Wednesday, 27 June 2018

शिवपुरी हिल स्टेशन : प्राकृतिक समृद्धता

   शिवपुरी हिल स्टेशन प्राकृतिक सम्पदाओं का एक समृद्ध क्षेत्र है। सुन्दर एवं ढ़लान वाली पर्वत श्रंखलाओं, स्वच्छ वातावरण एवं झीलों-झरनों ने शिवपुरी हिल स्टेशन को आकर्षण का केन्द्र बना दिया।

   समुद्र तल से करीब 462 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह पर्यटन क्षेत्र राजा-महाराजाओं का पसंदीदा क्षेत्र रहा। मध्य प्रदेश के शिवपुरी का यह हिल स्टेशन वन्य जीवन के लिए खास तौर से जाना पहचाना जाता है। 
   बारिश में इस पर्यटन क्षेत्र का मौसम अति सुहावना हो जाता है।मानसून के मौसम में यहां का वातावरण देखते ही बनता है। झील-झरने एवं हरे भरे पहाड़ देखते ही बनते हैं। सिंधिया शासकों का यह क्षेत्र प्राचीन सम्पदाओं से परिपूरित है।

    शिवपुरी की प्राकृतिक सुन्दरता से अभिभूत होकर सिंधिया राजघराने ने इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था। शिवपुरी का अभ्यारण देश दुनिया में प्रसिद्ध है। 
   शिवपुरी हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से माधव राष्ट्रीय उद्यान, छतरी, पर्यटक गांव, जंगल सफारी, भूरा खोन वॉटर फॉल्स आदि बहुत कुछ है। 

    माधव राष्ट्रीय उद्यान : माधव राष्ट्रीय उद्यान ग्वालियर राजघराने का पसंदीदा क्षेत्र था। करीब 157.58 वर्ग किलोमीटर में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान को खास तौर से शेरों की वंश श्रंखला के लिए जाना जाता है। 
   हाथियों एवं हिरन समूह भी बहुतायत में यहां पाये जाते है। वन्य जीवन की प्रचुरता एवं विविधिता उद्यान की खासियत है। माधव राष्ट्रीय उद्यान वर्ष पर्यंत पर्यटकों के लिए खुला रहता है। चिंकारा, भारतीय चिंकारा, चीतल, नील गाय, सांभर, चौसिंगा, बारहसिंगा, कृष्ण मृग, भालू, तेंदुये आदि से उद्यान गुलजार रहता है। 
    भूर खोन वॉटर फॉल्स : भूर खोन वॉटर फॉल्स शिवपुरी से करीब 9 किलोमीटर दूर स्थित है। माधव सागर झील के निकट स्थित यह वॉटर फॉल्स पर्यटकों को खास तौर से आकर्षित करता है। 
   वॉटर फॉल्स में पर्यटक नौकायन का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। इसमें नाव क्लब, वॉटर पार्क एवं मनोरंजन केन्द्र भी है। तैराकी एवं साहसी खेलों के लिए यह आदर्श स्थल है। करीब 25 मीटर ऊंचाई से गिरने वाला यह वॉटर फॉल्स शांत एवं शीतलता देता है। स्थल पर भगवान शिव की प्राचीन प्रतिमा भी है।
    छतरी : छतरी शिवपुरी का एक अन्य शानदार आकर्षण है। छतरी संगमरमर की कारीगरी का एक उत्कृष्ट नमूना है। छतरी स्थल पर प्रवेश करते ही विधवा महारानी सख्या राजे सिंधिया की स्मृति में समाधि स्थल है। इनके बुर्ज मुगल एवं राजपूत मिश्रित शैली के उत्कृष्ट आयाम है। इसी परिसर में सीता राम, लक्ष्मण, हनुमान एवं राधा कृष्ण के भव्य-दिव्य मंदिर हैं।
    पर्यटक गांव : पर्यटक गांव शिवपुरी का मुख्य आकर्षण है। बारिश में पर्यटक गांव में फुहारों की आवाजाही से सुन्दरता आैर भी अधिक बढ़ जाती है। गांव का असली आनन्द लेने के लिए ठहरने की आवश्यक व्यवस्थायें हैं।
   भादिया कुण्ड : भादिया कुण्ड का जल कुछ खास है। इस प्राकृतिक झरना के जल में रोगनाशक शक्तियां हैं। यह कुण्ड गांव में स्थित है। ग्वालियर से करीब 112 किलोमीटर दूर स्थित भादिया कुण्ड सैरसपाटा का खास स्थल है। 
     शांत एवं सुरम्य स्थान होने के कारण इसे भव्य दिव्य पिकनिक स्पॉट के तौर पर देखा जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो कुण्ड के जल में काफी गुणकारी खनिज लवण हैं। जिससे रोगनिवारक शक्तियां जल में उपलब्ध हैं। प्राचीन मान्यताओं एवं चिकित्सकीय गुणों के कारण इस जल में स्नान करना बेहतर उपचार माना जाता है।
     शिवपुरी हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट ग्वालियर में है। ग्वालियर एयरपोर्ट से शिवपुरी हिल स्टेशन की दूरी 112 किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन शिवपुरी में है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
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Thursday, 21 June 2018

रानीपुरम हिल स्टेशन: मखमली एहसास

      रानीपुरम हिल स्टेशन को प्रकृति का एहसास कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, केरल की हसीन वादियों में रचा-बसा रानीपुरम हिल स्टेशन सुुन्दरता एवं सुरम्यता का आयाम है। 

   केरल के कासारगोड स्थित रानीपुरम हिल स्टेशन बेहतरीन ट्रेकिंग प्वाइंट है। समुद्र तल से करीब 1022 मीटर ऊंचाई पर स्थित रानीपुरम हिल स्टेशन देश दुनिया के चुनिंदा हिल स्टेशन में एक है।
     कर्नाटक की सीमा से सटे इलाका का यह हिल स्टेशन मदाथुमाला के नाम से भी जाना जाता है। वन्य जीवों से आबाद रहने वाला यह हिल स्टेशन वनस्पतियों की विविधिता एवं प्रचुरता के लिए प्रसिद्ध है।
    इस हिल स्टेशन के खास आकर्षण में वनस्पतियों से आच्छादित वन क्षेत्र एवं वन्य जीवन है। प्राचीन स्मारक एवं धरोहर भी विशेष हैं। इस इलाके के वन क्षेत्र को भगमंदला का नामकरण हासिल है।
     बारिश में इस हिल स्टेशन में घूमने-फिरने का आनन्द दोगुना हो जाता है। वन्य जीव खास तौर से हाथियों का स्वच्छंद विचरण पर्र्यटकों को आनन्दित करता है। हाथियों की फौज कभी हिल स्टेशन की घाटियों-वादियों में दिखेगी तो कभी पर्वत श्रंखला में विद्यमान होगी। पर्वत श्रंखला का शिखर बेहद अद्भुत है। 

   इस स्थान से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का सुन्दर दृश्यावलोकन होता है। इन्द्रधनुषी लालित्य देखते ही बनता है। यहां के घास के विहंगम मैदान एवं बादलों का खिलंदड़पन ह्मदयस्पर्शी होता है।

    चौतरफा मनोहारी दृश्यों की शानदार श्रंखला दिलों को छू जाती है। कोट्टाचेरी-तालाकावेरी पर्वत श्रंखला का हिस्सा रानीपुरम हिल स्टेशन पर्यटन का सदाबहार एवं आदर्श एरिया है। 
   रानीपुरम हिल स्टेशन एवं आसपास आकर्षण की एक लम्बी फेहरिस्त है। मुख्य आकर्षण में मदियम कोविलकाम मंदिर, पलक्कुनु भगवती मंदिर, भारानी महोलसवम, आनन्दाश्रम, नित्यानंदाश्रम, चन्द्रगिरि किला, रानीपुरम राष्ट्रीय उद्यान एवं कोट्टागिरी आदि हैं।
     रानीपुरम राष्ट्रीय उद्यान : रानीपुरम राष्ट्रीय उद्यान करीब 50 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला है। यह राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक के तालाकावेरी तक फैला हुआ है। इसमें हाथियों की एक बड़ी आबादी है। हिरण, तेंदुये, पोक्र्यूपिन, तितलियां आदि बड़ी तादाद में हैं। मालाबार में गिलहरियों की बड़ी आबादी देखने को मिलती है। उद्यान में पक्षियों की 200 से अधिक प्रजातियां उपलब्ध हैं।
     चन्द्रगिरि किला ; चन्द्रगिरि किला चन्द्रगिरि नदी के निकट स्थित है। समुद्र तल से करीब 150 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह किला प्राचीनता को प्रदर्शित करता है। किला पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसी के निकट बोर्डिंग प्वाइंट, चन्द्र गिरि वोट क्लब आदि हैं।
      बैक वाटर्स : बैक वाटर्स का आनन्द भी पर्यटक यहां ले सकते हैं। नदियों एवं जलधाराओं की यहां एक लम्बी श्रंखला है। इनमें बैक वाटर्स का लुफ्त पर्यटकों की यात्रा को रोमांचक बना देता है। बैक वाटर्स यात्रा कर आसपास के द्वीपों का भ्रमण कर सकते हैं।
     बेकल किला : बेकल किला कासारगोड का सबसे सुन्दर एवं बड़ा किला है। इसे कासारगोड का ताज कहा जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो 15 वीं शताब्दी का यह किला एक सुन्दर स्मारक के तौर पर है। करीब 40 एकड़ एरिया में बना यह किला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। इसका निर्माण रक्षात्मक उद्देश्य से किया गया था।
     रानीपुरम हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट मैंगलोर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। मैंगलोर से रानीपुरम हिल स्टेशन की दूरी करीब 125 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कानहंगाद है। कानहंगाद रेलवे स्टेशन से रानीपुरम हिल स्टेशन की दूरी करीब 45 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से भी हिल स्टेशन की यात्रा की जा सकती है।
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Sunday, 17 June 2018

विल्सन हिल स्टेशन: प्रकृति का एहसास

      विल्सन हिल स्टेशन प्रकृति का एक सुखद एहसास है। जी हां, विल्सन हिल स्टेशन की शानदार खूबसूरती देश दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करती है।

    गुजरात के बलसाड़ इलाका स्थित यह हिल स्टेशन शांत एवं शीतलता का सुखद एहसास कराता है। बलसाड़ के धरमपुर तहसील के निकट यह पहाड़ी स्टेशन है। 
    खास यह कि पहाड़ों की घाटियों-वादियों से लेकर वन्य जीवन से यह इलाका सुशोभित है। खास तौर से पर्वत श्रंखला, घाटियों-वादियों के बीच बादलों की आवाजाही पर्यटकों को पुलकित कर देती है। हिल स्टेशन की आबोहवा पर्यटकों को हर्षातिरेक से भर देती है।

    समुद्र तल से करीब 870 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन मौसम के हर आयाम पर पर्यटकों को आकर्षित करता है। गुजरात का यह पहाड़ी स्टेशन भले ही छोटा है लेकिन प्राकृतिक सुन्दरता से लबरेज है। 
      शायद यही कारण है कि देश विदेश के पर्यटकों की विल्सन हिल स्टेशन पर निरन्तर आवाजाही बनी रहती है। इस सुन्दर हिल स्टेशन को सजाने-संवारने का उत्तरदायित्व धर्मपुर के राजा विजय देव ने 1923 से 1928 की अवधि में निभाया। मुम्बई के राज्यपाल रह चुके लार्ड विल्सन की याद में इस स्थान को हिल स्टेशन का स्वरुप दिया गया।

   विल्सन हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। विल्सन हिल्स एरिया में पांगरबाड़ी वन्य जीव अभ्यारण भी है। अभेद्य वन क्षेत्र में शंकर वॉटर फॉल्स है। हिल स्टेशन के मुख्य आकर्षण में इसे गिना जाता है।
     विल्सन हिल स्टेशन एवं उसके आसपास के विशेष आकर्षक स्थलों में खास तौर से ओजोन घाटी, सूर्योदय-सूर्यास्त प्वाइंट, संगमरमर छतरी, धरमपुर शहर, विल्सन हिल्स संग्रहालय एवं शंकर वॉटर फॉल्स आदि हैं।


    ओजोन घाटी : ओजोन घाटी विल्सन हिल स्टेशन का खास सुन्दर स्थान है। पर्वतारोहण की दृष्टि से यह स्थान आदर्श माना जाता है। ओजोन घाटी हिल स्टेशन से करीब 450 मीटर दूरी पर स्थित है। यहां से पर्यटक प्रकृति का आनन्द ले सकते हैं।
   सूर्योदय एवं सूर्यास्त प्वाइंट : सूर्योदय एवं सूर्यास्त प्वाइंट सुन्दर एवं अद्भुत स्थान है। भव्य घाटियां एवं प्राचीन झीलों की विहंगम दृश्य यहां से दिखता है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त का गुलाबी एवं नारंगी क्षितिज अति सुन्दर होता है।
   संगमरमर की छतरी : संगमरमर की छतरी विल्सन हिल्स का खास आकर्षण है। विल्सन पहाड़ी के शीर्ष पर इस स्थान को विकसित किया गया है। जिससे पर्यटक प्राकृतिक सुन्दरता का आनन्द ले सकें। यह स्थान राजा विजय देव को समर्पित है।
    धरमपुर शहर : धरमपुर शहर गुजरात का एक सुन्दर शहर है। विशेषज्ञों की मानें तो कई साल पहले राजा मोहनराई ने धरमपुर में अपना किला बनवाया था। धरमपुर को राज्य के तौर पर घोषित किया गया। धरमपुर अपनी समृद्ध जनजातीय संस्कृति के लिए जाना जाता हैै। धरमपुर खास तौर से प्राकृतिक सौन्दर्य का सदाबहार क्षेत्र है।
     विल्सन हिल्स संग्रहालय : विल्सन हिल्स संग्रहालय में मूल्यवान एवं दुलर्भ कलाकृतियों का शानदार प्रदर्शन है। विल्सन का इतिहास यहां जाना जा सकता है। इस हिल स्टेशन की यात्रा के साथ ही आवश्यक है कि संग्रहालय का अवलोकन हो। जिससे विल्सन को भली-भांति जान सकें।
     शंकर वॉटर फॉल्स : शंकर वॉटर फॉल्स विल्सन हिल स्टेशन से करीब 6 किलोमीटर दूर एक विहंगम स्थान है। यह इलाका सहयाद्री पर्वत श्रंखला का हिस्सा है।
    पंगारबाड़ी वन्य जीव अभ्यारण : पंगारबाड़ी वन्य जीव अभ्यारण विभिन्न प्रजातियों के पशु-पक्षियों से गुलजार रहता है। इस घने वन क्षेत्र में वनस्पतियों एवं आैषधियों की प्रचुरता है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण एरिया है।
     विल्सन हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट सूरत है। सूरत से विल्सन हिल स्टेशन करीब 130 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन बलसाड़ है। बलसाड़ से विल्सन हिल स्टेशन की दूरी करीब 60 किलोमीटर है। इसके अलावा पर्यटक सड़क मार्ग से भी हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
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Friday, 15 June 2018

मालशेज घाट : रोमांच की अनुभूति

     मालशेज घाट हिल स्टेशन को धरती का स्वर्र्ग कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। आनन्द एवं रोमांच की अनुभूति कराने वाला यह हिल स्टेशन देश दुनिया के शीर्ष पर्यटन स्थानों में है। बारिश में इस हिल स्टेशन का कोई जोड़ नहीं। 

   समुद्र तल से करीब 700 मीटर ऊंचाई पर स्थित मालशेज घाट हिल स्टेशन में खासियत-खूबियों की एक अनन्त श्रंखला विद्यमान है।
  महाराष्ट्र के ठाणे-पुणे रोड पर स्थित यह हिल स्टेशन प्राकृतिक सुन्दरता का शानदार आयाम है। ठाणे-अहमद नगर जिला सीमाओं के मध्य में स्थित मालशेज घाट हिल स्टेशन खास तौर से सहयाद्री पर्वत श्रंखला का हिस्सा है। विविध प्रकार की वनस्पतियों की प्रचुरता इस क्षेत्र को सैर सपाटा, मनोरंजन एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से कुछ खास बना देती है।
    हिल एरिया के वॉटर फॉल्स में नहाने का आनन्द ही कुछ आैर होता है। इस इलाके में घूमने-फिरने का सबसे अच्छा समय अगस्त-सितम्बर का माना जाता है। कारण हरियाली का शानदार एवं अद्भुत दृश्य यहां दिखता है। प्राकृतिक झीले-झरने एवं सदाबहार वनस्पतियों की प्रचुरता एवं वन्य जीवन का आनन्द देखते ही बनता है। 
     निश्चय ही मालशेज घाट की खूबसूरत घाटियां-वादियां तनाव व थकान को पल में मिटा देती हैं। मालशेज हिल स्टेशन ट्रैकिंग के लिए भी एक शानदार स्थान है। शिवाजी का जन्म स्थान भी इस इलाके में हुआ था। छत्रपति शिवाजी के जन्म स्थान शिवनेरी की यात्रा भी यहां से की जा सकती है।
      करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित शिवनेरी का अपना एक अलग ही महत्व है। मालशेज घाट हिल स्टेशन एवं उसके आसपास समृद्ध एवं आकर्षक स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। खास आकर्षण यह है कि मालशेज के मुख्य मार्ग पर गिरता झरना पर्यटकों को एक रोमांचक अनुभूति कराता है। इलाके के मुख्य आकर्षण में खास तौर से शिवनेरी किला, पिंपलगांव जोगे बांध, एडवेंचर्स आदि हैं।
     शिवनेरी किला : शिवनेरी किला मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी का जन्म स्थान है। यह किला देश के अति महत्वपूर्ण किलों में से एक है। विशेषज्ञों की मानें तो 17 वीं शताब्दी का यह सैन्य किला है।
     पिंपलगांव जोगे बांध : पिंपलगांव जोगे बांध कुकाडी नदी की एक सहायक नदी का बांध है। बांध एरिया इलाके का एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। यह इलाका मुख्यत: अंगूर की खेती वाला है लिहाजा इस बांध से अंगूर की खेती के लिए पानी की आपूर्ति होती है। पर्यटक यहां पिकनिक भी मनाते हैं।
      फ्लेमिंगो पहाड़ी : फ्लेमिंगो पहाड़ी मुख्यत: एक पिकनिक स्पॉट है। पहाड़ की चोटी पर स्थित यह इलाका शांत एवं अति शीतलता वाला है। बादलों की हलचल पर्यटकों को आकर्षित करती है। इस स्थान से मालशेज घाट का विहंगम दृश्य यहां से दिखता है।
    खेरेश्वर गांव : खेरेश्वर गांव प्राकृतिक सुन्दरता का एक सुन्दर आयाम है। गांव की संस्कृति एवं गांव की सोंधी महक का आनन्द यहां लिया जा सकता है। खेरेश्वर गांव के निकट ही हरिश्चन्द्रगढ़ है। इस इलाके में झरनों की एक लम्बी श्रंखला है।
     वन्य जीव अभ्यारण : वन्य जीव अभ्यारण मालशेज घाट इलाके के मुख्य आकर्षण में से एक है। वन क्षेत्र में वनौषधियों की सुगंध मन मस्तिष्क को तरोताजा करती है। वन्य जीवन की हलचल पर्यटकों को आकर्षित करती है। खास तौर से पक्षियों के कलरव से वन क्षेत्र में कोलाहल बना रहता है। बाघ, तेंदुये, खरगोश एवं मोर आदि की उपलब्धता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
      मालशेज घाट की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट मुम्बई इंटरनेशनल है। मुम्बई से मालशेज घाट की दूरी करीब 140 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन कल्याण है। कल्याण से मालशेज घाट की दूरी 154 किलोमीटर है। पर्यटक मालशेज की यात्रा सड़क मार्ग से भी कर सकते हैं।
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Thursday, 14 June 2018

दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन : प्राकृतिक सुन्दरता

    दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन की सुन्दरता की अपनी एक अलग शान है। ओड़िशा के कंधमाल जिला स्थित यह हिल स्टेशन प्राकृतिक सौन्दर्य का खजाना है।

   समुद्र तल से करीब 3000 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह हिल स्टेशन ब्रिाटिशकाल में अफसरों का सबसे अधिक पसंदीदा स्थान रहा। झीलों-झरनों, पर्वत शिखर,वादियों-घाटियों, वनस्पतियों की प्रचुरता एवं वन्य जीवन से अच्छादित यह हिल स्टेशन प्रकृति का एक सुन्दर एहसास है।
    खास यह कि कॉॅॅॅफी बागानों एवं वनस्पतियों की सुगंध दिल ओ दिमाग को तरोताजा रखती है। कॉॅॅॅफी, वनस्पतियों एवं फूलों की सुगंध के साथ साथ ही इस हिल स्टेशन में बर्फबारी का आनन्द ही कुछ आैर है। दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन को प्राकृतिक सुन्दरता के कारण ओडिशा का कश्मीर भी कहा जाता है। इस स्थान का नाम ब्रिाटिश अफसर डारिंग के नाम पर रखा गया है। 
   खास तौर से यह इलाका जैविक हल्दी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। दुर्लभ एवं विलुप्त वनस्पतियों की उपलब्धता भी इस क्षेत्र को विशेष बनाती है। दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन का तापमान अक्सर जीरो डिग्री सेल्सियस रहता है। यहां की आबोहवा, वन्य जीवन, स्वास्थ्यप्रद वातावरण, पहाड़, झरने आदि बहुत कुछ सैलानियों को आकर्षित करते हैं। 
    कंधमाल का हस्तशिल्प देश दुनिया में खास तौर से प्रसिद्ध है। कंधमाल समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन में बर्फबारी का रोमांचक आनन्द है तो वहीं बादलों की लुकाछिपी भी आनन्दित करती है।
     पर्वत शिखर की बुलंदियां देखते ही बनती हैं तो वहीं घाटियां-वादियां सुरम्यता का दर्शन कराती हैं। झीलों-झरनों का निर्मल प्रवाह जलक्रीड़ा का भरपूर अवसर प्रदान करता है। पर्वत शिखर पर स्थित मंदिरों के घंटा-घड़ियाल की टंकार से इलाका अनुगूंजित होता रहता है। दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन का बड़ा ही मनोहारी दृश्य रहता है।
      दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षक स्थलों की एक लम्बी फेहरिस्त है। इनमें खास तौर से फूलवाड़ी, पुतुडी वॉटर फॉल्स, बलासकुंपा, विरुपाक्ष मंदिर, डुंगी, कलिंग घाटी, मंदसरू कुटी, बेलघर, हिल व्यू प्वाइंट, विरांची नारायण मंदिर, कॉफी बागान, डोलुरी नदी आदि बहुत कुछ है।
    फूलबाड़ी : फूलबाड़ी प्राकृतिक खूबसूरती से लकदक स्थान है। चारों ओर पहाड़ों से घिरा फूलबाड़ी के एक किनारे पिल्लसलुंकी नदी बहती है। भेटखोल एवं ब्राह्मिणी देवी पहाड़ी की चोटी से शहर का सुन्दर-अनुपम नजारा दिखता है।
     पुतुडी वॉटर फॉल्स : पुतुडी वॉटर फॉल्स प्राकृतिक सुन्दरता का एक भव्य-दिव्य स्थान है। सलुंकी नदी की जलधारा यहां करीब 60 फुट की ऊंचाई से नीचे गिरती हैं। घने वन क्षेत्र में गिरता यह झरना पर्यटकों को रोमांचित करता है। पुतुडी वॉटर फॉल्स शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है। पुतुडी वॉटर फॉल्स दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन का सुन्दर स्थान है। पहाड़ों एवं वनस्पतियों से घिरा यह स्थान शांत एवं सुरम्य प्रतीत होता है। फॉल्स की सुन्दरता देखते ही बनती है।
    बलासकुंपा : बलासकुंपा मुख्यत: देवी स्थान है। यहां एक भव्य-दिव्य मंदिर है। निकट ही पिल्लसुलंकी बांध पिकनिक स्पॉट है। यह बांद बलासकुंपा से करीब 3 किलोमीटर दूर है। शांत  एवं सुरम्य यह स्थान फूलवाड़ी से करीब 15 किलोमीटर दूर है।
      विरुपाक्ष मंदिर : विरुपाक्ष मंदिर फूलबाड़ी से करीब 60 किलोमीटर दूर चकपाड़ा में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर की मुख्य विशेषता दक्षिणावर्ती शिवलिंग है। शिवलिंग दक्षिण की ओर झुका हुआ है। खास यह है कि यहां वृक्षों के भी दक्षिण की ओर झुकने की प्रवृत्ति है। मंदिर परिसर में शिवलिंग का कथानक वृतांत भी चित्र के जरिये प्रदर्शित है।
       डुंगी : डुंगी फूलबाड़ी से करीब 45 किलोमीटर दूर बरहामपुर रोड पर स्थित है। यह कंधमाल जिला का एकमात्र पुरातत्व क्षेत्र है। यहां 11 वीं शताब्दी में बौद्ध विहार था। इसके नष्ट हो जाने के बाद यहां शिव मंदिर का निर्माण किया गया। इसके निर्माण के दौरान बौद्ध विहार के अवशेष मिले। इन अवशेष को मंदिर परिसर में प्रदर्शित किया गया है।
     कलिंग घाटी : कलिंग घाटी फूलबाड़ी से करीब 48 किलोमीटर दूर बरहामपुर रोड पर स्थित है। इस घाटी के पास ही दशमिल्ला नामक स्थान है। इस स्थान पर सम्राट अशोक ने कलिंग से युद्ध लड़ा था। यह मुख्यत: सिल्वर कल्चर गार्डेन है। खास तौर से यह इलाका आयुर्वेदिक पौधों के लिए जाना पहचाना जाता है। गार्डेन में रबर एवं बांस के पेड़ हैं। उद्यान परिसर खूशबू से भरा रहता है। जिससे दिल-ओ-दिमाग तरोताजा रहता है।  
      हिल व्यूू प्वाइंट : हिल व्यूू प्वाइंट एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। यहां से दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन का सुन्दर दृश्य दिखता है।
      विरांची नारायण मंदिर : विरांची नारायण मंदिर को लकड़ी का कोणार्क भी कहा जाता है। लकड़ी के डिजाइन, लकड़ी का वास्तुकला एवं नक्काशी देखते ही बनती है।
कॉफी बागान : कॉफी बागान एवं काली मिर्च के बागान बड़ी तादाद में इस इलाके में हैं।
      बेलघर अभ्यारण: बेलघर अभ्यारण वनस्पतियों एवं वन्य जीवन का मुख्य क्षेत्र है। यह इलाका खास तौर से हाथियों एवं विलुप्त वनस्पतियों के लिए जाना जाता है।
      दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट भुवनेश्वर है। भुवनेश्वर से दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन की दूरी करीब 250 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन ब्रह्मपुर है। ब्रह्मपुर से दारिंगबाड़ी हिल स्टेशन की दूरी करीब 120 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से भी हिल स्टेशन की यात्रा की जा सकती है।
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Wednesday, 13 June 2018

हार्सिली हिल्स : धरती पर स्वप्नलोक

   हार्सिली हिल्स को पहाड़ों का गहना कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। आंध्र प्रदेश के चित्तूर का यह हिल स्टेशन प्राकृतिक सुन्दरता का एक सुन्दर आयाम है। जिसका कहीं कोई जोड़ नहीं है।

   समुद्र तल से करीब 1290 मीटर ऊंचाई पर स्थित हार्सिली हिल्स को बादलों का घर भी कहा जा सकता है क्योंकि हिल्स में बादलों की आवाजाही अनवरत बनी रहती है।
   मखमली घास के लॉन-ढ़लान आैर उस पर बादलों की धमाचौकड़ी देख कर स्वप्नलोक की परिकल्पना साकार होते दिखती है। खास यह कि ऐसे में वनस्पतियों की सुगंध मन मस्तिष्क को एक ताजगी देती है। आंध्र प्रदेश के शहर मदनपल्ली के निकट स्थित हार्सिली हिल्स को हार्सिली कोंडा भी कहा जाता है। 
     ब्रिटिश शासनकाल में यह स्थान हुक्मरानों का पसंदीदा स्थान रहा। ब्रिटिश शासन में कलेक्टर डब्ल्यू डी. हार्सली के नाम पर इस स्थान का नाम हार्सिली हिल्स पड़ा। स्थानीय स्तर पर इसे एनुगु मल्लम्मा कोंडा भी कहा जाता है। 
     कहावत है कि इस इलाके में मल्लम्मा नाम की एक लड़की रहती थी। मल्लम्मा हाथियों को चारा दिया करती थी लेकिन एक दिन मल्लम्मा अचानक गायब हो गयी। मल्लम्मा की स्मृति में एक सुन्दर मंदिर बनाया गया। यह मंदिर इलाके में श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास का केन्द्र है। मल्लम्मा के नाम से हार्सिली हिल्स के निकट गांव भी है।
     यह हिल स्टेशन हाथियों की बहुलता वाला क्षेत्र है। वन क्षेत्र खास तौर से वनस्पतियों एवं आैषधीय पौधों वाला है। शुद्ध पर्यावरण के कारण यहां की शीतलता भी अद्भुत है। शीतलता में सुगंध का समिश्रण परिवेश को आैर भी अधिक खुशनुमा बना देता है। खास यह कि इस हिल स्टेशन में नीलगिरी एवं विदेशी पेड़-पौधों की एक लम्बी श्रंखला है।
     हार्सिली हिल्स में दुलर्भ जीव जन्तुओं की उपस्थिति इस हिल्स एरिया को आैर भी खास बना देती है। सांभर, हिरण, जंगली सुअर एवं भालू आदि स्वच्छंद विचरण करते दिखते हैं। दुर्लभ पक्षियों की एक लम्बी श्रंखला इस हिल्स की विशेषता है। मसलन काला ईगल सहित असंख्य दुर्लभ पक्षियों का कोलाहल यहां सुनाई देता है।
       हार्सिली हिल्स की जलवायु पर्यटकों को रोमांचित एवं पुलकित कर देती है। हार्सिली हिल्स एवं उसके आसपास खूबसूरत स्थानों की कोई कमी नहीं है। शायद यही कारण है कि हार्सिली हिल्स देश दुनिया के पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है। गैली बांदालू, व्यू प्वाइंट, कल्याणी एवं नीलगिरी वृक्ष आदि बहुत कुछ यहां दर्शनीय है।
    गैली बांदालू : गैली बांदालू को पवन चट्टान भी कहा जाता है। स्थानीय बस स्टैण्ड से करीब 300 मीटर दूर गैली बांदालू एक चट्टानी ढ़लान है। खास यह कि यहां हमेशा शीतल हवाओं का आनन्द लिया जा सकता है। पर्यटक यहां घंटों बैठ कर प्रकृति का एहसास करते हैं।
     व्यू प्वाइंट : व्यू प्वाइंट हार्सिली हिल्स का एक अति सुन्दर स्थान है। व्यूू प्वाइंट से घाटी का सम्पूर्ण नजारा दिखता है। घना वन क्षेत्र बेहद आकर्षक एवं लुभावना प्रतीत होता है। सुबह एवं शाम यहां पर्यटन का खास एहसास होता है।
      कल्याणी नीलगिरी वृक्ष : कल्याणी नीलगिरी वृक्ष वस्तुत: एक अति पुरातन वृक्ष है। खास यह है कि यह वृक्ष करीब 40 मीटर ऊंचा है। इसकी परिधि भी करीब 5 मीटर है। विशेषज्ञोंं की मानें तो यह दुनिया का सबसे पुराना वट वृक्ष है।
     हार्सिली हिल्स वन्य जीव अभ्यारण : हार्सिली हिल्स वन्य जीव अभ्यारण वस्तुत: हाथियों का आश्रय क्षेत्र है। ऐसा भी नहीं है कि इस क्षेत्र में केवल हाथी ही विचरते हों। अभ्यारण में चीता, शेर, हिरण, सांभर, जंगली सुअर आदि हैं। अभ्यारण बड़े दायरे में फैला हुआ है।
      हार्सिली हिल्स की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट बेंगलुरु एवं तिरूपति हैं। बेंगलुरु की दूरी करीब 160 किलोमीटर है जबकि तिरूपति की दूरी करीब 165 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन मानापली है। मानापली से हार्सिली हिल्स की दूरी करीब 43 किलोमीटर है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी यात्रा कर सकते हैं।
13.650750,78.397021

Tuesday, 12 June 2018

यरकौड हिल स्टेशन : झीलों की सुन्दरता

     दक्षिण भारत का यरकौड हिल स्टेशन कॉफी की सुगंध एवं फलों के स्वाद के लिए देश-दुनिया में खास ख्याति रखता है। तमिलनाडु के जिला सलेम के तहत आने वाले हिल स्टेशन यरकौड को शेवरायॅ हिल्स भी कहते हैं।

   समुद्र तल से करीब 1515 मीटर ऊंचाई पर स्थित यरकौड हिल स्टेशन एरिया में कॉफी के बागानों की एक लम्बी श्रंखला है। संतरा, केला एवं नाशपाती के बाग-बगीचे बहुतायत में हैं।
    इस एरिया को खास तौर से खट्मिट्ठे फलों के लिए जाना-पहचाना जाता है। शांत एवं सुरम्य हिल स्टेशन में चारों ओर खूबसूरत स्थानों की कमी नहीं है। शानदार एवं सुन्दर घाटियों-वादियों वाला यह हिल स्टेशन मंदिरों, झीलों, बाग-बगीचों के साथ ही रोज गार्डेन की सुगंध से तरोताजा रहता है। मखमली घास के हरे भरे लॉन एवं पहाड़ियों की चोटियां सुन्दरता का गहना गढ़ती दिखती हैं। 
     यरकौड हिल स्टेशन को दक्षिण भारत का गहना कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। यरकौड हिल स्टेशन की खूबसूरती के अन्य रंगों में खास तौर से बोटैनिकल गार्डेन, हिरण पार्क, अन्ना पार्क एवं शानदार झील आदि हैं।
      यरकौड हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर स्थानों की एक लम्बी फेहरिस्त है। इनमें खास तौर से हिरण पार्क, अन्ना पार्क, आर्थर सीट, लेडी सीट, आर्केडियम बोटैनिकल सर्वे आफ इण्डिया, बेल रॉक, बागवानी फार्म, रेशम फार्म एवं रोज गार्डेन, पगोडा प्वाइंट, मोंगफोर्ट स्कूल, रिट्रीट, किलीयूर फॉल्स, श्री राजा राजेश्वरी मंदिर, शेवररायण मंदिर, भालू गुफा, ग्रेंज, फेयरहोल्म बंगला, स्वर्ग की लेज, कोट्टाचु टीक वन, भालू हिल्स, टिपेररी व्यू प्वाइंट, सफेद हाथी दांत आदि आकर्षण हैं।
     हिरण पार्क : हिरण पार्क वस्तुत: एक सुन्दर झील है। इस झील के चारों ओर घूमने व सैर सपाटा के लिए सुन्दर फूलों से युक्त पार्क है। पार्क में पशु-पक्षी एवं जीव जंतु भी हैं। मसलन हिरण, हंस, मोर हैम्स्टर आदि हैं।
अन्ना पार्क : अन्ना पार्क झील के निकट स्थित है। यहां का मुख्य आकर्षण फ्लावर्स शो है। अन्ना पार्क के अंदर जापानी गार्डेन भी है।
    आर्थर सीट : आर्थर सीट यरकौड हिल स्टेशन का पीक प्वाइंट है। पक्षी की आंख के आकार वाला यह एक सुन्दर स्थान है। यहां से यरकौड हिल स्टेशन का बेहतरीन नजारा दिखता है।
     लेडी सीट : लेडी सीट वस्तुत: यरकौड पहाड़ी की दक्षिण पश्चिम चट्टानों का एक सुन्दर समूह है। यहां से घाट, सड़क एवं शहर सलेम का विहंगम दृश्य दिखता है। प्राकृतिक चट्टानों से सुगठित यह स्थान अंग्रेज लेडी का पसंदीदा स्थान था। अंग्रेज लेडी ऑफ यॉस्टर अक्सर अपनी शाम यहां बिताया करती थीं। लिहाजा इस स्थान को अब लेडी सीट के नाम से जाना जाता है।
    आर्केडियम बोटैनिकल सर्वे ऑफ इण्डिया : आर्केडियम बोटैनिकल सर्वे ऑफ इण्डिया एक बड़ा स्थान है। इसे आैषधीय क्षेत्र के तौर पर देखा जाता है।
     बेल रॉक : बेल रॉक एक विलक्षण स्थान है। यहां पत्थर के टकराने से घंटी की तरह आवाज होती है। चट्टान पर पत्थर मारने से घंटी की टंकार सुनाई देती है। यह चट्टान कुछ ऊंचाई पर है लिहाजा पहाड़ पर कुछ चढ़ना पड़ता है।
      बागवानी फार्म : बागवानी फार्म वस्तुत: रोज गार्डेन है। गुलाब गार्डेन में गुलाब की विभिन्न प्रजातियों के फूलों की श्रंखला उपलब्ध है। गार्डेन फूलों की सुगंध से तरोताजा रहता है। यहां एक ग्रीन रोज संयत्र भी है।
      पगोडा प्वाइंट : पगोडा प्वाइंट यरकौड हिल स्टेशन की पूर्वी पहाडियों पर स्थित है। इसे पिरामिड भी कहा जाता है। मुख्यत: यह स्थानीय जनजातियों की बाहुल्यता वाला क्षेत्र है। इन पगोडा के बीच में राम मंदिर भी है। यह एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है।
     किलीयूर फॉल्स : किलीयूर फॉल्स यह स्थान यरकौड झील से 3 किलोमीटर दूर है। यरकौड झील का अवशेष पानी शेवरॉय हिल्स के अन्य हिस्सोें में गिरता है। करीब 300 फुट की ऊंचाई से गिरने वाला यह फॉल्स बेहद सुन्दर प्रतीत होता है।
        श्री राजा राजेश्वरी मंदिर : श्री राजा राजेश्वरी मंदिर एक धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्थान है। मंदिर की स्थापना 1983 में तिरुकोविल्लुर थापोवनम श्रीला श्री ज्ञानानन्द गिरि स्वामी मिलास परम्परा के शिष्य एच एच स्वामी पूर्णानन्द गिरि ने की थी। इस मंदिर में श्री राजा राजेश्वरी की प्रतिमायें स्थापित हैं।
    स्वर्ग की लेज : स्वर्ग की लेज एक विहंगम स्थान है। यह दर्शनीय स्थल यरकौड हिल स्टेशन के पश्चिमी दिशा में स्थित है। यहां से सूर्यास्त एवं सूर्योदय का सुन्दर दृश्य दिखता है। गोवरी स्टेट में स्थित यह स्थान कैंप साइट में परिवर्तित किया गया है। जिससे पर्यटकों को सुविधा एवं सहूलियत होती है।
     यरकौड हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट कमलपुर ओमलुर है। कमलपुर ओमलुर से यरकौड हिल स्टेशन की दूरी करीब 30 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन सलेम जंक्शन है। सलेम से यरकौड की दूरी करीब 35 किलोमीटर है। यरकौड हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी की जा सकती है।
10.850516,76.271083

Sunday, 10 June 2018

येलागिरी हिल स्टेशन : सुगंध भरी वादियां

     येलागिरी हिल स्टेशन खूबसूरत घाटियों-वादियों, बाग-बगीचों एवं झीलों-झरनों से भरा पूरा इलाका है। फूलों एवं वनस्पतियों की शीतलता एवं सुगंध से दिल-दिमाग तरोताजा हो उठता है।

    हिल स्टेशन की आक्सीजन से फेफड़ों को जैसे पंख लग जाते हों। तमिलनाडु के वेल्लोर जिला स्थित येलागिरी हिल स्टेशन खास तौर से देश दुनिया में प्राकृतिक सुन्दरता के लिए जाना पहचाना जाता है।
    वान्यावादी-तिरुपतिपुर रोड पर स्थित येलागिरी हिल स्टेशन समुद्र तल से करीब 1410 मीटर ऊंचाई पर है। पूरा इलाका शानदार खुशबू से महकता रहता है। करीब 30 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैला यह हिल स्टेशन कभी एक निजी जंमीदार परिवार की सम्पत्ति थी। येलागिरी हिल स्टेशन एरिया में जनजातियों का बाहुल्य है।
     लिहाजा लोक संस्कृति का आनन्द भी पर्यटक लेते हैं। खास यह है कि येलागिरी हिल स्टेशन एरिया साहसिक खेलों के लिए खास तौर से जाना जाता है। पैराग्लाइडिंग एवं रॉक क्लाइंबिक जैसे खेलों के आयोजन इस इलाके में होते रहते हैं। ट्रैकिंग के लिए भी यह एरिया शानदार है।
     येलागिरी हिल स्टेशन के आसपास 14 गांव हैं। यह सभी गांव पहाड़ियों में आबाद हैं। इन गांव में खास तौर से मंदिरों की एक लम्बी श्रंखला है। हिल स्टेशन एरिया में ट्रैकिंग का एक शानदार स्थान है। इसे स्वामीमलाई के नाम से जाना जाता है। येलागिरी हिल स्टेशन एरिया में मंगलम, जवादी हिल्स एवं पलामथी हिल्स आदि पर्वत श्रंखलायें विशेष आकर्षक हैं। 
   खास यह कि येलागिरी हिल स्टेशन एरिया का मौसम हमेशा खुशगवार एवं सुहावना रहता है। इस हिल स्टेशन में बादलों की अठखेलियां-आंखमिचौली बेहद आनन्ददायक एवं रोमांचक होती है। कभी आप बादलों की आगोश में होंगे तो कभी बादल आपकी आगोश में होंगे। 
     येलागिरी हिल स्टेशन क्षेत्र में नचियाप्पन मंदिर है। नचियाप्पन मंदिर मुख्यत: शिव परिवार को समर्पित है। तमिलनाडु का यह भले ही एक छोटा सा हिल स्टेशन हो लेकिन सुन्दरता में यह धरती पर स्वर्ग से कम नहीं है।
    येलागिरी हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षक एवं सुन्दर स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से नेचर पार्क, पुंगानूर झील पार्क, जलगंपराय वॉटर फॉल्स, स्वामीमलाई हिल्स, टेलीस्कोप वेधशाला एवं श्री सत्य आश्रम आदि हैं।
     नेचर पार्क : नेचर पार्क की स्थापना वर्ष 2008 में हुई थी। यह एक अति सुन्दर उद्यान है। इसमें फूलों की विभिन्न प्रजातियां देखने को मिलती हैं। खास तौर से गुलाब उद्यान की सुन्दरता लाजवाब है।
     पुंगानूर झील पार्क : पुंगानूर झील पार्क येलागिरी हिल स्टेशन के सर्वाधिक लोकप्रिय स्थानों में से एक है। हालांकि यह कृतिम झील है लेकिन इसकी सुन्दरता का कोई जोड़ नहीं। इस झील की गहराई करीब 25 फुट है। पर्यटक नौकायन का आनन्द ले सकते हैं। पहाड़ियों से घिरी सुन्दरता का आनन्द बेहद रोमांचक होता है।
     जलगंपराय वॉटर फॉल्स : जलगंपराय वॉटर फॉल्स की खूबसूरती देखते ही बनती है। येलागिरी हिल स्टेशन के मध्य कुरकुरा अटारू नदी प्रवाहमान है। इसी नदी की जलधारा से वॉटर फॉल्स प्रवाहमान है। पर्यटक यहां जलक्रीड़ा का आनन्द लेते हैं।
      स्वामीमलाई हिल्स : स्वामीमलाई हिल्स केक के आकार का पहाड़ियों का एक समूह है। यह खास तौर से ट्रैकिंग का इलाका है। इसमें करीब 6 किलोमीटर लम्बा ट्रैक है। पूरा इलाका सुन्दरता से भरा है। इसका ट्रैकिंग प्वाइंट शिखर तक ले जाता है। इसी स्थान पर व्यू प्वाइंट है। इस स्थान से येलागिरी हिल स्टेशन का सुन्दर एवं विहंगम दृश्य दिखता है।
     टेलीस्कोप वेधशाला : टेलीस्कोप वेधशाला येलागिरी हिल स्टेशन का मुख्य आकर्षण है। पहाड़ियों के बीच यह वेधशाला अति प्राचीन है। वास्तुशास्त्र का यह विलक्षण उदाहरण है।
     श्री सत्य आश्रम : श्री सत्य आश्रम निर्धारित अवधि के लिए ही आमजन के लिए खुलता है। यह आध्यात्मिक केन्द्र है।
    येलागिरी हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट बेंगलुरू है। पर्यटक चेन्नई एयरपोई से भी येलागिरी हिल स्टेशन पहुंच सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन जोलापेतई है। पर्यटक सड़क मार्ग से भी येलागिरी हिल स्टेशन की यात्रा कर सकते हैं।
12.579581,78.639874

Friday, 8 June 2018

सापुतारा हिल स्टेशन : शानदार सुन्दरता

    सापुतारा हिल स्टेशन को धरती का स्वर्ग कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। सापुतारा हिल स्टेशन वादियों-घाटियों, पर्वत श्रंखलाओं, नदियों-झीलों-झरनों की खास खूबियां रखता है तो वहीं इसका धार्मिक, आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व भी है।

    विशेषज्ञों की मानें तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने वनवास का लम्बा समय सापुतारा में व्यतीत किया था। गुजरात के डांग जिला का यह हिल स्टेशन सुन्दरता का एक श्रेष्ठतम आयाम है। 
    समुद्र तल से करीब 1000 मीटर ऊंचाई पर स्थित सापुतारा हिल स्टेशन सहयाद्री पर्वत श्रंखला का हिस्सा है। वस्तुत: सापुतारा आदिवासी क्षेत्र है लेकिन शीतलता एवं शांत होने के कारण सापुतारा हिल स्टेशन पर्यटकों एवं सैलानियों का पसंदीदा एरिया बन गया।
      सापुतारा हिल स्टेशन मुख्यत: सपुत्र व सतपुरा पहाड़ का पठार है। खास यह कि गर्मियों में भी यहां का मौसम शीतल रहता है। सापुतारा का आशय सांपो के घर से होता है। शायद इसी लिए सापुतारा हिल स्टेशन के वन क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के सांप पाये जाते हैं। निकट ही सर्पगंगा नदी प्रवाहमान है।
      खास यह है कि नदी किनारे सांपों की मूर्तियां-आकृतियां बनीं है। आदिवासी इन नागों-सांपों की पूजा अर्चना करते हैं। सापुतारा हिल स्टेशन में पर्यटकों-सैलानियों की सुविधाओं एवं सहूलियत के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। बारिश में हिल स्टेशन का मौसम आैर भी अधिक खुशगवार हो जाता है। 
     सापुतारा हिल स्टेशन एवं उसके आसपास खुबसूरत स्थलों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से वांसदा राष्ट्रीय उद्यान, वोटिंग प्वाइंट, रोपवे, कलाकार गांव, गीरा झरना, रोज गार्डेन एवं झील गार्डेन आदि हैं।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान : वांसदा राष्ट्रीय उद्यान करीब 24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। उद्यान में शेर, चीता, सांभर, हिरन, पैंगोलिन एवं बड़े आकार की गिलहरी आदि हैं।
     सनराइज प्वाइंट : सनराइज प्वाइंट बेहद सुन्दर स्थल है। यहां से सूर्योदय एवं सूर्यास्त देखना बेहद सुन्दर एवं रुमानियत भरा प्रतीत होता है। वाकई यहां उगते सूरज को देखना बेहद दिलचस्प एवं रोमांचक होता है। सापुतारा में सूर्यास्त प्वाइंट को गांधी शिखर के नाम से भी जाना जाता है। यहां से सापुतारा हिल स्टेशन का सुन्दर दृश्य अवलोकित होता है।
    कलाकार गांव : कलाकार गांव खास तौर से आदिवासियों से आबाद है। गांव में कलात्मकता के रंग देखने को मिलते हैं। आदिवासी लोक संस्कृति के विविध आयाम यहां जीवंत होते हैं। खास यह है कि यह गांव कलाकृतियों को शानदार तौर तरीके से प्रदर्शित करता है। हस्तशिल्प की सुन्दर संरचनाएं यहां देखने को मिलती हैं।
     सापुतारा झील : सापुतारा झील एक सुन्दर जलाशय है। पर्यटक इस झील में नौकायन का आनन्द ले सकते हैं। 
    रोपवे : रोपवे एक शानदार हवाई यात्रा है। पर्यटक हवा में झूले का आनन्द लेते है। घाटी में सुबह व शाम रोपवे की यात्रा बेहद मजेदार होती है।
     गीरा झरना : गीरा झरना सापुतारा हिल स्टेशन से करीब 52 किलोमीटर दूर है। गीरा झरना अम्बिका नदी का हिस्सा है। करीब 30 मीटर ऊंचाई से गिरता झरना का जल मोती सा उज्जवल दिखता है। यह स्थान वाघई शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर है। गीरा झरना सुरम्य एवं शानदार पिकनिक स्पाट है।
       गुलाब उद्यान : गुलाब उद्यान में गुलाब के फूलों की एक लम्बी श्रंखला दिखती है। सुन्दरता भी लाजवाब है। सुगंध ऐसी कि पर्यटकों को मदहोश कर दे। इसे वाघई बोटैनिकल गार्डेन भी कहते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो गुलाब की शायद ही कोई ऐसी प्रजाति होगी, जो यहां उपलब्ध न हो।
    सापुतारा संग्रहालय : सापुतारा संग्रहालय आदिवासी लोक संस्कृति को रेखांकित करता है। खास यह कि संग्रहालय में लोक नृत्य, परिधान-वेशभूषा एवं आदिवासी जीवन शैली को दर्शाता है।
       सापुतारा हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट सूरत है। सूरत से सापुतारा हिल स्टेशन की दूरी करीब 172 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन बिलिमोरा है। रेलवे स्टेशन बिलिमोरा से सापुतारा हिल स्टेशन की दूरी 172 किलोमीटर है। पर्यटक सापुतारा हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी कर सकते हैं।
20.578598,73.750728

Thursday, 7 June 2018

पचमढ़ी हिल स्टेशन: प्राचीन सुन्दरता

     पचमढ़ी हिल स्टेशन सुन्दर पर्वत श्रंखलाओं के साथ ही पुरातात्विक महत्व के लिए भी जाना पहचाना जाता है। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिला में स्थित पचमढ़ी हिल स्टेशन शांत एवं सुरम्य स्थान है।

    पुरातात्विक महत्व की प्राचीन गुफायें हिल स्टेशन की शोभा एवं शान हैं। कारण यह गुफायें महाभारत काल में पाण्डव बंधुओं की आश्रय स्थली रही हैं। 
   समुद्र तल से करीब 1067 मीटर ऊंचाई पर स्थित पचमढ़ी हिल स्टेशन सुन्दर वादियों से शोभायमान हैं तो वहीं पर्वत श्रंखलाओं के शिखर यशोगाथा को बयां करते हैं।
     सतपुरा पर्वत श्रंखला का यह हिल स्टेशन घने वन क्षेत्र से आच्छादित है तो वहीं वॉटर फॉल्स की शीतलता पर्यटकों के मन-मस्तिष्क को एक सुखद ताजगी देती है। पचमढ़ी हिल स्टेशन की गुफाओं में लुभावन शैल चित्र अंकित हैं। यह शैल चित्र पाण्डव बंधुओं की यशोगाथा को रेखांकित करते हैं। हिल स्टेशन की सुन्दरता एवं विशिष्टता के कारण इसे सतपुरा की रानी भी कहा जाता है। 
     खास यह कि मौसम कोई भी हो, पचमढ़ी हिल स्टेशन हमेशा सुखद शीतलता का एहसास कराता है। करीब 60 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैले इस हिल स्टेशन का नामकरण भी पाण्डव बंधुओं के नाम पर है। विशेषज्ञों की मानें तो पाण्डव बंधुओं के अज्ञातवास का अधिकतर समय यहीं बीता। खास यह कि इस हिल स्टेशन को आरोग्य निवास के तौर पर भी जाना जाता है। 
    पचमढ़ी हिल स्टेशन एवं उसके आसपास सुन्दर एवं सुरम्य स्थानों की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से चौरागढ़ मंदिर, जलावतरण, सुन्दर कुण्ड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुरा राष्ट्रीय उद्यान, प्रियदर्शिनी प्वाइंट, बी फॉल्स, राजेन्द्र गिरि, हांडी खोह, जटाशंकर गुफा एवं पाण्डव गुफा आदि हैं।
     सतपुरा राष्ट्रीय उद्यान : सतपुरा राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1981 में घोषित किया गया। करीब 524 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान वन्य जीवन की प्रचुरता के लिए खास तौर से जाना जाता है। राष्ट्रीय उद्यान में शेर, चीता, भालू, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, जंगली भैंसा आदि अनेक जीव-जन्तु स्वच्छंद विचरण करते दिखते हैं।
      प्रियदर्शिनी प्वाइंट : प्रियदर्शिनी प्वाइंट पचमढ़ी हिल स्टेशन एरिया का सुन्दर क्षेत्र है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त का बेहद सुन्दर दृश्य यहां से अवलोकित होती है। तीन पहाड़ी शिखर पर स्थित यह स्थान बेहद आकर्षक है। इसके बायीं ओर चौरादेव महादेव स्थित हैं। इसी के निकट धूपगढ़ पर्वत है। धूपगढ़ इस इलाके की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है।
     रजत प्रपात : रजत प्रपात अप्सरा विहार से कुछ ही दूूरी पर स्थित है। करीब 350 फुट की ऊंचाई से गिरने वाला यह वॉटर फॉल्स अति सुन्दर प्रतीत होता है। फॉल्स का पानी दूधिया चांदी जल की भांति दिखता है।
बी वॉटर फॉल्स : बी वॉटर फॉल्स को जमुना वॉटर फॉल्स के नाम से भी जाना जाता है। यह पचमढ़ी से करीब 3 किलोेमीटर दूरी पर स्थित है। यह एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। 
       राजेन्द्र गिरि : राजेन्द्र गिरि एक सुन्दर पर्वत शिखर है। इसका नामकरण देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद के नाम पर है। विशेषज्ञों की मानें तो वर्ष 1953 में डा. राजेन्द्र प्रसाद स्वास्थ्य लाभ के लिए यहां आये थे। यहां उनके लिए रविशंकर भवन बनवाया गया था। यहां चारों ओर प्राकृतिक सुन्दरता बिखरी हुयी है।
      हांडी खोह : हांडी खोह पचमढ़ी हिल स्टेशन की सबसे सुन्दर एवं सबसे गहरी खाई है। यह करीब 300 फुट गहरी है। घने वन क्षेत्र से आच्छादित पानी के झरनों का कल-कल बहना अति सुहावना प्रतीत होता है। कहावत है कि भगवान शिव ने यहां एक राक्षस रूपी सर्प को एक चट्टान के नीचे दबा कर रखा था। लिहाजा इसे अंधी खोह भी कहा जाता है। यहां के रेलिंग प्लेटफार्म से घाटी का अति सुन्दर नजारा दिखता है।
     जटाशंकर गुफा : जटाशंकर गुफा एक पवित्र गुफा है। यह पचमढ़ी से करीब 1.50 किलोमीटर दूर है। यहां स्थित महादेव मंदिर में शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है। निकट ही हार्पर की गुफा भी है।
      पाण्डव गुफा : पाण्डव गुफा महाभारत काल की गुफायें हैं। इनमें द्रोपदी कोठरी एवं भीम कोठरी विशेष हैं। पुरातात्विक विशेषज्ञों की मानें तो यह गुफायें गुप्तकाल की हैं।
      अप्सरा विहार : अप्सरा विहार पाण्डव गुफाओं के निकट 30 फुट गहरा ताल है। इस ताल में एक झरना गिरता है। जिससे ताल का जल बेहद शीतल रहता है। पर्यटक ताल में स्नान का आनन्द ले सकते हैं।
          पचमढ़ी हिल स्टेशन की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट भोपाल है। भोपाल से पचमढ़ी की दूरी करीब 204 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन पिपरिया है। यहां से पचमढ़ी करीब 52 किलोमीटर दूर है। यह जबलपुर एवं इटारसी के बीच में स्थित है।
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फागू हिल स्टेशन: रोमांचक एहसास    फागू हिल स्टेशन निश्चय ही दिल एवं दिमाग को एक सुखद शांति एवं शीतलता प्रदान करेगा। फागू हिल स्टेशन आकार...