किंग हिरण, तेंदुए, जंगली सुअर एवं लाल फॉक्स आदि दर्शनीय हैं। 


  पंगोट हिल स्टेशन का वन क्षेत्र खास तौर से ओक एवं पाइन आदि के प्रभुत्व वाला है। खास तौर से पंगोट हिल स्टेशन स्नो व्यू प्वाइंट के तौर पर भी जाना जाता है।
  खास यह कि देश दुनिया का सर्वाधिक प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क पंगोट हिल स्टेशन से करीब 80 किलोमीटर दूर है।

   पर्यटक नेशनल कार्बेट पार्क की यात्रा का भी आनन्द ले सकते हैं। पंगोट हिल स्टेशन वस्तुत: शांत एवं शीतल प्राकृतिक सौन्दर्य से आच्छादित पर्यटन स्थल है।
  सर्दियों के मौसम में पंगोट हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य आैर भी अधिक दर्शनीय हो जाता है। 


  चौतरफा बर्फ की चादर दिखती है। घर-घरौंदे हों या फिर हिम शिखर चौतरफा बर्फ का सफेद रंग दिखता है। स्नो फॉल अति सुन्दर प्रतीत होता है।
   बर्फ से ढ़के पर्वत श्रंखला अति दर्शनीय प्रतीत होते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती का श्रंगार हो। विशेषज्ञों की मानें तो पंगोट हिल स्टेशन एक आदर्श पर्यटन क्षेत्र है।

  खास तौर साहसी गतिविधियों, पर्वत बाइकिंग एवं ट्रैकिंग के लिए पंगोट हिल स्टेशन बेहद शानदार है। खास तौर से ट्रेल पंगोट हिल स्टेशन का लोकप्रिय ट्रैकिंग रूट है। यह ट्रैकिंग ट्रैक पंगोट से नैना पीक तक जाता है।

  पंगोट हिल स्टेशन का मौसम सदैव सदाबहार रहता है। लिहाजा पर्यटक कभी भी पंगोट हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं। बर्फ का आनन्द लेना हो तो सर्दियों में पंगोट हिल स्टेशन की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।

   मौसम कोई भी हो, पंगोट हिल स्टेशन पर बादलों का खिलंदडपन अवश्य दिखेगा। हालात यह होते हैं कि कभी बादल पर्यटकों की गोद में होते हैं तो कभी पर्यटक बादलों की गोद में होते हैं।
   गर्मियों में पर्यटक यहां शीतलता का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। खास तौर से पंगोट हिल स्टेशन नवविवाहित जोड़ों के लिए शानदार हनीमून प्वाइंट है। विशिष्टताओं के कारण पंगोट हिल स्टेशन देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता है।

  पंगोट हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट पंत नगर एयरपोर्ट है। पंत नगर एयरपोर्ट से पंगोट हिल स्टेशन की दूरी करीब 58 किलोमीटर है।
   निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम जंक्शन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से पंगोट हिल स्टेशन की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी पंगोट हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
29.379910,79.477390

Thursday, 24 January 2019

काजा हिल स्टेशन: धरती का मुकुट

   काजा हिल स्टेशन को धरती का मुकुट कहा जाना चाहिए। जी हां, काजा हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अतुलनीय है। शायद इसी लिए काजा हिल स्टेशन की लोकप्रियता वैश्विक स्तर पर है। 

   हिमाचल प्रदेश के स्पीति जिला का यह सुन्दर हिल स्टेशन वस्तुत: बर्फ से आच्छादित क्षेत्र है। समुद्र तल से करीब 3650 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन विविध संस्कृतियों का समागम क्षेत्र भी है। 
  खास यह कि काजा हिल स्टेशन नदियों, झीलों-झरनों एवं वनस्पतियों से आच्छादित है। 

  दांतेदार पर्वत शिखर काजा हिल स्टेशन की शान एवं सौन्दर्य है। खास यह कि इस हिल स्टेशन पर बंजर की सुन्दरता भी दिखती है। 
   काजा हिल स्टेशन पर पर्यटक ट्रैकिंग का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। पिन पार्वती, परंग ला, कुंजम पास, चन्द्रताल एवं पिन भाबा आदि इत्यादि शानदार ट्रैकिंग एरिया हैं। 

   ट्रैकिंग के अलावा पर्यटक हिम्मत-ए-दिल का खेल रॉफ्टिंग का भी आनन्द ले सकते हैं। स्पीति नदी में रॉफ्टिंग का अपना एक अलग ही रोमांचक आनन्द मिलता है। खास तौर से काजा हिल स्टेशन साहसिक खेलों के लिए जाना पहचाना जाता है। 

   खास तौर से यहां की प्राचीन ग्रामीण शैली पर्यटकों को आकर्षित करती है। प्रकृति की गोद में रचा-बसा काजा हिल स्टेशन का प्राचीन गांव किब्बर खास आकर्षण रखता है। सांस्कृतिक अन्वेषण के लिए काजा हिल स्टेशन बेहतरीन स्थान है। 

   काजा हिल स्टेशन को काजा-स्पीति घाटी के नाम से भी जाना पहचाना जाता है। खास यह कि काजा हिल स्टेशन की जलवायु अति शीतल एवं शांत है। 
   तिब्बत एवं लद्दाख से मिला जुला क्षेत्र होने के कारण काजा हिल स्टेशन की संस्कति भी बौद्ध धर्म से प्रभावित दिखती है। 

   बौद्ध संस्कृति वैश्विक पर्यटकों को खास तौर से प्रभावित करती है। काजा हिल स्टेशन पर चौतरफा हिम शिखर सीना ताने खड़े दिखते हैं। 
  गर्मियों का कुछ समय छोड़ कर काजा हिल स्टेशन का परिवेश अधिकतर समय बर्फ से आच्छादित रहता है। हिमालयीय संस्कृतियों एवं परम्पराओं का अवलोकन यहां का परिवेश खुद-ब-खुद करा देता है। 

   काजा हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण एवं अद्भुत स्थान 'की गोम्पा" मठ है। 'की गोम्पा" मठ की स्थापना 11वीं शताब्दी में हुई थी। की गोम्पा स्पीति घाटी का सबसे बड़ा मठ है।
   इसकी राजसी भव्यता दिव्यता पर्यटकों को विशेष तौर से आकर्षित करती है। जून एवं जुलाई के मध्य काजा हिल स्टेशन पर तिब्बती संस्कृति पर आधारित लदेरचा मेला का भव्य आयोजन होता है। 

   यह मेला दर्शनीय होता है। इसे एक असाधारण रंगीन मेला भी कह सकते हैं। इसमें तिब्बत का लोक नृत्य एवं स्वादिष्ट भोजन-व्यंजन का आनन्द पर्यटक ले सकते हैं। काजा वस्तुत: स्पीति घाटी का सुन्दर शहर भी है। 

   खास यह कि ऊंचाई पर होने एवं रंगीन आभा से आलोकित होने के कारण काजा हिल स्टेशन काफी दूर से दिखने लगता है।
  काजा के एक ओर किन्नौर घाटी दर्शित है तो वहीं एक अन्य दिशा में लाहौल घाटी मुग्ध करती है। 

   विशेषज्ञों की मानें तो अक्टूबर से लेकर जून तक इस इलाके में बर्फबारी होती रहती है। काजा वस्तुत: ट्रैकिंग, पर्वतारोहण एवं घाटी के सैर सपाटा के लिए खास प्रसिद्ध है। 
  तंगुएड मठ सहित यहां कई बौद्ध मठ प्रसिद्ध हैं। काजा हिल स्टेशन के निकट ही कीब गांव भी पर्यटकों का पसंदीदा क्षेत्र है। 

   समुद्र तल से करीब 4205 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह गांव अपने खास सौन्दर्य के लिए जाना पहचाना जाता है। गेटे गांव भी विशेष है।
  लैंग्जा गांव समुद्री जीवाश्म के लिए विशेष तौर से जाना जाता है। काजा हिल स्टेशन से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित धनकर किला यहां का एक अन्य सुन्दर आकर्षण है।


  खास यह कि काजा हिल स्टेशन इलाके में हिक्किम गांव आबाद है। समुद्र तल से करीब 4400 मीटर ऊंचाई पर स्थित हिक्किम गांव दुनिया की सर्वाधिक ऊंचाई वाला गांव है। 
  इन सहित अन्य खूबियों के कारण ही काजा हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन क्षेत्र है।
   काजा हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट भुंटर एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिन्दर नगर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी काजा हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
32.275560,78.006550

Sunday, 20 January 2019

असकोट हिल स्टेशन : मखमली एहसास

   असकोट हिल स्टेशन को प्राकृतिक सौन्दर्य का इन्द्रधनुषी रंग कहा जाना चाहिए। जी हां, भारत के प्रांत उत्तराखण्ड का यह हिल स्टेशन हिमालय की गोद में रचा-बसा अति सुन्दर एवं दर्शनीय है। 

   उत्तराखण्ड के जिला पिथौरागढ़ का यह एक छोटा हिमालयन शहर है। समुद्र तल से करीब 1106 मीटर ऊंचाई पर स्थित असकोट हिल स्टेशन नदियों, झीलों-झरनों एवं घाटियों-वादियों की सुन्दरता से लबरेज है। चौतरफा मखमली घास के मैदान-ढ़लान परिवेश को आैर भी अधिक सुन्दर बना देते हैं।

   असकोट हिल स्टेशन वस्तुत: धारचूला एवं पिथौरागढ़ के मध्य स्थित है। दिल्ली से कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा असकोट से हो कर गुजरती है। 
  असकोट प्राचीनकाल में एक राज्य की राजधानी हुआ करता था। यहां राजवंश की एक शानदार परम्परा रही है।

  गोरी गंगा एवं काली नदी का विभाजन स्थल असकोट हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य लाजवाब है।
  कहीं बर्फ की चादर ओढ़े हिम शिखर दिखते हैं तो कहीं मखमली घास का एहसास है। बादलों का खिलंदडपन मुग्ध कर लेता है। 

  हालात यह होते हैं कि कभी बादल पर्यटकों के संग चहलकदमी करते हैं तो कभी पर्यटक बादलों की गोद में होते हैं।
  असकोट हिल स्टेशन चौतरफा फूलों एवं वनस्पतियों की सुगंध से महकता रहता है। असकोट हिल स्टेशन वस्तुत: वनस्पतियों एवं आैषधीय जड़ी बूूटियों का अति समृद्ध संसार है।
   खास तौर से यहां सागौन, शीशम, देवदार, नीलगिरी, ग्रीविलिया, साल, कुंज, डार्कुजा, भोज, पतरा, रायजल एवं केल के पेड़ आदि इत्यादि बहुत कुछ पाया जाता है।

   वस्तुत: यह एक जनजातीय क्षेत्र है। उत्तराखण्ड की विलुप्त जनजातीय आबादी बान रावत का मुख्य आशियान अब असकोट है।
   पर्यटक असकोट में जनजातीय संस्कृति से रूबरू हो सकते हैं। यह क्षेत्र खास तौर से मस्क हिरण संरक्षण के लिए जाना पहचाना जाता है। 

  असकोट मस्क हिरण अभ्यारण के लिए देश दुनिया में खास तौर से प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र को 1986 में वन्य जीव अभ्यारण घोषित किया गया था।
   पिथौरागढ़ से करीब 55 किलोमीटर दूर असकोट एक सुरम्य एवं शांत-शीतल हिल स्टेशन है। अभ्यारण विभिन्न प्रजातियों की वनस्पतियों की एक समृद्ध शाला है।

  वन्य जीवों का कोलाहल एवं वनस्पतियों की सुगंध पर्यटकों को एक सुखद रोमांच प्रदान करती है। यंू कहें कि असकोट की सुरम्य जलवायु पर्यटकों को एक जीवंतता प्रदान करती है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। वनस्पतियों की समृद्ध विरासत असकोट में उपलब्ध है।

 यह विरासत जीवन दायिनी मानी जाती है। अभ्यारण में धौली एवं इल्की जैसी सुन्दर नदियां प्रवाहमान हैं।
   लिहाजा पर्यटक रॉफ्टिंग सहित जलक्रीड़ा का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। जंगल सफारी असकोट हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। 

  करीब 599 वर्ग किलोमीटर में फैला असकोट अभ्यारण में कस्तूरी मृग का आशियाना है। जीव जन्तु कहीं भी धमाचौकड़ी करते दिखेंगे तो कहीं उनकी जलक्रीड़ा भी देख सकेंगे। असकोट अभ्यारण में हिमालयीय जीव प्रचुरता में पाये जाते हैं।

   खास तौर हिमालयन जंगली बिल्ली, तेंदुआ, सरो, बार्किंग हिरण, लेमर्स, बाइसन, सिवेट एवं हिमालयन भूरा भालू आदि इत्यादि अभ्यारण की शान हैं। 
   असकोट हिल स्टेशन एवं अभ्यारण की यात्रा का बेहतरीन समय अप्रैल से सितम्बर के बीच का होता है।

  कारण सर्दियों में असकोट का पूरा इलाका बर्फ की गिरफ्त में होता है। बर्फ का आनन्द लेना हो तो सर्दियों में असकोट हिल स्टेशन की यात्रा करनी चाहिए।
   असकोट हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट नैनी सैनी एयरपोर्ट पिथौरागढ़ है।

  नैनी सैनी एयरपोर्ट पिथौरागढ़ से असकोट हिल स्टेशन की दूरी करीब 60 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर जंक्शन है। 
  टनकपुर जंक्शन से असकोट हिल स्टेशन की दूूरी करीब 204 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।
29.806850,80.245480

Wednesday, 16 January 2019

टिहरी हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग

    टिहरी हिल स्टेशन की खूबसूरती का कोई जोड़ नहीं। जी हां, उत्तराखण्ड का नव विकसित शहर नई टिहरी बेहद खूबसूरत एवं दर्शनीय है। 

   उत्तराखण्ड को वस्तुत: देव भूमि कहा जाता है। लिहाजा इसके कण-कण में पर्यटक विशिष्ट सौन्दर्य का एहसास करते हैं। नई टिहरी को वस्तुत: नया एवं आधुनिक शहर कहा जा सकता है। टिहरी वस्तुत: उत्तराखण्ड के जिला गढ़वाल का एक शहर है।

  समुद्र तल से करीब 1550 मीटर ऊंचाई से लेकर 1950 मीटर ऊंचाई तक रचा-बसा यह सुन्दर शहर उत्तराखण्ड का खास आकर्षण है। टिहरी का मुख्य आकर्षण विशाल टिहरी झील एवं टिहरी बांध है। 
  टिहरी का नामकरण वस्तुत: त्रिहारी शब्द से लिया गया है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां विचार, शब्द एवं कर्म का संगम दिखता है।

  विशेषज्ञों की मानें तो मनसा, वाचा एवं कर्मणा अर्थात इससे उत्पन्न भावार्थ पापों को नष्ट करता है। 
   टिहरी हिल स्टेशन का सौन्दर्य अति दर्शनीय है। आधुनिक शहर नई टिहरी ने यहां के सौन्दर्य में चार चांद लगा दिये। 

  नई टिहरी प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूरित नदियों-झीलों, झरनों एवं पर्वत श्रंखलाओं से आच्छादित है। वस्तुत: टिहरी शहर भागीरथी एवं भिलंगना नदियों का संगम स्थल है।
   संगम स्थल को वस्तुत: गणेश प्रयाग कहा जाता है। टिहरी वस्तुत: गढ़वाल साम्राज्य की राजधानी थी। इसे टिहरी गढ़वाल के नाम से भी जाना पहचाना जाता था। 

   खास यह कि विश्व के श्रेष्ठ एवं बड़े बांधों में शामिल टिहरी बांध का अपना एक विशेष आकर्षण है। बांध बनाने के साथ ही नई टिहरी का विकास किया गया है। 
  कारण बांध निर्माण के समय मूल टिहरी जलमग्न हो गयी थी। लिहाजा नई टिहरी को अस्तित्व में लाया गया।
   टिहरी हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण टिहरी झील है। हालांकि इसे सुमन सागर के नाम से भी जाना पहचाना जाता है।
    टिहरी झील को वस्तुत: साहसिक पर्यटन के तौर पर जाना पहचाना जाता है। टिहरी झील में जेट स्कीइंग से लेकर हॉट एयर बैलून की सवारी की जा सकती है। 

   हालांकि टिहरी झील में नौकायन से लेकर जलक्रीड़ा का पर्यटक भरपूर आनन्द ले सकते हैं। साहसिक पर्यटन एवं रोमांचक पर्यटन के लिए उत्तराखण्ड का 
   नई टिहरी हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं है। साहसिक पर्यटन का उत्तराखण्ड में उदय टिहरी हिल स्टेशन से ही माना जाता है। 

   टिहरी झील पर पर्यटक नौका विहार, जेट स्पीड वोट सवारी, वाटर स्कीइंग, जोर्बिंग, बनाना वोट सवारी, बैंडवेगन वोट सवारी एवं पैराग्लाइडिंग आदि बहुत कुछ पसंद कर सकते हैं। 
   टिहरी झील पर टिहरी साहसिक पर्यटन महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है। इस महोत्सव की वैश्विक ख्याति है। 

   साहसिक खेलों के इस संगमन में हिस्सा लेने आस्ट्रेलिया, स्वीटजरलैण्ड, जर्मनी, इंग्लैण्ड सहित दुनिया भर के पर्यटक शामिल होते हैं।
   करीब 42 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैली टिहरी झील हमेशा पर्यटकों से गुलजार नजर आती है। विश्वकर्मा पूजा के साथ ही टिहरी झील में नौकायन प्रारम्भ हो जाता है। 

   टिहरी हिल स्टेशन एवं आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। विशेष आकर्षण में देवी कुंजापुरी मंदिर, चन्द्रबदनी मंदिर, श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, महासर ताल, सहस्त्र ताल, खतलिंग ग्लेशियर आदि बहुत कुछ दर्शनीय है। 

   कहावत है कि जिसने उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौन्दर्य नहीं देखा, उसने कुछ नहींं देखा। खास तौर से पर्यटक टिहरी हिल स्टेशन से पानवाली कांथा, बेलबागी बुग्याल एवं खित पर्वत श्रंखला का प्राकृतिक सौन्दर्य निहार सकते हैं। पानवाली कांथा उत्तराखण्ड का सर्वाधिक लोकप्रिय ट्रैक भी है। टिहरी हिल स्टेशन 

   खास तौर से पर्वतारोहण एवं ट्रैकिंग के लिए स्वर्ग है। टिहरी हिल स्टेशन से पर्यटक नरेन्द्र नगर, गंगा एवं डोकला घाटी का विहंगम दृश्य निहार सकते हैं। 
   खास यह कि टिहरी हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य साहित्य में भी उभरा है। टिहरी हिल स्टेशन की यात्रा का सबसे बेहतरीन समय अप्रैल से जून अवधि होती है।
   मैदानी इलाकों में यह समय भीषण गर्मी का होता है। ऐसे में यहां शांत एवं शीतलता का रोमांचक एहसास किया जा सकता है।
   टिहरी हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून है। एयरपोर्ट से टिहरी हिल स्टेशन की दूरी करीब 93 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश जंक्शन है।
   ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से टिहरी हिल स्टेशन की दूरी करीब 75 किलोमीटर है। पर्यटक टिहरी हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी कर सकते हैं। टिहरी हिल स्टेशन हरिद्वार, ऋषिकेश एवं देहरादून आदि मुख्य मार्गों से जुड़ा है।
30.346270,78.400290

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...