Tuesday, 31 December 2019

चंदेल हिल स्टेशन: बादलों का आशियाना

   चंदेल हिल स्टेशन को पर्वतीय सौन्दर्य का इन्द्रधनुषी आयाम कहा जाना चाहिए। जी हां, चौतरफा पर्वत श्रंखलाओं से घिरा चंदेल वस्तुत: एक शानदार छोटा शहर है। 

   इस शहर में गांव की सोंधी सुगंध का एहसास किया जा सकता है। इसे बादलों का आशियाना भी कह सकते हैं। भारत के मणिपुर का चंदेल वस्तुत: उत्तर-पूर्व दिशा में पहाड़ियों के मध्य रचा-बसा एक सुन्दर शहर है। भारत के पड़ोेसी देश म्यांमार से लगा होने के कारण इसे सीमावर्ती पर्यटन भी कह सकते हैं।

  चंदेल का अद्भुत एवं विलक्षण सौन्दर्य पर्यटकों को सम्मोहित कर लेता है। चंदेल पर बादलों की घुमक्कड़ी पर्यटकों को बेहद रोमांचित करती है। बादलों का मखमली स्पर्श पर्यटक कभी भूल नहीं पाते हैं।

   शायद इसीलिए चंदेल हिल स्टेशन पर्यटकों का बेहद पसंदीदा पर्यटन क्षेत्र है। मखमली घास के विशाल मैदान एवं ढ़लान चंदेल की खासियत है। चौतरफा आैषधीय वनस्पतियों के सघन वन क्षेत्र अपनी विशिष्टता से चंदेल को काफी कुछ खास बना देते हैं। आैषधीय वनस्पतियों की सुगंध से चंदेल सदैव महकता रहता है। 

   चौतरफा प्रकृति का अनुपम उपहार चंदेल की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। वस्तुत: मणिपुर का यह क्षेत्र जनजातीय आबादी से आच्छादित है। लिहाजा पर्यटक जनजातीय संस्कृति एवं लोक रंंजकता का भी भरपूर आनन्द ले सकते हैं। खास यह है कि चंदेल का जनजातीय आतिथ्य देश में बेहद प्रसिद्ध है।

   चंदेल की यात्रा करनी है तोे फरवरी से दिसम्बर की अवधि में यात्रा करनी चाहिए। सर्दियों में यात्रा का आनन्द लेना हो तो दिसम्बर से फरवरी की अवधि में यात्रा करनी चाहिए। 

   जिससे प्रकृति के हर सुन्दर आयाम का आनन्द उठा सकें। कारण यह कि चंदेल में सर्दियों का अपना एक अलग ही आनन्द होता है। चंदेल एवं उसके आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला विद्यमान है। 
   इनमें खास तौर से तेंगनोपाल, मोरे एवं यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ आदि इत्यादि हैं। यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ वस्तुत: एक शानदार वन्य जीव अभयारण्य है।

   तेंगनोपाल: तेंगनोपाल वस्तुत: प्राकृतिक सौन्दर्य का एक सुन्दर आयाम है। समुद्र तल से करीब करीब 2500 फुट से 10000 फुट की ऊंचाई पर स्थित तेंगनोपाल बेहद आकर्षक है। वस्तुत: यह क्षेत्र प्राचीन राजवंशीय क्षेत्र है।

  मान्यता है कि पखंगा शासक का तेंगनोपाल में प्रवास हुआ करता था। बराक एवं मणिपुर की सुन्दर झिलमिलाती नदी के मध्य रचा बसा तेंगनोपाल अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए बेहद प्रसिद्ध है। 
   चंदेल से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ी पर तेंगनोपाल पर आैषधीय वनस्पतियों का खजाना है। यहां से मणिपुर का प्राकृतिक सौन्दर्य अति दर्शनीय प्रतीत होता है। यहां से आसपास की सुन्दर झीलें बेहद लुभावनी प्रतीत होती हैं।
   मोरे: मोरे चंदेल से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित एक अति दर्शनीय क्षेत्र है। भारत म्यांमार के सीमा क्षेत्र में स्थित पर्यटकों का बेहद पसंदीदा है। प्रकृति प्रेमियों के लिए मोरे किसी स्वर्ग से कम नहीं है। मोरेे वस्तुत: मणिपुर का कामर्शियल हब है। लिहाजा पर्यटक मोरे में खरीदारी का शौक भी पूरा कर सकते हैं।
   यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ वन्य जीव अभयारण्य: यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ वन्य जीव अभयारण्य वस्तुत: चंदेल की शान एवं शोभा है। करीब 185 वर्ग किलोमीटर में फैला अभयारण्य पक्षियों का एक शानदार आशियाना है। 

   आैषधीय वनस्पतियों से आच्छादित यैंगेंगपोक्पी लोकचाओ वस्तुत: विलुप्त वन्य जीवों का सरक्षण क्षेत्र भी है। इस अभयारण्य में खास तौर से काले हिमालयन भालू, शेर, चीता, बाघ, जंगली भालू आदि इत्यादि हैं।

    चंदेल हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट इम्फाल एयरपोर्ट है। इम्फाल एयरपोर्ट से चंदेल हिल स्टेशन की दूरी करीब 49 किलोमीटर है।
   निकटतम रेलवे स्टेशन दीमापुर रेलवे जंक्शन है। दीमापुर रेलवे स्टेशन से चंदेल हिल स्टेशन की दूरी करीब 178 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी चंदेल हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
24.327380,93.992580

No comments:

Post a Comment

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...