Thursday, 28 February 2019

मिरिक हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग

   मिरिक हिल स्टेशन को धरती का स्वर्ग कहा जाना चाहिए। जी हां, मिरिक का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे मिरिक कोई स्वप्न लोक हो।

   भारत के पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग का यह सुन्दर हिल स्टेशन काफी कुछ विशेष है। झीलों-झरनों, नदियों एवं बाग-बगीचों से आच्छादित मिरिक हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों का खास पसंदीदा है।
  आैषधीय वनस्पतियों की प्रचुरता वाला यह हिल स्टेशन पर्यटकों को एक ऊर्जावान ताजगी प्रदान करता है।


   खास यह कि चाय, कॉफी एवं नारंगी की भीनी-भीनी सुगंध दिल-दिमाग को प्रफुल्लता देती है।
   खास यह कि मिरिक हिल स्टेशन हिमालय की सर्वाधिक ऊंची चोटियों में कंचनजंगा का भव्य-दिव्य दर्शन कराता है। प्राकृतिक सौन्दर्य की दिव्यता-भव्यता यहां दर्शित होती है।

  विशेषज्ञों की मानें तो मिरिक का स्थानीयता में शाब्दिक अर्थ आग से जला हुआ स्थान होता है। नामकरण भले ही कुछ हो लेकिन पर्यटक मिरिक हिल स्टेशन पर एक विशेष ऊर्जा का एहसास करते हैं।

   मिरिक हिल स्टेशन की जलवायु, प्राकृतिक वातावरण एवं प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों के दिलों में उतर जाता है। चौतरफा मखमली घास के मैदान, शांत-शीतल हवा का स्पर्श पर्यटकों को एक रोमांच का एहसास कराते हैं।
   समुद्र तल से करीब 4905 फुट की ऊंचाई पर स्थित मिरिक हिल स्टेशन पर पर्यटकों को बादलों का खिलंदड़पन दिखता है। बादल का खास अंदाज यहां देखने को मिलता है।

   बादलों का स्पर्श बेहद रोमांचक होता है। मिरिक हिल स्टेशन पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त का विशेष आकर्षण प्रतिबिंबित होता है।
   मिरिक हिल स्टेशन एवं आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थानों की विशेष श्रंखला है। सुमेंदु झील मिरिक हिल स्टेशन का विशेष आकर्षण हैं। इस शानदार झील पर नौकायन का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।

  वस्तुत: इस भव्य-दिव्य झील को मिरिक हिल स्टेशन का दिल भी कहा जाता है। यहां एक सावित्री पुष्प उद्यान भी है। इसे सुन्दरता का एक खास प्रतिमान कह सकते हैं।
   देवदार के पेड़ों की शानदार अति दर्शनीय प्रतीत होती है। सुमेन्दु झील पर एक सुन्दर पुल बना है। पुल से झील की शानदार सुन्दरता का विहंगम दृश्यावलोकन किया जा सकता है।

  झील के निकट ही देबिशान मंदिर है। यह एक हिन्दू देवी मंदिर है। बोकार मठ मिरिक हिल स्टेशन के रामेतेय दारा मार्ग पर स्थित बौद्ध मठ है।
  वस्तुत: मठ बौद्ध धर्म का साधना एवं उपासना केन्द्र है। टिंगलिंग व्यू प्वाइंट मिरिक हिल स्टेशन का खास आकर्षण है। पर्यटक यहां से मिरिक हिल स्टेशन का चौतरफा सौन्दर्य देख सकते हैं।
   चाय-कॉफी एवं नारंगी के बागानों की खूबसूरती मिरिक हिल स्टेशन पर चार चांद लगा देती है।

  मिरिक हिल स्टेशन खास तौर से नारंगी की उच्च गुणवत्ता के लिए देश-विदेश में जाना पहचाना जाता है। इतना ही नहीं मिरिक हिल स्टेशन फूलों की सुगंध से महकता रहता है।
  फूलों की सैकड़ों प्रजातियां मिरिक हिल स्टेशन पर पुष्पित एवं पल्लवित होती हैं। इसे फूलों का एक कीमती बाजार कहा जा सकता है।

   मंजुश्री पार्क भी मिरिक हिल स्टेशन की शान है। मिरिक से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंजुश्री पार्क बेहद आकर्षक है।
   बंकुलुंग उर्फ जयंती नगर को मिरिक हिल स्टेशन पर खास तौर से जाना पहचाना जाता है। बंकुलुंग वस्तुत: एक छोटा सा गांव है। बंकुलुंग के घरों में पर्यटक ठहर सकते हैं।

  डॉन बास्को चर्च मिरिक हिल स्टेशन की प्राचीनता को प्रदर्शित करता है। दार्जिलिंग के बड़े चर्चों में इसे गिना जाता है। हिमालय की हसीन वादियों-घाटियों के बीच रचा-बसा मिरिक हिल स्टेशन की पर्वतीय श्रंखला अद्भुत है।

   छोटे-छोटे मखमली पर्वत नुमा मैदान बेहद आकर्षक दिखते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे यह एक अलग ही दुनिया हो।
   जंगली फूल, स्वादिष्ट फल, सुन्दर झीलें, जापानी पेेड़ एवं वनस्पतियां मिरिक हिल स्टेशन को काफी कुछ खास बना देती हैं। पर्यटक मिरिक हिल स्टेशन पर हिमालय की गोद का एहसास करते हैं।

   मिरिक हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट बगडोगरा एयरपोर्ट है। बगडोगरा से मिरिक हिल स्टेशन की दूरी करीब 55 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी मिरिक हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
27.039490,88.263910

Sunday, 24 February 2019

शोजा हिल स्टेशन: मखमली एहसास

   शोजा हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौन्दर्य का कोई जोड़ नहीं। जी हां, शोजा हिल स्टेशन प्रकृति की गोद में रचा-बसा एक सुन्दर एवं आदर्श गांव है। 

  भारत के हिमाचल प्रदेश का यह सुन्दर हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों का बेहद पसंदीदा एरिया है। शांत एवं सुरम्य शोजा हिल स्टेशन घाटियों-वादियों से आच्छादित यह हिल स्टेशन वस्तुत: प्रकृति की एक शानदार एवं सुन्दर संरचना है। 

   शिमला एवं कुल्लू के मध्य स्थित शोजा हिल स्टेशन को हिमाचल प्रदेश की मणि कहा जा सकता है। फूलों से सुसज्जित यहां की घाटियां वादियां पर्यटकों को एक विशेष प्रफुल्लता प्रदान करती हैं। 
  झीलों-झरनों एवं नदियों का सौन्दर्य पर्यटकों को मुग्ध कर लेता है। मखमली घास के मैदान-ढ़लान एक मखमली एहसास कराते हैं। नदियों की सुन्दरता दिलों को छू जाती है। 

  खास यह कि जालोरी दर्रा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह सुन्दर हिल स्टेशन पर्यटकों को भरपूूर आक्सीजन देने के साथ ही ऊर्जावान भी बनाता है।
  शोजा हिल स्टेशन के आसपास दूर-दूर तक फैले धौलाधार पर्वतमाला का अति सुन्दर एवं मनोहारी दृश्य यहां से अवलोकित होता है।

  खास यह कि शोजा हिल स्टेशन पर खूबसूरती की बादशाहत दिखती है। सर्दियों में यहां का सौन्दर्य आैर भी अधिक खिल उठता है। 
   सर्दियों में यहां पर्यटक बर्फबारी का भरपूर लुफ्त ले सकते हैं। सर्दियों में सुन्दर आशियानों से लेकर शानदार पर्वतमालाओं का अपना एक विशेष आकर्षण दिखता है। 

  मार्च-अप्रैल तक यहां घास के मखमली मैदानों पर बर्फ का जमाव पर्यटक देख सकते हैं। यह एक रोमांचक अनुभव होता है।
   जालोरी दर्रा से कुछ ही दूर पर सिरोलसर झील की अनुपम एवं निराली छटा दिखती है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे स्वर्ग लोक में स्वच्छंद विचरण कर रहे हों। 

  मखमली घास के मैदान, बर्फ की चादर ओढ़े पर्वतमाला एवं सितारों की भांति झिलमिलाता झील का निर्मल जल एक रोमांच पैदा करता है। 
  शोजा हिल स्टेशन एवं आसपास रात्रि विश्राम बेहद खुशनुमा एहसास कराता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर चांद-तारे उतर आये हों।

  खास यह कि सिरोलसर झील के निकट ही एक प्राचीन मंदिर है। श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के इस स्थान पर पर्यटक श्रद्धानवत होते हैं।
   रघुपुर किला भी शोजा हिल स्टेशन की शान है। मंडी के शासकों ने इस दिव्य-भव्य किला का निर्माण कराया था।
   किला से विशाल हिमालय के भव्य-दिव्य दर्शन होते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक शानदार एवं सुरम्य स्थान है। 


  पक्षियों का कलरव-कोलाहल मन मस्तिष्क को रोमांचित कर देता है। खास यह कि पक्षियों की दर्जनों प्रजातियां शोजा हिल स्टेशन में शोभायमान रहती हैं। 
   पक्षियों के इस कलरव-कोलाहल में पर्यटक सुध-बुध खो बैठते हैं। ट्रैक्र्स के लिए तो शोजा हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं है। 

   हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला का यह शानदार हिल स्टेशन वस्तुत: प्रकृति का सुन्दर आयाम है। कुल्लू से करीब 40 किलोमीटर दूर बसा शोजा हिल स्टेशन वस्तुत: एक सुन्दर पर्वतीय गांव है। इस गांव की खूबसूरती पर्यटकों को बरबस आकर्षित करती है। 

   चौतरफा मनोहारी दृश्य यहां की शान एवं शोभा हैं। बादलों की अठखेलियां पर्यटकों को बेहद रोमांचक बना देती हैं।
  कारण बादल कभी पर्यटकों की गोद में होते हैं तो कभी पर्यटक बादलों की गोद में होते हैं। शोजा हिल स्टेशन पर यह एक विशेष एवं रोमांचक अनुभव होता है।

  शोजा गांव भले ही छोटा प्रतीत होता हो लेकिन शोजा चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य का शानदार खजाना रखता है। खास यह इस प्राकृतिक सौन्दर्य में पर्यटक खो जाते हैं।

  शोजा हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट भुन्तर एयरपोर्ट शिमला है। भुन्तर एयरपोर्ट से शोजा हिल स्टेशन की दूरी करीब 50 किलोमीटर है। 
   निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिन्दर नगर जंक्शन है। जोगिन्दर नगर रेलवे स्टेशन से शोजा हिल स्टेशन की दूरी करीब 125 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी शोजा हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
31.912800,77.174300

Wednesday, 13 February 2019

मासिनागुडी हिल स्टेशन: धरती का श्रंगार

  मासिनागुडी हिल स्टेशन को धरती का श्रंगार कहा जाना चाहिए। जी हां, मासिनागुडी हिल स्टेशन की सुन्दरंता का कोई जोड़ नहीं। 

   दक्षिण भारत के कर्नाटक प्रांत का यह हिल स्टेशन अद्भुत सौन्दर्य का स्वामी है। शांति एवं सुकून के साथ ही यह हिल स्टेशन वनस्पतियों की प्रचुरता के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है।
  रिजॉर्ट, नाइट सफारी एवं अभयारण्य के साथ ही पर्यटक मासिनागुडी हिल स्टेशन पर ट्रैकिंग का भी आनन्द ले सकते हैं। 

   समुद्र तल से करीब 1030 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मासिनागुडी हिल स्टेशन प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत आयाम है। 
  मासिनागुडी हिल स्टेशन की यात्रा का सबसे बेहतरीन मौसम सर्दियों का होता है। चौतरफा एक खास खुशनुमा परिवेश का आच्छादन मिलता है। 

  दिलचस्प यह कि यह हिल स्टेशन प्राकृतिक सम्पदाताओं से लबरेज है। लिहाजा पर्यटक यहां भरपूर आनन्द लेते हैं। प्रकृति प्रेमी फोटोग्राफर्स के लिए यहां की धरती किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
   खास यह कि ऊटी से करीब 30 किलोमीटर दूर यह हिल स्टेशन वन्य जीवन एवं जैव विविधिता के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। 

  मुदुमलाई नेशनल पार्क यहां की शान माना जाता है। वनस्पतियों से आच्छादित वन क्षेत्र एवं वन्य जीवन के कोलाहल से अनुगूंजित मासिनागुडी हिल स्टेशन एक आश्चर्यजनक परिवेश प्रदान करता है। 
  झीलों-झरनों एवं नदियों से आच्छादित मासिनागुडी हिल स्टेशन पर्यटकों को एक खास रोमांच प्रदान करता है।

  वन्य जीव सफारी पर्यटकों को एक रोमांच से भर देता है। मखमली घास से भरे मैदान-ढ़लान मन मस्तिष्क को प्रफुल्लित कर देते हैं।
   हाथियों के झुण्ड की धमाचौकड़ी दिखती है तो वहीं कुलांचे भरते चीतल एवं हिरण विशेष आकर्षक दिखते हैं।
   चौतरफा मखमली घास के मैदान, हरी-भरी वादियां-घाटियां एवं पर्वत श्रंखलाओं का सौन्दर्य कुछ अलग ही दर्शनीय है। 

  मासिनागुडी हिल स्टेशन एवं आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है। मारवाकंडी बांध मासिनागुडी हिल स्टेशन का सौन्दर्य एवं शान है।
  वस्तुत: यह बांध हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर हाउस है। वर्ष 1951 में बना यह बांध सुन्दर एवं आदर्श पिकनिक स्पॉट भी है। 

  खास यह कि बांध के टावर से मासिनागुडी हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौन्दर्य का भरपूर अवलोकन कर सकते हैं।
  विलुप्त प्रजातियों के जीव-जन्तु भी यहां स्वछंद विचरण करते दिख जाते हैं। मुदुमलाई वन्य जीव अभयारण्य भी यहां की एक निराली शान है।

  खास यह कि अभयारण्य को बाघ संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। मुदुमलाई वन्य जीव अभयारण्य में शाही बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुआ, हाथी सहित असंख्य प्रजातियों के जीव जन्तु दर्शनीय हैं। 
  बांदीपुर एवं मुदुमलाई को प्रकृति का शानदार उपहार कहा जाना चाहिए। इसकी सुन्दरता किसी स्वप्नलोक सी प्रतीत होती है। 

  मासिनागुडी हिल स्टेशन सहित आसपास के इलाकों को साहसिक खेलों के लिए भी जाना पहचाना जाता है। पर्यटक यहां ट्रैकिंग का शौक भी पूरा कर सकते हैं।
  मोयार नदी का अपना एक अलग ही आकर्षण है। मोयार नदी कोे भवानी नदी भी कहते हैं। प्रचुर प्राकृतिक सौन्दर्य, समृद्ध जैव विविधिता एवं जलक्रीडा यहां की विशेषता है। 

  मोयार नदी पर बाघ, हाथी एवं अन्य जीव जन्तुओं को पर्यटक आसानी से देख सकते हैं। पर्यटक मोयार नदी में जलक्रीडा एवं नौकाविहार का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।
   यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करता है। खास यह कि मौसम कोई भी हो, परिवेश हर पल पर्यटकों को रोमांच का एहसास कराता रहता है। कभी घनी धंुध तन मन को भिगो देती है तो कभी बादल पर्यटकों संग अठखेलियां करने लगते हैं।

   खास यह कि बादल कभी पर्यटकों की गोद में होते हैं तो कभी पर्यटक बादलों की गोद में होते हैं। शीतल एवं शांत हवा पर्यटकों के मन मस्तिष्क को अभिसिंचित कर देती है।
   थेप्पाकादू हाथी शिविर में हाथियों की अलमस्ती अति दर्शनीय होती है। हाथियों के इस शिविर को मासिनागुडी हिल स्टेशन का रत्न क्षेत्र कहा जा सकता है। 

  कारण हाथियों की खास सुन्दरता के यहां साक्षात दर्शन होते हैं। विशिष्टताओं के कारण इस क्षेत्र को 1972 में हाथियों का शिविर घोषित किया गया था। यहां हाथी की सवारी एक रोमांचक अनुभव होती है। 
   खास यह कि मासिनागुडी हिल स्टेशन एवं आसपास का इलाका आैषधीय वनस्पतियों एवं वन्य जीवन से चौतरफा घिरा हुआ है। प्रकृति प्रेमियों के लिए मासिनागुडी हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
  खास यह कि इस हिल स्टेशन में रात्रि विश्राम के लिए ट्री हाउस, कॉटेज एवं मचान आदि सहित बहुत संसाधन उपलब्ध हैं। जिससे पर्यटक मासिनागुडी हिल स्टेशन का भरपूर लुफ्त ले सकते हैं।
  मासिनागुडी हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कोयम्बटूर एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन बेंगलुरू जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी मासिनागुडी हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
11.568160,76.647150

Tuesday, 5 February 2019

लद्दाख हिल्स: प्रकृति का सुन्दर उपहार

   लद्दाख हिल्स को खूबसूरती का नायाब तोहफा कहा जाना चाहिए। जी हां, लद्दाख हिल्स का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत एवं अकल्पनीय है। 

   शायद इसीलिए भारत का यह चुनिंदा पर्यटन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर विशेष ख्याति रखता है। भारत के जम्मू-कश्मीर प्रांत का लद्दाख हिल्स वैश्विक पर्यटकों का चुनिंदा एवं पसंदीदा क्षेत्र है।
  समुद्र तल से करीब 3000 मीटर से लेकर 4800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख हिल्स की सांस्कृतिक परम्परा एवं विरासत 1000 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। 

  करीब 97776 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैला लद्दाख हिल्स प्रकृति का नायाब तोहफा है। हिमालय एवं काराकोरम पर्वत श्रंखला के मध्य स्थित लद्दाख हिल्स बर्फ आच्छादित इलाका है।
   लिहाजा बर्फबारी का आनन्द लेने के शौकीन पर्यटकों के लिए लद्दाख हिल्स किसी स्वर्ग से कम नहीं। लद्दाख हिल्स वस्तुत: चीन एवं पाकिस्तान की सीमा से लगा इलाका है। लद्दाख जम्मू-कश्मीर प्रांत का सबसे बड़ा जिला है। इसका मुख्यालय लेह में स्थित है। 

  समुद्र तल से अत्यधिक ऊंचाई होने के कारण लद्दाख हिल्स पर अधिकतर समय बर्फ का आच्छादन रहता है। लद्दाख हिल्स पर खास तौर से बौद्ध संस्कृति का प्रभाव दिखता है। 
  भारत के उत्तरी क्षेत्र का यह पर्यटन स्थल वैश्विक पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। खास यह कि लद्दाख हिल्स से तिब्बत साफ तौर पर दिखता है। मेहमानवाजी लद्दाख हिल्स की खासियत है। लिहाजा पर्यटक यहां भरपूर आनन्द लेते हैं।

  लद्दाख हिल्स एवं आसपास अद्भुत एवं विहंगम दृश्यों की एक लम्बी श्रंखला है। बौद्ध संस्कृति-परम्परा एवं ग्रामीण सौन्दर्य अति दर्शनीय है। बर्फ पर ट्रैकिंग का अपना एक अलग ही आनन्द है।  
  लद्दाख हिल्स की मार्खा घाटी बेहद अद्भुत एवं सुन्दर है। लद्दाख हिल्स पर घोड़े एवं खच्चर की सवारी का अपना एक अलग एवं विशेष आनन्द है। खास तौर से चौतरफा एक से बढ़कर एक पर्वत श्रंखलाएं है।

  गोंडविन आस्टिन पर्वत चोटी की समुद्र तल से ऊंचाई करीब 8611 मीटर है। गाशरब्राूम चोटी की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 8068 मीटर है।
   यह लद्दाख हिल्स की सबसे ऊंची पर्वत चोटियां हैं। सिंधु नदी की सुन्दरता भी अति दर्शनीय है। सिंधु नदी वस्तुत: लद्दाख हिल्स की लाइफ लाइन है।

  खास यह कि करीब 70 किलोमीटर लम्बा ग्लेशियर काराकोरम पर्वत श्रंखला की शान है। काराकोरम पर्वत की सबसे ऊंची चोटी सासर कांगड़ी है। समुद्र तल से सासर कांगड़ी की ऊंचाई करीब 7672 मीटर है। 
   बौद्ध स्तूप: लद्दाख हिल्स पर बौद्ध स्तूप की संरचना यत्र-तत्र एवं सर्वत्र दर्शनीय है। पत्थरों से बने गोल संरचना वाले स्तूूप सभी स्थानों पर दिखेंगे। इनका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है। 

   बौद्ध इन स्थलों को प्रार्थना स्थल के तौर पर उपयोग करते हैं। सामान्यत: स्तूप पहाड़ की चोटी या गावं-गिरांव के प्रवेश द्वार पर होते हैं। 
  मान्यता है कि स्तूप के आसपास से गुजरने पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। बौद्ध श्रद्धालु इन स्तूपों की परिक्रमा करते हैं। 
   बर्फ पर ट्रैकिंग: चूंकि लद्दाख हिल्स बर्फ आच्छादित इलाका है। लिहाजा बर्फ पर ट्रैकिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए यह किसी स्वर्ग से कम नहीं।
   अद्भुत दृश्यों से घिरा लद्दाख हिल्स इलाका ट्रैकिंग का भरपूर आनन्द प्रदान करता है। मार्खा घाटी पर ट्रैकिंग का अपना एक अलग रोमांचक अनुभव होता है।

  खास यह कि 11वीं शताब्दी का बौद्ध विहार भी अति दर्शनीय है। मार्खा घाटी पर ट्रैकिंग करने वाले पर्यटक गांव में प्रवास कर सकते हैं। गांव में रहने-खाने एवं विश्राम की सहूलियत उपलब्ध रहती हैं।
  ग्रामीण शुल्क लेकर पर्यटकों को आश्रय की सुविधा प्रदान करते हैं। यहां खास तौर से घर के बने स्वादिष्ट व्ंयजन बेहद पसंदीदा होते है। 

  नदी एवं लाल चट्टानें: नदी एवं लाल चट्टानें लद्दाख हिल्स की शान हैं। लद्दाख हिल्स की मार्खा घाटी के प्राकृतिक दृश्य हमेशा बदलते रहते हैं। 
  कभी पर्वत बर्फ से आच्छादित दिखते हैं तो कभी लाल पत्थर की विशाल चट्टानें दर्शनीयता को बढ़ाती हैं। नदी का शानदार प्रवाह एवं सुर्ख लाल पत्थर की चट्टानों की श्रंखला बेहद अद्भुत प्रतीत होते हैं। 
  मानी पत्थर: मानी पत्थर लद्दाख हिल्स पर कुछ खास होते हैं। मानी पत्थर चपटे पत्थरों को कहा जाता है। इसमें तिब्बती लिपि में कुछ मंत्र अंकित होते हैं।
  आकाश दर्शन: आकाश की दर्शनीयता लद्दाख हिल्स पर कुछ खास ही होती है। लद्दाख हिल्स के शीर्ष पर कुछ ऐसा दृश्य होता है कि जैसे पर्यटक आकाश का स्पर्श कर लेंगे।
   समुद्र तल से करीब 4800 मीटर की ऊंचाई पर अति सुन्दर प्राकृतिक दृश्य दिखता है। यह दृश्य आंखों को बेहद शीतलता एवं सुकून प्रदान करता है। चौतरफा नीला आकाश अति दर्शनीय प्रतीत होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे आकाश का स्पर्श होने वाला है। नीला आकाश-सुन्दर आकाश।
  पक्षियों का आशियाना: लद्दाख हिल्स पक्षियों का आशियाना भी है। पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां यहां पायी जाती हैं। इनमें खास तौर से रॉबिन, रेड स्टार्ट, तिब्बती स्नोकोक, रेवेन आदि पाये जाते हैं।
   लद्दाख हिल्स की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कुशोक बकुला रिंपोचे एयरपोर्ट लेह है।
   निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है। जम्मू तवी रेलवे स्टेशन से लद्दाख हिल्स की दूरी करीब 680 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।
34.146490,77.481610

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...