Friday, 30 November 2018

मलमपुझा हिल स्टेशन: बेजोड़ सुन्दरता

   मलमपुझा हिल स्टेशन की प्राकृतिक सुन्दरता का कोई जोड़ नहीं। जी हां, मलमपुुझा हिल स्टेशन का सौन्दर्य देख कर प्रतीत होता है कि जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। 

   केरल के पलक्कड़ जिला का यह सुन्दर हिल स्टेशन देश विदेश में खास ख्याति रखता है। चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य की निराली छटा पर्यटकों को मुग्ध कर लेती है। 

   खास यह कि मलमपुझा हिल स्टेशन पर प्राकृतिक सौन्दर्य बोध कराने वाले उद्यानों की एक लम्बी श्रंखला है। मनोरंजन पार्क से लेकर रॉक गार्डेन तक हिल स्टेशन पर बहुत कुछ लुभावना है। रोपवे मलमपुझा हिल स्टेशन का विशेष आकर्षण है। 

   आशय यह कि मलमपुझा हिल स्टेशन मनोरंजन की सभी आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति करता है। सुन्दर पर्वत श्रंखला एवं मखमली घास के हरे-भरे आकर्षक लॉन-मैदान पर्यटकों के दिल में बस जाते हैं। रॉक गार्डेन एवं मछली घर मलमपुझा हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। 

   प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच वास्तु संरचनाएं कुछ अलग ही अंदाज बयां करती हैं। मलमपुझा बांध मलमपुझा हिल स्टेशन एवं आसपास के इलाके की लाइफ लाइन है। मलमपुझा बांध एवं आसपास का इलाका सौन्दर्य की एक नई एवं अलग इबारत गढ़ता है।

   लिहाजा मलमपुझा हिल स्टेशन पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन क्षेत्र बन गया है। मलमपुझा हिल स्टेशन वस्तुत: पश्चिमी घाटों का सुन्दर पर्यटन स्थल है। मलमपुझा हिल स्टेशन एवं आसपास इलाकों में मलमपुझा बांध सहित कई अन्य आकर्षण हैं। खास तौर से मलमपुझा गार्डेन, मलमपुझा बांध, सांप पार्क, यक्षी मूर्ति, काल्पनिक पार्क, रॉक गार्डेन, पलक्कड़, जलाशय आदि बहुत कुछ है।

  मलमपुझा गार्डेन: मलमपुझा गार्डेन वस्तुत: केरल का वृंदावन है। गार्डेन में प्राचीनता एवं रचनात्मकता का दर्शन होता है। 
   मलमपुझा बांध: मलमपुझा बांध वस्तुत: इस इलाके की लाइफ लाइन है। यह बांध केरल की सबसे बड़ी सिंचाई सरंचना है। बांध का निर्माण 1955 में किया गया था। बांध की ऊंचाई करीब 115.05 मीटर है। इसके चौतरफा पर्यटन क्षेत्र विकसित किया गया है। जिससे बांध क्षेत्र एक आदर्श पिकनिक स्पॉट के तौर पर खास जाना पहचाना जाता है। 
   सांप पार्क: सांप पार्क वस्तुत: मलमपुझा बांध एवं गार्डेन के बीच का क्षेत्र है। सांपों की देखभाल एवं संरक्षण का विशेष क्षेत्र है।
   यक्षी मूर्ति: यक्षी मूर्ति मलमपुझा हिल स्टेशन का एक सुन्दर नगीना है। यक्षी मूर्ति क्षेत्र वस्तुत: मलमपुझा गार्डेन से घिरा हुआ इलाका है। सुन्दर एवं समृद्ध हरियाली से आच्छादित यह इलाका विशेष आकर्षण रखता है। यहां नक्काशी दर्शनीय है। 

  काल्पनिक पार्क: काल्पनिक पार्क एक सुन्दर परिसर है। पिकनिक की दृष्टि से बेहतरीन स्थान है।
   रॉक गार्डेन: रॉक गार्डेन वस्तुत: दक्षिण भारत का इकलौता रॉक कट बगीचा है। इसकी सुन्दर संरचना केरल के प्रसिद्ध कलाकार नेकचंद सैनी ने की थी। 

    इसकी सुन्दरता देखते ही बनती है। रॉक गार्डेन की विशेषता सौन्दर्य बोध है। इसमें चूडियां, टाइल्स, प्लास्टिक एवं अन्य विभिन्न आकार-प्रकार का अपशिष्ट प्रयोग किया गया है।
  खास यह कि अवांछित एवं टूटे-फूटे वस्तुओं का बेहतरीन उपयोग किया गया है। रॉक गार्डेन का सौन्दर्य पर्ययकों को विशेष तौर से आकर्षित करता है। 
   पलक्कड़: पलक्कड़ वस्तुत: पर्वत श्रंखलाओं, विशाल वन क्षेत्र, नदियों, झीलों-झरनों का इलाका है। यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है।
   जलाशय: जलाशय वस्तुत: जल विहार का क्षेत्र है। पर्यटक यहां नौैकायन का आनन्द ले सकते हैं। पानी के स्कूटर की सवारी का लुफ्त उठाया जा सकता है। मोटर वोट की दौड़ तो देखते ही बनती है।

    मलमपुझा हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कोयम्बटूर है। कोयम्बटूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से मलमपुझा हिल स्टेशन की दूरी करीब 55 किलोमीटर है। 
  निकटतम रेलवे स्टेशन पलक्कड़ जंक्शन है। पलक्कड़ जंक्शन से मलमपुझा हिल स्टेशन की दूरी करीब 7 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।
10.818600,76.664790

Monday, 26 November 2018

सेनापति हिल स्टेशन: धरती का स्वर्ग

   सेनापति हिल स्टेशन को धरती का स्वर्ग कहा जाना चाहिए। जी हां, मणिपुर स्थित सेनापति हिल स्टेशन प्राकृतिक सुन्दरता का एक विशिष्ट आयाम है। 

   वनस्पतियों से आच्छादित सघन वन क्षेत्र सेनापति हिल स्टेशन को कुछ खास बना देता है। समुद्र तल से करीब 1788 मीटर ऊंचाई पर स्थित सेनापति हिल स्टेशन को बादलों का घर भी कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। 

   खास यह कि सेनापति हिल स्टेशन की समुद्र तल से कहीं ऊंचाई 1062 मीटर है तो पर्वत श्रंखलाओं की ऊंचाई 1788 मीटर भी है। 

   शांत एवं सुरम्य वादियों-घाटियों वाला यह हिल स्टेशन वास्तविकता में प्राकृतिक सम्पदाओं का खजाना है।
   सेनापति हिल स्टेशन की जलवायु भी रोमांच पैदा करने वाली होती है। शांत एवं शीतल हवा के मध्य बादलों की आवाजाही भी एक सुखद एहसास कराती है। 
   नदियों, झीलों एवं झरनों वाला सेनापति हिल स्टेशन मणिपुर प्रांत का चौथा सबसे बड़ा जिला है। खास यह कि सेनापति हिल स्टेशन का 66 प्रतिशत से अधिक हिस्सा वन आच्छादित है। कृषि उपयोग क्षेत्र भी 20 प्रतिशत से अधिक नहीं है।

    लिहाजा चौतरफा एक सुरम्य शीतलता एवं शांति का परिवेश है। मखमली घास के सुरम्य मैदान एवं ढ़लान बेहद दर्शनीय एवं लुभावने हैं। जिससे पर्यटक रोमांचक स्पर्श का एहसास करते हैं। सेनापति हिल स्टेशन की जलवायु को प्राणवाहिनी कहा जाना चाहिए। 

   कारण सेनापति हिल स्टेशन की जलवायु भरपूर आक्सीजन प्रदान करती है। ऐसी ताजगी जैसे पंख लग जाएं। 
  सेनापति हिल स्टेशन में संस्कृति, तीज-त्योहार एवं परम्पराओं की एक लम्बी श्रंखला है। चागा नजी सेनापति हिल स्टेशन का विशेष एवं पवित्र पर्व-त्योेहार है। 

   चागा नजी पवित्रता एवं शुद्धिकरण के लिए मनाया जाता है। लिआंगमाई नागाओं का पर्व है। थौनिल एक सांस्कृतिक पर्व है। थौनिल का आयोजन 5 जनवरी को किया जाता है। थौनिल का उद्देश्य सांस्कृतिक उत्थान, सामाजिक संवाद, पारिवारिक पुर्नमिलन आदि को समर्पित होता है। 

    पुमाई नागाओं का विशेष पर्व है। लौनिल पौधरोपण का विशेष पर्व है। पौमाई नागाओं का यह पर्व खास तौर से भाई एवं बहन को समर्पित होता है। माओ नागाओं का पर्व चुथुनिखो सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करने वाला है। इसे सुबह का त्यौहार कहा जाता है। 

   सेनापति हिल स्टेशन एवं आसपास सुन्दर एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। कौब्राू पर्वत चोटी, कुब्राू लाइकहा, कंगपोक्पी, माओ गेट सहित बहुत कुछ आकर्षण हैं।
   कौब्राू पर्वत चोटी: कौब्राू पर्वत चोटी मणिपुर की सर्वाधिक ऊंची चोटी है। यह एक पर्वत समूह है। इस पर्वत की धार्मिक मान्यता भी है। लिहाजा इसे अति पवित्र माना जाता है। यहां एक लम्बी गुफा भी है। गुफा अति दर्शनीय है।
   कुब्राू लाइकहा: कुब्राू लाइकहा मणिपुर का प्रसिद्ध शिव मंदिर है। शिवरात्रि एवं कानवाड़ पर यहां भव्य दिव्य मेला का आयोजन होता है।
   माउंट इसू: माउंट इसू भी सेनापति हिल स्टेशन की ऊंची पर्वत चोटी में एक है। पर्यटक यहां से चौतरफा प्राकृतिक सौन्दर्य का विहंगम अवलोकन कर सकते हैं। 
   पुष्प वाटिका: पुष्प वाटिका वस्तुत: एक घाटी का सुरम्य स्थान है। इस घाटी की सुरम्यता के साथ ही सुगंध भी पर्यटकों को मुग्ध कर लेेती है। दुर्लभ लिली के सुन्दर फूलों सहित असंख्य प्रजातियों के फूल यहां शोभायमान होते हैं।
   यांगखुलेन: यांगखुलेन वस्तुत: प्राचीन संस्कृतियों से लबरेज एक सुन्दर गांव है।
   मरम खुलेन: मरम खुलेन सेनापति हिल स्टेशन का एक सुन्दर एवं प्राचीन गांव है। मानव विज्ञान एवं शोध के लिए यह गांव विशेष तौर से प्रसिद्ध है।
   सेनापति हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट इम्फाल है। निकटतम रेलवे स्टेशन दीमापुर जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी सेनापति हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
25.272060,94.026110

Sunday, 25 November 2018

उखरुल हिल स्टेशन: धरती का श्रंगार

   उखरुल हिल स्टेशन को धरती का श्रंगार कहना चाहिए। जी हां, उखरुल हिल स्टेशन की सुन्दरता पर्यटकों को मुग्ध कर लेती है। 

   मणिपुर का यह सुन्दर हिल स्टेशन शांत एवं शीतलता से लबरेज रहता है। समुद्र तल से करीब 1662 मीटर ऊंचाई पर स्थित उखरुल हिल स्टेशन प्रकृति प्रेमियों के लिए एक विशिष्ट एवं आदर्श स्थान है। चौतरफा मखमली घास की घाटियां-वादियां एक सुखद एहसास कराती हैं। 

   चौतरफा पर्वत श्रंखला से आच्छादित उखरुल हिल स्टेशन हमेशा शीतलता प्रदान करता है। लिहाजा सर्दी या गर्मी, उखरुल हिल स्टेशन हमेशा लाजवाब रहता है। तांगखल यहां का बेहतरीन स्थान है।

   उखरुल हिल स्टेशन की आदिवासी संस्कृति एवं परम्पराओं की विलक्षणता पर्यटकों को आकर्षित करती है। खूबसूरत पहाड़ों के बीच रचा-बसा उखरुल हिल स्टेशन एक समृद्ध संस्कृति का संवाहक है।
  खास यह कि यह हिल स्टेशन किसी स्वर्ग जैसा प्रतीत होता है। वन क्षेत्र की सघनता यहां की खासियत है।

  खास यह कि वनस्पतियों की सुगंध से वन क्षेत्र सहित हिल स्टेशन महकता रहता है। उखरुल हिल स्टेशन हवा की ताजगी का एक सुखद एहसास करता है। मानों फेफड़ों को पंख लग जाते हों। खास तौर से विदेशी लिली हिल स्टेशन की शोभा होती है। विदेशी लिली फूलों की प्रचुरता देखते ही बनती है। 

   उखरुल हिल स्टेशन की वनस्पतियों की गुणवत्ता एवं विशेषता कुछ खास ही महसूस होती है। विदेशी वनस्पति विशेषज्ञ फ्रैंक किंगड़न की मानें तो उखरुल हिल स्टेशन की वनस्पतियों की गुणवत्ता दुर्लभ श्रेणी में है।
   वनस्पतियों की गुणवत्ता एवं विशिष्टता से प्रभावित होकर किंगडन ने लिली को लिलियम मैकलिनिया नाम दिया था।

   हालांकि स्थानीय बाशिंदे सिरोय लिली कार्शोगवन कहते हैं। उखरुल हिल स्टेशन एवं उसके आसपास झीलें-झरनों एवं सुन्दर पार्कों की एक शानदार एवं श्रेष्ठ श्रंखला है। 

    डंकन पार्क एवं शद्दाई पार्क शानदार पिकनिक स्पॉट हैं। खयांग झरने यहां की सुन्दरता का नगीना हैं। निलाई चाय बागान सुगंध एवं विशिष्टता के लिए दूर-दूर तक जाना पहचाना जाता है। पर्यटक यहां चाय की खेती से लेकर चाय उत्पादन की प्रक्रिया समझ सकते हैं। 

   खांगखुई मैंगसर उखरुल हिल स्टेशन की एक विशिष्ट गुफा है। इसका पुरातात्विक महत्व है। चूंकि यह प्राचीनकालीन गुफा है। लिहाजा पर्यटकों की पसंदीदा है। प्राकृतिक सौन्दर्य से आच्छादित यह हिल स्टेशन जलवायु की विशिष्टता के लिए दूरदराज तक जाना जाता है। 

   करीब 4544 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला उखरुल प्राकृतिक सौन्दर्य का हर आयाम रखता है। उखरुल का अधिसंख्य हिस्सा पर्वतीय है। लिहाजा घूमने फिरने के शौकीन पर्यटकों के लिए यह विशेष है।
   उखरुल हिल स्टेशन की सर्वाधिक ऊंचाई वाली चोटी खयांग पर्वत चोटी है। खयांग चोटी की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 3114 मीटर है।
  लिलियम मैकलिनिया: लिलियम मैकलिनिया उखरुल की खास वनस्पतियों में एक है। इसे दुर्लभ शिरुई लिली भी कहा जाता है।

   खास यह कि यह वनस्पति शिरुई चोटी पर ही उगता है। पीली, नीली एवं गुलाबी पंखुड़ियों वाली लिलियम मैकलिनिया मई एवं जून की अवधि में खास तौर से खिलती है।
   शिरुई चोटी को 1988 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। इसमें शिरुई चोटी सहित आसपास के करीब 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को शामिल किया गया है।

   तांगखुल : तांगखुल वस्तुत: नागाओं की भूमि है। यह नागा सदियों पहले यहां बसे थे। यह आदिवासी क्षेत्र है। यहां की अपनी एक अलग संस्कृति एवं परम्परा है।

    उखरुल हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एवरपोर्ट दीमापुर है। दीमापुर एयरपोर्ट से उखरुल हिल स्टेशन की दूरी करीब 210 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन दीमापुर जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी उखरुल हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
25.084400,94.359100

Thursday, 22 November 2018

फेक हिल स्टेशन: प्राकृतिक सौन्दर्य

    फेक हिल स्टेशन की सुन्दरता एवं शीतलता का कोई जोड़ नहीं। जी हां, नागालैण्ड स्थित फेक हिल स्टेशन को बर्फीला हिल स्टेशन कहा जाना चाहिए।

   कारण इस हिल स्टेशन पर कई बार तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। फेक हिल स्टेशन की सबसे ऊंची पर्वत चोटी जानिबू चोटी है।
   जानिबू चोटी समुद्र तल से करीब 2400 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। साफ जाहिर है कि फेक हिल स्टेशन बेहद बर्फीला इलाका होगा। वस्तुत: फेक नागालैण्ड का एक सुन्दर एवं छोटा शहर है। 

   करीब 50 वर्ष पहले 1973 में फेक अस्तित्व में आया। समुद्र तल से आैसत से अधिक शीर्ष पर होने के कारण फेक हिल स्टेशन बेहद दर्शनीय एवं रोमांचक है। मखमली घास के मैदान एवं ढ़लान फेक की शोभा एवं शान हैं।

  चौतरफा सुगन्ध का परिवेश बेहद आकर्षक प्रतीत होता है। फेक हिल स्टेशन का 70 प्रतिशत से अधिक इलाका वन आच्छादित होने के कारण बेहद सुरम्य प्रतीत होता है। 

   बर्फबारी एवं बादलों की विलक्षण दोस्ती फेक में दिखती है। मन होता है कि बादलों को आगोश में भर लें। फेक हिल स्टेशन में ऊंचाई की विलक्षणता दिखती है। जिससे पर्र्यटक बेहद आकर्षित होते हैं।
   वस्तुत: फेक शहर एवं हिल स्टेशन समुद्र तल से करीब 1524 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। साथ ही फेक हिल स्टेशन की सर्वाधिक ऊंचे क्षेत्र जानिबू चोटी को देखें तो समुद्र तल से ऊंचाई करीब 2400 मीटर है।

   आबादी की दृष्टि से देखें तो फेक हिल स्टेशन एरिया का गांव पफुत्सेरो उच्चतम शिखर बिंदु पर स्थित है। पफुत्सेरो गांव समुद्र तल से करीब 2136 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।
   खास यह कि फेक हिल स्टेशन झीलों, झरनों, नदियों का इलाका है। खास तौर से देखें तो तिजू नदी, लानी नदी एवं अरचू नदी की खूबसूरती देखते ही बनती है। 

   शिल्लोई झील, चिड़ा झील एवं दाजुडू झील की सुन्दरता भी बेजोड़ है। वनस्पतियों से आच्छादित वन क्षेत्र इस सुन्दरता में चार चांद लगा देते हैं। फेक का शाब्दिक अर्थ स्थानीयता में अति सुन्दर है।
   विशेषज्ञों की मानें तो फेक का उद्भव फेकेरेकेज से हुआ है। फेकेरेकेज का शाब्दिक अर्थ घड़ी टॉवर होता है। फेक हिल स्टेशन की सुरम्यता एवं शीतलता पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती है।

   लिहाजा देश दुनिया के पर्यटक सौन्दर्य बोध में खीचें चले आते हैं। खास यह कि फेक हिल स्टेशन की जलवायु बेहद ऊर्जावान एवं आक्सीजन युक्त है। 
   मानसून में यहां का मौसम अति सुहाना होता है। बारिश देख कर मन मस्तिष्क प्रफुल्लित हो उठता है। देश की सीमा क्षेत्र का यह हिल स्टेशन अति विहंगमता प्रदान करता है। लिहाजा म्यामांर की सुन्दरता भी अवलोकित होती है। 

   खास यह कि भारत-म्यामांर का अवाखंग इंटरनेशनल बार्डर भी फेक में ही स्थित है। पर्यावरण प्रेमियों के लिए फेक हिल स्टेशन किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
   युवाओं एवं प्रेमियों के लिए तो फेक खास है। पर्यटक नागालैण्ड की लोक संस्कृति की झलक यहां देख सकते हैं। फेक हिल स्टेशन एवं आसपास सुन्दर एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है।
   इनमें खास तौर से फेक वन्य जीव अभ्यारण, ग्लोरी चोटी, शिलोई झील, फेक जलप्रपात, जुडु झील, खेजाकेनो गांव आदि इत्यादि बहुत कुछ है।
   फेक वन्य जीव अभ्यारण: फेक वन्य जीव अभ्यारण जैव विविधिता की प्रचुरता का क्षेत्र है। आैषधीय वनस्पतियों एवं जंगली वनस्पतियों की प्रचुरता के कारण फेक अभ्यारण को विशेष माना जाता है। जीव जन्तुओं की आश्रय स्थली फेक में एक मोहक हलचल दिखती है।
   ग्लोरी चोटी: ग्लोरी चोटी समुद्र तल से करीब 2600 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। पर्यटक ग्लोरी चोटी से आसपास का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। ग्लोरी चोटी को नागालैण्ड की सर्वाधिक ऊंचाई वाली चोटी माना जाता है। यह स्थान नागालैण्ड की राजधानी कोहिमा से करीब 70 किलोमीटर दूर है। यह एक आदर्श पिकनिक स्पॉट भी है।
   शिलोई झील: शिलोई झील वस्तुत: एक शानदार प्राकृतिक सुन्दरता से लबरेज इलाका है। शिलोई झील की सुन्दरता अति दर्शनीय है। यहां कई किवदंतियां जुड़ी हैं। कहावत है कि स्थानीय निवासियों को झील में एक नवजात बच्ची मिली थी। बच्ची को झील की राजकुमारी कहा गया। यह राजकुमारी ही झील की रक्षा करती हैं। झील फिशिंग एवं पक्षी विहार के लिए खास तौर से जानी जाती है।
    फेक जलप्रपात: फेक जलप्रपात नागालैण्ड का खास पर्यटन स्थल है। सघन वन क्षेत्र एवं पथरीली चट्टानों से प्रवाहित जल अति सुन्दर प्रतीत होता है।
   जुडु झील: जुडु झील को एक आदर्श पिकनिक स्पाट कहना बेहतर होगा। वस्तुत: यह झील जानिबू चोटी के निकट है। लिहाजा इसे जानिबू झील भी कहा जाता है।
   फेक हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट दीमापुर है। दीमापुर एयरपोर्ट से फेक हिल स्टेशन की दूरी करीब 100 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन भी दीमापुर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी फेक हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
25.918740,93.724160

Tuesday, 20 November 2018

जोवाई हिल स्टेशन: प्रकृति का एहसास

   जोवाई हिल स्टेशन को प्राकृतिक सुन्दरता का एक श्रेष्ठतम आयाम कहना चाहिए। जी हां, जोवाई हिल स्टेशन वस्तुत: प्रकृति की गोद में रचा-बसा एक सुन्दर हिल स्टेशन है। 

   मेघालय के पश्चिम जयंती हिल्स का यह सुन्दर हिल स्टेशन पर्यटकों के बीच खास तौर से लोकप्रिय है।
   समुद्र तल से करीब 1380 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह सुन्दर हिल स्टेशन झीलों-झरनों, नदियों एवं खूबसूरत पर्वत चोटियों के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। 

   पश्चिम जयंती हिल्स का हिस्सा जोवाई हिल स्टेशन मुख्यत: जनजातीय आबादी से आच्छादित क्षेत्र है। लिहाजा जोवाई में जनजातीय लोक संस्कृति जानने-समझने के भरपूर मौके होते हैं। ऊंचाई पर होने के कारण जोवाई हिल स्टेशन एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करता है। 

   खास यह कि गर्मियों में भी जोवाई शीतलता प्रदान करता है। जोवाई हिल स्टेशन वस्तुत: असम एवं बंग्लादेश से जुड़ा इलाका है।
   जोवाई हिल स्टेशन चौतरफा पर्वत श्रंखलाओं से घिरा सुन्दर पर्वतीय क्षेत्र है। मखमली घास के मैदान एवं ढ़लान रोमांचक एहसास कराते हैं। 

   वनस्पतियों से आच्छादित वन क्षेत्र छांव के साथ ही शीतल हवा भी प्रदान करते हैं। जोवाई के ईको हट्स खास तौर से प्रसिद्ध हैं। बादलों की घुमक्कड़ी मुग्ध करने वाली होती है। कभी आप बादलों की गोद में होते हैं तो कभी बादल आपकी गोद में होते हैं। 

   आशय यह कि जोवाई हिल स्टेशन में हर पल रोमांच एवं उल्लास के बीच होता है। जोवाई हिल स्टेशन पर हर पल रोमांचक एहसास का खास हो जाता है। शिलांग से करीब 60 किलोमीटर दूर जोवाई हिल स्टेशन राष्ट्रीय राजमार्ग से ताल्लुक रखता है।

   लिहाजा आवागमन के संसाधनों के निकट प्रकृति का सुहाना एहसास का यहां होता है। चौतरफा फैले वनस्पतियों से आच्छादित वन क्षेत्र एवं फूलों की सुगंध परिवेश को कुछ खास बना देती है।
  जोवाई हिल स्टेशन एवं आसपास सुन्दर एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। खूबसूरती के इस रंग में प्राचीनता भी है आैर संजीवनी भी है। 

   आकर्षक स्थानों में खास तौर से जोवाई प्रेस्बटेरियन चर्च, मदन माडिया, माइनुडू नदी, टयर्ची वॉटर फॉल्स, नर्तियांग मोनोलिथ्स, थादलास्केन झील, इलॉन्ग पार्क आदि इत्यादि बहुत कुछ है।
   जोवाई प्रेस्बटेरियन चर्च: जोवाई प्रेस्बटेरियन चर्च ब्रिाटिशकाल की एक प्राचीन इमारत है। इसका वास्तुशिल्प दर्शनीय है। यह प्राचीन इमारत करीब 150 वर्ष पुरानी है।
   विशेषज्ञों की मानें तो जैतिया हिल्स का यह सबसे प्राचीन चर्च है। ब्रिाटिश वास्तुकला का यह नायाब आयाम पर्यटकों को आकर्षित करता है।
   टयर्ची वॉटर फॉल्स: टयर्ची वॉटर फॉल्स जोवाई हिल स्टेशन से करीब 8 किलोमीटर दूर एक सुरम्य स्थान पर है। फॉल्स की सुन्दरता दर्शनीय है।
   थादलास्केन झील: थादलास्केन झील इलाके का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। हालांकि यह कभी राजसी उपयोग का हिस्सा था।
   जयंती के राजा के अनुयायी साजर नांगली ने लोकजन के लिए इसे खुलवा दिया था। लिहाजा पर्यटक प्राकृतिक सौन्दर्य का भरपूर आनन्द यहां उठा सकते हैं। 
   इलॉन्ग पार्क: इलॉन्ग पार्क प्राकृतिक सुन्दरता का एक शानदार पार्क है। ऊंचाई पर होने के कारण पार्क से माइनुडू नदी की सुन्दरता एवं विहंगम दृश्य को देखा जा सकता है।   
   नर्तियांग मोनोलिथ्स : नर्तियांग मोनोलिथ्स वस्तुत: विभिन्न आकार-प्रकार के पत्थरों का सुन्दर संग्रहालय है। पर्यटकों के बीच यह संग्रहालय बेहद लोकप्रिय है। कला प्रेमियों के लिए तो यह किसी उपहार से कम नहीं।
   जोवाई हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट गुवाहाटी है। गुवाहाटी एयरपोर्ट से जोवाई हिल स्टेशन की दूरी करीब 104 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन गुवाहाटी जंक्शन है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी जोवाई हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
25.443500,92.196700

फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...