Tuesday, 31 December 2019

चंदेल हिल स्टेशन: बादलों का आशियाना

   चंदेल हिल स्टेशन को पर्वतीय सौन्दर्य का इन्द्रधनुषी आयाम कहा जाना चाहिए। जी हां, चौतरफा पर्वत श्रंखलाओं से घिरा चंदेल वस्तुत: एक शानदार छोटा शहर है। 

   इस शहर में गांव की सोंधी सुगंध का एहसास किया जा सकता है। इसे बादलों का आशियाना भी कह सकते हैं। भारत के मणिपुर का चंदेल वस्तुत: उत्तर-पूर्व दिशा में पहाड़ियों के मध्य रचा-बसा एक सुन्दर शहर है। भारत के पड़ोेसी देश म्यांमार से लगा होने के कारण इसे सीमावर्ती पर्यटन भी कह सकते हैं।

  चंदेल का अद्भुत एवं विलक्षण सौन्दर्य पर्यटकों को सम्मोहित कर लेता है। चंदेल पर बादलों की घुमक्कड़ी पर्यटकों को बेहद रोमांचित करती है। बादलों का मखमली स्पर्श पर्यटक कभी भूल नहीं पाते हैं।

   शायद इसीलिए चंदेल हिल स्टेशन पर्यटकों का बेहद पसंदीदा पर्यटन क्षेत्र है। मखमली घास के विशाल मैदान एवं ढ़लान चंदेल की खासियत है। चौतरफा आैषधीय वनस्पतियों के सघन वन क्षेत्र अपनी विशिष्टता से चंदेल को काफी कुछ खास बना देते हैं। आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध से चंदेल सदैव महकता रहता है। 

   चौतरफा प्रकृति का अनुपम उपहार चंदेल की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। वस्तुत: मणिपुर का यह क्षेत्र जनजातीय आबादी से आच्छादित है। लिहाजा पर्यटक जनजातीय संस्कृति एवं लोक रंंजकता का भी भरपूर आनन्द ले सकते हैं। खास यह है कि चंदेल का जनजातीय आतिथ्य देश में बेहद प्रसिद्ध है।

   चंदेल की यात्रा करनी है तोे फरवरी से दिसम्बर की अवधि में यात्रा करनी चाहिए। सर्दियों में यात्रा का आनन्द लेना हो तो दिसम्बर से फरवरी की अवधि में यात्रा करनी चाहिए। 

   जिससे प्रकृति के हर सुन्दर आयाम का आनन्द उठा सकें। कारण यह कि चंदेल में सर्दियों का अपना एक अलग ही आनन्द होता है। चंदेल एवं उसके आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है। 
   इनमें खास तौर से तेंगनोपाल, मोरे एवं यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ आदि इत्यादि हैं। यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ वस्तुत: एक शानदार वन्य जीव अभयारण्य है।

   तेंगनोपाल: तेंगनोपाल वस्तुत: प्राकृतिक सौन्दर्य का एक सुन्दर आयाम है। समुद्र तल से करीब करीब 2500 फुट से 10000 फुट की ऊंचाई पर स्थित तेंगनोपाल बेहद आकर्षक है। वस्तुत: यह क्षेत्र प्राचीन राजवंशीय क्षेत्र है।

  मान्यता है कि पखंगा शासक का तेंगनोपाल में प्रवास हुआ करता था। बराक एवं मणिपुर की सुन्दर झिलमिलाती नदी के मध्य रचा बसा तेंगनोपाल अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए बेहद प्रसिद्ध है। 
   चंदेल से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ी पर तेंगनोपाल पर आैषधीय वनस्पतियों का खजाना है। यहां से मणिपुर का प्राकृतिक सौन्दर्य अति दर्शनीय प्रतीत होता है। यहां से आसपास की सुन्दर झीलें बेहद लुभावनी प्रतीत होती हैं।
   मोरे: मोरे चंदेल से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित एक अति दर्शनीय क्षेत्र है। भारत म्यांमार के सीमा क्षेत्र में स्थित पर्यटकों का बेहद पसंदीदा है। प्रकृति प्रेमियों के लिए मोरे किसी स्वर्ग से कम नहीं है। मोरेे वस्तुत: मणिपुर का कामर्शियल हब है। लिहाजा पर्यटक मोरे में खरीदारी का शौक भी पूरा कर सकते हैं।
   यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ वन्य जीव अभयारण्य: यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ वन्य जीव अभयारण्य वस्तुत: चंदेल की शान एवं शोभा है। करीब 185 वर्ग किलोमीटर में फैला अभयारण्य पक्षियों का एक शानदार आशियाना है। 

   आैषधीय वनस्पतियों से आच्छादित यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ वस्तुत: विलुप्त वन्य जीवों का सरक्षण क्षेत्र भी है। इस अभयारण्य में खास तौर से काले हिमालयन भालू, शेर, चीता, बाघ, जंगली भालू आदि इत्यादि हैं।

    चंदेल हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट इम्फाल एयरपोर्ट है। इम्फाल एयरपोर्ट से चंदेल हिल स्टेशन की दूरी करीब 49 किलोमीटर है।
   निकटतम रेलवे स्टेशन दीमापुर रेलवे जंक्शन है। दीमापुर रेलवे स्टेशन से चंदेल हिल स्टेशन की दूरी करीब 178 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी चंदेल हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
24.327380,93.992580

Sunday, 29 December 2019

नेेतरहाट: सौन्दर्य का अद्भुत संगम

   नेतरहाट को प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत एवं विलक्षण संगम कहा जाना चाहिए। जी हां, नेतरहाट का प्राकृतिक सौन्दर्य अति दर्शनीय है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। 

    भारत के झारखण्ड के लातेहार का यह शानदार एवं सुन्दर पर्यटन स्थल पर्यटकों का बेहद पसंदीदा क्षेत्र है। नेतरहाट वस्तुत: आदिवासी बाहुल्य इलाका है। लिहाजा पर्यटक यात्रा के दौरान आदिवासी संस्कृति का भी आनन्द ले सकते हैं।

   आैषधीय वनस्पतियों से आच्छादित सघन वन क्षेत्र नेतरहाट की विशिष्टता है। लिहाजा नेतरहाट का इलाका आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध से महकता रहता है। नेतरहाट का स्थानीयता में शाब्दिक अर्थ 'बांस का बाजार" होता है। 

   वस्तुत: देखेें तो प्रकृति ने नेतरहाट को बहुत ही खूबसूरती से सजाया है। समुद्र तल से करीब 3622 फुट की ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट झारखण्ड का एक अति दर्शनीय पर्यटन क्षेत्र है।
  झारखण्ड की राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित नेतरहाट अपने अद्भुत एवं विलक्षण सौन्दर्य के लिए वैश्विक ख्याति रखता है। 

   खास यह है कि नेतरहाट पर प्रकृति के शानदार दर्शन होते हैं। सूर्योदय एवं सूर्यास्त का लालिल्य एवं इन्द्रधनुषी छटा देखते ही बनती है। इसे छोटा नागपुर की रानी भी कहा जाता है। नेतरहाट की विशिष्टता झील एवं झरने हैं। 

   लिहाजा इनका अवलोकन किये बिना नेतरहाट की यात्रा अधूरी होगी। नेतरहाट एवं आसपास प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान हैं। इनमें खास तौर से सनराइज प्वाइंट, मंगोलिया प्वाइंट, ऊपरी घाघरी झरना, निचली घाघरी झरना, लोध झरना एवं चीड़ वन आदि इत्यादि हैं। 
   सनराइज प्वाइंट: सनराइज प्वाइंट नेतरहाट का विशिष्ट स्थान है। खास यह है कि उगते सूरज का दर्शन बेहद रोमांचक एवं दर्शनीय होता है। विशेषज्ञों की मानें तो सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अद्भुत दर्शन नेतरहाट के अलावा अन्य कहीं भी मुश्किल है। सघन वन क्षेत्र में स्थित सनसेट प्वाइंट पर सुबह एवं सांझ पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है।
   मंगोलिया प्वाइंट: मंगोलिया प्वाइंट ढ़लते सूरज की दर्शनीयता का खास प्वाइंट है। मंगोलिया प्वाइंट को प्रेम दर्शन का भी स्थल माना जाता है। मंगोलिया प्वाइंट एक ब्रिटिश युवती की प्रेम कथा पर आधारित है। 

   मान्यता है कि ब्रिाटिश युवती मंगोलिया एक चरवाहे की बांसुरी की धुन से प्रभावित थी। युवती उस चरवाहे से प्रेम करने लगी थी लेकिन परिजनों को यह प्रेम स्वीकार नहीं था। 
   लिहाजा मंगोलिया नामक युवती ने इस पहाड़ी से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। लिहाजा इस सनसेट प्वाइंट को मंगोलिया प्वाइंट कहा जाने लगा। इसे लवर्स प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है।
   ऊपरी घाघरा झरना: ऊपरी घाघरा झरना नेतरहाट से करीब 4 किलोमीटर दूर स्थित है। यह एक अति सुन्दर एवं दर्शनीय पिकनिक स्पॉट है। यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को सम्मोहित कर लेता है।
   निचली घाघरा झरना: निचली घाघरा झरना नेतरहाट से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित है। घने जंगलों के बीच स्थित इस झरना का प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है। करीब 32 फुट की ऊंचाई से गिरते इस झरना को देखने के लिए पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है। 
   लोध झरना: लोध झरना नेतरहाट सेे करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित है। बुरहा नदी का हिस्सा यह शानदार झरना अति दर्शनीय है। करीब 468 फुट की ऊंचाई से गिरने वाला यह झरना झारखण्ड का सबसे ऊंचा झरना माना जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो इस झरना की प्रतिध्वनि करीब 10 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है। 
   चीड़ वन: चीड़ वन नेतरहाट का एक शानदार अभयारण्य है। आैषधीय वनस्पतियों की प्रचुरता इस अभयारण्य को काफी कुछ विशिष्ट बना देती है। यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों को लुभाता है।
   नेतरहाट की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट बिरसा मुंडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट रांची है। एयरपोर्ट से नेतरहाट की दूरी करीब 155 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन रांची जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी नेतरहाट की यात्रा कर सकते हैं।
23.744800,84.507600

Monday, 16 December 2019

विलियम नगर: बादलों का रोमांच

   विलियम नगर को अद्भुत एवं विलक्षण पर्यटन कहा जाना चाहिए। जी हां, विलियम नगर का प्राकृतिक सौन्दर्य बेहद दर्शनीय है। यहां की जलवायु बेहद शीतल एवं रोमांचक है। 

   शायद इसी लिए इसे पूर्वोत्तर भारत की रोमांचक धरती का खिताब हासिल है। पर्वत श्रंखलाओं एवं बादलों की गोद में रचा बसा विलियम नगर वस्तुत: धरती का स्वप्नलोक है। भारत के मेघालय के जिला पूर्वी गारो हिल्स का विलियम नगर पूर्वोत्तर भारत का आदर्श पर्यटन माना जाता है।

   विलियम नगर का प्राकृतिक सौन्दर्य अति दर्शनीय है। प्रकृति प्रेमियों के लिए विलियम नगर किसी स्वर्ग से कम नहीं है। पूर्वी गारोे हिल्स का हिस्सा विलियम नगर वस्तुत: मेघालय के प्रथम मुख्यमंत्री कैप्टन विलियमसन ए संगमा के नाम से जाना पहचाना जाता है।

   विशेषज्ञों की मानें तोे विलियम नगर मेघालय का आदर्श पर्यटन क्षेत्र है। पर्यटक विलियम नगर की यात्रा कर मेघालय की शहरी जीवन शैली एवं पारम्परिक संस्कृति के दर्शन कर सकते है। खास यह कि चौतरफा पहाड़ों से घिरा विलियम नगर बेहद शांत एवं शीतल पर्यटन क्षेत्र है। 

   मेघालय को बादलों का घर भी कहा जाता है। जाहिर सी बात है कि विलियम नगर भी बादलों से अछूता नहीं होगा। पर्यटकों को बादलोें की शांत शीतलता बेहद रोमांचित कर देती है। लिहाजा यात्रा के दौरान पर्यटक बेहद प्रफुल्लित रहते हैं। बादलों की घुमक्कड़ी विलियम नगर की खासियत है। 

   आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध परिवेश को काफी कुछ विशेष बना देती है। विलियम नगर एवं उसके आसपास आकर्षक एवंं रोमांचक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है।
  इनमें खास तौर से सिमसांग नदी, नाफाक झील, नाका चिकोंग एवं रोंगरेनगिरी आदि इत्यादि बेहद दर्शनीय हैं। बादलों की घुमक्कड़ी के साथ ही झील, झरने एवं नदियां विलियम नगर की शान एवं शोभा हैं।

    सिमसांग नदी: सिमसांग नदी यहां की सबसे प्रसिद्ध नदी है। इसे सोमेश्वरी के नाम से भी जाना पहचाना जाता है। खास यह कि यह नदी विलियम नगर के मध्य से होकर गुजरती है। 
   इस नदी का उद्गम अर्थात रुाोत नोकरेक चोटी है। नदी एवं आसपास का इलाका अद्भुत सौन्दर्य के लिए जाना पहचाना जाता है। पर्यटक नदी में नौकायन एवं जलक्रीड़ा का आनन्द ले सकते हैं। 
   नाफाक झील: नाफाक झील विलियम नगर का एक खास आकर्षण है। स्वच्छ एवं निर्मल जल वाली नाफाख झील बेहद सुन्दर एवं दर्शनीय है। झील के आसपास का सौन्दर्य देखते ही बनता है। पर्यटक झील में मछलियों को पकड़ने का शौक भी पूरा कर सकते हैं। 
   रोंगबैंग झरना: रोंगबैंग झरना विलियम नगर का मुख्य आकर्षण है। यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य बेहद अद्भुत एवं आश्चर्यजनक है। यह खूबसूरत झरना तुरा विलियम नगर रोड पर स्थित है।

  मानसून के मौसम में झरना का सौन्दर्य आैर भी अधिक बढ़ जाता है। खास कर प्रकृति प्रेमियों के लिए यह झरना किसी स्वर्ग से कम नहीं है। इसे एक शानदार पिकनिक स्पॉट भी कह सकते हैं। 
   नाका चिकोंग: नाका चिकोंग एक शानदार दर्शनीय स्थल है। मुख्य शहर विलियम नगर से करीब 120 किलोमीटर दूर नाका चिकोंग एक आदर्श पर्यटन क्षेत्र है। 
   दरअसल, नाका चिकोंग एक विशाल चट्टानी पत्थर है। इस विशाल पत्थर में एक विशाल गड्ढ़ा है। इस गड्ढ़ा में रंगविरंगी मछलियां हैं। यहां का परिदृश्य बेहद रोमांचक है। 
   रोंगरेनगिरी: रोंगरेनगिरी सिमसांग नदी केे किनारे पर स्थित है। यहां गारो जाति के महान योद्धा पा टोगन का स्मारक है। इस स्मारक को शौर्य का प्रतीक माना जाता है। आसपास आैषधीय वनस्पतियों का क्षेत्र इस स्थल को आैर अधिक सुन्दर बना देता है।

    विलियम नगर की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट शिलांग एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी रेलवे जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी विलियम नगर की यात्रा कर सकते हैं।
25.508800,90.603200

Wednesday, 4 December 2019

मामित हिल स्टेशन: सुगंध का खजाना

   मामित हिल स्टेशन को प्राकृतिक सौन्दर्य एवं आैषधीय वनस्पतियों का खजाना कहना चाहिए। मनमोहक सुरम्य वातावरण एवं विशिष्टता से आच्छादित मामित हिल स्टेशन का प्राकृतिक सौन्दर्य अतुलनीय है।

   शायद इसी लिए यह शानदार हिल स्टेशन चुनिंदा हिल स्टेशन में शीर्ष पर माना जाता है। भारत के मिजोरम का यह सुन्दर हिल स्टेशन अति दर्शनीय है। खास यह कि आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध से परिवेश सदैव महकता रहता है। लिहाजा पर्यटक एक विशेष ताजगी का एहसास करते हैं। 

   शायद इसीलिए मामित हिल स्टेशन को आैषधीय वनस्पतियों का कटोरा कहा जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो मामित हिल स्टेशन मिजोरम के आदर्श हिल स्टेशन में एक है। इसे प्रमुख दर्शनीय पर्यटन का खिताब हासिल है। मामित वस्तुत: एक शानदार पर्वतीय शहर है।

   विशेषज्ञों की मानेें तो मामित मिजोरम का चौथा सबसे बड़ा जिला है। मामित जितना बड़ा है, उतना ही सुन्दर एवं समृद्ध है। इस शहर की दिव्यता-भव्यता अति दर्शनीय है। लिहाजा पर्यटक एक खास रोमांच का एहसास करते हैं। मामित वस्तुत: खास मेहमानवाजी के लिए जाना एवं पहचाना जाता है। 

   लिहाजा मामित हिल स्टेशन पर पर्यटकों का स्वागत एक अतिथि की भांति होता है। ऐसे में खास तौर अतिथि देवो भव: का संदेश मामित हिल स्टेशन पर साक्षात साकार होते दिखता है। 

   मामित हिल स्टेशन मिजोरम का खास आकर्षण होने के साथ यह दो अन्य राज्यों की सीमाओं से भी जुड़ा है। लिहाजा मामित हिल स्टेशन का अपना एक अलग आकर्षण है। मामित हिल स्टेशन की सीमायें असम एवं त्रिपुरा का स्पर्श करती हैं।

   मामित हिल स्टेशन की यात्रा का सबसे बेहतरीन समय नवम्बर से मार्च की अवधि है। यहां शांत शीतलता का एहसास मन मस्तिष्क को प्रफुल्लित कर देता है। पर्वतारोहियों के लिए मामित हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं है।

   समुद्र तल से करीब 2841 फुट की ऊंचाई पर स्थित मामित हिल स्टेशन बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ इलाका है। 

   चौतरफा पर्वतमालाओं का प्राकृतिक सौन्दर्य दिखता है तो वहीं सूर्यास्त एवं सूर्योदय का लालित्य अति दर्शनीय होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।

    आैषधीय वनस्पतियों के इस सघन वन क्षेत्र में वन्य जीवों का कोलाहल भी अति रोमांचक एहसास कराता है। जीव जन्तुओं एवं आैषधीय वनस्पतियों का यह हिल स्टेशन अपनी आगोश में विविधिता एवं विशिष्टता का खजाना रखता है। 

   वर्ष 1985 में मामित हिल स्टेशन के एक हिस्से को बाघ संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। करीब 500 वर्ग किलोमीटर के दायरे वाले इस अभयारण्य को दम्पा बाघ संरक्षित क्षेत्र के नाम से जाना एवं पहचाना जाता है। बाघ वंश की दहाड़ रात में अक्सर परिवेश को अनुगूंजित करती है।

    मामित हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोेर्ट लंगपुई एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन सिल्चर जंक्शन है। सिल्चर रेलवे स्टेशन से मामित हिल स्टेशन की दूरी करीब 139 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी मामित हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
23.928530,92.490480

Tuesday, 3 December 2019

आइजोल: प्रकृति का रोमांचक एहसास

   आइजोल को प्रकृति का एक मखमली एवं रोमांचक एहसास कहना चाहिए। जी हां, आइजोल प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज एक आकर्षक पर्यटन क्षेत्र है। 

   भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम की राजधानी आइजोल का प्राकृतिक सौन्दर्य अति दर्शनीय है। मिजोरम का सबसे बड़ा एवं खूबसूरत शहर आइजोल को 'हाईलैंडर्स का घर" भी कहा जाता है। प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक समृद्धता से आच्छादित आइजोल आइडियल टूरिज्म प्वांइट है। 

   बादलों की गोद में रचा-बसा यह शहर पौराणिक एवं ऐतिहासिकता को भी रेखांकित करता है। समुद्र तल से करीब 1132 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आइजोल मिजोरम का मुख्य पर्यटन स्थल है। त्लावंग नदी एवं तुईरियल नदी के मध्य बसा आइजोल शांत एवं शीतल परिवेश प्रदान करता है। 

   चौतरफा पर्वत श्रंखलाओं की खूूबसूरती पर्यटकों को लुभाती है तो वहीं मखमली घास के विशाल मैदान एवं ढ़लान पर्यटकों को एक मखमली एहसास देते हैं। 
   झीलों, झरनों एवं नदियों से आच्छादित यह पर्यटन क्षेत्र आकर्षण की एक लम्बी श्रंखला रखता है। मिजोरम राज्य संग्रहालय, दुर्तलांग पहाड़ियां, बकतवांग गांव, सोलोमन मंदिर आदि इत्यादि आइजोल की खूबसूरती हैं। 

   खास यह है कि 21 खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा मिजोरम प्राकृतिक सौन्दर्य का इन्द्रधनुष है। मिजोरम के मुख्य आकर्षण को देखें तो चम्फाई, लुंगलेई, सेरछिप एवं लोंगतलाई आदि इत्यादि हैं। मिजोरम इस शानदार प्राकृतिक सौन्दर्य में पर्यटक खो जाते हैं। 

   आइजोल पर बादलों का कदमताल करना बेहद रोमांचक प्रतीत होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे बादल पर्यटकों की गोद में हों। तन मन को अभिसिंचित करने वाला यह परिदृृश्य बेहद रोमांचक होता है।  
   चम्फाई: चम्फाई वस्तुत: मिजोरम की एक अति दर्शनीय पहाड़ी है। समुद्र तल से करीब 1678 मीटर ऊंचाई पर स्थित चम्फाई मखमली घास के मैदानों के लिए प्रसिद्ध है। चम्फाई पहाड़ी से म्यांमार की खूबसूरती भी दिखती है। 

   म्यांमार का अद्भुत एवं विलक्षण दृश्यावलोकन पर्यटकों को रोमांचित कर देता है। स्वादिष्ट फलों के बागान चम्फाई की शान एवं शोभा हैं। विशेषज्ञों की मानें तो चम्फाई मिजोरम का सबसे अधिक फल उत्पादन करने वाला इलाका है। शायद इसीलिए चम्फाई को फलों का कटोरा भी कहा जाता है। चम्फाई पौराणिकता एवं ऐतिहासिकता को भी रेखांकित करता है। 

    लुंगलेई: लुंगलेई मिजोरम का दूसरा सबसे शहर है। राज्य की राजधानी आइजोल से अधिक ऊंचाई पर बसा लुंगलेई का आकार-प्रकार पुल जैसा है। मिजोरम की खूबसूरती निहारने के लिए लुंगलेई को अति आदर्श स्थान माना जाता है। 
   चौतरफा पर्वत श्रंखलाओं की खूबसूरती एवं मखमली हरियाली पर्यटकों को मुग्ध कर लेती है। यहां की समृद्ध संस्कृति पर्यटकों को लुभाती है। 

   सेरछिप: सेरछिप मिजोरम का आदर्श एवं मुख्य पर्यटन गंतव्य है। तुड़कम नदी के किनारे स्थित सेरछिप का प्राकृतिक सौन्दर्य अति दर्शनीय है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। 

   सेरछिप खास तौर से वॉटर फॉल्स के लिए जाना पहचाना जाता है। म्यांमार की सीमा से सटा यह इलाका बेहद रोमांचक है। सेरछिप वस्तुत: हस्तशिल्प के लिए जाना एवं पहचाना जाता है। पर्यटक सेरछिप पर खूबसूरत हस्तशिल्प उत्पाद की खरीदारी कर सकते हैं। 
   लोंगतलाई: लोंगतलाई आैषधीय वनस्पतियों से आच्छादित सघन वन वाला पर्यटन इलाका है। सघन वन क्षेत्र का यह इलाका रोमांचक गतिविधियों के लिए खास तौर से प्रसिद्ध है। यहां खास तौर से प्रकृति के स्पर्श का एहसास होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे प्रकृति की गोद में आ गये हों।

    आइजोल की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट लेंगपुई एयरपोर्ट है। निकटतम रेलवे स्टेशन बैराबी रेलवे जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी आइजोल की यात्रा कर सकते हैं।
23.735900,92.733700

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...