Wednesday, 27 November 2019

थेक्कडी हिल स्टेशन: प्रकृति का एहसास

   थेक्कडी हिल स्टेशन को प्रकृति का अनुपम उपहार कहा जाना चाहिए। थेक्कडी हिल स्टेशन को एक मखमली एहसास भी कह सकते हैं। 

    जी हां, थेक्कडी हिल स्टेशन पर चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा दिखती है। भारत के केरल के इडुक्की जिला का यह सुन्दर हिल स्टेशन अपनी विशिष्ट सुन्दरता के कारण वैश्विक ख्याति रखता है। चौतरफा पर्र्वत श्रंखलाओं का सौन्दर्य पर्यटकों पर एक जादू सा करता है। 

   आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध एवं सौन्दर्य पर्यटकों को मुग्ध कर लेता है। जीवों की विविधिता थेक्कडी हिल स्टेशन की सुन्दरता में चार चांद लगा देती है। इस वन्य जीव अभयारण्य को वस्तुत: हाथियों का शानदार आशियाना कहना चाहिए। 

   झीलों, झरनों एवं नदियों से आच्छादित थेक्कडी हिल स्टेशन वस्तुत: एक आदर्श एवं रोमांचक अनुभूति प्रदान करता है। समुद्र तल से करीब 3300 फुट की ऊंचाई पर स्थित थेक्कडी हिल स्टेशन एक बेहद रोमांचक पर्यटन क्षेत्र है। नदियों में रॉफ्टिंग करने का अनुभव बेहद रोमांचक होता है।

   रॉफ्टिंग के साथ ही पर्यटक क्रूज में सफर का भी आनन्द भी ले सकते हैं। प्रकृति की गोद में रचा-बसा थेक्कडी हिल स्टेशन ट्रैकिंग के लिए आदर्श गंतव्य है। कुरिसुमाला थेक्कडी हिल स्टेशन का बेहद पसंदीदा ट्रैकिंग ट्रैक है। 

   थेक्कडी हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण पेरियार झील, हाथी सफारी एवं वन्य जीव अभयारण्य है। इसके अलावा मंगला देवी मंदिर, पांडिकुझी, वंदिपरियार आैर रामक्कलडु आदि इत्यादि भी बेहद पसंदीदा स्थल है। 
  इडुक्की जिला का यह शानदार पर्यटन केरल का अति प्रसिद्ध हिल स्टेशन माना जाता है। खास यह है कि थेक्कडी हिल स्टेशन चाय-कॉफी के बागानों एवं मसालों के उत्पादन के लिए विश्व मेें प्रसिद्ध है। चाय-कॉफी एवं मसालों की सुगंध से थेक्कडी हिल स्टेशन सदैव महकता रहता है। 
   पेरियार वन्य जीव अभयारण्य: पेरियार वन्य जीव अभयारण्य करीब 777 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला एक शानदार अभयारण्य है। प्रकृति प्रेमियों के लिए अभयारण्य किसी स्वर्ग से कम नहीं है। खास यह है कि अभयारण्य का करीब 360 वर्ग किलोमीटर का दायरा आैषधीय वनस्पतियों से आच्छादित सघन वन क्षेत्र है।

   इसकी विशिष्टताओं को देखते हुए वर्ष 1978 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। यहां की विशाल झील पर्यटकों को विशेष आनन्द प्रदान करती है। झील में नौकायन कर वन्य जीवों की हलचल का रोमांचक एहसास कर सकते हैं। यहां हाथियों की चिंघाड़ परिवेश को गुंजायमान कर देती है। 
   मंगला देवी मंदिर: मंगला देवी मंदिर दर्शनीय स्थल है। थेक्कडी से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित मंगला देवी मंदिर सघन आैषधीय वनस्पतियों के वन क्षेत्र एवं पर्वत के शिखर पर स्थित है।
    समुद्र तल से करीब 1337 मीटर ऊंचाई पर स्थित मंगला देवी मंदिर स्थापत्य कला का अनुपम अलंकरण है। वास्तुशिल्प का अद्भुत सौन्दर्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर लेता है। मंगला देवी मंदिर से तमिलनाडु के गांवों का भी सौन्दर्य दिखता है। 

   कुमिली: कुमिली वस्तुत: एक शानदार शॉपिंग सेंटर है। थेक्कडी से करीब 4 किलोमीटर दूर स्थित कुमिली पेरियार अभयारण्य का बाहरी इलाका है। कुमिली वस्तुत: मसालों के लिए प्रसिद्ध है।
   वंडिपेरियार : वंडिपेरियार एक आदर्श पिकनिक स्पॉट के तौर पर ख्याति रखता है। थेक्कडी से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित वंडिपेरियार वस्तुत: एक सुरम्य क्षेत्र है। पेरियार नदी इस इलाके के मध्य में प्रवाहित है। चाय, काफी एवं मिर्च उत्पादन के लिए प्रसिद्ध यह इलाका फूलों के लिए भी जाना जाता है। फूलों की असंख्य प्रजातियांं वंडिपेरियार में उपलब्ध रहती हैं। 
  पुल्लुमेडू : पुुल्लुमेडू वस्तुत: एक पर्वतीय नगरीय क्षेत्र है। यह इलाका पेरियार नदी के किनारे स्थित है। दुर्लभ वनस्पतियां एवं वन्य जीवों का रोमांच इस इलाके को काफी कुछ विशिष्ट बना देता है।
   पीरमड: पीरमड वस्तुत: एक आध्यात्मिक स्थान है। थेक्कडी से करीब 38 किलोमीटर दूर स्थित पीरमड आैषधीय वनस्पतियों से आच्छादित क्षेत्र है। इस स्थान का नामकरण सूफी संत पीर मोहम्मद के नाम पर किया गया है। पीर की पहाड़ी पर सूफी संत का मकबरा बना है। त्रावणकोर के महाराजा सूफी संत से अत्यधिक प्रभावित थे। लिहाजा शाही आरामगाह के तौर पर निकट ही शाही इमारत का निर्माण कराया था।

   थेक्कडी हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट मदुरै इण्टरनेशनल एयरपोर्ट है। मदुरै एयरपोर्ट से थेक्कडी हिल स्टेशन की दूरी करीब 140 किलोमीटर है। 
   निकटतम रेलवे स्टेशन कोट्टायम रेलवे जंक्शन है। कोट्टायम जंक्शन से थेक्कडी हिल स्टेशन की दूरी करीब 114 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी थेक्कडी हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
9.601770,77.170820

Friday, 22 November 2019

नालागढ़ हिल स्टेशन : अतुलनीय सौन्दर्य

   नालागढ़ हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अतुलनीय कहा जाना चाहिए। जी हां, इस शानदार हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत एवं विलक्षण है। 

    सिरसा नदी एवं शिवालिक पहाड़ियों के सानिध्य में रचा-बसा नालागढ़ हिल स्टेशन एक शाही स्पर्श का एहसास कराता है। भारत के हिमाचल प्रदेश के सोलन जिला का यह शानदार हिल स्टेशन अपनी विशिष्टताओं के लिए खास तौर से वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर जाना पहचाना जाता है। 

   शांति एवं शीतलता के लिए खास तौर से जाना जाने वाला नालागढ़ हिल स्टेशन वैश्विक पर्यटकों का बेहद पसंदीदा है। इसे राजसी हिल स्टेशन भी कहा जा सकता है क्योंकि पर्यटक नालागढ़ हिल स्टेशन पर प्रकृति का एक शाही स्पर्श एहसास करते हैं। 

   नालागढ़ हिल स्टेशन से पर्यटक अद्भुत शिवालिक पहाड़ियों एवं प्रकृति के सुन्दर दृश्यों को निहार सकते हैं। किलों के शानदार दृश्य बेेहद दर्शनीय प्रतीत होते हैं। इसे हिमाचल प्रदेश का आदर्श पर्यटन भी कहा जाता है। प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ इसका ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व भी है।

    इतिहास के पन्नों को पलटें तो देखेंगे कि नालागढ़ हिल स्टेशन कभी राजपूताना रियासत का हिस्सा रहा है। दिल्ली से करीब 300 किलोमीटर दूर एवं चण्डीगढ़ से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित नालागढ़ हिल स्टेशन को वस्तुत: प्रकृति का शानदार उपहार कहा जाना चाहिए। मुख्यत: नालागढ़ हिल स्टेशन एवं आसपास के इलाके में चंदेल राजाओं का शासन रहा। 

    हालांकि नालागढ़ में अन्य राजपूत भी आकर बसे। इनमें खास तौर से तोमर, राठौर, परमार, पवार एवं चौहान आदि थे। अतीत से ताल्लुक रखने वाले राजसी साक्ष्यों को आज भी नालागढ़ हिल स्टेशन पर आसानी से देखा जा सकता है। नालागढ़ हिल स्टेशन पर चौतरफा शिवालिक पहाड़ियों का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को मुग्ध करता है। 

   मखमली घास के विशाल मैदान एक सुखद स्पर्श का एहसास कराते हैं। नालागढ़ हिल स्टेशन पर बादलों का खेलना पर्यटकों को बेहद रोमांचित करता है। शांत शीतल हवाओं का स्पर्श पर्यटकों को प्रफुल्लित कर देता है। 
  खास यह कि नालागढ़ हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थानों की एक शानदार श्रंखला विद्यमान है। इनमें खास तौर से नालागढ़ किला, रामगढ़ का किला, यादवेन्द्र उद्यान, गोविन्द सागर झील एवं मजाथल वन्य जीव अभयारण्य आदि इत्यादि हैं।

   नालागढ़ किला: नालागढ़ किला वस्तुत: प्राचीन स्थापत्य कला की एक शानदार संरचना है। इस शानदार किला की संरचना राजा विक्रम चन्द्र के शासनकाल में की गयी थी।
   करीब 10 एकड़ में फैला यह किला वस्तुत: नालागढ़ की शान एवं शोभा हैं। शिवालिक की पहाड़ी पर स्थित यह कि किला अति दर्शनीय है। खास यह कि यहां से पर्यटक शिवालिक की पहाड़ियों का अद्भुत दर्शन कर सकते हैं। मुगल वास्तुकला की यह अद्भुत संरचना बेहद आकर्षक है। 

   रामगढ़ किला: रामगढ़ किला वस्तुत: नालागढ़ हिल स्टेशन से करीब 56 किलोमीटर दूर स्थित है। हरियाणा के पंचकूला में स्थित रामगढ़ किला वस्तुत: एक शानदार ऐतिहासिक एवं पौराणिक धरोहर है। रामगढ़ किला वस्तुत: अपने अद्भुत वास्तुशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। 

    समुद्र तल से करीब 4000 फुट की ऊंचाई पर स्थित रामगढ़ किला बेहद आकर्षक है। यहां से पर्यटक शिवालिक पहाड़ियों का प्राकृतिक सौन्दर्य निहार सकते हैं। 
   खास यह है इस किला का प्रवेश द्वार अति दर्शनीय है। करीब 37 फुट ऊंचाई वाला यह द्वार विशेष माना जाता है। जिसे भारत का सबसे ऊंचा दरवाजा माना जाता है। किला के आंतरिक क्षेत्र में एक प्राचीन कुंआ एवं सुरंग है। 
   यादवेन्द्र उद्यान: यादवेन्द्र उद्यान करीब 36 किलोमीटर दूर स्थित है। इस सुन्दर उद्यान को पिंजौर एवं मुगल गार्डेन के नाम से भी जाना पहचाना जाता है। शिवालिक पहाड़ियों की घाटी पर स्थित यादवेन्द्र उद्यान अति दर्शनीय है। 
  मुगल शैली का यह उद्यान अद्भुत एवं विलक्षण है। इस उद्यान में तीन महल हैं। इनमें जल महल, शीश महल एवं रंग महल हैं। उद्यान में स्थित पानी के फव्वारे उद्यान की शान एवं शोभा में चार चांद लगा देते हैं।

   मजाथल वन्य जीव अभयारण्य: मजाथल वन्य जीव अभयारण्य नालागढ़ हिल स्टेशन की यात्रा को बेहद रोमांचक बना देता है। हिमाचल प्रदेेश का यह अभयारण्य अपनी जैव विविधिता के लिए खास तौर से प्रसिद्ध हैं। 
   समुद्र तल से 1996 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मजाथल वन्य जीव अभयारण्य आैषधीय वनस्पतियों एवं वन्य जीवों से अति समृद्ध है। करीब 36.4 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैला यह अभयारण्य बेहद रोमांचक है। अभयारण्य में बाघ, तेंदुआ, भालू, जंगली बिल्ली, हिरण आदि इत्यादि हैं।

    नालागढ़ हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट चण्डीगढ़ इण्टरनेेशनल एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन घनौली जंक्शन है। हालांकि पर्यटक सड़क मार्ग से भी नालागढ़ हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
31.042101,76.717598

Thursday, 21 November 2019

माईबांग हिल स्टेशन: रोमांचक आनन्द

    माईबांग हिल स्टेशन की झीलों-झरनों का प्राकृतिक सौन्दर्य किसी को भी मुग्ध कर लेगा। जी हां, माईबांग अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से वैश्विक पर्यटकों को खास तौर से आकर्षित करता है। 

   भारत के असम के जिला दीमा हसाओ का माईबांग हिल स्टेशन निश्चित रूप से अतुलनीय है। झीलों-झरनों एवं नदियों की निर्मल जलधारा माईबांग हिल स्टेशन की शान एवं शोभा है।
   चौतरफा मखमली घास के मैदान एवं लॉन एक सुखद एहसास कराते हैं। ऐसा प्रतीत होेता हैै कि जैसे माईबांग हिल स्टेशन कोई स्वर्ग लोक हो। 

   वस्तुत: माईबांग दीमा हसाओ जिला का एक शांत, शीतल एवं सुन्दर शहर है। इसकी सुन्दरता एवं शीतलता की छांव में पर्यटक एक खास ऊर्जा का एहसास करते हैं। शुुद्ध जलवायु वाला यह हिल स्टेशन पर्यटकों को भरपूर आक्सीजन प्रदान करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे स्वर्ग लोक में विचरण कर रहे हों।

   माईबांग वस्तुत: समृद्धता को परिभाषित करता है। इसे प्राकृतिक धरोहर कहेें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। विशेषज्ञों की मानें तो माईबांग कभी दिमसा कचहरी साम्राज्य की राजधानी था। माईबांग 16वीं से 18वीं शताब्दी तक दिमसा कचहरी साम्राज्य की राजधानी रहा। 

   इस राजसी साम्राज्य के अवशेष अभी भी देखने को मिलते हैं। राजसी कचहरी साम्राज्य का खास आकर्षण स्टोन हाउस अभी भी दर्शनीय है। दिमसा में इसे लौंगथाई नी नोह के नाम से जाना पहचाना जाता है। इस पत्थर के घर को देखने पर्यटक अवश्य जाते हैं। माईबांग हिल स्टेशन पर एक अति प्राचीन मंदिर भी है। 

   हालात यह हैं कि कचहरी राजवंश की संस्कृति एवं परम्पराएं आज भी दर्शनीय हैं। पत्थर की मूर्तियां, नक्काशी एवं अन्य प्राचीन धरोहर कचहरी राजवंश की विरासत को दर्शाता है। 
   माईबांग हिल स्टेशन को धान का कटोरा के नाम से भी ख्याति हासिल है। कारण है कि इस इलाके में सुगंधित एवं स्वादिष्ट चावल की विभिन्न प्रजातियों की उपज होती है। 

   माईबांग का चावल सुगंध एवं स्वाद के लिए भारत सहित दुनिया भर में मशहूर है। माहुर नदी के किनारे स्थित माईबांग हिल स्टेशन अति दर्शनीय एवं सुन्दर है। पहाड़ी पर स्थित माईबांग एक अति सुन्दर शहर है। विकास होने के बावजूद माईबांग की सोंधी सुगंध बरकरार है। लिहाजा पर्यटक माईबांग हिल स्टेशन पर आनन्द की एक सुखद अनुभूति करते हैं।

  खास यह कि माईबांग हिल स्टेशन पर पर्यटक जल पर्यटन का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। कारण झीलों-झरनों का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को आकर्षित करता है। शायद यही कारण है कि पर्यटक जलक्रीड़ा का आनन्द लेना नहीं भूलते। 

   नौका विहार करना या क्रूज यात्रा का आनन्द लेना बेहद प्रफुल्लित करता है। सीढ़ीदार झरनों का सौन्दर्य देखते ही बनता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पर्यटक देव लोक में आ गये हों। पर्यावरण की गोद में झरनों का बहना अति दर्शनीय एवं रोमांचक होता है। 

   इस दर्शनीय हिल स्टेशन का रोमांच पर्यटक कभी भूल नहीं पाते हैं। ट्रैकर्स एवं एडवेंंचर्स के शौकीन पर्यटक माईबांग हिल स्टेशन पर खूब मौज मस्ती करते हैं। 

   गुवाहाटी से करीब 287 किलोमीटर दूर स्थित माईबांग हिल स्टेशन असम का आदर्श एवं मुख्य पर्यटन केन्द्र माना जाता है। पगडंड़ी वाले रास्ते पर्यटकों को विलेज टूरिज्म का रोमांचक आनन्द प्रदान करते हैं। 

   माईबांग भले ही असम का एक छोटा शहर हो लेकिन इसका प्राकृतिक सौन्दर्य किसी पर भी जादू कर सकता है। हॉफलांग से करीब 44 किलोमीटर दूर स्थित माईबांग हिल स्टेशन वस्तुत: झीलों, झरनों, नदियों एवं पहाड़ों से सुसज्जित अति सुन्दर स्थान है। रामचन्दी मंदिर में देव दर्शन करना नहीं भूलना चाहिए।

   माईबांग हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कुंभीरग्राम सिल्चर एयरपोर्ट असम है। एयरपोर्ट से माईबांग हिल स्टेशन की दूरी करीब 59 किलोमीटर है। पर्यटक दीमापुर एयरपोर्ट से भी माईबांग हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
  दीमापुर एयरपोर्ट से माईबांग हिल स्टेशन की दूरी करीब 88 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन माईबांग जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी माईबांग हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
25.299100,93.141200

Tuesday, 19 November 2019

चुंगथांग हिल स्टेशन: बादलोें का रोमांच

    चुंगथांग हिल स्टेशन के प्राकृतिक सौन्दर्य को बेहद रोमांचक कहा जाना चाहिए। यहां बादलों का घुमक्कड़पन पर्यटकों को एक खास रोमांच से भर देता है। 

    बादलों का परिवेश में कदमताल करना पर्यटकों के मन एवं तन को पुलकित कर देता है। भारत के सिक्किम के चुंगथांग के इस शानदार हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत एवं विलक्षण है। वस्तुत: चुंगथांग हिल स्टेशन उत्तर सिक्किम का एक छोटा सा शहर है। 

   चुंगथांग भले ही छोटा शहर हो लेकिन चुंगथांग हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत एवं विलक्षण है। घाटियों-वादियों एवं पर्वत श्रंखलाओं का यह इलाका अति दर्शनीय है।
  समुद्र तल से करीब 1790 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चुंगथांग एक अति सुन्दर शहर है। मान्यता है कि सिख गुरु श्री नानकदेव जी महाराज चीन एवं तिब्बत जाते समय चुंगथांग पर विश्राम किया था। 

   पंजाबी में इसे चंगा स्थान कहते हैं। इसका आशय अच्छा स्थान होता है। चुंगथांग वस्तुत: लाचुंग चू एवं लाचेन चू नदियों के संगम पर रचा-बसा एक शानदार छोटा शहर है। आैषधीय वनस्पतियों एवं जैव विविधिता रखने वाला चुंगथांग हिल स्टेशन काफी कुछ विशेष माना जाता है। 

   असंख्य प्रजातियों की आैषधीय वनस्पतियां एवं जीव जन्तु चुंगथांग हिल स्टेशन की शान एवं शोभा हैं। इतना ही नहीं, चुंगथांग का अपना एक अलग एवं रोचक इतिहास है। 
   मान्यता है कि चुंगथांग बौद्ध गुरु पद्मसंभव के आशीर्वाद सेे अति समृद्ध है। विख्यात बौद्ध गुरु पद्मसंभव ने चुंगथांग की एक चट्टान पर विश्राम किया था।

   बौद्ध गुरु के पदचिह्न एवं हाथों के निशान आज भी चट्टान पर दर्शनीय हैं। इस चट्टान में एक दरार है। इस दरार से जल का अनवरत प्रवाह होता है। इस जल को आैषधीय गुणों से अति समृद्ध माना जाता है। इसे पवित्र जल माना जाता है।

  चुंगथांग हिल स्टेशन सिक्किम की राजधानी गंगटोक से करीब 95 किलोमीटर दूर स्थित है। चुंगथांग हिल स्टेशन एवं आसपास आकर्षक एवं विशिष्ट स्थानों की एक शानदार श्रंखला विद्यमान है। इनमें खास तौर से लाचुंग मठ, जीरो प्वाइंट एवं युमथांग आदि इत्यादि हैं। 
   लाचुंग मठ: लाचुंग मठ बेहद दर्शनीय है। सेब के बाग-बागीचों के मध्य स्थित लाचुंग मठ एक स्वप्न लोक सा है। समुद्र तल से करीब 2750 मीटर ऊंचाई पर स्थित लाचुंग मठ से चौतरफा प्रकृति के शानदार एवं सुन्दर दृश्यों का अवलोकन किया जा सकता है। इस इलाके को ग्रीन लेक ट्रैक भी कहा जाता है। 

   सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत के प्रतीक इस शानदार मठ को विशेष ख्याति हासिल है। लाचुंग मठ की स्थापना 1806 में बौद्ध धर्म के निंगम्पा सम्प्रदाय ने की थी। इस शानदार मठ में बौद्ध गुरू पद्मसंभव की प्रतिमा विद्यमान है। 
  वस्तुत: मठ एक रंग बिरंगा ढ़ांचा है। इसमें दो मंजिला प्रार्थना कक्ष भी है। इसमें प्रार्थना चक्र के साथ ही धातु के दो ड्रैगन भी हैं। मठ का धार्मिक उत्सव बेहद आकर्षक होता है।

   जीरो प्वाइंट: जीरो प्वाइंट को वस्तुत: यम सेमडोंग के नाम से जाना पहचाना जाता है। समुद्र तल से करीब 15300 फुट की ऊंचाई पर स्थित जीरो प्वाइंट अति दर्शनीय एवं प्रकृति की गोद है। यह इलाका वस्तुत: तीन नदियोें का संगम स्थल है। 
   बर्फ से ढ़के पहाड़ एवं घाटियां-वादियां जीरो प्वाइंट की खूबसूरती को आैर भी बढ़ा देते हैं। यह इलाका भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा के अति निकट है। 

  जीरों प्वाइंट का मनोरम दृश्य बेहद मनोहारी है। सेना की अनुमति के बाद ही जीरो प्वाइंट की रोमांचक यात्रा की जा सकती है। लाचुंग से जीरो प्वाइंट की दूरी करीब तीन घंटे की है। इसके आगे कहीं कोई सड़क नहीं है लिहाजा इसे जीरो प्वाइंट कहा जाता है।
   पर्वतों की सुन्दर श्रंखला एवं दृश्य देख कर मन रोमांचित हो उठता है। जीरो प्वाइंट पर याक की सवारी करना रोमांच से भर देता है। पिघलती बर्फ देखना अति सुन्दर प्रतीत होता है। 

   युमथांग: युमथांग एक परी लोक सा है। सर्दियों में युमथांग बर्फ से आच्छादित रहता है। बर्फ से आच्छादित युमथांग अति दर्शनीय प्रतीत होता है। इसे बेजोड़ प्राकृतिक सौन्दर्य कह सकते हैं। 
  हालांकि युमथांग घाटी को फूलों की घाटी के तौर पर विशेष ख्याति हासिल है। आैषधीय वनस्पतियों एवं वन्य जीवों का अनुपम संगम युमथांग पर दिखता है। अनुकूल परिवेश वाले जीव जन्तु खास तौर से युमथांग घाटी पर आश्रय पाते हैं। फूलों की विभिन्न प्रजातियां एवं उनकी खूशबू परिदृश्य बेहद इन्द्रधनुषी बना देती हैं।
   ऐसा प्रतीत हो कि जैसे किसी कलाकार ने कैनवास पर चित्रांकन किया हो। बसंत ऋतु पर घाटी खिल उठती है। इसी का एक इलाका शिंगबा अभयारण्य है। इस अभयारण्य में रोडोंडेंड्रोन फूलों की बीस से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। यह फूल खिलते हैं तो लाल, बैंगनी, गुलाबी एवं चमकीले रंगों से युमथांग घाटी खिल उठती है। बर्फ से ढ़के पहाड़ भी अति दर्शनीय प्रतीत होते हैं।

    चुंगथांग हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट गंगटोक सिक्किम एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी चुंगथांग हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
27.641600,88.610850

Sunday, 17 November 2019

कंधमाल हिल स्टेशन : प्रकृति का सुन्दर उपहार

   कंधमाल हिल स्टेशन को प्रकृति का सुन्दर उपहार कहा जाना चाहिए। जी हां, कंधमाल हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत एवं विलक्षण है। 

   शायद इसी लिए कंधमाल वैश्विक पर्यटकों का सर्वाधिक पसंदीदा हिल स्टेशन है। भारत के ओड़िशा के कंधमाल जिला का कंधमाल हिल स्टेशन काफी कुछ विशिष्ट है। झीलों, झरनों, घाटियों-वादियों वाले इस इलाके को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। प्रकृति का स्वर्ग कहा जाने वाला कंधमाल हिल स्टेशन वस्तुत: ओड़िशा की शान एवं शोभा है। 

   कंधमाल हिल स्टेशन पर शीतल एवं शांत हवाओं के झोके पर्यटकों को एक सुकून प्रदान करते हैं। लिहाजा यहां का परिवेश पर्यटकों को एक खास ताजगी प्रदान करता है। कंधमाल हिल स्टेशन की शानदार पर्वत श्रंखला एवं मखमली घास के मैदान बेहद लुभाते हैं। 

   कंधमाल का प्राकृतिक वातावरण पर्यटकों को खास ऊर्जावान बना देता है। कंधमाल का हस्तशिल्प खास तौर से दोकरा, टेराकोटा एवं बांस के उत्पाद अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। कंधमाल की सभ्यता, संस्कृति एवं प्राकृतिक सौन्दर्य अति समृद्ध है। कंधमाल वस्तुत: ओड़िशा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है। 

   खास यह कि कंधमाल हिल स्टेशन विशिष्टताओं से भरा है। कंधमाल हिल स्टेशन पर बादलों का खिलंदड़पन एवं घुमक्कड़ी पर्यटकों को रोमांचित कर देती है। वस्तुत: कंधमाल हिल स्टेशन पर्यटकों को एक मखमली स्पर्श का एहसास कराता है। 

   कंधमाल हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षक एवं लुभावने स्थानों की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है। इनमें खास तौर से फूलबाणी, पुतुडी जल प्रपात, बलासकुंपा, विरुपाक्ष मंदिर, दारिंगबाड़ी, डुंगी, कलिंग घाटी, मंदसुरु कुटी, बेलघर आदि इत्यादि दर्शनीय स्थल हैं।

   फूलबाणी: फूलबाणी वस्तुत: कंधमाल जिला का मुख्यालय है। फूलबाणी प्राकृतिक दृष्टि से अति दर्शनीय एवं खूूबसूरत स्थान है। चारों ओर पर्वतों से घिरा फूलबाणी की दिशाओं में पिल्लसलंुकी नदी प्रवाहमान है।
   पहाड़ी पर भेटखोल एवं ब्रााह्मणी देवी मंदिर विद्यमान हैं। इस पर्वत से कंधमाल का विहंगम एवं अति सुन्दर दृश्य दिखता है। जगन्नाथ मंदिर एवं नारायणी देवी मंदिर फूलबाणी के मुख्य आकर्षण हैं। 
   पुतुडी जल प्रपात: पुतुडी जल प्रपात प्रकृति के बीच संरचित एक अति दर्शनीय एवं खूबसूरत स्थान है। इसी इलाके में संलुकी नदी करीब 60 फुट की ऊंचाई से प्रवाहमान है। झरना एवं नदी का प्रवाह पर्यटकों को रोमांचित करता है। यह शानदार झरना फूलबाणी से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है।
   बलासकुंपा: बलासकुंपा वस्तुत: एक अति दर्शनीय एवं धार्मिक स्थान है। बलासकुंपा वस्तुत: देवी बरला मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि बरला देवी जनरक्षा करती हैं। बलासकुंपा धार्मिक स्थान होने के साथ ही एक शानदार पिकनिक स्पॉट भी है। 
   निकट ही पिल्लसुलंकी बांध भी है। बलासकुंपा से पिल्लसुलंकी बांध की दूरी करीब 3 किलोमीटर है। हालांकि फूलबाणी से बलासकुंपा की दूरी करीब 15 किलोमीटर है। यह इलाका पिकनिक के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है।

   विरुपाक्ष मंदिर: विरुपाक्ष मंदिर फूलबाणी से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित है। चाकपाड़ा में स्थित विरुपाक्ष मंदिर वस्तुत: भगवान शिव को समर्पित एक दिव्य भव्य मंदिर है। इस मंदिर की विशेषता है कि मंदिर का शिवलिंग दक्षिण दिशा की ओर झुका है। 

   खास यह कि इसी प्रकार चाकपाड़ा के पेड़ पौधे भी दक्षिण दिशा की ओर झुकाव रखते हैं। मान्यता है कि रावण शिवलिंग को लेकर लंका जा रहा था, लेकिन शिवलिंग को किसी अन्य व्यक्ति को दिया था।
   उस व्यक्ति ने शिवलिंग को भूमि पर रख दिया जिससे शिवलिंग इस स्थान पर स्थापित हो गया। मंदिर की दीवारों पर प्रसंग वर्णित है। इस मंदिर में ब्राह्मा एवं विष्णु भी दर्शनीय हैं।
   दारिंगबाड़ी: दारिंगबाड़ी को वस्तुत: ओड़िशा का कश्मीर कहा जाता है। समुद्र तल से करीब 3000 फुट की ऊंचाई पर स्थित दारिंगबाड़ी चाय-काफी के बागान एवं चीड़ के सुन्दर पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की खूबसूरत घाटियां-वादियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। 

   सर्दियों में यह इलाका बर्फ से आच्छादित हो जाता है। सर्दियों में दारिंगबाड़ी का प्राकृतिक सौन्दर्य अति दर्शनीय हो जाता है। इसे रोमांच का पर्याय कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। यह पर्वतीय इलाका फूलबाणी से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित है।
    कंधमाल हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट भुवनेश्वर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से कंधमाल हिल स्टेशन की दूरी करीब 211 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन बरहामपुर जंक्शन है। बरहामपुर रेेलवे स्टेशन से कंधमाल हिल स्टेशन की दूरी करीब 200 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी कंधमाल हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
20.108070,84.041670

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...